शनिवार, 24 अप्रैल 2010

ब्लागिंग-इतिहास की पाड्कास्ट पहली चिट्ठा चर्चा

हिन्दी ब्लागिंग के इतिहास की पहली पाड्कास्ट चिट्ठाचर्चा में आपका स्वागत है


चर्चाकार : अनिता कुमार मुम्बई के साथ गिरीष बिल्लोरे जबलपुर  से

27 टिप्पणियाँ:

podcast ke jariye chittha charcha karne ki aitihaasik pahal ke liye bahut bahut badhaii..
dhanywaad...

बहुत अच्छी लगी यह ब्लागवार्ता पर अधूरे पर ही बन्द हो गया.

अनीता जी बहुत अच्छी और ईमानदार ब्लागर हैं और बहुत अच्छा लगा उनकी पहली बार आवाज सुनकर ! शुरुआत में, जब मुझे बहुत जरूरत थी, इन्होने मुझे बहुत प्रोत्साहन दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद गिरीश ! शुभकामनायें !

बहुत ही नायाब और ऐतिहासिक प्रयोग साबित होगा ये गिरीश जी । और भविष्य में इसका अपना एक अलग महत्व और स्थान होगा , अनीता कुमार जी से बेबाक राय जानना अच्छा लगा जिन डाक्टर साहब का नाम वे भूल रही थीं अगर मैं गलत नहीं हूं तो वे डा टी एस दराल जी हैं ,,,पूरा सुना मजा आ गया ।बहुत बहुत आभार

बहुत अच्‍छी लगी यह पॉडकास्‍ट चर्चा .. अनिता कुमार जी दिल्‍ली वाले जिन ब्‍लॉगर की बात कर रहीं थी .. वे डॉ टी एस दराल जी हैं .. लिंकों की आपने चर्चा की .. पर उसे पोस्‍ट में डाल देना चाहिए था .. चर्चा तो ऐतिहासिक हो ही गई है .. बहुत सुंदर प्रयोग रहा !!

आइडिया तो अच्छा है. बघाई. पर मैं शब्दों को अधिक सहज पाता हूं.

दादा ये तो गजब ही कर दि्या
नया फ़ार्मूला निकाला है आपने

अनिता जी को सुनकर अच्छा लगा

आभार

आप सभी मित्रों का धन्यवाद्। अजय जी आप सही कह रहे हैं वो डा दराल साहब ही हैं जिन का नाम मैं भूल रही थी।

संगीता पुरी जी के बाद यह पहला पॉडकास्ट था जो मैंने सुना
प्रयोग बहुत अच्छा है बल्कि ईमानदारी से कहूँ तो आपने मेरा आईडिया 'उड़ा' लिया :-)

तकनीकी पक्ष की ओर जाऊँ तो कुछ सुधार महसूस हुआ है किन्तु अनीता जी की आवाज़ में किसी धातु के टकराने जैसी ध्वनि से चिड़चिड़ाहट लगती रही

कुछ नये ब्लॉगर्स का भी समावेश होता तो ...

सतीश जी आप की और मेरी तो म्युचुअल एडमाइरेशन एसोशिसन है। कई मुद्दों पर हमारे विचार बहुत मिलते हैं और मुझे आप का लिखा अच्छा लगता है।

पाबला जी मुझे भी महसूस हो रहा है कि ये मेरी नैचुरल आवाज नहीं है। गड़बड़ कहां हो रही है ये तो आप ही बता सकते हैं या गिरीश जी। आप की सलाह का इंतजार रहेगा

अनीता जी को सुनना बहुत अच्छा लगा।
पर यह कैसे मान लिया उन्होंने कि उनकी चर्चा किसी चर्चाकार ने नहीं की?
या मैं ही गलत समझी हूँ।

चिट्ठाचर्चा में उनका कई बार उल्लेख हुआ है; स्वयं मेरी चर्चा में भी।

ऐतिहासिक प्रयोग साबित होगा ये गिरीश जी

आनन्द आ गया. आपने और अनिता जी ने आज इतिहास रच डाला. बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

कम्माल है भाई जी.
बहुत ही खूब.
ये तो बहुत ही ऐतिहासिक कदम है.
हम तालियाँ भेजते हैं आपके लिए.

कविता वाचक्नवी ji se 100 feesdi sehmat...
anita ji kahi to kuchh bhul rahi hain jo aisa kah rahi hain....

नया प्रयोग बहुत पसन्द आया...! शुभकामनाएँ

main Anita aunty ki tareef me jyada kuchh kahoonga to log kahenge apnee aunti ki hi tareef kiye ja raha hai isliye rahne deta hoon :)
Gireesh ji naya prayog bahut hi shandaar raha..

