ललित शर्मा का नमस्कार, मित्रों चीनी डेग्रन ने भरी है हुंकार, जब इसे ज्यादा खुराक मिलती है तो हजम करने के लिए भारत की तरफ मुंह करके गुर्राने लगता है. डराने लगता है. १९६२ में हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा देकर दोस्ती की आड़ में पीठ में छुरा भोंक कर गद्दारी की नयी मिशाल कायम की. अगर याद हो तो चीन के साथ लडाई के दौरान संकट की घडी में सोवियत संघ ने सामरिक एवं कूटनीतिक मित्र होते हुए भी हथियार बेचने से मना करते हुए कहा की चीन साम्यवादी देश है इसलिए हम उसके विरुद्ध लडाई में हथियार नहीं बेचेंगे. तब अमेरिका से चौगुनी कीमत पर एस. एल. आर. बंदूके खरीदी गयी और युद्ध लड़ा गया. भारत को चीन की और से गाफिल नहीं रहना चाहिए. नहीं तो किसी भी स्तर वह फायदा उठाने से चूकने वाला नहीं है... अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर..........
रविवार का दिन आलस में ही बीतता है. अरविन्द झा जी ने बिलासपुर आने को कहा था, कई महीनो ने बैठकी नहीं हुयी थी. मैंने हाँ कर दी और कल समय पर पहुचने की कोशिश करने पर भी नहीं पहुँच पाया. पहले से प्लानिंग करने के बाद भी इच्छित कार्य नहीं हो पाते. दैनिक राशिफल पढ़ कर ही अब कोई निर्णय लेना पड़ेगा. नहीं तो व्यवधान उत्त्पन्न ही रहेगे. ग्राम चौपाल पर पोस्ट सजी है, कल गिरीश दादा पोडकास्ट पर थे. खैनी सुपारी चबाते हुए साक्षात्कार कर रहे थे. कुछ व्यस्त दिखाई देते हैं, चक्रवर्ती सम्राट जी भी कई दिनों से दिखाई नहीं दे रहे, यदा कदा टिप्पणी रूपी उपस्थिति दिखाई दे ही जाती थी. काका के जन्म दिन पर भी बुलाया है देखते हैं कि पहुचते हैं कि नहीं.
नंगे होने होड़ लगी है, खुद तो सात पीढ़ियों के लिए जमा कर लिया अब जनता को ही निर्वस्त्र करके ही छोड़ेंगें. नंगों से इससे अधिक आशा भी नहीं की जा सकती. सब भगवान् भरोसे ही चल रहा है मानसिकता का सवाल है क्या कीजै, काश आमजन के दर्द को समझ पाते,हेलो, सुन रहा है कोई राजस्थान से समाचार है कि भंवरी का पति गायब चूका है, लाख ढूंढने पर भी नहीं मिल रहा, खोज जारी है, हमारा बस अगर होता. तो कब का ढूंढ़ के हाजिर कर देते, अगर आपको कहीं मिले तो सही पते पर पहुचाने की महती कृपा करें. पुरस्कार स्वरूप मिलेगी जादू की झप्पी और आशीर्वाद
कहते हैं वो सुनते हैं हम, कोई सुनने वाला भी होना चाहिए. एक सुने एक बोले बानी, नानक बोले दोनों ज्ञानी, अगर नहीं सुनेगे तो .पेट्रोल बम का धमाका करके सुनाया जायेगा. धमाके से पहले ही सुन लेना श्रेयकर है, कहीं धमाके से छतरी वाला जाल छोड़कर ही गायब हो जाये जान की अमान पाऊँ तो एक बात कहूँ, पलते सांपों से सावधान रहने की जरुरत है. पता नहीं कब खेल हो जाये और जान से हाथ धोना पड़े.अजी चिंता छोडिए और महर्षि महेश योगी के जन्मस्थान की सैर कीजिए रविवार की छुट्टी का लाभ उठाइए और सप्ताहांत का आनंद लीजिये..
6 टिप्पणियाँ:
सभी लिंक्स दिलचस्प हैं...सचमुच आपने बहुत मेहनत की है.... आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं .
सुनाएंगे तो सुनबे ना करेंगे
बहुत ताजे -ताजे लिंक हैं --पढ़कर आत्मा तृप्त हुई ...
पहले भंवरी देवी गायब ! अब, पतिदेव को तो गायब होना ही था --बेचारी कब तक अकेली रहेगी--अब तो पति के साथ रहे ?
बहुत से बिना पढ़े लिंक मिले .अच्छी वार्ता.
सुन्दर वार्ता ,आभार.
aachi varta.
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