ललित शर्मा का नमस्कार, आज कुशल कूटनीतिज्ञ योगेश्वर श्री किसन जी का जन्मदिवस जन्माष्टमी है, किसन जी ने पाण्डवों का साथ देकर कौरवों के कुशासन का अंत किया था। इतिहास गवाह है कि जब जब कुशासन के प्रजा त्राहि त्राहि करती है तब कोई एक नेतृत्व उभरता है और अत्याचार से मुक्ति दिलाता है। आज इतिहास अपने को फ़िर दोहरा रहा है। एक और अन्ना किसन (बाबु राव हजारे) भ्रष्ट्राचार के खात्मे के लिए कौरवों के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है। आम आदमी लोकपाल को नहीं जानता पर, भ्रष्ट्राचार शब्द से अच्छी तरह परिचित है। उसे भ्रष्ट्राचार से मुक्ति चाहिए, इसलिए सड़क पर आ चुका है। आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई। अब चलते हैं आज की ब्लॉग 4 वार्ता पर ........
शुरुवात करते हैं पत्रकार-अख्तर खान "अकेला" जी की पोस्ट हाँ में भारत की संसद हूँ ..मुझे शर्म आती है से। इनका कहना है कि--हाँ में भारत की संसद हूँ .मुझे मेरी करतूतों पर कई बार शर्म आती है और इन दिनों तो में खुद अपनी करतूतों से शर्मसार हूँ .....मुझे मेरे देश मेरे भारत के लोगों ने उनकी हिफाजत ,सुरक्षा और कल्याण के लियें योजना बनाने के लिए चुना है ..मुझे गरीबी और भ्रष्टाचार दूर करने के लियें बनाया गया है लेकिन में इन सभी मामलों में नाकामयाब रही हूँ .मेरे ५४४ सदस्य है जो कभी भी किसी भी सेशन में कार्यकाल में उपस्थित नहीं रहे हैं ..जब भी किसी बिल को पास कराने या चर्चा के लियें मुझे इन लोगों की जरूरत पढ़ी तब यह लोग गायब मिले हैं। आगे पढें
संजीव शर्मा जी कह रहे हैं - तो क्या अब इंसान बनाएगा ‘रेडीमेड’ और ‘डिजाइनर’ बच्चे...!भविष्य में इंसान यदि अपने आपको भगवान घोषित कर दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि उसने अपनी नई और अनूठी खोजों से भगवान की सत्ता को ही सीधी चुनौती दे दी है.किराए की कोख और परखनली शिशु(टेस्ट ट्यूब बेबी) के बाद अब तो वैज्ञानिकों ने बच्चे के आकार-प्रकार में भी परिवर्तन करना शुरू कर दिया है.इसका मतलब है कि अब हर बैठे डिजाइनर और रेडीमेड बच्चे पैदा किया सकेंगे.इसीतरह अपने परिवार के किसी खास सदस्य को भी फिर से बच्चे के रूप में पैदा किया जा सकेगा। आगे पढें
अशोक बजाज जी की पोस्ट है रेडियो से संस्कृति में विकृति नहीं आती। भाटापारा में 20 अगस्त 2011 को श्रोता दिवस के अवसर पर आयोजित रेडियो श्रोता सम्मेलन में अपार भीड़ उमड़ी .प्रदेश के कोने कोने से रेडियो श्रोताओं ने इस सम्मलेन में भाग लिया . बड़ी संख्या में आकाशवाणी के एनाउंसर भी उपस्थित थे . कार्यक्रम में मै स्वयं मुख्य अतिथि की हैसियत से तथा भाटापारा के पूर्व विधायक श्री शिवरतन शर्मा अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे . इस अवसर पर वरिष्ठ रेडियो श्रोता बचकामल का विशेष रूप से सम्मान किया गया , इसके आलावा प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गायक शेख हुसैन तथा गायिका रीना वैष्णव भी सम्मानित हुए। आगे पढें
हबीब भाई गीत के माध्यम से आह्वान कर रहे हैं शाम ना होने देना साथी
आज इस सहर की शाम ना होने देना साथी...
बहुत किये समझौते हमने,
आशाओं को सूली दी..
