नमस्कार, श्रावण मास का अंतिम सोमवार है, शिव भक्ति जोरों से चल रही है। सड़कों पर कांवरिए कतार बद्ध बोल बम का नारा लगा रहे हैं और श्रद्धालु भंडारा सेवा कर रहे हैं। ब्लॉग चर्चा में पढिए सपनों का महल - हवा महल आकासबानी पटना का इस्टूडडियो नंबर पाँच. दरवाजा के ऊपर लाल बत्ती जल रहा है, माने अंदर रिकॉर्डिंग चालू है. तब झांककर सीसा से देखते थे कंट्रोल रूम से. पुष्पा दी नाटक रिकॉर्ड कर रही होती थीं अउर उधर सत्या सहगल और सतीस आनंद संबाद बोल रहे होते थे. आस्चर्ज होता था कि कैसे खाली अपना आवाज से पूरा का पूरा दिरिस सुनने वाले के सामने रख देते थे ऊ कलाकार लोग. मन मोताबिक एक्स्प्रेसन नहीं होने पर पुष्पा दी का गुस्सा के आगे सीनियर से सीनियर कलाकार जैसे अखिलेश्वर प्रसाद, प्यारे मोहन सहाय, मनोरमा बावा, भगवान साहू, भगवान प्रसाद, रामेश्वर प्र. वर्मा भी कुछ नहीं कह पाते थे.
बूंदों की गागर माँगा नहीं मैंने , ख्वाबों की खुशबू , बिखर जायेंगे वादियों में कहीं -- लिखेंगे हम कैसे , दर्द - ए- फ़साना , कलम खो गयी , फासलों में कहीं-- जख्मों को सी, दर्द फ़ना तो ..."गगन उठा लो"पंचम सुर में जम के गा लो.* *आंसू पी लो गम को खा लो.* *चूभ गए न टूट आँखों में,* *किसने कहा कि सपने पालो.* *तुम तो भूखे प्यासे तड़पो!* *उनकी सेहत भालो - भालो?* *जिनकी नियत ही खोटी है,* *उनसे कहो कि आप विदा ...आरक्षण का डंक !खूब मेहनत से ले आओ सौ में नब्बे अंक, ...
'सिस्टम, खच्चर, उम्र और अक्ल'बात तब की है जब आत्माराम स्नातक के छात्र हुआ करते थे. पढाई में होशियार होने के साथ-साथ वो काफी तीखे मिजाज वाले हुआ करते थे. नई-नई जवानी थी तो जोश भी लबालब रहता था. दुनिया की ऊँच-नीच का होश थोड़ा कम रहता..रहीम फ़हीमः आत्मा को खोजता ध्रुपदमरहूम उस्ताद रहीम फ़हीमुद्दीन डागर को याद कर रहे हैं शिवप्रसाद जोशी रहीम फ़हीमुद्दीन ख़ान डागर नई दिल्ली के एक आलीशान इलाक़े की बरसाती पर रहते थे उन दिनों. साल 1998 था या 99 जब उनसे मुलाक़ात हुई थी. ज़ी न...
आन्दोलन को बदनाम कर दो ....मर जाएगा . कैसे ख़त्म हुआ पंजाब से आतंकवाद ..........कुछ लोग कहते हैं की KPS GILL ने कर दिया ......अबे आतंकवाद न हुआ कोई रसगुल्ला हो गया .....KPS GILL ने उठाया और खा लिया ....लो ख़तम .......बाप का माल है क्या ..........रामप्यारी रो रसालोउन दिनों पुरे राजस्थान और राजस्थान के सभी रजवाड़ों को मराठों ने लूटपाट कर तंग कर रखा था| मेवाड़ भी मराठों से तंग तो था ही ऊपर से वहां गृह कलह भी फ़ैल गया| चुण्डावत और शक्तावतों के बीच आपस ने अनबन चल रही थ...
