ललित शर्मा का नमस्कार, गुगल ने कई मेल आई डी बंद कर दी, जिससे उनके ब्लॉग बंद हो गए, इस संदर्भ में एक जानकारी भरी पोस्ट संजीव तिवारी जी ने लिखी है। अब चलते हैं कुमाऊँनी चेली याने शेफ़ाली पाण्डे जी के ब्लॉग पर, ये लो डाईट रेसेपी फ़ार्मुला लेकर आई हैं। यह रेसेपी इतनी कारगर है कि योजना आयोग को भी ठेंगा दिखाया जा सकता है। --खाना कैसा भी हो नमक के बिना कोई स्वाद नहीं मालूम पड़ता है | नमक बनाने के लिए गांधीजी की विधि प्रयोग में ला सकते हैं | गांधीजी की रेसिपी इन्टनेट से सर्च करके से डाऊनलोड कर लें | ध्यान रहे इन्टरनेट से सर्च करने पर कभी - कभी एक फर्जी साईट भी खुल जाती है जिसमे गांधीजी समस्त देशवासियों से एक समय खाना खाने का अनुरोध करते हैं | इसके अलावा पुरुष अपने पसीने से और महिलाएं अपने आंसुओं से नमक बना सकती हैं | कई लोग इश्क से भी नमक का निर्माण कर लेते हैं, जो कि शादीशुदा और घर - गृहस्थी वालों के लिए बहुत मुश्किल काम है | चटनी से खाने का स्वाद बढ़ जाता है, और भूख भी खूब लगती है | इधर वर्तमान सरकार से सभी का जी खट्टा हो ही गया है, तो उस खटाई से चटनी बना लें | अपने - अपने घावों से नमक मिर्च निकाल कर स्वादानुसार इस चटनी में मिला सकते हैं ।
बढती मंहगाई में सोने की लंका जलाने का साधन खरीदने में प्राण छूट जाएगें। लंका जलाने के लिए बैंक भी लोन नहीं देने वाले। स्वराज्य करुण जी ने आह्वान तो कर दिया है, परिणाम राम जाने कब लंका का नाश होगा --गरीबी रेखा निर्धारण के लिए जब छब्बीस और बत्तीस रूपए भोजन खर्च की यह दलील अदालत में पेश की गयी , ठीक उसी दिन एक बड़े शहर में लोक निर्माण विभाग के एक मुख्य अभियंता के घर पर सतर्कता विभाग वालों ने छापा मार कर साढ़े छह करोड़ रूपए की अनुपातहीन चल-अचल सम्पत्ति का खुलासा किया था क्या मजाक है ? एक तरफ तो हमारे देश के लिए विकास योजनाओं का स्वरुप तय करने वाला सबसे बड़ा आयोग कह रहा है कि एक परिवार महज छब्बीस या बत्तीस रूपए रोज के हिसाब से भोजन कर ले, यानी महीने में हज़ार रूपए से भी कम खर्च में जीवन चला ले ,तो वह गरीबी के अभिशाप से मुक्त माना जाएगा ,वहीं दूसरी तरफ एक सरकारी अफसर साढ़े छह करोड़ की बेहिसाब सम्पत्ति के ढेर पर बैठा हुआ है .कुछ माह पहले मध्यप्रदेश के एक अफसर दम्पत्ति के घर छापे में सैकड़ों करोड़ रूपए की बेहिसाब दौलत का पता चला था. इधर हसन अली जैसे डाकू तो आठ सौ करोड़ रूपयों के मालिक बनकर बैठे हैं,जबकि देश की आबादी महज़ एक सौ इक्कीस करोड़ है .मुबई में अम्बानी सेठ अपनी शान-शौकत के प्रदर्शन के लिए सत्ताईस मंजिला बिल्डिंग तान लेता है और कोई उसे कुछ भी नहीं कहता।
मृदुला प्रधान जी की कविता पढिए
चलो आज हम
अपने ऊपर,
एक नया असमान
बनायें,
सपनों की पगडण्डी पर
हम,
फूलों का मेहराब
सजाएँ.
