सोमवार, 12 मार्च 2012

उबलती ख़ामोशी, सहमे-सहमे से सपन...ब्लॉग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आज 12 मार्च है… और एक वार्ताकार की वैवाहिक वर्षगाँठ भी, उन्हे वार्ता दल  की तरफ़ से ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई।वे वार्ता की दो साल के सफ़र की सहयोगी है। ब्लॉग4वार्ता का दो वर्षों का सफ़र पूरा हुआ,  इस अवधि में कुछ ऐसा भी समय आया कि वार्ता बंद होने के कगार पर थी। ललित जी ने डेरा समेट लिया था, पर वार्ताकारों के कारण पुन: प्रारंभ हो सकी। इसमें संगीतापुरी जी का विशेष सहयोग था। वे वार्ता से प्रारंभ से ही जुडी हुई  हैं। वार्ता ने 1 लाख पाठकों का जादुई आंकड़ा भी सन 2011 में पार कर लिया। यह एक उपलब्धि है, जिसे वार्ताकारों के सहयोग एवं पाठकों के स्नेह से प्राप्त किया………इस अवसर सभी सुधि पाठकों को धन्यवाद एवं समस्त वार्ताकारों को हार्दिक शुभकामनाएं…………चलते हैं आज की वार्ता पर… प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक………

रंगा हुआ कैनवास
सोचा था खाली पड़े इस कैनवास पर खींच दूँ कुछ आड़ी तिरछी रंगीन रेखाएँ वक़्त की पृष्ठभूमि पर उकेर दूँ जीवन का चित्र बना दूँ कुछ मुखौटे जिनका चरित्र झांक रहा हो मन की खिड़की से मेरे पास कैनवास भी है रंग भी हैं कूच...

दुआ !
तुम्हे.. नसीब हों सूरज की रौशनी के सभी टुकड़े, वो भी .. जो मैंने समेटे थे, सहेज रखे थे, तुम्हारे आँचल में और वो भी.. जो हो रहे हैं इकट्ठा मेरी गठरी में हर रोज .. तेरे जाने के बाद .

"चेहरा "
*हर रोज़ नज़र आता , भोला नया सा चेहरा* *वो हुस्न की बला सा ,नज़रें गड़ाए चेहरा //* *अब एक ही नज़र पे ,वो मुस्कुराये चेहरा* *ये मेरी शायरी है ,क्यूँ शरमाये चेहरा //* *पेश किया जो गुल को ,गुलाबी हुआ वो चेहरा*...

Akhilesh Yadav : यंगिस्तान का क्रन्तिकारी नायक
इस चुनाव के दो चेहरे याद रखने लायक हैं। एक चेहरा अखिलेश यादव का है, दूसरा राहुल गांधी का। राहुल गांधी ने साल 2007के बाद से ही उत्तर प्रदेश को अपना मिशन बना रखा है।इस चुनाव में राहुल गांधी ने अपने खोए जनाध...

आशा का दीपक बुझाया ना जाये
दिल यूँ किसी का जलाया ना जाये मुहब्बत में आंसू बहाया ना जाये बिकते हैं मुस्कान बाज़ार में अब हंसते हुए को रुलाया ना जाये सबके विचारों का चश्मा अलग है अंधे को दर्पण दिखाया ना जाये चालाक ही खुद को नादान कह...

हैदराबाद एक संस्मरण
पिछली पोस्ट कुछ पकड़ने में कुछ छूट जाता है में आपने पढ़ा कि हम क्यों और कैसे हैदराबाद पहुँच गये। अब आगे...... चारमीनार, चार मीनारों से बनी चौकोर खूबसूरत वास्तुकला की इमारतहै। इसका निर्माण 1591 में मो...

यह प्रेम ही तो है
यह प्रकृति का प्रेम ही है कि शाम मंदिर और मस्जिद पर समान रौशनी से आती है रात भी दोनो को साथ साथ गहरे उतारती है चाँद दोनो का एक ही होता है तारो से भरे आसमान को दोनो साथ साथ ओठते है सुबह का सूरज भ...

