रविवार, 31 अक्तूबर 2010

सोमा वीरा की कहानी .. युवा शक्ति आत्‍मरक्षा परिसंघ .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , भ्रष्‍टाचार के मामलों में हमारा देश दिन ब दिन एक एक पायदान चढता जा रहा है। साउथ मुंबई के पॉश एरिया में बनी आदर्श सोसायटी मुंबई इस बात की जीवंत मिसाल है कि अफसर और राजनीतिज्ञ किस तरह सरकारी माल लूटते हैं। इसके बनने में हर स्तर पर नियमों का उल्लंघन हुआ है। जिस जगह पर यह टॉवर बना है वहां मूलत: कारगिल के वीर और विधवाओं के लिए छह मंजिली इमारत बनने वाली थी। बाद में सेना के 40 अधिकारियों ने इसे आर्मी का भूखंड बताकर वहां सोसायटी बनाने का प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार को भेजा। धांधली वहां से शुरू हुई। वह भूखंड राज्य सरकार का होने का राज पता चलते ही धांधली के चक्र तेजी से घूमने लगे। पहले नगर विकास ने इमारत के पास से गुजरने वाली सड़क छोटी बनाकर एक भूखंड निकाला । उसे मूल जमीन में मिलाया गया, पर फिर भी एफएसआई कम पड़ गया तो बेस्ट की जगह का एफएसआई भी आदर्श के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति प्राप्त की गई। इस काम में जिस जिस की मदद की जरूरत थी, उसे एक फ्लैट आवंटित करके वैधता का जाल बुना गया। सोसायटी के सदस्यों की पात्रता की औपचारिकता पूरी करने के लिए कोआपरेटिव विभाग से मिलीभगत की गई। भारत में ये सब तो चलता ही रहेगा , मैं आज नए चिट्ठों की वार्ता पर आपलोगों को लिए चलती हूं ...
विंडो एक्स पी में  डेस्कटॉप का appearance बदलना -

TRUE VOICE OF HEART ... अमरदीप सिंह जी की सुनिए ....

कन्या भ्रूण हत्या के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है और सुना है . मेरी राय भी ऐसी ही थी इस बारे में पढ़ कर बातें कर के जो एक बात सामने आती है या जिसका हम निष्कर्ष निकलते है वो ये की कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग ही ऐसा घिनौना कृत्य कर रहे है जो सिर्फ वंश वृद्धि का सोचते है लड़के की चाह रखते है …मगर ऐसा नहीं है ये सोच सिर्फ लड़के की चाह या वंश वृद्धि तक की बात नहीं बात की हकीकत कुछ और है दुःख लड़की पैदा होने का नहीं है सवाल वंश का भी नहीं… 

शाम के सात बजे थे । सडको पर लोग तेज़ी से अपने अपने घरो की ओर जा रहे थे।मै भी अपनी बाइक से घर कीतरफ जा रहा था। सब्ज़ी मंडी से गुज़र रहा था चौराहे की दुकान पर कई लोग चाट पकोड़ी के चटखारे ले रहे थे। वहीपास मे सड़क के किनारे दो छोटे बच्चे खड़े थे , होंगे कुछ चार साल और एक उस से छोटा , काले कपडे भूरी आँखे , मासूम से , हाथ मे थेली । वो भी घर जाना चाहते थे। घर दूर था तो सड़क किनारे मदद मांग रहे थे आन जाने वालोसे, पर कोई उन पर ध्यान नहीं दे रहा था। मे भी अपनी मस्ती मे था।

