नमस्कार , पंद्रह दिनों से एक परेशानी से जूझती रही मैं ,इसे सुधारने के लिए किए गए कोशिशें ने कंप्यूटर की हालत इतनी बिगाड दी कि न तो यह पोसट लिखने लायक थी और न ही टिप्पणी के लायक ही। आज कंप्यूटर के किसी विशेषज्ञ को भेजने से पहले ही अपनी ओर से अंतिम उपचार करने की केाशिश की , तो बहुत सी समस्याओं का समाधान निकला। अब आज की वार्ता की ओर लिए चलते हैं ..
आज जन्मदिन की शुभकामनाएँ! किसे दें ?आज हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन ब्लाग के ब्लागर हर दिल अजीज बी.एस. पाबला जी का जन्मदिन है बुधवार, 21 सितम्बर, 2011 *पाबला जी को असीम, अनन्त, अशेष शुभकामनाएँ!!!पाबला जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाए ---- ललित शर्मा जिन्दगी के मेले लगाने वाले अजीज ब्लॉगर बी.एस. पाबला जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. यूँ ही जिन्दगी के मेले लगाते रहो और हँसते खिलखिलाते रहो जीवन भर, यही अरदास है. * जन्म दिन मुबारक हो **आँख खुलते हीआँख खुलते ही चेहरा उनका दिखा सुबह को खुशगवार बना दिया रोते हुए को हँसा दिया चेहरा दिखा कर फिर छिपा लिया ना मालूम किस बात से खफा हो गए उनके अंदाज़ ने निरंतर इंतज़ार को ज़िन्दगी का हिस्सा बना दिया ग....इन पहाड़ों से....रेशमके कपडेपे water कलर, उसके ऊपर धुंद दिखानेके लिए शिफोनका एक layer ....कुछ अन्य रंगों के तुकडे, ज़मीन, पहाड़, घान्सफूस, दिखलाते है...इन कपडों पे कढाई की गयी है... इन पहाड़ों से ,श्यामली घटाएँ, जब,जब ...
आपको बहुत कुछ नया दे सकता है फेसबुकइस हफ्ते होने वाली अपनी डेवलपर्स काफ्रैंस f8 में फेसबुक कुछ बड़ी घोषणाए कर सकता है। रिपोर्टों के मुताबिक फेसबुक इसी हफ्ते अपनी सोशल म्यूजिक सर्विस भी लांच कर सकता है। इस सप्ताहांत न्यूयॉर्क टाइम्स .एक झूठ का सच....जब भी आग लगती है किसी जंगल में वो पानी पे दौड़ने के किस्से सुनाते है गांव हो जाता है पूरा का पूरा मिथक हुंकारे भरता रहता है सोते हुए भीतर जब भी खरोंच सा कुछ लगता है जाने क्यूँ नाख़ून वो अपने छिपाते है..जल्द ही अब ऐसी भी क्या जल्दीअब ऐसी भी क्या जल्दी - किश्तों में धीरे धीरे मरते हैं . जीना कोई मजाक नहीं है - यार जाने दो - टुकड़ों में ही सही हर पल आत्महत्या करते हैं . क्या कहा - हम जिन्दा है . हम तो वैसे भी - अपनी इस बेहाल जिन्..रात की बात*डॉ शैल रस्तोगी जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगाः* *अगली प्रस्तुति में- डॉ रमा द्विवेदी जी* * * * * *सारे चित्र गूगल से साभार*कुपथ रथ दौड़ाता जोआचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री की कविताएं-2* कुपथ रथ दौड़ाता जो कुपथ कुपथ रथ दौड़ाता जो पथ निर्देशक वह है, लाज लजाती जिसकी कृति से धृति उपदेश वह है। मूर्त दंभ गढ़ने उठता है शील विनय परिभाष..गोपली पादे तीन टोपलीआपने देखा होगा कि कोई सिर्फ "करेला" शब्द सुनते ही बिदकने लगता है तो कोई उनके सामने "राधेश्याम" कह देने से ही चिढ़ उठता है। एक-दूसरे को चिढ़ाना जहाँ बच्चों में एक सामान्य बात होती है वहीं बड़े भी अक्सर दूसरों ...
राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौती होंगे 2012 के चुनावउत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नरेन्द्र मोदी की विजय के रूप में भाजपा प्रचारित कर रही है। और लालकृष्ण आडवाणी की और रथयात्रा पर निकलने वाले हैं। अमेरिकी संसद के एक ..मोदी,नितीश,सुषमा,मेह्बूबा,राज,उद्धव,भाजपा,जेडियु,बस यही बाकी रह गया है क्या समाचारो के नाम पर?क्या इस देश में किसने किसको क्या कहा,बस यही बाकी रह गया है समाचारों के नाम पर.मोदी के उपवास के बाद ऎसा लगा कि चलो शायद अब महंगाई और भ्रष्टाचार या भूकंप के बारे में बात होगी.बेमौसम बरसात,बाढ,फसल,प्याज,नक्सल...कई बार ब्लोगर भाईयों से कुछ साझा करने की इच्छा होती हैसमय चक्र कब कौन सा रुख करेगा, कौन समझ पाया है। इंसान अच्छे के लिए कुछ करता है पर हो कुछ और जाता है। मन मुताबिक़ न होने से मन इतना खिन्न हो उठता है कि वह प्रभू को भी दोष देने लगता है। उसे लगता है कि जब उसने सूरत निवासी नवोदित गायक-गायिकाएं कृपया ध्यान दें........* * *प्यारे मित्रो नमस्कार ! * * * *सभी नवोदित गायक -गायिकाओं को सूचित किया जाता है कि सूरत में* * * *हनुमान जी के भजनों का ऑडियो -वीडियो एलबम तैयार हो रहा है .* * * *म्यूजिक ट्रैक बन चुका है,...
