ललित शर्मा का नमस्कार, लेट लतीफ़ वार्ता में प्रस्तुत हैं कुछ ब्लॉग लिंक...............कंडी (Kandy) – बौद्ध धर्म का एक और पालना - श्री पी.एन. संपत कुमार, कोचिन शिपयार्ड, कोच्ची के आलेख का हिंदी रूपांतर कंडी (Kandy) श्रीलंका की सांस्कृतिक राजधानी मानी जाती है और दूसरा बड़ा शहर भी. कंडी...मेरे दो गीत - एक सावन में बूढ़े नईम भी हँसते हैं | बाकी मौसम वृन्दावन में बसते हैं | घर अपना देवास या कि उज्जयिनी हो , धान रोपती खेतों में मृगनयनी हो , हम चातक अका...आज की कविता का रूप-सौन्दर्य 3 - *आज की कविता का रूप-सौन्दर्य बढ़ाने में सहायक हैं नए बिम्ब और नई भाषा शैली .... और चमत्कृत कर देते हैं भाव ..... कवि-मन में जब गहन अनुभूति के पल आते हैं तब ...प्यार तो होता ही है - इस चिट्ठी में, अंग्रेजी फिल्म 'लव हैपेन्स्' की समीक्षा है। फिल्म का भावपूर्ण दृश्य पॉन्डचेरी से लौटते समय हम दिल्ली रुके थे। हमारे पास कुछ समय था हम लोग वसं...
वकील बाबू क्या हुआ? - कुछ दिनों से कान में सुरसुराहट हो रही थी, लग रहा था पेट्रोल के दाम अब बढ़े, अब बढ़े। दिन भर अदालत में व्यस्त रहे वकील बाबू शाम को थक कर घर पहुँचे तो खबर...मोबाइल-रेडियो भाया कानपुर -1 - सुबह होती है, बालकनी में टहलते हुए चाय पीता हूं, बाहर सड़क और फूल पत्तियों को निहारता हूं लेकिन हर दिन इस काम को दोहराते हुए मुन्नी बदनाम हुई... तेरे लि...टंकी-आरोहण नहीं नौटंकी है यह ! - हमने अपने बचपन में नौटंकी का आनंद खूब लिया था. उत्तर प्रदेश की यह लोकरंजक शैली अब लुप्त प्राय है,पर इसी को फिर से ब्लॉग-लेखन के ज़रिये जिंदा रखने की अद्भु...द स्टोनिंग ऑफ सोराया एम. - 4 सितम्बर 2011 को कई दिनों की बारिश के पश्चात धूप खिलखिला के निकली, और साथ में लाखों चेहरे भी। कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश से आयोजन बिगड़ने का अंदेशा, ल...
प्यार ताकत देता है या फिर कमज़ोर करता है ? - सभी ने अपने जीवन में प्यार का अनुभव तो किया ही होगा कभी न कभी या फिर हमेशा ही किसी न किसी के द्वारा। धनवान रही हूँ हमेशा से क्यूंकि "प्यार" जैसी बेशुमार दौ...५- तब एकदम ही कोई नई कविता बननी चाहिए - इस सीरीज़ के लिए काफी कविताएं सजेस्ट की जा रही हैं .काश्मीर और नॉर्थ ईस्ट से सशक्त कविताएं मिल सकती हैं. लेकिन हमारा फोकस फिलहाल हिन्दी पर है ; और मेरा मन ह...'सेंकैया' जमात वाले.... - इस देश में दूसरों के गर्म तवे पर अपनी रोटी सेंकने वाले सेंकैया जमात के लोग बहुतायत में हैं, इफ़रात हैं। '*गझिन'* इतने, कि कहीं से भी आती रोशनी को अ...लान तो रे लान तो डण्डा ला, मारौं तरी के बण्डा ला - मानव मस्तिष्क स्मृतियों को अपूर्व भण्डार है। जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त की सभी बातों को संजो कर रखे रहता है यह। जन्म से लेकर होश सम्भालने तक की भी बातें इस...
