शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

कैद खाने में सुन्दर पीठ वाली लड़की---ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, दिल्ली में पुन: बम ब्लास्ट हुए, कई जाने चली गयी, निर्दोषों के अंग-भंग हो गए. नेताओं की सियासत जारी है. शर्म नहीं आती इन्हें लाशों पर राजनीती करते हुए. सीधी खरी बात..पर डा० आशुतोष शुक्ल कहते हैं ....दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए आतंकी हमले के बारे में अधिक जानकारी तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगी पर जिस तरह से हमेशा की तरह आतंकियों ने इस बार भी इस काम को अंजाम दिया उससे यही लगता है कि आतंकियों के मुकाबले हमारी तैयारियां काफी कमज़ोर सी हैं. यह बिलकुल सही बात है कि इस तरह के हमलों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है जिसके कारण यह ख़तरा हमेशा ही बना रहेगा पर हमारी चौकस निगाहें इस तरह की घटनाओं की तीव्रता और संख्या में तो कमी कर ही सकती हैं. इस पूरी असफलता के लिए केवल पुलिस और कानून को ज़िम्मेदार मानने से काम नहीं चलने वाला है......

एकोऽहम्पर विष्णु बैरागी कहते हैं...*बात तो बस, बात होती है। न छोटी, न बड़ी। बस, देखनेवाले की नजर ही उसे छोटी या बड़ी बनाती है। इसीलिए ऐसा होता है कि जो बात किसी एक के लिए कोई मायने नहीं रखती वही बात किसी दूसरे के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन जाती है। यह ‘बात’ ही तो है जो कहीं महाभारत करवा दे तो कभी राजा भर्तहरि को जोगी बना दे। बस, सब कुछ देखनेवाले की नजर पर निर्भर करता है। * *कोई बाप अपनी बेटी को एक दिन स्कूल जाने से रोक दे तो रोक दे! कौन सा पहाड़ टूट गया होगा? लेकिन यही बात मुझे लग गई। अब, बात लगी तो मुझे है लेकिन झेलनी आपको पड़ रही है। भला यह भी कोई बात हुई? नहीं हुई ना? लेकिन मेरे लिए तो यह बहुत बड़ी बात हो गई। * *वह, ... अधिक »................

देशनामा पर खुशदीप सहगल कहते हैं.........कल दिल्ली के लिए वाकई काला बुधवार था...सुबह दहशतगर्दों ने धमाके से दिल्ली को दहलाया...रात को भूकंप के झटके ने राजधानी को हिलाया...दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए आतंकी धमाके ने ग्यारह बेगुनाहों की जान ले ली और 75 से ज़्यादा को ज़ख्मी कर दिया, जिनमें अब भी कई की हालत नाज़ुक बनी हुई है...शुक्र है कि रात को 11 बजकर 28 मिनट पर आए भूकंप के झटके में जानमाल के नुकसान की कोई ख़बर नहीं मिली...4.2 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के सोनीपत में था... दहशतगर्दों से लड़ने के लिए हमारा सिक्योरिटी-सिस्टम कितना मज़बूत है, इसका सबूत आतंकवादियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाका करके दिखाया, जहां... अधिक »

मेरे दिल की बातपर स्वराज्य करुण....... पिछले तीन-चार दिनों से प्रदेश में व्यापक रूप से लगातार बारिश हो रही है. नदी-नाले उफान पर हैं. कुछ जिलों में बाढ़ के हालात भी देखे जा रहे हैं .यह मौसम का उतार-चढाव है . मिजाज़ मौसम का कब कैसा हो , कहा नहीं जा सकता . अभी जबकि ये पंक्तियाँ लिखी जा रही हैं , अगले कुछ घंटों या कुछ दिनों में बारिश के हालात क्या होंगे , कुछ कहना मुश्किल है. हो सकता है द्रोणिका का प्रभाव कम होने पर बारिश की रफ्तार भी धीमी हो जाए ताकि मौसम खुलने पर जन-जीवन सामान्य ढर्रे पर लौट सके ,लेकिन अभी तो बादलों का बरसना जारी है. भादों में बादल बरसों बाद इतना बरस रहे हैं... अधिक »

