संध्या शर्मा का नमस्कार.... 'पूर्णस्य पूर्णमादाय ' कहने से तात्पर्य यह है की यदि तुम स्वयं इस सत्य की अनुभूति कर सको कि वही ' पूर्ण ' तुम्हारे साथ साथ इस विश्व ब्रह्माण्ड के कण कण में भी प्रविष्ट है तो फिर उस ' पूर्ण ' के बाहर शेष बचा क्या ? इसी को कहा गया - ' पूर्णमेवावशिष्यते '.... ! 'करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....आइये अब चलें ब्लॉग 4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ...
पिया का घर-रानी मैं पिया का घर-रानी मैं …बचपन के गुड़िया घर से राजा का इंतज़ार और रानी होने का गुमां लड़कियों को व्रत करने की कर्मठता देते हैं - हरियाली तीज,तीज,सोलह सोमवार, …करवा चौथ इत्यादि कई व्रत हैं,जिसके आगे पति की दीर्घायु की कामना लिए पत्नी अन्न,जल ग्रहण नहीं करती,सावित्री बन जाने का संकल्प लेती हैं . चाँद हमारी हथेली में आ गया,विज्ञान ने कई दरवाज़े खोल दिए, …
कर लो थोड़ा इन्तजार……. *रूप दमके * *प्यार छलके * *जीवन महके……. सजनी तेरा……. * * मत हो उदास * *आऊंगा तेरे पास * *ले निशा का अनुपम श्रृंगार* *बदली में घिर गया अभी मैं * *कर लो थोड़ा इन्तजार……. * * ** सुहाग पर्व के इस अवसर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं *
करवाचौथ दोहे आये कार्तिक माह में ,कृष्ण पक्ष की चौथ व्रत निर्जला सुहागिनें , करतीं करवाचौथ / दिन है यह सौभाग्य का, कमी न रखना शेष कर सोलह श्रृंगार लो, करवाचौथ विशेष / सब पति की दीर्घायु का,करती हैं उपवास प्रतीक्षा चंद्रोदय की ,इस दिन होती ख़ास / शुरू हो सूर्योदय से, चाँद देखके पूर्ण श्रद्धा और उत्साह से , करती हैं संपूर्ण / चंद्रोदय के बाद ही ,मिलता है संयोग अर्घ्य दे सभी चाँद को ,उसे लगाती भोग / निर्जल व्रत है चौथ का , करे सुहागिन नार जल पिए बाद अर्घ्य के , कर सोलह श्रृंगार // *
हरसिंगार की अभिलाषा इससे पहले कि मेरी निर्मल धवल कोमल ताज़ा पंखुड़ियाँ कुम्हला कर मलिन हो जायें , मेरी सुंदर सुडौल खड़ी हुई नारंगी डंडियाँ तुम्हारे मस्तक का अभिषेक करने से पहले ही मुरझा कर धरा पर बिखर जायें मुझे बहुत सारा स्थान अपने चरणों में और थोड़ा सा स्थान अपने हृदय में दे दो प्रभु कि मेरा यह अल्प जीवन सुकारथ हो जाये और मेरी इस क्षणभंगुर नश्वर काया को सद्गति मिल जाये
अमृत बरसाती करवा चौथ की रात !!! हाँ ! बस सजने ही वाली है बड़े इंतज़ार से भरी सलोने से चाँद की अरमानों भरी वो करवा चौथ की रात ! वो सजे हुए करवे चार दिशाओं का भान कराती सींके मांडे चौक पर अमृत बरसाती रात ! सतरंगी सजी चूड़ियाँ मेहंदी से रची हथेलियाँ कलाइयों और हथेलियों में मनभावन रंग भरी आशीष सी रात ! वो नथ ,वो माँग का टीका बाजूबंद - करधनी - कंगना सहेजती अंगूठी की छुवन सी पायल की रुमझुम गुनगुनाती रात ! ख़ुश्क होते इन लबों से अंतर्मन तक तृप्त मन के रेशमी साड़ी की छुवन सी सुहाग की चमक भरी चूनर की रात ! सबसे बड़ी ,सबसे प्यारी आशाओं उम्मीदों भरी जन्मों के रिश्तों के नाज़ुक से एहसास सहेजती करवा चौथ की रात !!! ...
-
न लाना तुम श्रृंगार सजन तुम आ जाना व्याकुल मेरे मन प्राण चैन तुम दे जाना
हर दिन आकर ये चाँद तेरा दिलाता भान तुझको नित निहारा दर्श नयन को दे जाना
कैसे करूँ ...