ललित शर्मा का नमस्कार, ब्लॉग4वार्ता का सफ़र दो साला 10 मार्च को पूरा होने वाला है। दो बरसों में ब्लॉग4वार्ता के 300 फ़ालोवर पूरे हुए। थोड़ा समय अवश्य लगा, लेकिन खिरामा-खिरामा 300 लोगों तक पहुच गए, जिन तक वार्ता की फ़ीड जा रही है। पुरब के इलाके में आज रंग खेला जा रहा है। होली मनाई जा रही है। हम तो कल ही खेल लिए थे। रंग और भंग दोनो का मजा लिया। लेकिन इस बीच संगीतकार रवि (रविशंकर) हमारे बीच नहीं रहे। एक बड़ी हस्ती के संसार से चले जाने का समाचार होली के धमाल में दब कर रह गया ………उन्हे हमारी विनम्र श्रद्धांजलि………अब चलते हैं आज की वार्ता पर………पढते हैं कुछ उम्दा चिट्ठे………
खिड़की पे बंदर |
संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है......... - *संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है खुशबू बनके जो बिखरी, वो औरत है.. कब तक कोई रोक सका है बहता जल* * वह तो आगे बढ़ता है केवल कल-कल औरत भी निर्मल जल, गंगाधारा ह...'व्यंग्य का शून्यकाल' की अब अगले सप्ताह से ई प्रति उपलब्ध होगी - मैं आगामी सप्ताह में ई बुक्स का रूप धर कर आ रही हूं आप सबसे मिलने *प्रकाशक मेरे तुझे होगा अपने प्रकाशक होने पर शक**नित नई तकनीक देखकर अब निकलेगी तेरी च. "होली " वेदों-पुराणों में इससे सम्बंधित अनेक कथाएं मिलती हैं। - पर इतने उल्लास, खुशी, उमंग, वैमन्सय निवारक त्यौहार का स्वरूप आज विकृत होता या किया जा रहा है। हंसी-मजाक की जगह अश्लील गाने, फूहड़ नाच, कुत्सित विचार, द्वि...
बेटियाँ (क्षणिकाएं) - *(१) * सुबह सुबह कँवल की पांखुरी पर थिरकती... शबनम की वह बूँद कितनी खुश... कितनी प्यारी लग रही है.... उसे कहाँ पता है.. अभी कुछ ही देर में सूरज की कि... नाम एक है लेकिन फर्क देखिये ...... - *नाम एक है लेकिन फर्क देखिये * *किसका बेडा पार हुआ ,* *किसका हुआ है **गर्क देखिये .*...... *पहले के लिए ....*......... *टीम* की करारी हार शर्मनाक पराजय ...फागुन महराज अब के गए ले कब अईहव - फागुन महराज, फागुन महराज अब के गए ले कब अईहव ! अरे अब के गए ले कब अईहव, अरे अब के गए ले कब अईहव अरे अब के गए ले कब अईहव, अब के गए ले कब अईहव !! अरे कउन महि...
एक जबरपुरिया ब्लॉगर भजन गाते हुए |
एक अजन्मे बच्चे की चीख ! - *ये कैसा नीम सन्नाटा है,* *मेरे आने के पहले ही * *चला गया मुझे लाने वाला !* *क़ातिलों के हाथ * *ज़रा भी नहीं कांपे,* *उन्हें अपने बच्चों के * *चेहरे नहीं दि... एक पत्र होली के नाम - प्यारी होली सादर रंगस्ते! उस दिन ड्यूटी समाप्त कर घर वापस लौट रहा था कि अचानक पीठ पर पानी का गुब्बारा किसी ने दे मारा. पीछे मुड़कर देखा तो एक छोटा... औरत होना..! - औरत होना एक अनुभव है, एक एडवेंचर, एक चैलेंज.. हालांकि यहां क्विट करने का ऑप्शन बचता नहीं हमारे पास लेकिन आदत हो जाती है लड़ने की खुद से, परिवार से समाज से.. ...