वारिधि की उत्तेजित
लहरों से,
कल्लोलिनी वातों में ,
अंतहीन
मेघाछन्न नभ की,
चंद रुपहली
रातों में,
धवल ताल में
कमल खिलें
और
नवल स्वरों के
गुंजन में,
धूप खड़ी पनघट से
झाँके ,
रसबतिया पर पढिए -अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो-- बेटा होने पर बेटियों के लिए मायके के दरबाज़े खुले ही रहेंगें इसकी भी क्या गारंटी है । मेरे बचपन की सहेली है स्कूल के दिनों से एक साथ पढ़े उसकी छोटी बहन मेरी छोटी बहन की सहपाठी थी । पंजाब में उनका बड़ा ज़मींदारा था, आठ गांव के मालिक थे । हम चारों बहनों की तरह रहते । उनके बीब्बी पिता जी हमारे लिए बीब्बी पिता जी और हमारे बीजी पापा जी उनके बीजी पापा जी । उनके दो भाई ,दोनों बहनों से बड़े । दोनों भाइयों की मामूली घरों की लडकियों से इसलिए शादी की गयीं की, कायदे से रहेंगीं । उनके कुछ गांवों की ज़मीन शहर बसाने के लिए एक्वायर की गयी । करोड़ों रूपया मुआवज़ा मिला । पिता जी ने दोनों बेटियों को मुआवज़े में से 30 - 30 लाख रूप दे दिया । बस यहीं से रिश्ते बिगड़ गए , भाभियों ने घोर विरोध किया , भाइयों की क्या हिम्मत की अपनी पत्नियों की बात का विरोध करें । इसी बात को लेकर क्लेश इतना बढ़ा कि बीबी पिता जी को विशाल घर छोड़ कर किराए के मकान में रहना पड़ा । और दोनों बहनों की घर में एंट्रीं बंद ।
ताऊ जी बता रहे हैं दुनिया की श्रेष्ठतम एवं खराबतम :) वस्तुमैं स्वयं काल यानि समय हुं. अक्सर लोग कहते हैं कि जब कुछ काम नही होता तब हम समय काटने के लिये ब्लागिंग करते हैं. पर उन मूर्खानंदों को यह समझ नही आता कि मुझ साक्षात काल यानि समय को कौन काट सकता है? ये तो मैं ही उन काटने वालों को काट डालता हुं. इस सॄष्टि के आदि से अभी ब्लागयुग तक की स्मॄतियां मुझमें समायी हुई है.आज यूं ही एक घटना याद आरही है जो आपको सुनाना जरूरी समझता हूं. सभी ब्लागर बच्चों से गुजारिश है कि इसे अति श्रर्द्धा पूर्वक मन लगाकर सुने जिससे वो निश्चित ही कल्याण को प्राप्त हो सकेंगे. द्वापर से ही अक्सर तोतलों (जनता) को ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की काबिलयत पर हमेशा शक रहा है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अंधे, अक्षम और बेअक्ल हैं और शासन करने की क्षमता उनमें नही है, उन्होने जोडतोड करके हस्तिनापुर की कुर्सी हथिया ली थी जो आज तक छोडने के लिये तैयार नही है. और तो और महाभारत युद्ध से लेकर ब्लागयुद्ध एवम भ्रष्टाचार तक के लिये तोतले उन्हें जिम्मेदार ठहराने की कोशीश करते है. जबकि यह सभी बाते गलत हैं.