जन्म नवंबर 1932, लखनउ (उ.प्र.) भारत में; शिक्षा : बी.ए. (पत्रकारिता), एम.ए. इकोनॉमिक्स एंड इंटरनेशनल रिलेशंस, यूनिवर्सिटी आफ़ कोलोराडो, बोलडर, यू.एस.ए.। पी-एच.डी., इंटरनेशनल रिलेशंस एंड इन इंटरनेशनल इकोनॉमिक डेवलपमेंट, न्यूयार्क यूनिवर्सिटी अमरीका; पचास के दशक के अंतिम भाग में अमरीका आईं। सन् 2004 में उनका देहावसान हो गया। वे एक सशक्त हिंदी लेखिका थीं, साथ ही साथ अँग्रेज़ी में 'साइंस फिक्शन' की सशक्त हस्ताक्षर थीं। दस वर्ष की छोटी उम्र से ही उनके लेख प्रकाशित होने लगे थे। 'नवभारत टाइम्स' बंबई में बच्चों के पृष्ठ तैयार करने में उनका सक्रिय योगदान रहा। सन् 1962 में उनकी पुस्तक 'धरती की बेटी' प्रकाशित हुई। सोमा वीरा ने हिंदी में सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं। 

राजनीति हमारे समाज का इक अभिन्न अंग है, चाहते या ना चाहते हुए भी हम इससे जुड़े रहते हैं. यह संभव है कि हम प्रत्यक्ष रूप से इसकी निंदा करें परन्तु हमें इस बात का ज्ञान है कि इसके बिना हमारे समाज कि व्यवस्था नहीं चल सकती. किसी व्यक्ति विशेष लिए राजनीति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब वो या उसके परिवार को कोई सदस्य राजनीति का एक हिस्सा बनने के लिए कदम उठता है. 

एक बार राजधानी के सबसे बड़े मोबाइल टावर में कौवो का सेमीनार हुआ। मुद्दा था वर्तमान हालातों का केसे सामना किया जाय ।पहले काग देवता के नाम से हमें पूजा जाता था । रोज सुबह लोग अपनी छतों पर कुछ न कुछ खाने को रख ही देते थे । अब तो लोंगों के पेट खुद ही इतने बढ़ गए हैं कि उनका पेट ही नहीं भरता ।जितना मिल जाय उतना ही कम । कूड़ेदान में भी फेंकते हैं तो सिर्फ पोलीथीन की पोटली । 

शेषधर तिवारी जी का चिंतन पढिए ....

आर्यन जी की 24 घंटे ....... 

संतू की आंखों के सामने हर उस पल की तस्वीर थी.... सात साल पहले जिंदगी के वो खूबसूरत पल....  हर हाल में खुशहाल रहने वाला संतू.... अचानक एक दिन गांव में पुलिस का काफिला आता है... उस समय वो गांव के बाहर बगीचे में बैठा परिंदों की मस्ती निहार रहा होता है....  

अनामिका उवाच पर भी डालिए एक नजर .....

अक्सर देखा यह गया है कि कुछ लोगों की प्रकृति या कहें प्रवृत्ति ऐसी होती है कि उन्हें अच्छाई में भी खोट नजर आने लगती है। किसी सही बात की तारीफ की उम्मीद तो इनसे करना बेकार है, ये तो उसमें भी मीन-मेख निकालने से नहीं चूकते। शायद ऐसी ही प्रवृत्ति जनता दल (यू) अध्यक्ष शरद यादव की भी होती जा रही है।

मै उसके प्यार में पागल हूँ ऐसा लोग कहते हैं
मै उसकी आँख से घायल हूँ ऐसा लोग कहते है 
वो कहता है मेरे चर्चे उसे बदनाम कर देंगे 
मगर मै तो नहीं कहता हू ऐसा लोग कहते है

हिचकता है, झिझकता है, सिमटता है ,बिखरता है

मुझे जब देखता है वो  तो  आहें  सर्द   भरता  है
मचलता है वो जब तक दूर है तो पास आने को
मगर जब पास आता है तो शर्मा कर गुजरता है

