मंगलवार, 27 मार्च 2012

मै साक्षर हो गया .... ब्लॉग4वार्ता, ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, देश में भ्रष्टाचार इस हद तक बढ गया है भ्रष्टाचारी थल सेना के सर्वोच्च पद पर बैठे अधिकारी को से भी रिश्वत  की बात करने की जुर्रत करने लगे हैं। जनरल वी के सिंह ने आरोप लगाया कि उपकरणों की बिक्री से जुड़े एक लाबिस्ट ने उन्हे 14 करोड़ की रिश्वत देने की पेशकश की। वह 600 वाहनों की खरीद की मंजुरी चाहता था। देश में भ्रष्टाचार ने हालात बिगाड़ रखे हैं। बड़े नेताओं से लेकर छुट भैए एवं अधिकारी से लेकर चपरासी तक घुस रस का रसास्वादन कर रहे हैं…… अब चलते हैं आज की वार्ता पर…… प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक………

इन सवालों के जवाब? - छत्तीसगढ़ की राजधानी इन दिनों गर्म है। एक तरफ विधानसभा के चलते राजनैतिक लाभ की कवायद हो रही है तो दूसरी तरफ शासकीय कर्मचारी, आंगनबाड़ी से लेकर मितानिनों ने भ... नासमझ की बात*ये क्या माँगा तुने ऐ फरिस्ते * कल मेरे घर आया एक नन्हा सा मेहमान मानो हो कोई देवदूत यह कहता मुझसे कि ऐ मेरे बुजुर्ग आपसे बस इतनी ही है विनती कि हो सके त... अगर चुप रहती तो यूँ ना विलुप्त होती गोरैया । (written for the ex-tinct sparrows, with love.) - आधुनिकता की वो आंधी चली कि तारों के जंजाल में उलझकर गुम हो गई गोरैया , घर-आँगन, खेत-खलिहान, खिड़की-दरवाजे और हर जगह चहकती फिरती थी, धूप में मंगोड़ी,पापड़ तक स... 

अमरीक सिंह कंडा की लघुकथा - भगवान की मौत - कंडे दा कंडा -अमरीक सिंह कंडा भगवान की मौतमैं अपनी बचपन की तस्वीरों वाली एलबम देख रहा था तो मेरी 7 वर्षीय पोती अपने पास आ गई और एलबम देखने लगी। ‘‘बड़े पापा...चेला ... - इस मायावी संसार में कदम रखते ही हर किसी ने हाँथ पकड़-पकड़ के हमें चेला बनाना चाहा था बड़ी मुश्किल से बचते-बचाते यहाँ तक पहुंचे हैं 'उदय' कहीं ऐंसा तो ... परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है - बचपन अपने मीठे अंदाज में कभी किलकारियां भरते कभी ठुनकते सुबकते पीछे पीछे आता ही है ... बस उसकी ऊँगली थाम लो तो ज़िन्दगी के कई व्यूह खुद ब खुद टूट जाते ... 

वो - झटक कर जाती है जुल्फ़े बड़ा इतराती है वो क्या पता कितनों के दिल पर कहर ढ़ाती है वो जानते हैं ये जुल्फ़े उनकी नहीं खरीद बाजार से घर पर नकली जुल्फ़े लग... साक्षरता - मै अनपढ मिला तुमसे तो सीख गया पढना चेहरे के भाव जो सपाट लगते थे स्वयं कह देते हैं बिना कहे ही और मैं पढ लेता हूँ तुम्हारे अंतरमन की साक्षर हो गया हूँ तुम्ह... विचार और आचरण के भेद को मिटाना जरुरी – डॉ. जीवन सिंह - बिलासपुर। शहीद भगत सिंह का दर्जा इसलिए सबसे अलग हैं, क्योंकि वे महान क्रांतिकारी देशभक्त होने के साथ ही विचारक थे तथा उन्होंने विचार और आचरण के भेद को अपने... 

