आप सबों को संगीता पुरी का नमस्कार , दीपों का त्यौहार दीपावली आने को है , इस त्योहार पर रंगोली और घरौंदा बनाए जाने की परम्परा सदियों पुरानी है। एक नजर डालिए , ब्लॉग जगत में रंगोली के कितने सारे रंग बिखरे हुए हैं , .......
मनुष्य जन्मतः कलाकार है ! मानव विकास के साथ कलाओं का विकास जुड़ा हुआ है ! कलाएं मानव जाति के इतिहास, पुराण, सभ्यता, संस्कृति, उत्थान-पतन का भी दस्तावेज है ! उसकी निजी जीवन के सुख-दुःख, जय-पराजय, की भी साक्षी है ! वात्स्यायन ने चित्रकला को श्रेष्ठ कलाओं में माना है ! अक्षरो के आविष्कार का श्रेय भी चित्रकला को जाता है ! आदि मानव चित्रों के माध्यम से ही चिंतन भी किया करते थे ! मनुष्य में भूमि के प्रति अनन्य निष्ठां रही है ! समस्त प्राचीन संस्कृतियों में किसी ना किसी रूप में मातृदेवी अथवा भूदेवी की पूजा का विधान रहा है ! आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
रंगोली बनाना एक तरह से दीपावली में फर्श सजाने का परम्परागत रिवाज है , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
यूँ तो दिवाली कब की जा चुकी, लेकिन उसकी खुमारी अभी तक बरकरार है. पिछले दिनों यूँ ही शाम घर से लोनावला घूमने निकल गए. घूमते घूमते वहां के टाऊन हाल जा पहुंचे जहाँ रंगोली स्पर्धा का बोर्ड लगा हुआ था. रंगोली आप समझते हैं न अरे वोही जिसे बंगाल में 'अल्पना' , बिहार में 'अरिपना, राजस्थान में 'मांडना', गुजरात, महाराष्ट्र और कर्णाटक में 'रंगोली' , उत्तर प्रदेश में 'चौक पुराना' केरल और तमिल नाडू में 'कोलम' और आन्ध्र प्रदेश में 'मुग्गु' के नाम से पुकारा जाता है. जिसमें गुलाल, रंगीन मिटटी, संगमरमर के रंगीन चूरे के मिश्रण से फर्श पर चित्रकारी की जाती है .ये प्रथा बहुत पुरानी है , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
द्वार पर सत्कार का , इजहार रंगोली
उत्सवी माहौल का , अभिसार रंगोली
खुशियाँ हुलास और , हाथो का हुनर हैं
मन का है प्रतिबिम्ब , श्रंगार रंगोली
धरती पे उतारी है , आसमान से रंगत
है आसुरी वृत्ति का , प्रतिकार रंगोली
लड़कियों ने घर की , हिल मिल है सजाई
रौनक है मुस्कान है , मंगल है रंगोली
रंगोली बनाना एक तरह से दीपावली में फर्श सजाने का परम्परागत रिवाज है , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
यूँ तो दिवाली कब की जा चुकी, लेकिन उसकी खुमारी अभी तक बरकरार है. पिछले दिनों यूँ ही शाम घर से लोनावला घूमने निकल गए. घूमते घूमते वहां के टाऊन हाल जा पहुंचे जहाँ रंगोली स्पर्धा का बोर्ड लगा हुआ था. रंगोली आप समझते हैं न अरे वोही जिसे बंगाल में 'अल्पना' , बिहार में 'अरिपना, राजस्थान में 'मांडना', गुजरात, महाराष्ट्र और कर्णाटक में 'रंगोली' , उत्तर प्रदेश में 'चौक पुराना' केरल और तमिल नाडू में 'कोलम' और आन्ध्र प्रदेश में 'मुग्गु' के नाम से पुकारा जाता है. जिसमें गुलाल, रंगीन मिटटी, संगमरमर के रंगीन चूरे के मिश्रण से फर्श पर चित्रकारी की जाती है .ये प्रथा बहुत पुरानी है , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
द्वार पर सत्कार का , इजहार रंगोली
उत्सवी माहौल का , अभिसार रंगोली
खुशियाँ हुलास और , हाथो का हुनर हैं
मन का है प्रतिबिम्ब , श्रंगार रंगोली
धरती पे उतारी है , आसमान से रंगत
है आसुरी वृत्ति का , प्रतिकार रंगोली
लड़कियों ने घर की , हिल मिल है सजाई
रौनक है मुस्कान है , मंगल है रंगोली
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मुझे सिर्फ बातें बनाना ही नही और भी बहुत कुछ आता है.:)
ये देखिये, मैने और मेरी बेटी ने मिलकर रंगोली बनाई,
बताएँगे जरा, क्या आपको पसँद आई?
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इस रंगोली का भी जबाब नहीं , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!....