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तिहाड़ जेल मिनी संसद का रुप धरती जा रही है -- महेन्द्र श्रीवास्तव जी बता रहे हैं, तिहाड़ मे शुरु हो गयी तैयारी-- आजकल तिहाड जेल प्रशासन मुश्किल में है। यहां जिस तरह वीआईपी का आना लगातार बना हुआ है, उससे जेल अधिकारियों की परेशानी स्वाभाविक है। लिखा पढी में भले ही ये कहा जाए कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपी ए राजा और डीएमके प्रमुख करुणानिधि के बेटी कनिमोझी सामान्य कैदी की तरह यहां हैं। लेकिन जेल के भीतर कौन देख रहा है। इनकी पार्टी के समर्थन से केंद्र की सरकार चल रही है, उसके नेता को आप आम कैदी की तरह थोडे रख सकते हैं। कामनवेल्थ घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाडी तो जेलर के साथ उन्हीं के आफिस में चाय पीते पकडे जा चुके हैं। ऐसे में उन्हें भी वीआईपी व्यवस्था मिली ही होगी। इसके अलावा भी बाहुबलि और दबंग किस्म के कई लोग यहां बंद हैं। टूजी स्पेक्ट्रम मामले में कई नामी गिरामी कंपनियों के सीईओ भी इसी तिहाड जेल में बंद हैं।पिछले दिनों जब नोट फार वोट कांड में राज्यसभा सदस्य अमर सिंह जेल गए तो उन्होंने सबसे पहले जेल में अलग से बाथरूम की मांग की। उनका कहना था कि वो अस्वस्थ हैं और किसी दूसरे के साथ बाथरूम शेयर नहीं कर सकते। बडी मुश्किल से उनकी मांग को पूरा करते हुए उन्हें वीआईपी व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सकी।
मल्हार पर कीजिए श्रीलंका की सैर, सुब्रमनियन जी लंका गए हैं-- १९ वीं सदी से २० वीं सदी तक कोलम्बो परंपरागत रूप से उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र रहा है जिसके कारण उसने भारत सहित कई अन्य राष्ट्रों के पेशेवरों को आकर्षित किया है. कोलम्बो की एक उन्नत समुद्री परंपरा भी रही है. पूरे विश्व में श्रीलंका की चाय, इलायची और अन्य मसालों की मांग अब भी बनी हुई है. आज का कोलम्बो एक आधुनिक महानगर है जो अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. वहां के आतंरिक संघर्ष के ख़त्म हो जाने से लोगों ने राहत महसूस किया है. अंततोगत्वा शांति स्थापित हो रही है. एक अच्छा नेतृत्व रहे तो शीघ्र ही सिंगापूर को भी पीछे छोड़ने की संभावनाएं बनती हैंबहमूल्य रत्नों (नीलम का खनन रत्नपुरा में किया जाता है) एवं सिले सिलाये वस्त्रों की खरीदी के लिए कोलम्बो सबसे अच्छी जगह है. श्रीलंका की चाय, रंगीन मुखौटे, बुटिक कारीगरी आदि की अच्छी मांग है.
खेलप्रेमियों का नया चहेता : युवराज वाल्मीकि - इस पोस्ट को कुछ दिनों पहले ही लिखना था..पर अनेकानेक कारणों से वक़्त नहीं मिला...पर देर से ही सही इसे लिखने की तमन्ना जरूर थी. इंग्लैण्ड के हाथों भारतीय क्...क़िस्मत - जब गद्दाफी की गद्दी लुट गयी तो आप किस खेत की मूली हैं अपने भूलभुलैया में हमें भुला दें ग्रह-नक्षत्र आपको नहीं भूली है तिरेसठ को जरा छतीस होने दें आप...बे-दिल हूँ मैं…………… - आज भी मुझमे वसन्त अंगडाइयाँ लेता है सावन मन को भिगोता है शिशिर का झोंका आज भी तन के साथ मन को ठिठुरा जाता है मौसम का हर रंग आज भी अपने रंगो मे भिगोता है मै...अपनेपन की छाया में - दर्द के काले-घने बादलों को अपने सीने में उमड़ने-घुमड़ने दो, जमकर बरस लेने दो मन के सूखे, सूने आँगन में, तोड़कर पलकों के बांध निकल आने दो आंसुओं की बाढ़, ..शब्द जो थपेड़े से थे - शब्दों का बल नापा नहीं जा सकता है, पर जब उनका प्रभाव दिखता है तो अनुमान हो जाता है कि शब्द तीर से चुभते हैं, हृदय में लगते हैं, भावों को प्रेरित करते हैं,...
