कल वार्ता यानी पांच शतक वाली चर्चा के बाद मेरे दिमाग में बरसों से बसे सवाल का उत्तर देती एक पोस्ट मैने लिखी कि "क्योंमारा राम ने रावण को ?
एक था रावण बहुत बड़ा प्रतापी यशस्वी राज़ा, विश्व को ही नहीं अन्य ग्रहों तक विस्तारित उसका साम्राज्य वयं-रक्षाम का उदघोष करता आचार्य चतुरसेन शास्त्री के ज़रिये जाना था रावण के पराक्रम को. उसकी साम्राज्य व्यवस्था को. ये अलग बात है कि उन दिनों मुझमें उतनी सियासी व्यवस्था की समझ न थी. पर क्या वज़ह थी कि राम ने रावण को मारा ? इस सवाल ने मुझे बरसों से हलाकान किया था आज उसका उत्तर खोजा मैने "यहां मिलेगा उत्तर"
आज़ एक पुरानी पोस्ट पढ़ी जो वाक़ई पढ़ने जोग है "सम्राट विक्रमादित्य का साम्राज्य अरब तक था."
भूभल - काका के कराहने की आवाज के साथ मोटर साईकिल स्टार्ट होकर घीरे-घीरे उसकी आवाज दूर जाती सुनी बच्चों ने। वे आवाज की दिशा की तरफ दौड़ पड़े थे। नर्सरी के पीछे बांउड्री के कांटेदार तारों के पास काका जमीन पर पड़े कराह रहे थे। उनके माथे से खून निकल रहा था। बच्चे घबरा गए...।
‘‘काका...काका...ओ काका....।’’
‘‘वो...वो...वो...स...र...ला...।’’ काका ने सड़क के दूसरी ओर हाथ उठाकर किसी तरह कहा और बेहोश हो गए । बच्चों ने उस ओर देखा, कांटेदार तारों के उस पार सड़क पर सरला......।
कंचन और इंदु दौड़कर सरला की तरफ गए....। वह पीठ के बल पड़ी थी । उसके सिर के पिछले भाग की तरफ ढेर सारा खून बहकर जमीन पर फैला हुआ था... । उसका स्कर्ट एक तरफ पड़ा था।
भूभल - काका के कराहने की आवाज के साथ मोटर साईकिल स्टार्ट होकर घीरे-घीरे उसकी आवाज दूर जाती सुनी बच्चों ने। वे आवाज की दिशा की तरफ दौड़ पड़े थे। नर्सरी के पीछे बांउड्री के कांटेदार तारों के पास काका जमीन पर पड़े कराह रहे थे। उनके माथे से खून निकल रहा था। बच्चे घबरा गए...।
‘‘काका...काका...ओ काका....।’’
‘‘वो...वो...वो...स...र...ला...।’’ काका ने सड़क के दूसरी ओर हाथ उठाकर किसी तरह कहा और बेहोश हो गए । बच्चों ने उस ओर देखा, कांटेदार तारों के उस पार सड़क पर सरला......।
कंचन और इंदु दौड़कर सरला की तरफ गए....। वह पीठ के बल पड़ी थी । उसके सिर के पिछले भाग की तरफ ढेर सारा खून बहकर जमीन पर फैला हुआ था... । उसका स्कर्ट एक तरफ पड़ा था।
अधजला रावण सफदरजंग अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती : चिकित्सा जारी है - अभी अभी खबर मिली है कि एक रावण के पूरी तरह न जल पाने के कारण उसें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के बर्न वार्ड में भरती कराया गया है, जहां
विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं- *विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं * ड्यूटी से घर आते ही हम अख़बार पे नज़र दौड़ाये अटकी नज़र हेडिंग पर; "मासूम जिंदगी पर छाये दशानन के साये"
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कृष्ण कुमार यादव का आलेख - दशहरे पर रावण की पूजा - दशहरा पर्व भारतीय संस्कृति में सबसे ज्यादा बेसब्री के साथ इंतजार किये जाने वाला त्यौहार है। दशहरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द संयोजन 'दश' व 'हरा'...