त्योहारों पर, विशेष अवसरों पर या किसी उत्सव में घर के द्वार पर रंगोली सजाने की परंपरा है। कई महाराष्ट्रीयन परिवारों में रोजाना रंगोली सजाना नियम में शुमार है। कहते हैं यह घर में देवताओं और खासतौर पर लक्ष्मी के स्वागत में सजाई जाती है। एक सवाल हमेशा मन में कौंधता है कि क्या लक्ष्मी या देवता आदि हमेशा ही दरवाजे से ही प्रवेश करते हैं, वे तो सर्वशक्तिमान होते हैं सो उन्हें आम लोगों की तरह दरवाजे से आने की क्या आवश्यकता है।दरअसल यह प्रतीकात्मक है। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक तथ्य और दार्शनिक जवाब छिपे हैं। आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
हमारे देश के करीब करीब सभी प्रान्तों में रंगोली बनायी जाती है. बस इसे बनाने के तरीके और नाम अलग होते हैं..बंगाल में चावल को पीसकर उसके घोल से सुन्दर आकृतियाँ बनाए जाती हैं,जिनमे शंख, मछली, कलश आदि प्रमुख होते हैं और इसे अल्पना कहा जाता है .केरल में फूलों से रंगोली बनायी जाती है और इसे पूकल्लम कहते हैं. जिन प्रदेशों में रंगोली की प्रथा नहीं थी , वहाँ भी अब टी.वी. वगैरह में देख, लोगों ने बनाने शुरू कर दिए हैं , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
दरवाजों के चौखटों को और लकड़ी के खम्बों को सुन्दर पीले, लाल और सफ़ेद रंगों से क्रमशः हल्दी, रोली और आटे के बिंदियो से सजाते ( बिर्याते ) हैं | दरवाजे के दोनों कोनों पर थोडा सा गोबर लगा कर उसे रंगों से बिर्याते है और जौ से सजाते है व दरवाजे और पूजा घर को फूल मालाओं से सजाते है |दिन में लडकियां और महिलाएं घर की सजावट में गेरू से रंग कर, पिसे चावल से रंगोली सजाते है | रंगीन मिट्टी भी कहीं कहीं पर इस्तेमाल करते है | या फूलों की रंगोली भी | और लक्ष्मी के पैरों के निशान घर के बाहर से भीतर जाते पूजाघर या अनाजघर तक जाते हुवे अंकित करते हैं , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
कैसे बनाएं रंगोली :-
सबसे पहले रंगोली के डिजाईन का चयन कर लें |यह डिजाईन आपको आराम से किताबों और मैगजीन से मिल जायेंगे |फर्श पर डिजाईन बनाने से पहले फर्श को गीले कपडे से साफ़ कर ले और इसके अच्छी तरह सूखने के बाद ही रंगोली बनाना शुरू करें|अब चौक की मदद से फर्श पर रंगोली का डिजाईन बना लें |अब चुटकी में अलग-अलग रंग ले कर खाली भागो में भरते जाइये , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
पिछले दिनों दीपावली और एकादशी पर घर गया घरनी के साथ ........कुछ चित्र लायें हैं ! इसलिए यहाँ चेप रहे हैं ताकि यह विस्मृतियों के वियाबान में कहीं खो न जायं ! कुछ और चित्र फिर कभी !
बेटी प्रियेषा ने बनायी जगमग रंगोली , आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
आज
मैंने लिख डाली
है अपनी कहानी ,
तेरे लिए
ओ मेरी हमजोली ,
बनायीं है
देखो कैसी रंगोली !
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प्रातः काल में मैं सजाऊँ आँगन मे रांगोली I
रंगोली सजाते देख मुझे , मेरी सखियाँ बोली ,
आने वाला है क्या सैय्याँ लेने तेरी डोली ?
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मैंने भी सुरक्षा व्यवस्था का पूरा सम्मान किया.. और रंगोली को दीपावली के दिन रहने दिया... लेकिन अगले दिन सुबह सुरक्षा में ढील हुई.. और मैंने भी रंगोली बनाने की कोशिश की., आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
मेरी भानजी ( मुमताज और श्री टी एच खान की छोटी बेटी) युशरा ख़ान ने अपने विद्यालय की रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है । अवलोकन करके आप भी अपनी प्रतिक्रिया दीजिएगा ,आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
मैंने भी सुरक्षा व्यवस्था का पूरा सम्मान किया.. और रंगोली को दीपावली के दिन रहने दिया... लेकिन अगले दिन सुबह सुरक्षा में ढील हुई.. और मैंने भी रंगोली बनाने की कोशिश की., आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
मेरी भानजी ( मुमताज और श्री टी एच खान की छोटी बेटी) युशरा ख़ान ने अपने विद्यालय की रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है । अवलोकन करके आप भी अपनी प्रतिक्रिया दीजिएगा ,आगे पढने के लिए नीचे चित्र पर चटका लगाएं !!
आज बस इतना ही , मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .....
Posted in: ब्लॉग4वार्ता,संगीता पुरी
5 टिप्पणियाँ:
वाह एक से बढकर एक रंगोली हैं। रंगोली मय वार्ता के लिए आभार
बहुत सुन्दर रंगोली। आभार।
बहुत सुन्दर-सुन्दर रंगोलियों से भरी सुन्दर सी वार्ता... वैसे तो महाराष्ट्र में साल भर रंगोली सजाने की प्रथा है लेकिन दिवाली के समय तो इनका रंग और खूबसूरती देखने लायक होती है... बहुत सुन्दर मनभावन वार्ता...
बहुत सुन्दर रंगोलीमयी वार्ता।
वाह बहुत बहुत सुन्दर रंगोली भी और वार्ता भी.
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