कदम कदम पर सपने मारे,
अपने, उन्हें वसूली दी..
आज उठाया है सर अपना,
स्वाभिमान फिर पाने को..
कदम रुके मत, साहस ना खोने देना साथी....
आज इस सहर की शाम ना होने देना साथी... आगे पढें
विजय गौड़ जी रचना आजादी के मायने, साहित्य और यथार्थ पर लिखे गये हावर्ड फास्ट के निबंध के हवाले से कहा जा सकता है, ''अगर यथार्थ की प्रकृति तात्कालिक और स्पष्ट समझ में आने वाली होती तो जीवन के प्रति सहज बोधपरक और अचेतन दृषिट रखने वाले लेखकों का आधार मजबूत होता।"हावर्ड फास्ट का उपरोक्त कथन लेखकीय दृषिटकोण की पड़ताल करते हुए कुछ जरूरी सवाल उठाता है लेकिन आजादी की कल्पनाओं में डूबी देश की उस महान जनता के सपनों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, जो 1947 के आरमिभक दौर में आजादी के तात्कालिक स्वरूप को स्पष्ट तरह से पूरा देख पाने में बेशक असमर्थ रही। आगे पढें
सुनिए एक रचना हरिवंशराय बच्चन जी की, आप किनके साथ है ? --- आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी पर ढेरों शुभकामनायें !हे कृष्ण ! तू याद बहुत आता है, तू याद हमें आता है ! जब नभ पर बादल छाये हों, वन से लौट रही गाएँ हों दूर कहीं वंशी बजती हो, पग में पायलिया बजती हो मोर नाचते हों कुंजों में, खिले कदम्ब निकुंजों में तू चितचोर ह...हम विरोध जरूर करते हैं, पर देखभाल करविरोध करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है फिर भले ही वह किसी अच्छे काम के लिए ही क्यों ना किया जा रहा हो। हमारी परंपरा रही है कि हम विरोध जरूर करते हैं, पर देखभाल कर, हर तरफ से निश्चिंत हो कर, सामने वाले को तौ...
गोदियाल जी कह रहे हैं-- *स्वपन भी क्या अनोखी * ** *सौगात है कुदरत की,* ** *इन्सान कुछ पल के लिये ही सही, * ** *किन्तु हर असम्भव को भी * ** *सम्भव कर डालता है इसमे !* ** *अन्ना, तुम भी एक स्वपन हो, * ** *एक सुहाना... -- भारतीय नारी पर पढिए-स्त्री का उद्घोष ! कोमल नहीं हैं कर मेरे; न कोमल कलाई है; दिल नहीं है मोम का प्रस्तर की कड़ाई है. *********************** नहीं हैं झील सी ऑंखें; हैं इनमे खून का दरिया; मै हूँ मजबूत इर...कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है तानाशाही-अत्याचार?कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है तानाशाही-अत्याचार??? चार जमा कर स्विस में बैठे भूखे मरें हजार ................. ---------- चक्की में जो पिसे लोग हैं अब चक्की पर चढ़ बैठे !आगे पढिए कन्हैया ..........
वार्ता को देते हैं विराम, आप सभी को जन्माष्टमी की पुन: हार्दिक शुभकामनाएं।..............
वार्ता को देते हैं विराम, आप सभी को जन्माष्टमी की पुन: हार्दिक शुभकामनाएं।..............
10 टिप्पणियाँ:
jai ho
adabhut vartaa mitr
बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित उम्दा चर्चा
'उन्मना' से मेरी माँ की कविता 'कन्हैया' का चयन करने के लिये आपका धन्यवाद ! दिन भर के लिये वार्ता के माध्यम से अच्छी खुराक दी है आपने ! जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर वार्ता
बढ़िया लिंक्स ,सुन्दर वार्ता .
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
सुन्दर वार्ता...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...
अच्छे लिंक्स .. बढिया वार्ता ..
जन्माष्टमी की शुभकामनाएं !!
सुन्दर वार्ता।
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
बढ़िया लिनक, सुन्दर चर्चा...
ब्लॉग वार्ता की टीम और सभी पाठकों को जन्माष्टमी की सादर बधाईयां....
बढ़िया लिंक्स ...
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