संध्या शर्मा का नमस्कार... देश बदहाल है फिर भी 55 करोड़ का दान दिया जा रहा है, एक तरफ जहाँ भारतीय अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है , पैसों की तंगी विकास में बाधा बन रही है, बावजूद इसके भारत ब्रिक्स सम्मलेन में पैसा लुटाने से बाज नहीं आ रहा है. इतने पैसों की मदद से भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी मजबूत किया जा सकता था. इसे कहते है, दिखावे की दुनिया अपने भूखे हैं और दे रहे हैं दान. आइये कुछ देर के लिए ये सब भुला कर चलते है अपने ब्लॉग जगत की सैर पर. एक नए ब्लॉग का स्वागत कीजिए, अब प्रस्तुत हैं वार्ता में कुछ पोस्ट लिंक्स, आशा है आपको पसंद आएगें....
सखी बरखा ग्रीष्म की भीषण गर्मी में जब मन क्लांत हो जाता है जब तृषित धरती तुम्हारी प्रतीक्षा में पलक पावडे बिछाये बैठी रहती है तब याद आ जाते  हैं - जीवन के विभिन्न पड़ावों पर - तुम्हारे साथ बिताये वे पल .....तुम्हारी पहली मौसमी आहट  जानते हो   एक अरसा हुआ   तुम्हारे आने की  आहट सुने   यूँ तो पदचाप   पहचानती हूँ मैं  बिना सुने भी   जान जाती हूँ मैं   मगर मेरी मोहब्बत  कब पदचापों की मोहताज हुई  जब तुम सोचते हो ना  आने की   मिलने की  मेरे...अदाएँ ...                         -                          खुदा जानता है या फिर तुम, गहराई प्यार की   वर्ना, सुनते तो यही हैं कि बहुत डूबते डूबते बचे हैं ?  ...   अब तू खामों-खां इल्जाम मत लगा   आँखों से, छेड़-छाड...
अभिशप्त स्त्री ...!                         -                       एक आदिवासी युवा आखेटक योद्धा अपनी पत्नी और मां के साथ सागर तट की ओर आकर  रहने लगा ! उन दिनों गर्मियां बेहद सख्त थीं और मछलियों ने किनारों पर आना  छोड़ दिया थ... ज़िन्दगी एएम से पीएम के बीच झूल रही                         -                                 1 ठीक छह एएम पर  अलार्म की आवाज के साथ  उठ जाता हू रोजाना, जागने की कोशिश करता हू  अधमुन्दी आंखे ढूढ लेती है  यंत्रवत  ब्रश मंजन और अखबार, साढे आठ ... आम गिरने से ...                         -                        आम पकने   के * दिनों  मन बेचैन रहता है . खोजी आँखें  बागान में रेंगती  ....दुखती हैं .* *अँधेरे-उजाले... पेड़ से आम गिरने की आवाज़ कानों को   भरती रहती  है .... 
 तुम्हारे जाने के बाद !                         -                         तुम्हारे जाते ही खुश हुआ था मैं अब न कोई रोकेगा,न टोकेगा, सब कुछ हमारे हाथ में होगा हमारे काम पर भी नज़र कोई नहीं रखेगा | तुम्हारे बिना कुछ दिन बड़ा अच्छा ... मूड अनुसार                         -                         मेरा मन होता है कि तुमसे मिलने का ,इश्क करने का  यह फैसला, हम दोनों ... अपने घर की दीवार पे टंगे इस कैलेण्डर को देख कर न तय करें . महीना,तारीख ,मौसम ये कौन...  ( rashifal ) कैसा रहेगा आपके लिए 19 , 20 और 21 जून 2012 का दिन ??                         -                       मेष लग्नवालों के लिए 19 , 20 और 21 जून 2012 को   भाई , बहन , बंधु बांधवों  का महत्व बढेगा , प्रभावशाली लोगों से संबंध की मजबूती बनेगी। कुछ झंझटों को  सुलझाने... 
     श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (१६वीं-कड़ी)                         -                        तृतीय अध्याय (कर्म-योग - ३.२५-३५)   अविद्वान व्यक्ति हे भारत! होकर आसक्त कर्म हैं करते. अनासक्त लोक संग्रह को  विद्वत जन हैं कर्म वो करते.   अज्ञानी आसक्त क... प्रधानमंत्री और सरकार बनाना बिगाडना छोडो,समाचार दिखाओ समाचार.आप लोगो के एक्ज़िट पोल का हाल जनता कई बार देख चुकीहै.                         -                       सुत न कपास जुलाहो में लट्ठम लट्ठा नही तलवार-भाला-बरछा-बंदूक-गोला-बारूद  बम,सब कुछ हो रहा है.प्रधानमंत्री अभी बनना नही है.और प्रधानमंत्री चुनती है  सबसे बडी प...  .निर्मल बाबा केवल एक नहीं है : अन्तर सोहिल                         -                       इंदु आहूजा, लाल किताब वाले गुरूदेव और अन्य बहुत सारे ज्योतिष बताने और यंत्र  बेचने वाले टीवी चैनलों के जरिये धर्मांध जनता को शोषित कर रहे हैं। कई बार तो  लगत... 
उत्तरकाशी और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान                         -                       इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 6 जून 2012 की शाम तक हम उत्तरकाशी पहुंच गये थे। लगातार बारह घण्टे हो गये थे  हमें बाइक पर बैठे ब... मानसिक विकलांगता से कहीं बेहतर है,शारीरिक विकलांगता                         -                        सत्यमेव जयते प्रोग्राम में जब differently able (जब अंग्रेजी में disable  शब्द की जगह इस शब्द का प्रयोग होने लगा है तो हमें भी हिंदी में 'विकलांग' की  जगह मनसर की ओर यायावर ------------- ललित शर्मा                         -                        अयोध्या का ददुवा राजा महल जीवन चलने का नाम, चलते रहो जब तक हो प्राण। चलना ही जीवित रहने का परिचायक  है, ठहरना मुर्दा होने के समान। रमता जोगी और बहता दरया, द... 
अब लेते हैं विदा मिलते हैं अगली वार्ता में नमस्कार  .....
 







 
   

 
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6 टिप्पणियाँ:
बड़े ही सुन्दर सूत्र..
अति सुन्दर ....जीवन चलने का नाम ..चलते रहो सुबह शाम ....
"एक सैलानी की कलम से" ब्लॉग को स्थान देने के लिए आपका आभार
बहुत बढ़िया वार्ता
सतरंगी वार्ता के लिये आभार,,,,,
अच्छी वार्ता
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