मंगलवार, 27 सितंबर 2011

ताजमहल,जूता, कलेक्टर और नेता-पुलिस सांठ-गांठ -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, तुलसी बाबा कह गए हैं - तुलसी इस संसार में भांति-भांति के लोग। सच यही है कि कोई लूटने वाला मिलता है तो कोई अनजान की सहायता कर उसे संकट से उबार लेता है। जिससे कभी दूर-दूर तक नाता न रहा हो उसकी भी मदद अपनी जान पर खेल कर करता है। कोई करुणा का सागर होता है उससे किसी का दु:ख दर्द देखा नहीं जाता। कोई इतना निमर्म होता है कि किसी की जान भी ले बैठता है। आज एक ऐसी हकीकत से मैं रु-ब-रु हुआ कि मुझे सोचना पड़ा, इस दुनिया में भी ऐसे फ़रिश्ते सदृश्य लोग हैं जो किसी अनजान की मदद करने के लिए हाथ बढाते हैं। केवल कृष्ण के ब्लॉग जरा इधर भी पर मुझे एक ऐसा ही मंजर देखने मिला। रंजना बेन एवं मुकुंद राठौड़ जी ने एक ऐसा कार्य किया है जिसका अनुकरण करना भी कठिन है। मानवीय संवेदना की पराकाष्ठापूर्ण कार्य के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूँ।

चलते चलते एक नए ब्लॉग पर नजर पड़ी, यह ब्लॉग सुरतगढ राजस्थान से लिखा जा रहा है। रश्मि रविजा जी के ब्लॉग को दो वर्ष पूर्ण हो गए, वे लिख रही हैं दो वर्ष पूरा होने की ख़ुशी ज्यादा या गम२३ सितम्बर को इस ब्लॉग के दो साल हो गए. पर इस बात की ख़ुशी नहीं बल्कि अपराधबोध से मन बोझिल है. पिछले साल इस ब्लॉग पर सिर्फ दो लम्बी कहानियाँ और एक किस्त,वाली बस एक कहानी लिखी. जबकि sept 2009 -sept 2010 .. पढिए लघु कथा, सुमीत के तड़के पर -- हमारी मानसिकता और अनशन की प्रासंगिकता 1.2पिछले अंक से आगे ............! पिछले दो अंकों में मैंने भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया , तथा यह प्रश्न मेरे मन में उभर कर आया कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के इस चाँद को धरती पे उतरने तो दोमेरी बेटी .....आज से कोई 18 साल पहले .....जब पैदा हुई , तो सच कहूं , बड़ी निराशा हुई थी मुझे .....एक क्षण के लिए ...पर फिर मैं जल्दी ही इस सदमे से उबार गया .....क्वार की कड़कड़ाती धूपभादों का महीना वर्षा ऋतु का अन्तिम माह होता है। वर्षा के समाप्त होते ही शीत के आरम्भ का ख्याल गुदगुदाने लगता है। किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है कि वर्षा की समाप्ति के साथ ही शीत की शुरुवात हो जाए। वर्षा ऋतु...


बिटियानिशा अपने रौ में चली जा रही थी अपनी भावनाओं में बही जा रही थी पीछे से दौडते-हाँपते चाँद-तारों औ- दसों दिशाओं ने - आवाज लगाई- रुको,सुनो- हमारा फैसला करके जाओ बताओ-हम सब में सबसे सुन्दर-सबसे अच्छा औ सबसे चंच...ईश्वर, वह सुरक्षित हो और उसका परिवार भी.सिक्किम का भूकंप १८ सितम्बर २०११ को मेरे लिये भी एक ऐसी खबर थी जिसने मुझे उन पीड़ितों के प्रति चिंतातुर किया जिन पर प्रकृति का यह कोप हुआ। औरों के साथ मेंने भी उनकी कुशलता के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। उन...क्यों भाई! क्या गये हार?भाग्य, प्रारब्ध, व्रत, त्योहार क्यों भाई! क्या गये हार? ज्योतिषी, नज़ूमी, पादरी, पाधा, ये सब कर्मशील जीवन के बाधा। ग्रह, नक्षत्र, साइत विचार, डरे हुए मानुष का मनोविकार। जीवन सतत प्रवाह है, साधना है, सतत क...आगरा का ताजमहल...जूता और कलेक्टर.ताजमहल ने अगर आगरा को पहचान दिलायी तो आगरा के जूतों ने आगरा के कलेक्टर को। और आगरा के कलेक्टर का एक मतलब है स्टाम्प ड्यूटी का ऐसा खेल, जिसके शिकंजे में जूतो का जो उघोगपति फंसा तो या तो उसका धंधा चौपट हुआ य...क्रांति नहीं आईबहुत शोर हो रहा था * * क्रांति आ रही है... **क्रांति आ रही है...?* * वह सो रहा था* * उठकर बैठ गया* * खड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी* * क्योंकि क्रांति आई ही नहीं** * *तभी उस शोर में एक आवाज गूंजी...* * .

