आज की वार्ता एक खास अंदाज़ और एक खास तरह की गर्मा-हट लिए हुए... सर्दी के मौसम की स्पेसल बोले तो एक ऐसी चीज़ जो हर किसी के लिए खासम-खास.... पहले एक कविता लीजिए... और जानिये की यह आखिर क्या है और देव बाबा आखिर किसकी बात कर रहे हैं...
घंटो के इंतज़ार के बाद
अशान्ति से शान्ति की खोज में
जा पहूंचा कैन्टीन में
और फ़िर वहां मिली मुझे
मेरी प्रेयसी
बस उसे देखते ही मैं
खिल उठा..
उसे देखते ही मेरा
मन मचल उठा..
जल्दी ही वह
मेरे होठों से लगी
और मैं झूम उठा...
मिट गयी मेरी थकन
मिट गयी मेरी उलझन
वाह वाह
वह एक प्याली अदरक वाली चाय...
अब साहब सर्दी चारों ओर फ़ैली है.. तो सोचा की सर्दी के मस्त मस्त मौसम में कोई गर्मी वाली पोस्ट लगाई जाए... गर्मी बोले तो चाय वाय का इंतज़ाम हो जाए तो फ़िर क्या बात हो....
लेकिन धंधे और दोस्ती यारी वाली बात पहले कर ली जाए...
हम इस तरह दोस्ती निभाएंगे
नौकरी न मिली तो बिलकुल नहीं घबराएंगे
दोनों स्टेशन पर चाय की दुकान लगाएंगे
तुम चाय बनाना हम चाय-चाय चिल्लायेंगे
(तो जल्दी बताईए... कौन कौन आ रहा है हमारे साथ.... जो भी आना चाहे... जल्दी बताए... कोपरखैरणे डिपो के पास चाय की टपरी डालनें का प्लान है... )...
ना भी आना चाहिए तो कोई ना.... वैसे अब बकर बकर बन्द करता हुं और जल्दी से औकात में आते हुए आज की वार्ता आप लोगों के सामनें पटकता हूं.... अनुरोध है की आज की वार्ता को चाय की चुस्कियों के बीच आनन्द के साथ पढिए....
हम अपनी शिक्षा भूल चले -सतीश सक्सेना :- सच में.... जानें कौन सी विद्या ग्रहण कर रहे हैं आज कल...
तो भैया आज की वार्ता यहीं तक .... अन्त में कुछ पुरानी यादें भी कर ली जाएं तो फ़िर क्या बात हो .... बोलो है की नहीं तो फ़िर लीजिए
कुछ पुरानी यादों के नशे में - जाड़े का मौसम :- भई वाह.... यादें और भी... मगर क्या करूँ हाय..कुछ कुछ होता है.. सही है भाई बहुत कुछ याद दिला गये गुरु आप तो....
तो भैया देव बाबा की एक और कविता जाते जाते... बोले तो चाय ज़िन्दाबाद.... वैसे चाय बहुत अच्छा माध्यम है प्रेम फ़ैलानें का... लोगों को एक साथ लानें का... तो बस....
वैसे चाय चाहे कैसी भी हो... चाहे कटिंग चाय हो...
या फिर दौ सौ रूपये एक कप वाली चाय हो....
अगर कोई मन से पिलाये तो फिर चाय की प्याली में
उमड़ आते हैं सारे भाव
उमड़ आते हैं सारे विचार
लोग पास आ जाते हैं
आपसी क्लेश मिट जाते हैं
तो फिर मेरे भाइयों
आओ मन की दूरियों को मिटाओ
आज ही शाम देव बाबा को
चाय पे बुलाओ.... और एक बढ़िया सी अदरक वाली चाय पिलाओ....
तो भाई कहिये कब आ जाऊं और स-पत्नीक प्रकट हो जाऊंगा।
जय हिन्द
देव कुमार झा