खोये हुए सफ़र का एक लम्हा
रेल के सफ़र में मेरी नज़र बार बार सामने की बर्थ पर लेपटोप को सीने से लगाये लेटी हुई लड़की की ओर उठ जाती. जाने किसलिए, अक्सर ऐसा लगता है कि कुछ जगहों या सफ़र के हिस्सों को पहले भी देख चुका हूँ. परसों शाम ...

होते हैं कुछ कारण अपनी चिता को आग लगाने के भी
मेरी उबलती ख़ामोशी के तहखानों में दरकते ख्वाबों के पैबंद अब कहानी नहीं कहते नहीं मिलता कोई सिपहसलार नहीं होता कोई नया किरदार रेशम की फंफूंद जमी काइयों पर गुलाब नहीं उगा करते किनारों पर ही अलाव जलते हैं द...
*पल-पल छिन-छिन बीत रहा है, जीवन से कुछ रीत रहा है। सहमे-सहमे से सपने हैं, आशा के अपरूप, वक्र क्षितिज से सूरज झाँके, धुँधली-...
भले ही अपने जन्‍मकालीन ग्रहों के हिसाब से ही लोग जीवन में सुख या दुख प्राप्‍त कर पाते हैं , पर उस सुख या दुख को अनुभव करने में देर सबेर करने की भूमिका आसमान में समय समय पर बन रही ग्रहों की स्थिति की ही हो...
‘यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे तबे एकला चलो रे।’................. ये गाना ही नहीं बल्कि जीवन दर्शन है .कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, एक व्यक्ति का नहीं एक युग और एक संस्था का नाम है . गाँधी जी इसी दर्शन के सहारे नोवा...
इस कदर मुस्कुराकर कहाँ चल दिए आग दिल में लगा कर कहाँ चल दिए हम तो खामोश दरिया थे ए अजनवी तुम यूं हलचल मचा कर कहाँ चल दिए दिल तो था मेरा सूना सा मंदिर कोई बुत यूं अपना बिठा कर कहाँ चल दिए बंद दर जाने ...
ठंडे चूल्हे ने , मुस्कराते हुए ख़ाली पतीली से पूछा ? आज कब आओगी । और क्या पकाओगी ? और सूखी लकड़ियों ने ख़ुशी मनाई । आज वह जलने से , बच गयीं । पतीली ने मेरी तरफ, शरमाते हुए देखा । और आ लगी मेरे जलते हुए पे..
*एक दिन ठिठक के परिंदा बोला गगन से * *मुझको भी छूने दे आसमा इस बदन से * *उड़कर ऊंचा भी न पाया मै तेरा सहारा * *आज मुझको चूमने दे अम्बर ,इस पवन से * * * *है दूर तू या हाथ ये मेरे छोटे रह गए * *गूम तू या साथ...
जीवन के कई रंग होते हैं... कई पड़ाव होते हैं, कई मोड़ों से गुजरती है ज़िन्दगी... कभी तेज तो कभी मद्धम और एक ऐसा भी पल आता है जब अध्याय बदलता है. इस जीवन से उस जीवन का फासला पल में तय हो जाता है और मन अटका र...
जैसे कोई... जैसे कोई बच्चा आँखें बंद कर ले फिर कहे, “माँ तुम कहाँ चली गयीं ?” तो माँ हँस देती है जैसे कोई बड़ा नाक पर चश्मा चढ़ाये हो और खोजता हो उसी को तो साथी हँस देता है वैसे ही हम उसी में रहते हैं और प...
बहुत पहले पूजा जी की एक पोस्ट पढ़ी थी.*..** रहना नहीं देश बिराना रे... किस तरह बंगलौर में होली खेलते इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों पर पुलिस ने कार्यवाई की थी... *सच में बहुत कुंठित हुआ था मन वो...

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....  

7 टिप्पणियाँ:

उम्दा लिंक के साथ बढिया वार्ता के लिए आभार……………… संगीता जी को शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।

बहुत सुन्दर लिंक्स से सजी वार्ता....
सादर आभार.

वाह
रंग-पंचमी की बधाईयां

रोचक वार्ता ………उम्दा लिंक्स्……… संगीता जी को शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।

बहुत अच्छे लिंक्स -----------संगीता जी को शादी की सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएँ |

अच्छी चुनी हुई लिंक्स से सजी बार्ता|संगीता जी को शादी की सालगिरह के लिए हार्दिक बधाई |
आशा
आशा

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