लोक: भोजपुरी- 8: कस कसक मसक गई चोली(निराला) और सुतलऽ न सुत्ते दिहलऽ(लोक) - आज मदनोत्सव है - फागुन महीने की अंतिम तिथि। मदन जो कि अनंग है, जिसमें वह मद है जो मन को बहकाता है, जो देहाभाव की पूर्ति हर प्राणी के अंग अंग समा कर करता है... अंजानी (ब्लॉग) राहों पर चलना संभल के --- - होली के अवसर पर हर वर्ष डॉक्टर्स की विभिन्न संस्थाएं अपने अपने क्षेत्र में होली मनाती हैं । रात को होने वाले कार्यक्रम में कॉकटेल डिनर होता है । बात उससमय ...हमारे बसाये इस घर के सिवा मैं नहीं हूँ .... - हमारी कुंडलियों के ग्रह- नक्षत्रों ने मिलाया हमें लोंग कहते हैं इन्ही नक्षत्रों ने दिया है हमें एक संघर्षपूर्ण जीवन ... मैं हंसती हूँ अक्सर गृह की मजबूत...
हम जा कहाँ रहे हैं... - हम जा कहाँ रहे हैं... कांगो में हुआ भीषण विस्फोट एक नन्हें बच्चे को दिया अमानवीय दंड कांप जाता है समाचार पढ़ के मन ईरान चाहता है बम बनाना चीन सैन्य शक्ति को ...ले दे कुसुम रंग चूनरिया - फागुन का मदमस्त महीना नई-नवेली दुल्हन को, जिसे ब्याह के बाद मायके में लिवा लाया गया है, अपने सजन से मिलने के लिए आतुर कर रहा है। किन्तु विवशता यह है कि अब ... राष्ट्रवादी लेखकों के फेस-बुक अकाउंट बंद ! - धन्य हैं वे सभी फेसबुकिये, जिनके लेखन से डरकर 'चिम्पांजी सरकार' उनके अकाउंट बंद कर रही है । और लानत है उन सब पर जिनके खाते अभी तक चालू हैं। अरे सौभाग्य समझ...
मेरा वजूद (चोका) - हूँ भला कौन क्या वजूद है मेरा यही सवाल आ डाले मुझे घेरा टूटे सपने जब मुझे डराएँ मेरा वजूद कहीं गुम हो जाए दूर गगन चम... सपा पर आरोप - सरकार बनने से पहले ही जिस तरह से सपा पर राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए आरोप लगने शुरू हो गए हैं उसके पीछे कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ अवश्य है. ताज़ा घटना ... होली ठिठोली (व्यंग्य कविताएं) - घोटालों की होली यूपीए तोड़ रही है, भ्रष्टाचार के रिकार्ड सारे, क्या अफसर, क्या नेता, भष्ट यहां हैं सारे, सरकार के मंत्रियों पर चढ़ा घोटाले का ...कालू गरीब - दवे जी, ये "गे" क्या होता है। - साहब, यूरिया वाली चाय का लुफ़्त उठाते नुक्कड़ में हम खड़े थे कि कालू गरीब फ़िर पहुंच गया। हम तक पहुंचते ही सीधे उसने सवाल ठोका- "दवे जी ये "गे" क्या होता है...
वार्ता को देते हैं विराम्……मिलते हैं ब्रेक के बाद…राम राम
9 टिप्पणियाँ:
एकदम होली वाली ललित प्रस्तुति.
मिली जुली लिंक्स के साथ अच्छी वार्ता है |आशा
सुंदर होलीमय चित्रों सहित
sakartmak soch ,behatarin prayas bhav purn bhi ....
महत्वपूर्ण चित्रों और लिंक ये भरी ..
होली की सुंदर प्रस्तुति !!
रंग बिरंगी वार्ता !
आभार !
रंगीन चित्रमय वार्ता... बहुत बढ़िया लिंक्स...
बहुत बढिया वार्ता।
शानदार वार्ता...
सादर बधाईयाँ... आभार.
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