गुरुवार, 29 मार्च 2012

सोनई रुपई और प्रेम में महाकाव्य लिखना - ब्लॉग4वार्ता - ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, वार्ता दल की सदस्य संध्या शर्मा जी का कल जन्मदिन था। उन्हे जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर उन्हे धन धान्य बौद्धिक सम्पदा एवं स्वास्थ्य से भरपुर रखे। हमारी यही कामना है। इसी दिन ब्लॉगर मित्र दर्शन कौर धनोए जी का भी जन्म दिन था। हमने उन्हे भी बधाई दी………फ़ेसबुकिया मित्रों के साथ उनका जन्मदिन मनाया गया…… उनकी समृद्धि की कामना ईश्वर से करते हैं, वे सदा हँसते मुस्काते सानंद रहें। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर………एवं करते हैं कुछ उम्दा चिट्ठों की सैर……।

देऊर पारा का गड़ा खजाना: सोनई रुपई - महानदी उद्गम पुरातात्विक खजाने से *छत्तीसगढ* समृद्ध है। हम छत्तीसगढ में जिस स्थान पर जाते हैं वहां कुछ न कुछ प्राप्त होता है और हमारी विरासत को देख कर गर...  बस एक उम्र की दूरी और बदल गया बचपन...... - *स्कूल की छुट्टी के बाद * *सिक्के खनखनाता हुआ,* *कच्ची इमली,चूरन,चने के * *खोमचों पर जमघट करता* *उछलता कूदता बचपन,* *दादी के हाथों से बनी * *कपडे की गुडिया ... क्यों?? - क्यों कभी कोई ख़ामोशी टूटती नज़र नहीं आती मेरे अहसासों के दामन में दबी जुबां से क्यूँ कोई ख़ुशी नज़र नहीं आती वक्त-ए-दुआ देगा कोई इस आसार में जीती मैं...

ये छत्तीसगढ़ है साहब... - पिछले दिनों नवरात्रि शुरू होते ही कुशालपुर में भाजपा नेताओं की मौजदूगी में हुए अश्लील नृत्य पर भले ही यह कहकर भाजपा अपना पल्ला झाड़ ले कि ऐसा तो यूपी बिहार म... किरदार ... - न कर गुमां, कि ऊंची हवेली आज तेरी शान है सच ! महलों की शान, खँडहर बयां कर रहे हैं ! ... क्या गजब किरदार है उसका 'उदय' पीठ पे गाली, सामने पाँव छूता है !! बड़ी खबर - बड़ी खबर: "सेना प्रमुख को 14 करोड़ की रिश्वत की पेशकश"! राजनीतिज्ञों ने 'सेना प्रमुख' बनने के लिए कोशिशें शुरू की! 

लोक : भोजपुरी - 10: चइता के तीन रंग - चैत माह रबी फसल का माह है। महीनों के श्रम के फल के घर पहुँचने का माह है। ऐसे में कृषि प्रधान लोक में उत्सव न हो, हो ही नहीं सकता! प्रकृति भी ऐसे में नवरस...कुत्ता बच्चों को "ईडेन का सेव" खिलाने पर उतारू - बहुतेरी बार विदेशी "कुत्तों" ने हमारे देश पर हमले किए, हमें लूटा-खसोटा, हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारी धरोहरों को नष्ट करने की पुरजोर कोशिश की। वह तो...फितरत ... - न नाते देखता है न रस्में सोचता है रहता है जिन दरों पे न घर सोचता है हर हद से पार गुजर जाता है आदमी दो रोटी के लिए कितना गिर जाता है आदमी ***************... 

कृष्ण लीला ......भाग 42 - आठवें वर्ष में कन्हैया ने शुभ मुहूर्त में दान दक्षिणा कर वन में गौ चराने जाना शुरू किया मैया ने कान्हा को बलराम जी और गोपों के सुपुर्द किया वन की छटा बड... गुजरी हुई फिज़ा ! - कभी सोचता हूँ,क्या हूँ, इस भीड़ में नया हूँ . अपने ग़मों से दूर किसी और की दवा हूँ. ज़ुल्फ़ के दुपट्टे में फँसती हुई हवा हूँ . अलग-थलग लगा जब उसके पास ...सूखा गुलाब !! - --नमस्ते.. --नमस्ते.. -- मैं आपको पसंद करता हूँ... --??? क्या मतलब? ....कहते हुए चौंक गई मैं (अपनी जन्मतारीख भी याद करने लगी थी...कन्फ़र्म ५० पूरे हो चुके है...