ब्लाग संसद में सवाल और ब्लाग प्रधान ताऊ महाराज के जवाबब्लाग संसद के चुनाव हो गये और ब्लाग प्रधान ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र की अगुवाई में सरकार नें जनहित में काम काज शुरू कर दिया. अब सरकार कितने ही जनहित के काम करे पर विपक्ष का काम होता है सिर्फ़ विरोध के लिये व...याराना यार का ..... सभी देश वासियों, दोस्तों,ब्लॉग जगत के सभी पाठकों ,ब्लॉग मालिको को मित्रता दिवस की हार्दिक बधाईयां युगों युगों से चलता आ रहा मित्रता शब्द सामने आते ही कृष्ण.सुदामा की दोस्ती एक आदर्श बन जाती है। अर्थ...
तबादला दिन का सबसे बीहड़ समय शुरू हो चुका था। दफ़्तर ख़त्म हो गया था और शांति अपना स्कूटर लिएसड़क के सीने पर सवार थी। हज़ारों और लोग भी सवार थे। सब हाथों में लगाम डाँटे सड़कको अपनी-अपनी ओर खींच रहे थे। किसी ...मेरी बहनआज बैठी हूँ और सोच रहीं हूँ तुझे तुझसे मिलने को मन करता है और कहता है आजा मेरी बहन घर सूना है तेरे बगैर | जब खाते थे एक ही थाली में खाना लड़ना झगड़न...
आज अनिल पुसदकर, नीशू तिवारी, शुभम आर्य, पवन सिंह का जनमदिन है आज, 8 अगस्त को - अमीर धरती गरीब लोग वाले अनिल पुसदकर - मीडिया व्यूह, नीशू के अल्फाज़ वाले नीशू तिवारी - अजब अनोखी दुनिया के चित्र वाले शुभम आर्य - नज़रिया वाले पवन सिंह का जनमदिन है बधाई व श...फ़र्जी डॉक्टरों से बचके डॉक्टर शब्द वैसे ही माननीय और सम्माननीय है जैसे किसी जमाने में वैद्य, वैद्यराज, हकीम शब्द हुआ करते थे। आज से 25 वर्ष पहले यदि कोई बीमार हो जाता था तो डॉक्टर को बुलाने पर उसका बैग (पेटी) भी उठाकर लाना पड़ता ..
चलो श्रीखण्ड महादेव की ओर अपनी चाल व दाढी रोकना किसी के वश की बात नहीं है। बनारस में भुगता था, इसलिये यहाँ खुद ही बनायी जा रही है। अन्नी में रात बडे आराम से गुजारी, जिस कमरे में हम ठहरे हुए थे, उसमें पूरे छ: पलंग थे, हम थे चार, ज...जिंदगी का गणित ऐसा ही है ! बदलते मौसम पर हैरान क्यों हो !! नदी का पानी सोख लेती है कड़ी धूप बन जाते हैं बादल बादल घुटेंगे तो फटेंगे ही ... प्यार , नफरत , ख़ुशी और भय लौटा देती है द्विगुणित कर ... इसका गणित ऐसा ही है ! सरल ,अबोध , म...
मिलते हैं अगली वार्ता में, राम राम.
6 टिप्पणियाँ:
हैप्पी फ़्रेंडशिप डे।
Nice post .
हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने विचार आपस में साझा कर सकें। इसमें बिना किसी भेदभाव के हरेक आय और हरेक आयु के ब्लॉगर्स सम्मानपूर्वक शामिल हो सकते हैं। ब्लॉग पर आयोजित होने वाली मीट में वे ब्लॉगर्स भी आ सकती हैं / आ सकते हैं जो कि किसी वजह से अजनबियों से रू ब रू नहीं होना चाहते।
विचार परक चर्चा का एक अलग ही आनंद होता है1
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ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
क्या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?
रोचक वार्ता।
रोचक वार्ता।
रोचक वार्ता ..
आभार !
दिलचस्प वार्ता ....
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