आप कभी किसी से नाराज़ हुए हुआ ही होगा आपके साथ ऐसा कई बार होता है किसी से नाराज़ हो जाते हैं हम लोग किंतु कुछ लोग जो दुनिया को उल्टे होकर देखते हैं वाक़ई किसी न किसी से नाराज़ रहते हैं. कुछ लोग मुझसे नाराज़ हैं. कुछ आपसे कुछ खुद की ज़िंदगी से. होना भी जायज़ है उनका किसी न किसी से नाराज़ अरे जब सरो पा कुण्ठाएं और विद्रूपताएं भरीं हों तो क्या वे दुनियां में खुश रह सकतें हैं.. कतई नहीं. यदि इस दशहरे आप ने नकारात्मक्ता का रावण न जलाया हो जला दीजिये अभी भी कहीं भी और शुरु कर दीजिये एक "नई नवेली ज़िंदगी :हंसती हंसाती ज़िन्दगी" यानी राजीव तनेजा की मानिंद "हंसते-रहो"
पूजा के ब्लाग पर एक गज़ब का चित्र चस्पा है पूजा जी ने अपने ब्लाग पर ताला जड़ दिया है किंतु हमको मालूम है कि किस तरीके से "प्रिंट-स्क्रीन" बटन से स्नैप-शाट लेकर किसी पाठ्य-सामग्री को भी फोटो में बदला जा सकता है. ................... | |||
1 | कृष्ण लीला ………भाग 17 | उत्तम | |
2 | अपने राम खाली पीली घर में | ||
3 | खास तो है यहां | ||
4 | केक तैयार है बधाईयां लीजिये | ||
5 | वाक़ई आत्मिक-श्रद्धांजलि | ||
6 | जी रहा है हरेक यहां | ||
7 | बेहतरीन स्मृति | ||
8 | लगता नहीं कि आलसी का है | ||
9 | मेरी आंखें भर आंईं | ||
10 | वाह हनमे भी एक रवाना करवाया है | ||
| एक ईमानदार सरकार का सवाल है बाबा | ||
| मीडिया खुद मुठभेड़ कर रहा इस पर भी तो विचार करो भैया जी | ||
13 | जी मौका नहीं मिला | ||
14 | विनत भावांजलियां | ||
15 | अब आप हो तो क्या फ़िक़र | ||
16 | इस बार नहीं हुए | ||
17 | कहीं कहीं दिलों की भी | ||
18 | पास भेजणे वाले थे न क्या हुआ | ||
19 | दुनिया एक रंगमंच है ..............केवल राम जी के आलेख के बात मेरे मन की ब्लाग पर नज़र पड़ी जहां "आखिर क्यों" कविता ने मन मोहा _________________________________ एक ब्लाग "कार्बेट-न्यूज़"इन दिनों खासा लोक-प्रिय हो रहा है खासियत वही विषयाधारित ब्लागिंग.. आज़ की पोस्ट "पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण में पत्रकार समेत सात को कंजर्वेशन हीरो का सम्मान "खास तौर से देखने जोग है. | दौनों पोस्ट अपनी तरह की अनूठी पोस्ट हैं इन तक जाएं अवश्य. मित्रो आपको बतादूं कि यदी आप किसी ब्लाग की तलाश में है तो इस पर क्लिक ज़रूर कीजिये शायद मिल जाए वो इधर | |
शिखा वार्ष्णेय की कविता | बडीं मनचली हैं तुम्हारी ये नादान आँखें जरा मूँदी नहीं कि झट कोई नया सपना देख लेंगी. इनका तो कुछ नहीं जाता हमें जुट जाना पड़ता है उनकी तामील में करना पड़ता है औवर टाइम . अपने दिल और दिमाग की इस शिकायत पर आज रात खुली आँखों मे गुजार दी है मैने. न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी. |
4 टिप्पणियाँ:
कमाल की वार्ता लिखी है दादा, मजा आ गया और शीर्षक भी धांसू है।
behatarin varta ...maja aaya ..
aapka tahe dil se sukriya sir
बहुत सुन्दर उत्कृष्ट रचना| धन्यवाद|
यहाँ नयी-पुरानी हलचल की चर्चा देख कर बहुत अच्छा लगा सर!
सादर
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