सुना है तुम सभ्य हो.. - हिन्दुस्तान की समस्या यह नहीं है कि हम क्या करते हैं? जो हम करते हैं वह मानव स्वभाव है, वो कोई समस्या नहीं.. सारी दुनिया वही करती है मगर समस्या यह है कि ... नकल का अधिकार - 'भैया, पास न भयेन तो बप्पा बहुतै मारी' अर्थ था कि भैया, यदि परीक्षा में पास न हो पाये तो पिताजी बहुत पिटायी करेंगे। १८ साल का युवा, कक्षा १२, मार्च का मही... हसास - उस पुरानी पेटी के तले में बिछे अख़बार के नीचे पीला पड़ चुका वह लिफाफा. हर बरस अख़बार बदला लेकिन बरसों बरस वहीँ छुपा रखा रहा वह लिफाफा. कभी जब मन होता ह...

जिन्हें पाला वही परिणाम यूं बदतर नहीं देते ...... - *कभी भी बंदरों के हाथ में पत्थर नहीं देते बहुत जो मूर्ख होते हैं उन्हें उत्तर नहीं देते* * हमेशा मौन रहना ही यहाँ अच्छी दवाई है जो ज्ञानी हैं यहाँ उत्तर कभी ...
1 day ago सुरक्षा खोखली,देश खोखला ! - कुछ साल पहले मैंने अपने इस ब्लॉग पर एक लेख में बताया था कि किस तरह हमारी सेनायें हथियारों की कमी से जूझ रही है, उनके पास उन्नत किस्म के हथियार और यंत्र-उपक... आप खाने के लिए जीते हैं , या जीने के लिए खाते हैं --- - कहते हैं , मनुष्य को नाश्ता महाराजा जैसा , दोपहर का खाना राजकुमार जैसा और रात का खाना भिखारी जैसा खाना चाहिए । यानि भोजन में नाश्ता भरपूर और डिनर हल्का ले... 
खजुराहो की मूर्तिकला में स्त्री-शिक्षा - *- डॉ. शरद सिंह* *खजुराहो के चितेरों ने जहां नृत्य तथा वादन को उकेरा, वहीं लेखन तथा पठन को भी स्थान दिया है . खजुराहो की मूर्तियों में अत्यंत कलात्मक...  मैं की परिभाषा .... - ठहरे हुए पानी -सी मैं ... कभी चंचल, कभी मतवाली मैं .. कभी गरजती बिज़ली -सी मैं ... कभी बरसती बदरी -सी मैं ..... कभी सलोनी मुस्कान-सी मैं ... कभी आँखो... बड़ा दिल - तंग दिल हो क्यूँ रहना होना चाहिये हृदय बड़ा कहना है सरल पर है कठिन कितना यह दंश सहना | कहने से कोशिश भी की विस्तार किया और बड़ा किया बड़ा दिल बड़ी बातें ..
पीपल - हम भटके बेचैनीमें तुम ठहरे हातिमताई। हम सहते कितनेलफड़े तुमने खड़ेखड़े बदलेकपड़े ! मेहरबानतुम पर रहती हरदम ही धरती माई। ना जनमलिया ना फूँका तन व...ताजमहल - आगरा यात्रा शुरू होती है दिल्ली से, हमेशा की तरह। सुबह सात बजे के करीब निजामुद्दीन से ताज एक्सप्रेस चलती है। आगरा जाना था, बीस मार्च को नाइट ड्यूटी से सुलट... मैं ना पहनूं थारी चुंदड़ी .... - संस्कृति किताबों में लिखी हुए वे इबारतें नहीं हैं जो अलमारी में सहेज कर रख दी जाएँ , यह हमारी दैनिक जीवनचर्या है जो आदतों और परम्पराओं के रूप में एक पीढ़ी... 
भूल-गलती - स्वदेश-परिचय माला में प्रकाशित ग्यारह पुस्तकों में एक, ''भारत की नदियों की कहानी'', आइएसबीएन : 978-81-7028-410-9 है। हिन्दी के प्रतिष्ठित राजपाल एण्ड सन्ज़..लिख सको तो... - मेरे प्रेम में लिख सको तो महाकाव्य लिखना आसमानी भाव के अंतहीन पन्नों पर... कह सको तो अपने तप के बादलों को कहना झूम-झूम कर बरसता रहे अनवरत अमृत धार बनके और ह... जयपुर की सैर और एक सवाल - हवा महल साथियो गद्य में मैं पारंगत नहीं हूँ इसलिए बहुत से विचार आवा-गमन कर रहे हैं और बात को सीधे सीधे प्रवाह में कहने में ...  
वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं ब्रेक के बाद्……राम राम --

8 टिप्पणियाँ:

आप खाने के लिए जीते हैं या --,कजुराहो --,रचनाएँ पढीं बहुत अच्छी लगीं |
बाकी दोपहर में |मेरी रचना 'बड़ा दिल 'कर के वार्ता४ में चुनी बहुत बहुत आभार |
आशा

बहुत सुंदर वार्ता...
सादर आभार।

बहुत सुन्दर वार्ता ! बधाई एवं शुभकामनाएं !

मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभार !

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