आगे-आगे सड़क बनत है पीछे-पीछे होत खुदाई - आगे-आगे सड़क बनत है पीछे-पीछे होत खुदाई । इस नगरी की रीत निराली शासन को नहि देत दिखाई ।। प्रशंसा के ये शब्द मैंने अपनी विश्वप्रसिद्ध नगरी वाराणसी पीयू पीटू - P U P 2 - इस पोस्ट का टाईटिल सोचा था ’पाले उस्ताद – पाट्टू (पार्ट टू)’ फ़िर सोचा कि विद्वान जन आऊ, माऊ चाऊ टाईप की ब्लॉगिंग के बारे में फ़िक्र करके वैसे ही हलकान हुय...कहो प्रिये क्या लिखूं - कुछ शब्दों के अर्थ लिखूं कुछ अक्षर यूँही व्यर्थ लिखू एक प्रेमकथा ,संवाद लिखू संबंधो के सन्दर्भ लिखूं इस जीवन का सार लिखूं अंतर्मन का प्रतिकार लिखूं न...मील का पत्थर - हूँ मील का पत्थर, मेरा कोई इतिहास नहीं इतिहास हो जाऊँगा उस दिन, जिस दिन न बचेगा रास्ता कोई। मुझे निकालो, लगा दो कहीं कि राही राह भूलें बच रहेंगी राहें बता...
बड़ी मुश्किल से मगर दुनिया में दोस्त मिलते हैं... - ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह कोई चारासाज़ होता कोई ग़मगुसार होता -- मिर्ज़ा ग़ालिब कभी कभी सोचती हूँ ग़ालिब साहब का एक अरसे पहले लिखा ये शेर आ...यू एन ओ मे हिन्दी : - यू *एन ओ मे हिन्दी : UNO* * यू *एन ओ संस्था या संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना सन १९४५ की २४ अक्टूबर के रोज हुई थी. द्वीतीय विश्व युध्ध के पश्चात ५१ राष्ट्र...मेरी पसंद..... - *न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ* *जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ* * * *न तो मैं किसी का हबीब हूँ न तो मैं किसी का...पत्थर से कुचल दी जाएं प्रेम कहानियां... -शादियों को लेकर मुझे सिर्फ इस बात से उम्मीद जगती है कि इस दुनिया में जितने भी सफल पति दिखते हैं वो कभी न कभी एक असफल प्रेमी भी ज़रूर रहे होंगे। गलियों में,...
आइए जानते हैं क्या था बर्फ के इन अंडों का रहस्य ? - पिछली पहेली में आपसे प्रश्न पूछा था समुद्र तट पर फैली हुई सफेद अंडाकार आकृतियों के बारे में। अगर आप भी इन्हें साक्षात देखने चाहते हैं तो आपको या तो अमेरिका..."हिन्दी की खुशबू...." - हिंदी माँ के हाथ बनी, नरम नरम लंगोटी है, अंग्रेजी असहज डायपर है, हिंदी माँ का आँचल है, अंग्रेजी बाटल का दूध है, हिंदी माँ का दुलार है, अंग्रेजी क्रेच ...साला कसाब... - पान चबा रहा था और चबाते चबाते बोला...आँखें फोड़ दूँगा उसकी जो मेरी माँ की तरफ़ कोई आँख भी उठायेगा तो, इतना प्यार करता हूँ मैं अपने देश से, अपनी भारत माँ से। ...'अन्ना इफेक्ट' : अंदर की बात कुछ और ही है ! - . . . पिछले सवाल पर आदरणीय रतन सिंह शेखावत जी ने टीपा:- Ratan Singh Shekhawat ने कहा… न तो कहीं नजर आ रहा है और ना ही कभी नजर आएगा| क्योंकि सिर्फ टोपी पहनक...
आज बस इतना ही........... मिलते हैं अगली वार्ता में राम राम............
7 टिप्पणियाँ:
चौखी वार्ता
सुंदर चर्चा।
आपके चर्चा का अंदाज ही अलग है। बढिया
बढ़िया रही वार्ता.
बढ़िया वार्ता...
सुंदर चर्चा।
बहुत ही दिलचस्प...
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