मंगलवार, 6 सितंबर 2011

पण्डिज्जी का सबसे हाट ब्लाग :

किसी ब्लाग से तो नही पर फ़ेसबुक से मिला आलेख सबसे पहले पेश है 



3 जनवरी, 1831 को सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ था। भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक को नमन। एक महिला प्रिंसिपल के लिए सन 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद हम 2011 में नहीं कर पाएंगे। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्री बाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे कूढ़मगज शहर में। वे स्कूल जाती थीं, तो लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओ के लिए स्कूल खोलना। जबकि वह पाप का काम था। कितना सामाजिक अपमान झेलकर यह काम किया गया होगा। सोचकर देखिए। देश में एक अकेला बालिका विद्यालय। इतिहास लिखने वालों ने इन असली नायकों-नायिकाओं से साथ न्याय नहीं किया। इतिहास का पुनर्लेखन एक अनिवार्य कार्यभार है। स्कूल तो क्या कॉलेज तक में विद्यार्थियों को बताते ही नहीं है कि कोई सावित्रीबाई फुले भी थीं, जिन्होंने देश का पहला बालिका विद्यालय खोला था। सावित्रीबाई फुले के स्कूल में सभी धर्म और जातियों की   बालिकाए पढ़ती थीं। और उन्होंने ब्राह्मण विधवा काशीबाई के बच्चे को गोद लिया था। सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिए उन्होंने काम किया। जब सावित्री बाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उनपर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्री बाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं। साभार:फ़ेसबुक पर अमित जी से  

अब सुनिये एक टीचर जी का पाडकास्ट :ऐसी वाणी बोलिये   राकेश जी के ब्लाग मनसा वाचा कर्मणा से


सुर और असुर समाज में हमेशा से ही होते आयें हैं.  सुर वे जन हैं जो अपने विचारों ,भावों

और कर्मो के माध्यम से खुद अपने में  व समाज में  सुर ,संगीत और हार्मोनी लाकर
आनन्द और शांति की स्थापना करने की कोशिश में लगे रहते हैं.  जबकि असुर  वे  हैं
जो इसके विपरीत, सुर और संगीत के बजाय अपने विचारों ,भावों और कर्मो के द्वारा
अप्रिय शोर  उत्पन्न करते रहते हैं और समाज में अशांति फैलाने में कोई कोर कसर
नहीं छोड़ते.   इसका मुख्य कारण तो यह ही समझ में आता है कि सुर जहाँ ज्ञान का
अनुसरण कर जीवन में 'श्रेय मार्गको   अपनाना अपना ध्येय  बनाते हैं वहीँ असुर अज्ञान
के कारण 'प्रेय मार्गपर ही अग्रसर रहना पसंद करते हैं और जीवन के अमूल्य वरदान को भी 
 निष्फल कर देते हैं. 
'प्रेय मार्गतब तक  जरूर अच्छा लगेगा जब तक यह हमें भटकन ,उलझन ,टूटन  व अनबन
आदि नहीं प्रदान कर देता.  जब मन विषाद से अत्यंत ग्रस्त हो जाता है तभी हम कुछ
सोचने  और समझने को मजबूर होते हैं. यदि हमारा सौभाग्य हो तो ऐसे में ही संत समाज
और सदग्रंथ हमे प्रेरणा प्रदान कर उचित मार्गदर्शन करते हैं.
वास्तव में तो चिर स्थाई चेतन आनन्द की खोज में हम सभी लगे हैं. जिसे शास्त्रों में
ईश्वर के नाम से पुकारा गया है. ईश्वर के बारें में हमारे शास्त्र बहुत स्पष्ट हैं.
यह कोई ऐसा .काल्पनिक  विचार नहीं कि जिसको पाया न जा सके. इसके लिए 
आईये  भगवद गीता अध्याय १० श्लोक ३२ (विभूति योग) में  ईश्वर के बारे में दिए गए
निम्न शब्दों पर विचार करते हैं .(आगे पढ़िये ).

                                                                             
     मेरी मुलाक़ात पिछले दिनों एक और टीचर जी से हुई. बात बात पर भावुक होती ये देवी ब्लाग जगत  में अपने उद्दव जी के साथ इतनी सरल हैं कि यदी इनको सरलता की परिभाषा कहें तो कम है..येटीचर जी इधर हैं..


