रविवार, 2 अक्तूबर 2011

सुपरवूमन,कालीघाट मन्दिर, मेट्रो और ट्राम -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, नवरात्रि उत्सव चल रहा है। छत्तीसगढ के बम्लेश्वरी तीर्थ डोंगरगढ में माता के दर्शनार्थियों की भीड़ बढती ही जा रही है। नागपुर की ओर जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने की भी जगह नहीं है। गत 30 वर्षों में यहाँ बदलाव आया है। कई वर्षों से उड़नखटोला(रोप वे) भी चालु है। दो साल पहले मैंने अभनपुर से डोंगरगढ की पदयात्रा भी की। लगभग 130 किलोमीटर की यात्रा में धूप असहनीय होती है औ र कोलतार की गर्म सड़क पैरों में छाले ला देती है। फ़िर भी हजारों भक्त पैदल जाते हैं। रोप वे पर भारी अव्यवस्था है, वी आई पी के नाम पर ट्राली में लंगु-झंगुओं की भीड़ लग जाती है और टिकिट लेकर जाने वाले लोगों को घंटो प्रतीक्षा करनी पड़ती है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर.....

घोड़े और घास की दोस्ती का अनोखा प्रयोग ! किया है छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने। स्वराज्य करुण लिखते हैं,अमिताभ बच्चन ,धर्मेन्द्र और हेमामालिनी की सदाबहार फिल्म 'शोले ' में तांगेवाली वसंती का किरदार निभाती हेमा का वह  सदाबहार डायलॉग आज भी  बहुतों को याद होगा , जो उन्होंने रामपुर जाने के लिए आए  जय और बीरू को यानी अमिताभ और धर्मेन्द्र को  तांगे पर बैठाने से पहले कहा था  - यूं कि हम आपको रामपुर तो  मुफ्त में पहुंचा दें ,लेकिन  घोड़ा अगर घास से दोस्ती कर ले ,तो वह खायेगा क्या ? घोड़े और घास की दोस्ती वाली यह कहावत हमारे भारतीय समाज में  दुकानदार और ग्राहक के व्यावहारिक रिश्तों को लेकर प्रचलित  है . कई दुकानदारों ने तो  इस कहावत को  किसी अनमोल वचन की तरह  स्टिकर बनवाकर शो-केस  पर भी चिपका रखा है . मतलब यह कि कोई भी कारोबार कमाने के लिए  ही किया जाता है,   खोने या गंवाने के लिए  नहीं  !  



भुना रहे हैं एक रूपैय्या 
जाने कैसे तीन अठन्नी
पैर पकड़ कर हाथ मांगते
अब भी अपनी एक चवन्नी

मुठ्ठी वाले हाथ सभी ना जाने कहाँ गये !
क्या बतलाएँ बापू तुमको दाने कहाँ गये !

तुलसी के पौधे बोए थे
दोहे कबीर के गाए थे
सत्य अहिंसा के परचम
जग में हमने फहराये थे

नैतिकता के वे ऊँचे पैमाने कहाँ गये !

क्या बतलाएँ बापू तुमको दाने कहाँ गये !

पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौनप्रकृति के चितेरे कवि महाकवि कालिदास नें एक पक्षी को एकाधिक बार'विहंगेषु पंडितलिखा और अँगरेजी के प्रसिद्ध कवि वर्ड्‌सवर्थ ने भी इसी पक्षी की आवाज से मोहित होकर कहा 'कुक्कु शेल आई कॉल दी बर्ड,ऑरबट अ वान्डरिंग वॉयसहॉं.. कोयल ही है यह पक्षी।  कोयल,कोकिल या कुक्कू इसका वैज्ञानिक नाम 'यूडाइनेमिस स्कोलोपेकस स्कोलोपेकसहै। गांव में और यहॉं शहर में भी रोज इससे दो-चार होते इसके शारिरिक बनावट से वाकिफ़ हूं। नर कोयल का रंग नीलापन लिए काला होता हैइसकी आंखें लाल व पंख पीछे की ओर लंबे होते हैं और मादा तीतर की तरह धब्बेदार चितकबरी भूरी चितली होती है। 

 कालीघाट मन्दिर, मेट्रो और ट्राम-फटाफट नहाने का जुगाड ढूंढा गया। स्टेशन के एक कोने में नहाने का बंगाली स्टाइल मिल भी गया। और नहाने वालों की भीड भी जबरदस्त। पता नहीं बंगाली जब घर से निकलते हैं तो नहाकर नहीं निकलते क्या? और अगलों की ‘घ्राण शक्ति’ भी इतनी विकसित कि मुझे खडे देखकर बाथरूम का इंचार्ज बंगाली हिन्दी में बोला कि नहाना है क्या। मेरे हां करने पर बोला कि आओ तो इधर, वहां क्यों खडे हो? लाइन में लग जाओ, बैग यही छोड दो, अन्दर टांगने का कोई इंतजाम नहीं है। मैंने बैग वही रखा और चार्जर निकालकर मोबाइल चार्जिंग पर लगाने लगा तो बाथिंग इंचार्ज साहब बोले कि ओये, इसमें मोबाइल मत लगाना। क्यों? क्योंकि इसमें 1100 वोल्ट की बिजली है। इतनी बिजली तुम्हारे मोबाइल को धराशायी कर देगी।