एक अधूरा सपना !*कल सपने में देखा था * *एक हसीन भारत / एक खुशहाल भारत ,* *हरी-भरी धरा से आवृत * *लहलहाती फसलें, प्रसन्न किसान * *खिलखिलाते बच्चे * *आश्चर्य ! देखा था मैंने , देश के नेता * *फूस की झोपड़ी* *गोबर लिपे आंगन में...एक नव गीत : उत्सव का मौसम..... --संजीव 'सलिल'एक नव गीत : उत्सव का मौसम..... संजीव 'सलिल' * तुम मुस्काईं जिस पल उस पल उत्सव का मौसम..... * लगे दिहाड़ी पर हम जैसे कितने ही मजदूर. गीत रच रहे मिलन-विरह के आँखें रहते सूर.. नयन नयन से मिले झुके उठ मिले मि...मन की उड़ान....*मन के उन कटे पंखों से* *जिन्हें कतर दिया था मैने कभी* *मैं उड़ना चाहती हूँ आज,* *उँचे आकाश में,दूर तक * *जुड़ना चाहती हूँ,मेरे अपनों से * *इस धरा को छोड़... * *तुम साथ दो मेरा * *ठीक वैसे -जैसे* *लटका दे कोई ...बेटियों पर यह कैसा अत्याचार .......बेटियों पर हो रहा, यह कैसा अत्याचार है | एक आँख रो रही है, और एक शर्मसार है | सृष्टि की रचना तो, देवों का उपकार है| फिर क्यों उस मानव का, यह दानव सा व्यवहार है | लक्ष्मी और दुर्गा का, नाम यहाँ पाती ...
वक़्त बहुत कम है* * *ख्वाब देखने मे * *और जीने की जद्दोजहद मे * *कब बीत गयी ज़िंदगी * *पता ही ना चला,* * * *अब वक़्त बहुत कम है * *और काम ज्यादा * *करने को इतना कुछ बाकी है * *कि लेने होंगे कई और जन्म,* * * *उन सब का कर्ज च..कुछ पल.रात के साये में कुछ पल मन के किसी कोने में झिलमिलाते हैं सुबह होते ही वे पल , कहीं खो से जाते हैं कभी लिहाफ के अन्दर , कभी बाजू के तकिये पर कभी चादर की सिलवट पर वो पल सिकुड़े मिलते हैं. भर अंजुली में उनको..उस घर की तलाश(फोटो- डॉ विवेक भारद्वाज) और सहसा कोई एक शुभचिंतक पूछ लेता है खुले आस्मां के नीचे चलते देख कर मुझे कब बनाओगे अपना घर? २ विस्तार की अनुभूति, स्थूल दीवारों की आश्वस्ति दे नहीं पाती किसी को फिर भी छत ..दस दिशायें........डगमगाते कदमों ने जब-जब देखा पाँव के नीचे धरती का आसरा और सिर पर तना निर्मल आसमान देखा निखरते रिश्तों की पहचान ने चारों दिशाओं का अभिमान दिया इस पहचान और अभिमान ने शेष चारों दिशाओं का भी ज्ञान दिया इन ... और सितम्बर माह के डोमेन नेम के विजेता हैं......मासिक मुफ्त डोमेन नेम दिए जाने के क्रम में सितम्बर 2011 के लिए प्रविष्ठियां मांगी गयी थी । इसके लिए कुल 13 लोगों ने इच्छा जताई है । इनमे से सितम्बर माह के विजेता का चुनाव कर लिया गया है । जिन लोगों ने डो....