व्रत - उपवास और कमजोरी .....उफ्फ्फ - *साथियों नवरात्रियाँ चल रही हैं | एक तो धार्मिक वजह से दूसरे वजन कम करने के लिए मैंने भी व्रत ले रखे हैं | नौ दिन के व्रत शुरु
तो 'कुमाता' ही कही जाऊँगी -आज भी - मैं घूम रही हूँ अनवरत ... रक्तदंतिका को साथ लिए रक्तबीज के रक्त का प्रभाव निरंतर है आज भी
स्वप्न, परी और प्रेम. - *नादान आँखें.* बडीं मनचली हैं तुम्हारी ये नादान आँखें जरा मूँदी नहीं कि झट कोई नया सपना देख लेंगी. इनका तो कुछ नहीं जाता हमें जुट जाना पड़ता है
अश्रु आहड़ -मैं ही शायद तुम्हें नहीं समझ पायी. तुमने तो पहले ही दिन मुझे अश्रु आहड़ भेंट किया था, प्रणय निवेदन से अब तक सतत भरती आई हूँ
बेटी बचाओ अभियान :विधान सभा अध्यक्ष श्री रोहाणी ने चेतना रथ रवाना किया विधायक शरद जैन ने केंद्रीय कारागार जाकर बंदिनियों की बेटियों के पैर पूजे - विधानसभा अध्यक्ष श्री रोहाणी ने किया बेटी बचाओ अभियान का शुभारंभजबलपुर, 5 अक्टूबर, 2011 जनसमुदाय की सक्रिय भागीदारी से चलाये जाने वाले
बिज्जी हमारे लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं से बढ़कर हैं - राजस्थान के कुछ ही साहित्यकार हैं जिन्हें मैं पढ़ती हूं, बल्कि यूं कहूं पढ़ती नहीं सीधे दिल से पढ़ती हूं क्योंकि उनकी कहानियों में वो बात है जो आपको बांधे
इनकी उनकी नाक कटन्ना, उनने इनकी नार हरन्ना - रावण दुबला नजर आ रहा है। पिछले साल तो अच्छा मोटा तगड़ा था। रमेसर ने कहा कि- "26 रुपया में तो रावण इतना ही मोटा होगा। अगर अधिक मोटा और बड़ा करना है तो आलुवाले से बात करो, कुछ गरीबी रेखा की राशि बढे तो इसका भी खर्चा चले।" माहौल कुछ शांत होने पर चचा भी घर से चले आए। तो उनसे पता चला कि रावण बनाने के लिए उन्हे 1500 रुपए दिए थे कमेटी वालों ने। एक बार तो गाय रावण के 4 सर फ़ोड़ गयी और दुसरी बार उसका पैजामा खा गयी।
इनकी उनकी नाक कटन्ना, उनने इनकी नार हरन्ना - रावण दुबला नजर आ रहा है। पिछले साल तो अच्छा मोटा तगड़ा था। रमेसर ने कहा कि- "26 रुपया में तो रावण इतना ही मोटा होगा। अगर अधिक मोटा और बड़ा करना है तो आलुवाले से बात करो, कुछ गरीबी रेखा की राशि बढे तो इसका भी खर्चा चले।" माहौल कुछ शांत होने पर चचा भी घर से चले आए। तो उनसे पता चला कि रावण बनाने के लिए उन्हे 1500 रुपए दिए थे कमेटी वालों ने। एक बार तो गाय रावण के 4 सर फ़ोड़ गयी और दुसरी बार उसका पैजामा खा गयी।
अब मुझे इज़ाज़त दीजिये
कल होगी मुलाक़ात यहीं वार्ता
पर
4 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर वार्ता संजोई है। बधाई।
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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एक यादगार सम्मेलन...
...तीन साल में चार गुनी वृद्धि।
दशहरा विशेषांक ..अच्छा रहा.
बहुत सुंदर वार्ता...
सुंदर वार्ता.
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