हिलसा मछली का आकर्षण...... खबर यहाँ है .हालांकि फालो अप नहीं है मगर मैं समझ सकता हूँ कि बंगलादेशियों का दिल जीतने के लिए अपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने यह पेशकश की होगी और डायनिंग टेबल पर हिलसा सजी होगी .खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री हिलसा के आकर्षण में ऐसे बधे कि कह पड़े कि हिलसा के स्वाद के लिए अगर उन्हें अपना शाकाहार छोड़ना पड़े तब भी वे तैयार हैं. *लद गए दिन हिलसा के ..*.. हिलसा सचमुच बंगाली मोशाय के दिल की रानी है हालाकिं उसे यह ओहदा बाबू मोशाय की पेट पूजा से हासिल हो पाया है ...जहां आम मछलियाँ १००-२०० रुपये किलो मिलती हैं हिलसा का दाम बंगाल में १००० रुपये किलो तक पहुँच गया -पश्चिम बंगाल और बांग्लाद... अधिक »

आतंकी तो भारत में सरकारी दामाद हैं कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अपने देश में आतंकवादियों को सजा देने की हिम्मत सरकार नहीं कर पाती है। अगर अफजल गुरु को पहले ही फांसी दे दी जाती तो कम से कम आज दिल्ली धमाके में मारे गए लोग जिंदा रहते। लेकिन इससे सरकार को क्या सरोकार। अगर सौ- दो सौ लोग मारे जाते हैं तो क्या फर्क पड़ता है, लेकिन आतंकियों को सजा देना गंवारा नहीं है। अगर इस तरह से सरकार नपुंसकता दिखाती रही तो देश में आतंक का नंगा नाच चलता रहेगा। अब जबकि यह बात सामने आई है कि अफजल गुरु की फांसी की सजा माफ करवाने दिल्ली हाई कोर्ट में धमाका किया गया है तो सरकार को हिम्मत दिखाते हुए अफजल गुरु की फा... अधिक »

दैट गर्ल इन येलो बूट एक ऐसी लड़की रूथ की कहानी है जो विदेश से मुंबई अपने उस पिता की खोज में आई है जो उसके परिवार को तब छोड़ आया जब वह लड़की बहुत ही छोटी थी। फिल्म में रूथ का किरदार कल्कि कोचलिन नें निभाया है। रूथ के पास वीसा और वर्क परमिट नहीं है और मुंबई जैसे शहर में बिना जॉब के रह पाना उसके लिए मुश्किल हो जाता है, इसलिए वह अपने बॉय फ्रेंड प्रशांत की मदद से एक मसाज पार्लर में काम करने लगती है, जहाँ वह अपने ग्राहकों को अतिरिक्त 1000 रुपये के बदले उन्हें हैंड जॉब देती है। रूथ के पास पार्लर में आने वाले ग्राहकों की कई किस्में हैं जिसमें शरीफ शहरी, शर्माने वाले युवा और सिर्फ हैंड जॉब क... अधिक »

डॉ.सत्यजीत साहूSwami Niranjanananda Saraswati (T.T.C. - Ganga Darshan, 21.8.86) The scientific aspect of Yoga is very important because it provides us with the means to understand the actual yogic process of how the different techniques of asana, pranayama, concentration and relaxation can influence and transform one's personality, behaviour, rationality and intellect. Not only with regard to grown-ups, but to children also. In North France, disciples of Swami Satyananda Saraswati have founded an institution called "Research on Yoga in Education", (R.Y.E). The R.Y.E. yoga teachers train teachers... अधिक »

कैद खाने में सुन्दर पीठ वाली लड़की मैदान में हरे रंग के पत्ते एक दूसरे की बाहें थामें हुए ऊँचे झांक रहे थे, यहीं कुछ महीने पहले धूल उड़ा करती थी. छत डालने के काम आने वाले सीमेंट के चद्दरों से दुपहिया वाहनों के लिए शेड बना हुआ है. यहाँ बैठा हुआ, सेटेलाईट डाटा रिसीविंग डिश के पार नीले आसमान में तैरते हुए बादलों के टुकड़ों को देखता हूँ. सप्ताह भर से लगातार बारिश हो रही है. अक्सर फाल्ट होने से पावर कट हो जाया करता है फिर स्टूडियोज़ के बंद कमरों में सीलन और ठहरी हुई हवा भारी होने लगती. नाउम्मीद बैठे हुए अचानक तेज बारिश होने लगी. शेड के तीन तरफ पानी, फुहारें, एक लयबद्ध शोर, किनारे पर अटका एक भीगा हुआ पंख. दुनिया सिमट गयी है... अधिक »