आ मेरी चाँदनी - आ मेरी चाँदनी तुझे कौन से दामन मे सहेजूँ कैसे तेरी राहो को रौशन करूँ कौन से नव पल्लव खिलाऊँ जो तू मुस्काये तो मै मुस्काऊँ ये जग मुस्काये हर कली ख..अहिंसा में निहित है पर्यावरण की सुरक्षा - पर्यावरण आज विश्व की गम्भीर समस्या हो गई है। प्रकृति को बचाना अब हमारी ज्वलंत प्राथमिकता है। लेकिन प्राकृतिक सन्तुलन को विकृत करने में स्वयं मानव का ही .जब चषक में ढाल दी जाती है शराब -निज़ार क़ब्बानी की पाँच कवितायें (अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह) 1 - कप और गुलाब कॉफीहाउस में गया यह सोचकर कि भुला दूँगा अपना प्यार और दफ़्न कर दूँगा सारे दु:..प्रजा को राजा से मुक्ति मिली और राजा को प्रजा से - भ्रष्टाचार का भयानक भूत दिनों-दिन विकरालतर रूप धारण करता जा रहा है। मँहगाई का ताण्डव जनता के पैरों तले जमीन खिसकाए जा रही है। रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल आदि ज...नव योवना - व्याह कर आई वो नव्योवना ,उतरी डोली से सजन के अंगना नए सपने ,नयी उम्मीदे ले कर उतरी वो पी के अंगना अपनी गुडिया ,सखी-सहेली ,ढेरो यादे छोड़ आयी बाबुल के अंगना...
शीशे की दीवार के उस पार.... - *पिछले कुछ दिनों से व्यस्त हूँ अपने पुराने दोस्तों के संग हूँ ..... **आज फुर्सत के कुछ पल मिले तो चाय का एक कप लेकर बैठी हूँ ..... **मन को बेहद भाता है श..तुम जिसे न लो - तो वह तुम्हारा नहीं होता -एक बार एक महात्मा को कोई बड़ी गालियाँ और अपशब्द बोल गया | पर वे परेशान न हुए - अपने काम में लगे रहे | उस व्यक्ति के जाने के बाद महात्मा के क्रोधित शिष्य क...उपमेय बने उपमान – - **** *अल्हड़ लहरों में तेरी चंचलता देखी*** *गंगाजल में तेरी ही पावनता देखी*** *जो श्रद्धा तेरी पलकों में झाँकी मैंने*** *हर मंदिर में श्रद्धा की निर्मलता देज़िन्दगी शिकवा करती नहीं... - ज़िन्दगी शिकवा करती नहीं... ******* चलते चलते मैं चलती रही ज़िन्दगी कभी ठहरी नहीं, ख़ुद को जब रोक के देखा ज़िन्दगी तो बढ़ी हीं नहीं ! किस्मत को कैसा रोग लगा ज़...गो - वध बंद करो - – जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित” गो-वध बंद करो जल्दी अब, गो-वध बंद करो भाई ! इस स्वतंत्र भारत में, गो-वध बंद करो. महापुरुष उस बाल कृष्ण का, याद करो तुम गोचारण ...
मिलते हैं अगली वार्ता में, राम राम
11 टिप्पणियाँ:
nice
Behad sattik link haen ....shree lanka ghumna mila ....dhanywad
शानदार वार्ता .....
वार्ता का ललितात्मक अंदाज़..
आज की वार्ता मे तो पहले लिंक पर ही अटका दिया बस वो ही बनाते रह गये…………बहुत रोचक और शानदार वार्ता।
सुंदर एवं सार्थक वार्ता।
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मनुष्य के लिए खतरा।
रूमानी जज्बों का सागर है प्रतिभा की दुनिया।
bahut achchi lagi.......links bhi aur mera hona bhi,dhanywad.
बहुत रोचक वार्ता..
सुंदर चर्चा।
सारगर्भित वार्ता...
बहुत रोचक वार्ता........में google+ से यंहा पंहुचा हु |
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