किनारा...  - डूबने के भय से तैरना छोड़ दूँ इतनी कमजोर नहीं हाँ! तय कर रखी है एक सीमा रेखा उसके आगे नही जाना जानती हूँ सागर असीम, अनंत पार नहीं कर सकती हूँ लेकिन हार नही...   ६ त्रिदल - सिंदूरी आसमान तुम्हारी चुनरी फैली हो जैसे नीला सागर भूरी रेत आंखें और दिल । सलेटी काला, रात का साया गहराता दुख । तारे टिमटिम कोई तो किरण रोशनी की । लंबी... पाषाण हिरदय - Roshi: पाषाण हिरदय: सब कहते हैं कि इंसान वक़्त के साथ बदल जाया करते हैं समाज ,तजुर्बे ,उम्र ,रिश्ते आखिर बदल ही देते हैं कुछ इंसानों को सपनों की कश्ती को बहने दो— - सपनों की,कश्ती को बहने दो उगते सूरज के सुर्ख लाल-रंग में होली,फ़ाग की,खेलने दो--- धार जो,ठहर सी गई है,फ़ागों की रंगों के चप्पू से ... 

गजल - ख्वाब देखा जो पल में बिखर जाएगा। छोड़ कर अपना घर तू किधर जाएगा।1। बोल कर मीठी बोली बुला उसको तू, साया बन राहों में वो उतर जाएगा।2। इम्तहां रोजो शब जि... रांझणा वे सोणिया वे माहिया वे ... - पिछले कई दिन अपनी सरकारी नौकरी पर स्यापा करते गुज़रे ! घर से बाहर...स्वजनों से अलग ! जहां गये ,वहां इंटरनेट कनेक्शन तो था पर अपनी महारत के फॉण्ट मयस्... पलकों के लिए - * **आँख में तिरती रही उम्मीद सपनों के लिए, गीत कोई गुनगुनाओ आज पलकों के लिए। आसमाँ तू देख रिश्तों में फफूँदी लग गई, धूप के टुकड़े कहीं से भेज अपनों के लिए... 

वक़्त ने इस कद्र बीजी कर दिया है आलोक - [image: Blog parivaar] पत्नी जी बोली ए जी आप तो हमारी तरफ देखते ही नही हमने कहा क्यूँ कोई खास बात वो मुस्करायी अपना फेस हमारे और करीब लायी, बोली आप भी न ए... बंधन - "औंल? जूंते कैंसे लहे?" नकियाता था, तुतलाता था और थोड़ा सा हकलाता भी था। जब उसने ये सवाल पूछा तो पहले तो येकैक्टस गुलाब और गुलाब जामुन - लव गुरु से किसी चेले ने पूछा एक दिन गुरु नारियों के भेद आज बतलाइए कैसे किस नज़र से देखे कोई कामिनी को सार सूत्र सुगम सकल समझाइए गुरु बोला पहला प्रकार तो है... 

वार्ता को देते हैं विराम ……… मिलते हैं ब्रेक के बाद …… राम राम   

8 टिप्पणियाँ:

बहुत बढ़िया वार्ता

आजकल कौन सच में भष्टाचार में लिप्त हैं कौन नहीं.? यह बताना असम्भव सा हो गया हैं ....अगर इन्सान सच कह भी दे तो सामने वाला झूठ ही समझेगा ....इतनी बड़ी पोस्ट पर बेठने वाले इंसान को भी दलाल लोग छोड़ते नहीं हैं ..ऐसे लोगो पर कुछ धारा बनानी ही चाहिए ...

देश में भ्रष्टाचार गहरी जड़ें जमा चुका है, कुछ मामले प्रकाश में आ जाते हैं. वर्ना ना जाने क्या-क्या और कहाँ-कहाँ हो रहा होगा उसका पता जनता की स्थिति को देखकर ही चलता है...
सुन्दर वार्ता और लिंक्स के चयन के लिए आभार आपका...

बढ़िया लिंक्स हैं .

राम राम...
सुंदर संकलन...
सादर आभार।

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