   

                  ब्रजेश त्रिपाठी जी जिला महिला बाल विकास अधिकारी छतरपुर मध्य-प्रदेश में हैं. ब्लाग जगत में आने के लिये कई दिनों से बेचैन थे. एक घंटा सत्रह मिनिट लम्बी चर्चा  फ़ोन  पर हुई ब्लाग बनाना सीखा. बना भी "Billya" ब्लाग उनका ही है. यानी ब्लाग से जुड़ने का जुनून .. वा पंडिज्जी क्या बात है. 
           अपने एक और ब्लागर हैं पंडिज्जी... इनके ब्लाग को ब्लाग-सेंसर बोर्ड  "A" सर्टिफ़िकेट से किसी भी वक़्त नवाज़ सकता है... इंतज़ार कीजिये महाराज़ .
               'वेब पत्रकारिता' को राजभाषा प्रोत्‍साहन पुरस्‍कार : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल श्याम माथुर को यह पुरस्कार प्रदान करेंगी खबर नुक्कड़ वाले भैया दे रहें हैं. सुना है अविनाश बाबू अब स्वस्थ्य हैं. मैदान-ए-ब्लाग में फ़िर हाज़िर हो चुके हैं. 

          प्रिंट मीडिया में कोई भी ब्लाग कैसे छपता है इस बात की पता साजी कर रहे बीमार ब्राडबैण्ड कनेक्शन के मालिक ललित शर्मा जी ने बताया:-अभी पता नहीं चल पाया. कहो कल कोई अखबार उनका ही ब्लाग चैंप दे कोई बड़ी बात नहीं. तब तलक आप इन कतरनों को बांचिये
                          रचना जी नें नारी ब्लाग पर एक ज़बरदस्त आलेख लिखा है. विवाह-संस्था के इर्द-गिर्द घूमता आलेख मानस-मंथन करनें में सहायक है. 
          नत्थू जी को आपने देखा है..? देखा भी हो तो याद कहां ? हिंदी ब्लागिंग ने बीड़ा उठा ही लिया बीती यादों तक ले जाने का तो खोजिये अपनी यादों की बंद संदूकची इस "चाबी" से जो भेजी  Atul Shrivastava जी ने छत्तीसगढ़ से हमारे लिये. एक चाबी ये भी तो है.. परिकल्पना ब्लागोत्सव के आले में वहां से भी नत्थू जी से मिला जाए 
                            आज तो हिमधारा ब्लाग कितना ऊष्ण है इसका पता तो वहीं जाकर लगाएं बेशर्मी की हद तक  जबकि ZEAL की पोस्ट "प्रेम के सांचे" की पड़ताल करती हुई भीड़ में अलग से नज़र आ रही है. 
      गत्यात्मक-ज्योतिष पर "    “१९ अगस्त को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट चरम सीमा पर पहुँच गयी थी , ग्रहों की स्थिति को देखते हुए मुझे महसूस हो रहा था की गिरावट और जारी नहीं रहनी चाहिए , तो मैंने निवेशकों को निवेशकों को राहत प्रदान करने के लिए मैंने एक पोस्ट लिख दी की यह गिरावट और जारी नहीं रहेगी! और आजतक सचमुच ऐसा ही देखने को मिला . २४ , २५ और २६ अगस्त ग्रहीय दृष्टि से शेयर बाजार के लिए कुछ कमजोर थे ही. पर इस सप्ताह बाजार पहले केवल सोमवार व मंगलवार को ही खुला था और इन दो सत्रों में सेंसेक्स ने करीब 828 अंक की बढ़त हासिल की थी। आगे ...

बारिश दबे पाँव आती है,

और अपनी मौजूदगी के निशां,
खिड़की पर छोड़ जाती है,
जो कुछ देर बाद,
खुद-बा-खुद गायब भी हो जाते हैं,
पर तुम तो मेरी ज़िन्दगी में, 
अब भी नुक्ते की तरह समाई हो.
     अंत में मेरी वेदना 
                 क्यों..नहीं कह पाता हूं  दूर हो जाओ मुझसे..

11 टिप्पणियाँ:

वाह बहुत सुंदर वार्ता..
बहुत अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍स ..
आभार !!

आपका आलेख / ऐतिहासिक तथ्य पढ़ा हृदय से आभार ,
"अभी तक हैं ज़माने में जिंदादिल, खो कर खुद ,देने को आफताब जमानें को " प्रभावशाली ,सम्मान योग्य पोस्ट .

बढ़िया लिंक्स. फेसबुक से सत्य कथा यहाँ लाने के लिए आभार.

सावित्री जी का जीवन अनुकरणीय है। सुन्दर चर्चा। इस पोस्ट तक पहुँचाने के लिए संगीता पुरी जी का भी आभार।

सुंदर वार्ता...
बहुत अच्‍छे लिंक्‍स ...आभार

जानकारी से भरपूर पोस्ट...शुक्रिया

नीरज

बहुत सुंदर वार्ता।

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