शनिवार, 13 अगस्त 2011

सभी पाठकों को रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं .....ब्‍लॉग4वार्ता ....ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, श्रावणी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाले रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहनों को एक दुसरे की याद दिला ही देता है। भाई -बहन के निश्छल प्रेम का अनूठा त्यौहार है. सूनी कलाईयां और राखियाँ एक दूसरे की बाट जोहती हैं . इस पर्व को मनाये जाने की अनगिनत कहानियां हैं .कहते हैं कि सर्वप्रथम शिशुपाल के वध के समय कृष्ण की अँगुलियों से बहे रक्त को रोकने के लिए द्रौपदी ने अपने चीर का एक टुकड़ा फाड़ कर कृष्ण को बाँध दिया था. उसी दिन श्रावण पूर्णिमा होने के कारण यह दिन रक्षाबंधन के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा . वहीं इतिहास में रानी कर्णवती द्वारा मुग़ल शासक  हुमायूं  को राखी बांधे जाने का जिक्र भी है . सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के शत्रु राजा पुरु को राखी बाँध कर सिकंदर को युद्ध में ना मारने का वचन लिया था . राखी सिर्फ भाई ही नहीं देवमूर्तियों, वृक्षों , पंडितों द्वारा यजमानों को भी बांधी जाती है. राजस्थान में राखियाँ सिर्फ भाइयो को ही नहीं अपितु भाभी को भी विशेष लटकन वाली राखी " लुम्बा " बांधी जाती है . 

सावन तूने निराश किया तो क्या हुआ, रक्षा बंधन का पर्व खुशियाँ लेकर आया है। राखी के छंद पढिए, गुनगुनाईए, राखी मनाईए।


आया राखी का त्यौहार, लाया हर्ष भी अपार 
छाई है बहार, धरा, सौरभ उड़ात है. 

खुशियों का खलिहान, छूने लगा आसमान 
बादलों में भीगा गान, अम्बर सुनात है. 

थाली भी सजाये रखे, राखियाँ मंगाए रखे, 
बहना की अंखियों में, प्यार मुस्कात है. 

भाई बड़ा भाग वाला, हाथों अपने निवाला,
बहना खिलात जाय, ह्रदय जुडात है.

बिसात-ए-दिल भी अजीब है -घोड़ों के कानों में कहूँगा कि खेल से लौटते ही उन्हें अस्तबल में नहीं बांधूंगा. हाकिम के ओरण में छोड़ दूंगा, जहाँ वे हिनहिना सकेंगे किसी अन्दर की बात पर. ऊँटों को दूंगा प्रलोभन कि इस बार शीत ऋतु में सारी यात्रायें स्थगित कर दी जाएगी. वे अपने लटके हुए होठों के बीच से अपनी गलफाड़ से ब्ला बल बल की आवाज़ निकालते हुए ख़ुद को घोषित कर सकेंगे रेगिस्तान का पिता. हाथी हालाँकि अपने मृत प्रियजनों की स्मृतियों में है. वे बची हुई हड्डियाँ टटोलते हुए संवेदनाएं व्यक्त करते, दुश्मन को ढहा देने के विचार से भरे हैं. लेकिन उनको भी मना ही लूँगा कि मेरे पास कुछ छलावे के जंगल हैं. उनमें मैंने सच्चाई के पेड़ों पर झूठ की कलमें रोप रखी हैं, वहां सच धरती को थाम के रखता है और झूठ फलता फूलता जाता है।

