सोमवार, 5 मार्च 2012

इंटरनेट ट्रैफिक पर निगरानी के लिये राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र बनेगा .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

नमस्‍कार .. सरकार साइबर सुरक्षा खतरों का वास्तविक समय पर आकलन करने और इंटरनेट ट्रैफिक पर निगरानी के लिये राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र, एनसीसीसी बनाने पर विचार कर रही है। हाल ही में एक उच्च स्तर की बैठक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में आयोजित की गई । इस बैठक में एनसीसीसी के गठन पर विचार विमर्श किया गया। इस बैठक में आईबी, रॉ, डीआरडीओ, गृह मंत्रालय और सेना के अधिकारियों ने हिस्सा लिया और इसमें एनसीसीसी और साइबर सुरक्षा से जुड़े अन्य मुद्दों पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।

बैठक के विवरण में कहा गया है, ‘देश में साइबर सुरक्षा के खतरे का वास्तविक समय आकलन करने के लिये बहु एजेंसी वाले एनसीसीसी की स्थापना और अग्र सक्रिय कदम उठाने के लिये एक कार्य करने योग्य रिपोर्ट या अलर्ट का निर्माण… । एनसीसीसी देश के अंदर इंटरनेट के ट्रैफिक के प्रवेश और प्रस्थान बिंदू को स्कैन करेगी। इंटरनेट से जुडी इस मुख्‍य खबर के बाद चलते हैं आज की वार्ता पर ........

छत्तीसगढ़ के परंपरागत आभूषण प्रत्येक जाति ,वर्ग, समुदाय, की अपनी पहचान या कहें विशिष्टता उसके सभ्यता ,संस्कृति ,परंपरा, रीति-रिवाज , खान -पान ,मांगलिक कार्य , क्रिया-कर्म, धार्मिक कार्यों में परिलक्षित होता है ,बस ऐसे ही किसी लड़की य...

Mavli Marwar meter gauge मावली - मारवाड मीटर गेज ट्रेन यात्रा 7 फरवरी 2011, अलार्म बजा और मेरी आंख खुली। गाडी किसी स्टेशन पर खडी थी। देख लेते हैं कि कौन सा स्टेशन है। अरे, यह तो मावली है, उतर भई, जल्दी उतर। मैं मावली में उतर गया, गाडी उदयपुर की तरफ चली गई। मावली से स...

मैं भी एक कवि बन पाता - कविता *[अनुराग शर्मा]* चित्र व कविता: अनुराग शर्माआग तुम्हारे अन्तर की मैं अपने दिल में जला पाता दर्द पिरो सकता सीने में मैं भी एक कवि बन पाता अन्धियारी यह रात अमावस बन खद्योत चमका जाता नहीं समझता अलग किसी को ...

इश्श्माइल करते अजय कुमार झा प्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते! साथियों अपना जीवन छोटा सा है तो इस छोटे से जीवन को हँसते-मुस्कुराते गुजारा जाए तो कितना अच्छा रहे। अपनी पंक्तियों द्वारा कहूँ तो- *जीवन में दुःख है बहुत * *क्यों न ऐस...

भारतीय काव्यशास्त्र - 102 *भारतीय काव्यशास्त्र - 102*** आचार्य परशुराम राय पिछले अंक में *साकांक्षता, अपदयुक्तता* और *सहचरभिन्नता अर्थदोषों *परचर्चा की गयी थी। इस अंक में *प्रकाशितविरुद्धता *और* विध्ययुक्तता अर्थदोषों*पर चर्चा की...

शीर्षकहीन हर बार छीन ले जाता है कोई, मेरी तकदीर, मेरे ही हाथों से, सुना था, गिर गिर कर उठना, उठ कर चलना ही जिंदगी है.. यूँ, गिरते उठते, आत्मा तक लहुलुहान हो गयी है.. क्या नाकामियों की, कोई तयशुदा अवधि नहीं होती..?? !!...