मनमोहन-चिदंबरम की बीस बरस की जोड़ी की इकनॉमिक्स तले देश का बंटाधारचिदबरंम ने इन बीस बरस में साढ़े तेरह बरस सत्ता में गुजारे। जिसमें से साढ़े बारह बरस मनमोहन के साथ रहे। लेकिन जब सत्ता में नहीं थे तब भी विकास को लेकर जिन निजी कंपनियों के साथ चिदंबरम खड़े हुये उसके अक्स में भी चिदबरंम की इकनॉमी को समझा जा सकता है। दिवालिया हुई अमेरिकी कंपनी एनरॉन की खुली वकालत चिदंबरम ने की। और समूचे देश में जब एनरॉन का विरोध हुआ तब भी दोबारा दाभोल प्रोजेक्ट के नाम से एनरान को दोबारा देश में लाने की वकालत भी चिदंबरम ने ही की। ब्रिटेन की विवादास्पद कंपनी वेंदाता को उड़ीसा में खनन के अधिकार दिये जाने की खुली वकालत भी चिदंबरम ने की। 

आप तो सुपरवूमन हो -हे देवी माँ--हे देवी  माँ सच्ची अब लिमिट की भी लिमिट क्रोस हो गई है या तो हमें दे दो अष्टभुजा या हम भी चले नौ दिन के अनशन पर, आपके सामने से हटेंगे नहीं, एक तो आपकी मोहिनी सूरत ऊपर से शेर और इतने सारे शस्त्र (लाइसेंस है क्या ?) कोई इम्प्रेस नहीं होगा तो क्या होगा, लाइन तो लगेगी ही ना ,आप तो सुपरवूमन हो और अपन ठहरे आम भारतीय नारी सुबह से  मशीन की तरह जो स्टार्ट होते है रात बिस्तर पर  उल्लुओं और झींगुर को गुड नाईट बोलकर सोने जाते है कई बार चौकीदार भी दांत दिखाता है "मेमसाब आप तो जाग ही रही है कहें तो मैं थोड़ी देर झपकी मार लूं ".  दिन भर की चढ़ी मेकअप की परत के साथ नकली मुस्कान को भी उतार कर किनारे रखते है.

 हम से भूल हो गयी ......., हमका माफ़ी दे दो भावुक हो कर भूलवश भूल करने वाले दोस्तों ,  माफ़ी भरा नमस्कार ! दोस्तों फेस - बुक पर मुझे आज ३ महीने से ज्यादा यानि  १०० दिन हो गए हैं , इस दोरान ८५ लेख मैंने ब्लाग पर लिखे ,और न जाने कितनी बातें , गीत ,चुटकुले और घटनाएँ सभी मित्रों के साथ बांटी फेस - बुक पर |  सैंकड़ों  मित्रों की विभिन्न प्रकार की बातें भी पढ़ी और देखि - सुनी | ये  सब करते हुए कभी मन गुस्से से भर जाता तो कभी हंसने लगता , कभी मूड सेक्सी हो जाता तो कभी मजाकिया , कभी मन भाव-विभोर हो जाता तो कभी जोश भर जाता |

गांधी एक विचारहिन्दुस्तानी मन से स्वतंत्रता चाहते हुए भी विवश थे क्यूं कि उनको बहुत दबा कर रखा जाता था |कुछ लोगों में संगठन करने की अदभुत शक्ति थी |सुभाष चन्द्र बोस ने तो आजाद हिंद फौज भी बना ली थी आजादी की लड़ाई के लिए | गांधी जी भी भारत की स्वतंत्रता चाहते थे |द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश शासन की अर्थ व्यवस्था खराब होने लगी थी |फिर भी वे भारत पर पूरा हक जमाते थे |गांधी जी क्रान्ति के पक्षधर थे पर वे रक्त विहीन क्रान्ति चाहते थे |इस लिए उन्होंने असहयोग आंदोलन जैसे कई आन्दोलनों का सहारा ले अंग्रेजों पर दबाव बनाया और भारत को आजाद कराने का अपना सपना पूर्ण किया |

एक दफा वो याद है तुमको!!एक रोज हमरे बैंक में भी एगो चिट्ठी आ गया ऊपरवाले के तरफ से... अरे ओतना ऊपर वाला के तरफ से नहीं, उससे तनी नीचे वाला के तरफ से. चिठ्ठी का था, फरमान था कि फलाना तारीख को तीन बजे दिल्ली का पूरा ब्रांच से हर लेवल का सब ऑफिसर को एगो मीटिंग में उपस्थित रहना है. अब ई कहे का त कोनो जरूरत नहिंये है कि मीटिंग में हमरे माई-बाप का भासन होना था. जगह दिल्ली सहर के बाहरी छोर पर.अब सब के अंदर भय ब्याप्त गया. नहीं गए तो...! अब ई सवाल का जवाब खोजने से अच्छा था कि चले चलो. टैक्सी, कार, अपना चाहे किराया का, सबमें भर-भर कर गया लोग-बाग. कोनो राजनैतिक रैली टाइप का दिरिस देखाई दे रहा था. एक-एक गाड़ी में जेतना आदमी समा सकता था, समा गया अऊर अपना हाजिरी लगा आया.



वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं अगली वार्ता में, एक शार्ट ब्रेक के बाद................

4 टिप्पणियाँ:

संक्षिप्त और सटीक वार्ता की तारीफ के लिए, शब्द नहीं हें |आभार मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए |
आशा

achhe link hei ...devi ke nav din aesi hi sthati har mandir mei hoti hei ...

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