वाकई अनीताजी की आवाज के साथ कुछ समस्या है नहीं भई आवाज को दूसरी जगह पहुँचाने वाले यंत्र याने कि माईक में समस्या लग रही है।

अभी मुख्यमंत्रियों के ब्लॉगों की चर्चा चल रही है ... अपनी बारी का इंतजार है

अनीता जी और गिरीश जी की बातचीत का समन्‍वयन प्रस्‍तुतति को ऐसा बना गया है, जैसे दोनों को अपने सामने टी वी पर देख सुन रहा हूं। वैसे अगर विवाद नहीं होंगे तो संवादों की उपयोगिता कैसे सिद्ध होगी, इसलिए समाज में सब कुछ अपने अपने हिसाब से घट बढ़ रहा है, कई बार नकारात्‍मकता की अधिकता हो जाती है , उसे ही नियंत्रित रखना आवश्‍यक है। पॉडकास्‍ट जल्‍दी ही सशक्‍त माध्‍यम बनकर सामने आ रहा है। इसमें गिरीश जी का योगदान अतुलनीय है। जो इस विधा को नई बुलंदियों तक ले जा रहे हैं।
परिकल्‍पना ब्‍लॉगोत्‍सव 2010 में मेरा सबसे निवेदन है कि जिन ब्‍लॉगरों ने अभी तक अपनी रचनाएं नहीं भेजी हैं, वे अपनी रचनाएं अवश्‍य भेजें। ravindra.prabhat@gmail.com भूलें नहीं।
खूब सारे ब्‍लॉगों और ब्‍लॉगरों की चर्चा के बीच बहुत सारे ब्‍लॉग छूट गए। वैसे यह भी संभव नहीं है कि एक ही चर्चा में सब ब्‍लॉगों/ब्‍लॉगरों का जिक्र हो जाए। मेरा सुझाव है कि नए ब्‍लॉगों की चर्चा का भी एक पॉडकास्‍ट कार्यक्रम प्रसारित किया जाना चाहिए। सप्‍ताह के एक दिन नए ब्‍लॉगों को भी दिया जाना चाहिए।

बहुत दिन बाद पूरा पाडकास्ट सुना। अच्छा लगा।

४८ मिनट का पाडकास्ट सुनना अपने आप में मजेदार अनुभव है। आगे भी समय मिलने पर सुनते रहेंगे।

जैसी बात कही इस तरह की कई बाते हैं बातचीत में जिससे लगता है लाइव कमेंट्री पेश करने के पहले विषय और मसौदा तय करके तैयारी कर की जाये तब प्रस्तुतिकरण शायद और बेहतर हो सके।
अनीता जी ने जैसा कि चिट्ठाचर्चा के बारे में कहा वैसे ही गिरीशजी ने वन्दनाजी के ब्लॉग का जब जिक्र किया तब लगा। वन्दनाजी मूलत: कहानियां और संस्मरण लिखती हैं। बातचीत में उनकी लिखी कविताओं का जिक्र ही हुआ।

लेकिन यह सब तो चलता रहता है। काम करने वाले ही गलतियां करते हैं। निठल्ले नहीं। अच्छा लगा इसे सुनकर। बधाई!

सर्वप्रथम हमारी ओर से इस सर्वथा नए प्रयोग के लिए और उसकी सफलता के लिए गिरीशजी और अनीता कुमार जी को बहुत बहुत बधाई। यह पहली पॉड्कास्ट है और इसी लहजे में चलती रहे यही उम्मीद रखते हैं हम सभी। गिरीश जी की तत्परता, तन्मयता, सूझबूझ और हिन्दी ब्लॉग पॉड्कास्ट के उन्नयन के प्रति अगाध लगन अपने आप में एक अनुकरणीय उदाहरण बन पड़ा है। इसे परिषकृत, उन्नत और पुष्ट करने में हमारा प्रिय हिन्दी ब्लॉगजगत पूर्ण समर्थन और सहयोग देगा इसी आशा और विश्वास के साथ।

सभी सुधि जनों का आभारी हूं
आपने इस तरीके को सम्मति दी .रहा इसमें और निखार लाने का सवाल सो कोशिश जारी है. मुझे एडिटिंग में मुश्किल पेश आ रही है. कुछ साफ़्ट्वेयर खरीदने हैं.रिकार्डिंग का उपकरण खरीदना है, और घर भी चलाना है. फ़िर भी कोशिश में कमीं नहीं रखूंगा.
अनिता जी की आवाज़ मधुर है किंतु रिकार्डिंग की खामी की वज़ह से ये हुआ इस बात की पुष्टि मेरे एक साउण्ड-इंजीनीयर मित्र ने आज़ कर दी. सो जो भी ्कमियां तकनीकी और विषयगत हैं सुधार लूंगा. आप रफ़ स्वरूप को भी ध्यान से सुन रहे हैं उसके लिये आभारी हूं

अररर! कविता जी, अनूप जी, संजीत जी आप ने सही कहा चिठ्ठाचर्चा के रजिस्टर में मेरा नाम दर्ज हुआ है और इसके लिए मैं उन सभी चिठ्ठाकारों की आभारी हूँ जिन्हो ने इस नाचीज को इतना सम्मान दिया। लाइव रिकॉर्डिंग में कई बातें भूल जाते हैं। सॉरी

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