कमांडिंग - इस स्थिति प्रकार में, आप पूरी तरह से विश्वास है और अपने हमलावर का डर नहीं लग रहा है. आपकी उपस्थिति और फर्म आप का लाभ उठाने का उपयोग करने की अनुमति संकल्प, कुचल दबाव, और बेहतर स्थिति के माध्यम से शक्ति (बजाय मांसपेशी की तुलना में) उसे रोकने और उसे नियंत्रित करते हैं. चूंकि आप तनाव के प्रभाव को सीमित नहीं लग रहे हैं, और अपने हमलावर कोई है जो भय, क्रोध, या एक दूर करने के लिए चलाने की जरूरत की भावनाओं के कारण नहीं है, आप उसे दिखाने मुक्त है कि वह पहले से ही befoe वह कभी throew खो दिया था रहे हैं पहले पंच, ले लो, या लात. इस "मॉड्यूल 1" का सार है.

मैं  क्यों  हैरान  होता 
      पल  पल  क़ि  बातो  में  
सभाल  ना  पाता  अपने  धीरज  को 
      बह  जाता   इसी  हैरानी  में
अन्दर  का  आक्रोश  जाग  जाता 
      पल  भर  क़ि   लाचारी   में 
भूल   जाता  आज  कल  वर्तमान  को 
      उत्तेजत  हो  जाता  मन  इसी   परेशानी  में  

रोटियाँ सेंकने को बैठे रह गए
चूल्हा है कि जला ही नही
अब क्या खायेंगे?
कमबख्तों ने लकड़ियाँ भी नहीं दी
अब आग कैसे जलाएंगे?
नही जलेगी आग,तब
मुर्गे कैसे भुने जायेंगे?

आफिस के एक बड़े साहब
मोम की गुडिया, जहर की पुडिया।
बुदापे का दर्द सालता है
अपने मूछों को हटा डालता है।
उम्र की दर से डरा यह आदमी
दूर करने अपनी अंदरूनी कमी,
सफ़ेद मुसली की जड़ मंगाता है
छोटी सी कली कोट में लगता है
हर किसी को मटुक और जुली का पाठ पढाता।

सब ब्लोगी भइया बहिनों को इस छोटे भाई का प्रणाम .... नया हूँ .... अरे नही धरती पर तो बहुत पहले आया हूँ ... ७९ मॉडल हूँ .... कंप्यूटर से भी बहुत दिनों से जुडा । .... पर कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है ...क्या ख़याल आता है !!!!.... ये ही तो पता नही चलता .... पर अब पता चलेगा ....

अब हम जो आपको  बताने जा रहे हैं वो आपके मनचाहे विजिटिंग कार्ड पाने की सबसे आसान और किफायती विधि है | इस विधि को सबसे आसान कहने का कारण है की आपके पास हजारों सेम्पल्स हैं जिनमे से आप अपना विजिटिंग कार्ड चुन सकते हैं | और उसके लिए आपको अपने कार्य क्षेत्र से या घर से बाहर निकलने की कोई जरुरत नहीं है | तो ये वेबसाइट आपको किसी के पास घंटो बैठकर समय बर्बाद करने से बचाता है |

अंशुमान तिवारी, नई दिल्ली किस्मत को कोसिए कि आप को राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति में नौकरी क्यों नहीं मिली? सरकार का यही तो एक ठिकाना था, जहां तनख्वाहें डेढ़ से दो साल में तीन गुनी तक हो सकती थीं और मनमाने भत्ते व प्रमोशन मिल सकते था। आयोजन समिति ने नियमों को ताक पर रखकर वेतन भत्तों में तीन साल में दो बार बढ़ोत्तरी कर दी। टीम कलमाड़ी के चहेतों ने इसमें भी खूब मलाई काटी और यह सब आयोजन समिति बनने के बाद पहले तीन वर्षो (2005 से 2008) में हुआ, जब खेलों की तैयारियों का पत्ता भी नही खड़का था।