जोगीरा:'परम' श्रेणी परहेज से रहे...बोलs हमरो जिन्दाबाद!... (1) के पीये हर घाट के पानी, के बा परम सयानी केकर चुनरी दागा लागल, के धोयेला पानी रानी पीये हर घाट के पानी, राजा परम सयानी पबलिक चुनरी दागा लागल, कोइ न धोये पानी। वा वा! जोगीरा सर र र र। (2) हम बिछवलीं ...

बुज़ुर्गियत की मुस्कान...खुशदीप​ ​​ *सांध्यकाल से जुड़ी पोस्ट की आखिरी कड़ी ​शुक्रवार को ही लिखनी थी...लेकिन शनिवार को 'नूरा कुश्ती' में उलझ गया...लीजिए बुज़ुर्गियत की वो कुछ गुदगुदाती बातें, जिनसे हमें भी कभी न कभी पेश आना ही पड़ेगा...* *​...

यूँ ही नहीं राधा को मोहन मिला करते........... *चाहत कोई भी हो* *कैसी भी हो* *किसी की भी हो* *एक बार नैराश्य के * *भंवर में जरूर डूबती है* *फिर भी इंसान चाहत की * *पगडण्डी नहीं छोड़ता* *एक आस का पंछी* *उसके मन की मुंडेर पर* *उम्र भर चहचहाता रहता है* *उस...

क्या यही प्यार है ??? कहते हैं .. प्यार वरदान है जीवन को जिसे मिल जाए वो स्वर्ग सा सुख पा लेता है इसी मृत्यु लोक में ! लेकिन ...... ये सच नहीं है, प्यार तो बहुत निर्मम है.... जो न तो भय से बाँधा जा सकता है, न ही अधिका...

हर पल हर पल बेहतर था तेरे आने पर उम्मीद जग उठी थी तेरे रहने पर पर तूने जो जख्म दिया मेरे सीने में सपने बह गए सारे तेरे जाने पर रेत ले गया समंदर मेरे प्यार की दफन हो गया एहसास तेरे प्यार की ख्वाबो पर अब ...

आधुनिक किताबें ...मेरी कविता रोज लिखी जाती है रोज छपती है और रोज प्रकाशित हो जाती है और तो और उस पर पाठकों की प्रतिक्रिया अच्छी, बुरी, मिलीजुली त्वरित मिल जाती है मैं आधुनिक कवि हूँ ब्लॉग, फेसबुक ... मेरी आधुनिक कि...

मौन बैठे हुए... पिता! तुम बूढ़े नहीं हो रहे। नहीं घट रही है तुम्हारी, डेसिबल आंकने की क्षमता। सिक्स बाई सिक्स देखने भर ज्योति, अभी भी है नेत्रों में। किंचित अधिक ही हो गई है। तुम छोड़ सकते हो एक और रोटी, खींच सकते हो साइ...

बांधे रखती है फिल्म पान सिंह तोमर! जी हाँ फिल्म के प्रमुख किरदार का नाम ही फिल्म का नाम भी है . दरअसल एक असली किरदार के 'रियल लाईफ' का ही रील वर्जन है यह फिल्म . पान सिंह तोमर कभी सेना में दौड़ प्रतिस्पर्धाओं के नेशनल चैम्पियन हुआ करते थे ...

बोकारो के इमरान जाहिद ..निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट की फिल्म जिस्‍म दो में मुख्‍य भूमिका मे बोकारो के इमरान जाहिद न तो इंजीनियर बनना चाहते थे और न ही डॉक्टर। वे कुछ अलग करना चाहते थे। स्कूल के दिनों में वे फिल्म देखते थे, बस यहीं से फिल्मी हीरो बनने की धुन सवार हो गयी। मेहनत व लगन की बदौलत इस छो...


मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .....

7 टिप्पणियाँ:

दो लिंक्स पढ़ी हैं| बाकी दोपहर में |उन्दा चर्चा |
आशा

अच्छे लिंक्स के साथ सजायी वार्ता ......अब हम पढ़ते हैं ......!

बढिया वार्ता के लिए आभार

आभार ||



होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

बहुत अच्छी वार्ता और लिंक्स के लिए आभार...

bahut badhiya varta... last ka photo super like... :-)

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