संध्या शर्मा का नमस्कार... आज राज्यों के चुनाव के परिणाम आने वाले हैं, हाथी किस करवट बैठेगा, सायकिल किधर चलेगी, पंजे की खड़ी होगी खाट या लगेगी वाट, उड़ेगी धूल या खिलेगा फ़ूल, सब पेटी खुलते ही निकलेगा चुनावी जिन्न। मनवांछित परिणाम की आशा में लगी हैं पार्टियाँ। चुनाव परिणाम से पहले दिल्ली में आया भूचाल। दिल्ली थरथराने लगी। भूकंप की आहट ने दिल्ली को हिला डाला………… घबराईए नहीं जनता ने जो चाहा वही परिणाम मिलेगा………अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर और प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक…………।
*-अरुण कुमार निगम * कवि कोदूराम 'दलित' का जन्म ५ मार्च १९१० को ग्राम टिकरी(अर्जुन्दा),जिला दुर्ग में हुआ आपके पिता श्री राम भरोसा कृषक थे.आपका बचपन ग्रामीण परिवेश में खेतिहर मजदूरों के बीच बीता. आ...
सपने बुनने के बहाने...!
हमने कुछ पन्ने पलटे यूँ ही... रंगों की शामें खिल उठीं, पर बहुत कुछ बुरा भी हुआ कुछ बादल बरसे कुछ नज़्में रुठीं! फिर धूल झाड़कर सहेजे सपने... रूठी नज़्मों को धूप दिखाया, अवांछित सब कुछ काट छाँट कर पुनः शब्दों ...
अमृत बन कर तू ढलता है
अमृत बन कर तू ढलता है तुझसे परिचय होना भर है कदम-कदम पर तू मिलता है, उर का मंथन कर जो पाले परम प्रेम से मन खिलता है ! भीतर के उजियाले में ही सत्य शाश्वत झलक दिखाता, कण-कण में फिर नजर तू आये श्वास-श्वास मे...
चंद अल्फाज़ चाहिए
चंद अल्फाज़ चाहिए हालेदिल बयां करने को है तलाश सुर की हृदय को टटोलने को साजिन्दे तो मिल ही जाएगे संगत के लिए पैर भी थिरकने लगेंगे धुन पर संगीत के पर खोजती हूँ वह कौना एक ऐसे मन का जहां कुछ देर ठहर...
होली का हुडदंग
दोस्तों इस बार होली का हुडदंग शुरू करती हूँ हाइकू के संग .........पहली बार कोशिश है आप सबके समक्ष रखने की .......... उम्मीद है खरी उतरूंगी और यदि कोई त्रुटि हो तो मार्गदर्शन कीजियेगा मुख गुलाल न...
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ सबको गले लगा लें -सतीश सक्सेना
*भूले भटके उन अपनों के ,* *कैसे दरवाजे , खुलवाएं ?* *जिन लोगों ने जाने कब से ,* *मन में रंजिश पाल रखी है* *इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !* *मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में,अपने घर में...
क्या आपकी किताब वास्तव में कोई पढ़ना चाहता है?
कुछ लोगों के लिए लिखना बड़ी बात है, कुछ लोगों के लिए छपना। और कुछ लोगों के लिए यह सब देख कर आश्चर्यचकित रह जाना? कुछ पाठक यह जानने की फिराक में रहते हैं कि लोग इतना कैसे लिखते हैं? कुछ लोग यह देखकर हतप्रभ र...
कार्टून:- पुस्तक मेले के साइड इफ़ेक्ट
काजल कुमार Kajal Kumar at Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
बूंद से नदी बन जाने की उत्कंठा
(गिरीश"मुकुल") at मिसफिट Misfit
जीवन प्याली
मेरी जीवन प्याली दे तू बूँद-बूँद भर साकी , परिपूरित कर दे कण-कण रह जाये न खाली बाकी ! मैं ढूँढ-ढूँढ थक आई साकी तेरी मधुशाला , दे दे भर-भर कर मुझको मोहक प्याले पर प्याला ! मैं हो जाऊँ पी-पी कर बेसुध पागल म...
..तुम नहीं आये
बीता रात का तीसरा पहर तुम नहीं आये आधा हुआ चंदा पिघलकर तुम नहीं आये मै अकेला हूँ यहाँ पर यादो की चादर ओढ़कर रात भर पीता रहा ओस में चांदनी घोलकर ...
2000 से अधिक प्राचीन बुद्ध प्रतिमाओं की खोज
खबरों में इतिहास अक्सर इतिहास से संबंधित छोटी-मोटी खबरें आप तक पहुंच नहीं पाती हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए यह ब्लाग इतिहास की नई खोजों व पुरातत्व, मिथक...
राम दरश मिश्र
* * * ** *रामदरश मिश्र * *आज धरती पर झुका आकाश तो अच्छा लगा** **सिर किये ऊँचा खड़ी है घास तो अच्छा लगा** * *आज फिर लौटा सलामत राम कोई अवध में** **हो ग...
सार्थक ब्लॉगिंग की ओर 1.2 - *गतांक से आगे.......**! * जीवन का मंतव्य जब कला की साधना बन जाता है तो फिर जीवन उस कला में रम जाता है . फिर कला ही जीवन बन जाता है और ऐसा सर्जक निश्चित रूप ...
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....
6 टिप्पणियाँ:
संध्या जी आज की चर्चा बहुत अच्छी रही |कई लिंक्स हैं पढने के लिए |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बढिया काव्यमयी सुरभित वार्ता के लिए आभार
ढेर सारे लिंकों से सजी अच्छी वार्ता ..
बहुत मेहनत कर रही हैं ..
आभार !!
सुन्दर प्रस्तुति ||
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
achchhi charcha..
holi ki shubhkamnayen..
रोचक वार्ता ………होली की शुभकामनाएँ.
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।