“Only first class business and that in first class way......” David Ogilvy की ये लाइने विज्ञापन जगत की रीढ़ की हड्डी मानी जाती हैं, David Ogilvy ने विज्ञापन जगत को नायब नुस्खे दिए हैं 1948 में उन्होंने अपनी फार्म की शुरुआत की,जो बाद में Ogilvy & Mather के नाम से जानी गई ,,,,,,और जिस समय काम शुरू किया उनका एक भी ग्राहक नही था लेकिन ग्राहक की नब्ज पकड़ने में माहिर थे और कुछ ही वर्षो में उनकी कंपनी दुनिया की आठ बड़ी विज्ञापन जगत की कंपनी में से एक बनी और कई नामी ब्रांड्स को उन्होनी नई पहचान दी 

दुनिया मेरी नजर से .. यानि रूद्राक्ष पाठक जी की नजर से ...
दुनिया की सबसे सस्ती कार कही जाने वाली टाटा नेनो अब फिर से महंगी होने वाली है | देश की दिग्गज वहां कंपनी टाटा मोटर्स ने नवम्बर की पहले तारीख से इस कार के दम 9000 रूपए तक बदने का एलन किया है |
एसा दूसरी बार हो रहा है इससे पहले कंपनी ने कार की कीमत 2 से 3 प्रतिशत तक बड़ाई थी | यह बढोतरी अलग अलग मॉडल्स के लिए थी |  कंपनी ने एसा करने का कारण बदती लगत को पूरा करने का बताया है | 
ज़िन्दगी में सफ़र तो हर घडी हर मोड़ आते हैं पर कुछ सफ़र यादगार बन जाते हैं | ऐसी ही एक खुशगवार यात्रा मैंने की जिसकी याद आज तक मन में समाई हुई है |
दिल में उतर आये साए यादों के 
क्या कुछ साथ नहीं लाये यादों के 

हरिद्वार : 

हमारी यात्रा शुरू होती है हरिद्वार से , जिसके बारे में देश विदेशों के सभी लोग जानते हैं |
बस अभी इतना ही  .. फिर मिलते हैं एक सप्‍ताह के बाद ..ललित जी तो अभी  राज्‍योत्‍सव आयोजन में व्‍यस्‍त हैं,दिल्‍ली से लौट चुके शिवम जी कल की वार्ता लेकर आएंगे!!

12 टिप्पणियाँ:

सुंदर वार्ता के लिए आपका आभार एवं शुभकामनाएं

बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता .....आपका आभार संगीता दीदी !

नए लिंक्स देतीं अच्छी ब्लॉग वार्ता के लिये बहुत आभार |
आशा

सारे लिंक्स देखे अच्छे लगे
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एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
दर्शन बावेजा
ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
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अति सुन्दर वार्ता के लिये आप का धन्यवाद

बहुत बढ़िया लिंकों से सजाई है आपने आज की वार्ता!

ताज़ा पोस्ट का लुत्फ़ उठाते हुए जब मैंने कमेन्ट्स पर नज़र डाली तो मेरा मन ख़राब हो गया। किसी ने ‘सुनील‘ के नाम से दिव्या बहन जी के लिए बहुत फहश कर रखी थी। मैं उस की इस हरकत से इतना दुखी हुआ कि मैं उसके ब्लाग पर भी नहीं गया। लेकिन यह देखने के लिए दिव्या बहन के ब्लाग पर गया कि आखि़र यह बहन कौन हैं ? और कोई बदबख्त आखि़र उनसे खफ़ा क्यों है ?
मैं दिव्या जी से इल्तमास करूंगा कि इस तरह के तंज़ सिर्फ़ हौसला शिकनी के लिए किए जाते हैं। अपना हौसला टूटने मत देना। मैं आपके साथ हूं , हम आपके साथ हैं और ऐसे ही साथ नहीं हैं बल्कि अपने पूरे ‘साधनों‘ के साथ आपके मददगार हैं। आप खुश रहें। आप खुश रहेंगी तो आपके दुश्मन ज़रूर दुखी रहेंगे। खुदा आपको अपनी अमान में रखे , आमीन या रब्बल आलमीन ! http://sunehribaten.blogspot.com/2010/10/blog-post.html

मुझे अपनी लिंक सूचि मैं शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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