नम सी दो आँखें रहती हैं ...गुरुदेव पंकज जी ने इस गज़ल को खूबसूरत बनाया है ... आशा है आपको पसंद आएगी ... प्यासी दो साँसें रहती हैं बस उनकी यादें रहती हैं बरसों से अब इस आँगन में उनकी कुछ यादें रहती हैं चुभती हैं काँटों सी फिर ..लिख डालें एक कवितामन तो चिड़िया है पंख खोले उड़ान भरता जाता है चोच में भावनाओं के दाने लिए घोसले में उतरता है और तिनकों पर लिखता है -.चलती रहूंगी हे चाँद, देखो छिपा लिया है मैंने तुम्हे अपने झोले में, भेजने को दूर किसी लोक में, अब हो तुम बस मेरे मेहमान, अब न होगी रजनी विषादमय, उसकी कालिमा से क्लांत हृदय कुछ क्षण तो निहारेगा सूर्य की आभा को, फिर...दूर क्षितिज के उस पारदेखो दूर क्षितिज पर कैसा | अनुपम दृश्य बना है ऐसा | देख - देख कर मन की मैना | बोल रही सुन्दर है बिछोना | कैसे मैं पाऊं उडकर जाऊं | या मैं कुछ ऐसा भेष बनाऊं | तुम्ही बताओ युक्ति ऐसी | जिससे तुमको गले लग...खुद-ब-खुद धूल चांट जायेंगे !!सच ! जी चाहे तुम्हारा, जो चाहे कर लो कम से कम क़यामत की दुआ न करो !! ... सच ! जब होती है वो, तब फुर्सत नहीं होती आज जब वो नहीं है, हमें फुर्सत ही फुर्सत है ! ... गर चाहें तो बिना तेरे, जन्नती शाम हो अपनी जब ह...
ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल हैहिंदी के सुप्रसिद्ध ब्लागर श्री गिरीश बिल्लोरे जबलपुर द्वाराhttp://bambuser.com के लिए दिनांक 19 सितंबर 2011 को वीडियो चेटिंग के माध्यम से इंटरव्यू लिया गया . इसमें श्री बिल्लोरे की आवाज तो साफ आ रही है ..ताज महलउस दिन एक गाइड ने कहानी कही अपने अंदाज में वह आगे बढता जाता था कई कहानी ताज की सुनाता था | उसी से सुनी थी यह भी कहानी विश्वास तो तब भी न हुआ था इतना नृशंस शहंशाह होगा मन को यह स्वीकार न हुआ | निर्माण कार्य ...... गुजरात के भूकंप की आंखों-देखी-1*भूकंप से जिंदगी एक बार फिर दहल गई है। वर्ष 2001 में गुजरात में आए भूकंप की कुछ तस्वीरें मैंने पोस्ट की थी। उस दौरान देशबन्धु के संवाददाता के रूप में मैंने जो रिपोर्टिंग की थी, उसकी किस्त प्रस्तुत कर रहा ह....(गीत ) मेरे गाँव का पनघट !तूफानों से तहस-नहस ...आधुनिक कला की युवा अभिव्यक्ति : स्वाति गुप्ताकला अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो शब्दों की मोहताज हुए बिना मात्र सृजनात्मकता के द्वारा ही परस्पर संवाद कायम कर लेती है. कला के क्षेत्र में भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है और वर्तमान पीढ़ी भी ...
न जाओ सैंया,छुड़ा के बैंया !आजकल पितर-पक्ष चल रहे हैं !हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुछ बढ़िया या अच्छे काम इस समय नहीं किये जा सकते ! पर,ब्लॉग-जगत में कुछ ऐसा होने की घनघोर आशंका हो गयी है.इसलिए हम सभी को ऐसा न होने देने के लिए एड़ी...पितृ तृप्तिकरण परियोजना --- ललित शर्मापितृपक्ष लगते ही रुठे पितरों को मनाने एवं मने हुए पितरों की श्रद्धा सेवा याने श्राद्ध की तैयारी होनी शुरु हो जाती है। लोकमान्यतानुसार पितर पितृ पक्ष में ही आते हैं। कहते हैं "जीयत पिता से दंगम दंगा, मरे प...मातृ पितर और पुत्र पर्व - जिउतियाआश्विन (क्वार, कुआर) माह का कृष्ण पक्ष पितृपक्ष कहलाता है। बहुत प्राचीन काल से ही भारत के आर्यगण इस दौरान अपने पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते रहे हैं, उनकी स्मृतियों को जीते रहे हैं। भारतीयों का यह पक...बेचैन आत्मा: संकट मोचन की मंगला आरती।बेचैन आत्मा: संकट मोचन की मंगला आरती।: मैं बनारस में पैदा हुआ, असंख्य बार संकट मोचन मंदिर गया लेकिन कभी मंगला आरती नहीं देखी। मंगला आरती सुबह साढ़े चार बजे होती है। समय इतना ...भूकंप से क्या क्या हिल रहा है [ Cartoon
12 टिप्पणियाँ:
रोचक वार्ता ...
अच्छे लिंक्स!
बढ़िया वार्ता,...... आपकी समस्या का समाधान हो गया....... बधाई और शुभकामनाएं.
पाबला जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
मैंने तो आंख खोलते ही पाबला जी को बधाई दे दी। शुक्रिया।
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मायावी मामा?
जीवन को प्रेममय बनाने की जरूरत..
अच्छी वार्ता और लिंक्स |श्री पावला जी को मेरी और से भी जन्म दिन के लिए शुभ कामनाएं |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
मुझे भी स्थान देने के लिए आभार
अच्छे लिंक्स से भरपूर विस्तृत चर्चा।
अति सुन्दर ||
Rochk !!!
बढ़िया वार्ता,
वाह बहुत बढ़िया वार्ता.
बढ़िया वार्ता.
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