अब तो टूट कर बिखरने की चाहततुझे मुझसे जितनी नफरत है, तेरी उतनी ही मुझे जरुरत है. मिसरी भरी निगाहें ही मीठी नहीं होती, तेरे अंगार भरे निगाहें भी खुबसूरत हैं. कैसे कह दूँ कोई खैर करता नहीं, इस नफरत में जलना तेरी प्रीत या फितरत है. घिरे हों जब आँखों में अविश्वास के बादल, हर अच्छी बातें भी लगती बदसूरत हैं. जो ख्वाब बुनते हैं हम लगन से, वो टूट कर भी रहते खुबसूरत हैं. जानती हूँ कोई तोड़ नहीं पायेगा, फिर भी तुमसे टूटना मेरी किस्मत है. बंध कर और नहीं रहा जायेगा, अब तो टूट कर बिखरने की चाहत है. डूब रही मेरी कस्ती तेरे ही हाथों, ये जानकर भी डूबना मेरी जरूरत है. जितनी तुझे मुझसे नफरत है, तेरी उतनी ही मुझे जरु... अधिक »

अंतर्मंथनपर डॉ टी एस दराल.........स्नेह भाव के मामले में मनुष्यों और पशुओं में एक बड़ी समानता है --दोनों प्रजातियों में व्यस्क, विशेषकर मादा अपने बच्चों को चूम कर अपने स्नेह और भावनाओं का इज़हार करती हैं । यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । यदि मनुष्य की बात की जाये तो मनुष्य चुम्बन का कई तरह से प्रयोग करता है । * एक मां का संतान के प्रति ममता और स्नेह । मां हर हाल में अपने बच्चे को चूम सकती है । * कुछ देशों में यह आदर और सम्मान का प्रतीक माना जाता है । हालाँकि इस चुम्बन में खाली गाल से गाल मिलाते हैं । * प्यार और रोमांस का प्रतीक --प्रेमी-प्रेमिका और पति पत्नी के बीच चुम्बन । यह अक्सर होठों पर होता है । ज़ाहिर है , इसमें ... अधिक »

स्पंदनपर शिखा वार्ष्णेय ------छतीसगढ़ के दैनिक नवभारत में प्रकाशित एक आलेख. कुछ समय से ( खासकर भारतीय परिवेश में ) अपने आस पास जितनी भी महिलाओं को अपने क्षेत्र में सफल और चर्चित देख रही हूँ .सबको अकेला पाया है .किसी ने शादी नहीं की या कोई किसी हालातों की वजह से अलग रह रही हैं. और यह सवाल पीछा ही नहीं छोड़ रहा .कि आखिर जब हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है.और ज्यादातर वह उसकी पत्नी या माँ होती है. तो क्यों एक सफल महिला के पीछे एक पुरुष का हाथ नहीं होता क्यों एक लड़की अपने पिता या पति का सहयोग पा कर अपना मक़ाम नहीं बना पाती. आखिर जब एक पुरुष गृहस्थी और अपने काम में संतुलन बना कर सफल हो सकता है तो क्यो... अधिक »

ब्लॉग4वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद राम राम


11 टिप्पणियाँ:

सुंदर वार्ता,अच्छे लिंक.

बहुत ही बढिया और शानदार वार्ता ललित भाई , सारे उम्दा लिंक्स हैं

अब हमारा काम शुरू होता है .....देखते हैं क्या क्या निष्कर्ष निकलते हैं ....! वार्ता के सभी लिंक्स को पढने के बाद आपको बतायेंगे ...!

Bahut sunder link hei .......kabhi hame bhi sathan de ...hum bhi bura nahi likhte ..

अच्‍छे लिंक...अच्छी वार्ता ...

बहुत सुन्दर लिंक....

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