अतीत का आध्यात्मिक सफ़र -हम दतिया पहुंचे तो दिन के करीब सवा बज चुके थे। ट्रेन बिलकुल सही समय से थी, लेकिन भूख से हालत खराब होने लगी थी। चूंकि सुबह पांच बजे ही घर से निकले थे। चाय के अलावा और कुछ भी नहीं ले सके थे। ट्रेन में भी सिर्फ एक कप चाय ही पी। उतर कर चारों तरफ नज़र दौड़ाई तो लंबे प्लैटफॉर्म वाले इस छोटे स्टेशन पर सिर्फ़ ताज एक्सप्रेस से उतरा समूह ही दिख रहा था। जहां हम उतरे उस प्लैटफॉर्म के बिलकुल बगल में ही टैंपुओं का झुंड खड़ा था। इनमें प्राय: सभी पीतांबरा पीठ की ओर ही जा रहे थे। तेज सिंह ने एक टैंपू ख़ाली देखकर उससे पूछा तो मालूम हुआ कि सि$र्फ पांच सवारियां लेकर नहीं जाएगा। पूरे 11 होंगे तब चलेगा। तय हुआ कि कोई दूसरी देखेंगे। पर जब तक दूसरी देखते वह भर कर चल चुका था।

खुद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के ख़ुदा (नेता) कहने वालो ने लोकतंत्र (आवाम की आत्मा) हत्या कर दी और अब वो पोस्टमार्टम भी नहीं करवाना चाहते। उन्हे हर उस बात से डरते है जो संवेदनशील है। वो जनता की संवेदना का ही कत्ल करना चाहते है ताकि जनता प्रजा नामक सूअर बनकर रोज रोजी-रोटी में जीते रहे और चुनाव के बाद वोटो की माला पहनाकर उसी सूअर की बलि दे दी जाती है।  वो SEX-Edu पर बात नहीं करते, समलैंगिकता पर बहस से बचते है, 84 की दिल्ली और 03 के गुजरात पर आम-राय नहीं बनाते और आरक्षण-अनशन पर उनके अल्फाज़ों का ही अंत हो जाता है।चाँदीपुर समुद्र तट भाग 1 : डूबता सूरज..समुद्र में बदते कदम और वो यादगार शाम... - चाँदीपुर ओडीसा का एक बेहद खूबसूरत समुद्र तट है। दशकों पहले एक बार यहाँ जाना हुआ था और उस यात्रा में समुद्र के रातों रात गायब होने और फिर सुबह में वापस अवतर...

बुखार में प्रेम कवितायें - वैसे तो सबसे कम झमेला इस बात में है कि बीमार हुआ ही न जाये.. लेकिन इस कम्बख़्त वायरस का क्या करें , लाख बचना चाहा लेकिन बुखार आ ही गया ... और बुखार के साथ य...  एक अधूरा प्रेम पत्र - उसने एक बार फिर से कोशिश की कि वह आपस आ जाए। उसने अपना लैपटॉप ऑन किया और कुछ लिखने लगा। वह क्या लिख रहा है, उसे भी नहीं पता। शुरूआत कुछ यूं की.. *प्रिय गीत... सड़कें लालटेन की :: - * * *सड़कें लालटेन की ::* लालटेनों की भक-भक करती रोशनी और फ़ैल गया है उसकी आँखों का काजल गाँव की नदी के पुल के पार मीठे आंसुओं की पतली धार
 मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ... तबतक के लिए राम राम !!

.

14 टिप्पणियाँ:

रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !

अच्छी रही यह वार्ता भी ...बेहतर लिंक्स का संकलन किया है ...आपका आभार

बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
स्वतन्त्रतादिवस की भी बधाई हो!

ब्लॉग वार्ता टीम को रक्षाबंधन की सादर शुभकामनाएं...
आभार ...

रक्षाबंधन की शुभकामनाएं। छन्‍द बहुत ही पसन्‍द आए।

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.

sundarta liye suhane sapnile akhyan achhe hain ..../ mubarakbad apko ../

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं..

थाली भी सजाये रखे, राखियाँ मंगाए रखे,
बहना की अंखियों में, प्यार मुस्कात है.

भाई बड़ा भाग वाला, हाथों अपने निवाला,
बहना खिलात जाय, ह्रदय जुडात है.
रक्षाबंधन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें

रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ...

रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

खूब....बहुत ही उम्दा वार्ता...

स्वंतत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें.

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More