शहंशाहों की रीत निरालीशहंशाहों की रीत निराली मंदिर और शिवाले छाने, कहाँ-कहाँ नहीं तुझे पुकाराचढ़ी चढ़ाई, स्वेद बहाया, मिला न किन्तु कोई किनारा ! मेरा अस्तित्वतू बरगद का पेड़ और मैं छाँव तेरी है यदि तू जलस्त्रोत मैं हूँ जलधार तेरी | तू मंदिर का दिया और मैं बाती उसकी अगाध स्नेह से पूर्ण मैं तैरती उसमे | तूने जो चाहा वही किया उसे ही नियति माना ना ही कोइ बगावत ना ही ...राजनीति के केंद्र से गायब हो रहा आम आदमीभ्रष्टाचार और मूल्यहीनता की समस्याएं पहले भी थी । पहले भी टूटते थे मिथक और चटखती थी आस्थाएं । यहाँ तक कि मर्यादाएं लांघने की वेशर्मी पहले भी दिखलाई जाती थी, लेकिन जबसे ग्लोबलाईजेशन का दौर चालू हुआ, सत्...तीन चिंतन.निंदक नियरे राखिए* एक बहुत प्रसिद्ध दोहा है- निंदक नियरे राखिए आंगन कुटि छबाय। बिन पानी बिन साबुन निर्मल करे सुहाय।। इस दोहे में यही कहा गया है कि अपनी निंदा, आलोचना, बुराई करने वालों सदा अपने पास रखना च...कृष्ण लीला ……भाग 15एक दिन वासुदेव प्रेरणा से कुल पुरोहित गर्गाचार्य गोकुल पधारे हैं नन्द यशोदा ने आदर सत्कार किया और वासुदेव देवकी का हाल लिया जब आने का कारण पूछा तो गर्गाचार्य ने बतलाया है पास के गाँव में बालक ने जन्...

दिल लुभाने वाली मूर्तियाँबोलोनिया शहर संग्रहालयों का शहर है. गाइड पुस्तिका के हिसाब से शहर में सौ से भी अधिक संग्रहालय हैं. इन्हीं में से एक है दीवारदरियों (Tapestry) का संग्रहालय. दीवारदरियाँ यानि दीवार पर सजावट के लिए टाँगने वा...हिन्दी के लिए स्वागत योग्य पहल.भारत में सितम्बर माह का दूसरा पखवाडा राज भाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर केन्द्रित रहता है . हिन्दी दिवस के दिन १४ सितम्बर से इसकी शुरुआत हो जाती है . केन्द्रीय कार्यालयों सहित बैंकों में भी कहीं राज-भाषा...घायल सिक्किम - सतीश सक्सेनाप्राकृतिक आपदा में बुरी तरह से घायल सिक्किम , इनदिनों अपने जख्म सहला रहा है ! इस भयानक त्रासदी में मारे गए सौ से नागरिक और घायलों की अनगिनत संख्या भी, टेलीविजन चैनल्स का ध्यान खींचने में असमर्थ है !* * ...नेता-पुलिस की सांठ-गांठ हुई है !बदलता दौर है, जिस्मानी इश्क की चमक-चौंध है कोई बोली लगाकर, कोई तोहफे सजाकर मुरीद है ! ... शहर में फैला सन्नाटा देख सन्न हो गया हूँ हर एक दर और दीवार पे इंकलाब लिखा है ! ... सच ! भले बंजर है वो, किसी की नज़रों...

पावन मकड़जाल ....पढ़ता हूँ कुछ साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त कहानियाँ और कवितायें नये जमाने की और सोचता हूँ:* शब्द शब्द जोड़ कुछ ऐसा सजाऊँ जैसे काढ़ी हो सलीके से कुछ बूटियाँ और तैयार कर.... एक जामा पहना दूँ अपनी कवि...सऊदी अरब में महिलाओं को अधिकारआखिरकार सऊदी अरब ने महिलाओं को भी कुछ हद तक सही पर बराबरी का दर्ज़ा देने की दिशा में एक कदम तो उठा ही लिया है. अब वहां पर महिलाओं को नगर पालिका चुनावों में खड़े होने का और मत देने का अधिकार भी दे दिया गया ह...
नई किरणों के लिएनई किरणों के लिए*** *श्यामनारायण मिश्र* दिन कटा, ज्यों किसी सूमी महाजन का पुराना ऋण पटा। कल सुबह की नई किरणों के लिए, पी रहे आदिम-अंधेरा आंख मूंदे, मुंह सिए। करवटें लेते हुए महसूस करते रहे...बालिका दिवस... कहानी. -फरीदाबाद से वापिस आते आते आनंद का स्कूटर कुछ तंग करने लगा और मोबाइल भी काफी देर से चिल्ला रह था, संकेत स्पष्ट थे, कुछ देर के लिए रुका जाए... बदरपुरफ्लाई ओव...उत्तर प्रदेश में भी भ्रष्ट अफसरों की कमी नहीं -बिहार में आज आईएएस एसएस वर्मा भ्रष्टाचार की मिसाल बने हुए हैं तो उत्तर प्रदेश में भी भ्रष्ट वर्मा जैसे आईएएस अधिकारियों की कमी नहीं है। यूपी में भी नौकरशाहों...


अगली वार्ता लिखेगें, गिरीश बिल्लोरे जी, हम जा रहे हैं तीन दिन की छुट्टी पर राम राम.......

13 टिप्पणियाँ:

बहुत सटीक वार्ता |बहुत अच्छे लेख और लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा

वार्ता का यह क्रम यूँ ही अनवरत जारी रहे ....शुक्रिया

बढ़िया वार्ता... अच्छे लेख और लिंक्स... मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

एकउ ब्लॉग नजर नहि डाला, प्रस्तुतिकरण बहुत मन भाय। तीन दिवस अवकाश मे भाई कऊन जगह आप रहियो जाय॥ बहुतइ बढ़िया……"अति आनंद उमगि अनुरागा। इ चर्चा जब हम पढ़िबै लागा……

bahut sunder link hei ..aaj ka pura din aaram se nikl jaaega ...

छुट्टियों का पूरा लुत्फ मिले, आमीन

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