सोमवार, 26 अप्रैल 2010

कनिष्‍क कश्‍यप जी ने ब्‍लॉग प्रहरी को बंद कर दिया है ... ब्‍लॉग 4 वार्ता ... संगीता पुरी


रविवार तीन बजे तक आए पोस्‍टों को लेते हुए मैं संगीता पुरी यह वार्ता कर रही हूं ..  क्‍यूंकि उससके बाद मैं इंटरनेट से दूर किसी और शहर में एक खास कार्यक्रम में सम्मिलित होने चली गयी हूं  .. 26 और 27 अप्रैल को झारखंड बंद होने की वजह से मैं लौट भी नहीं सकती .. आपकी टिप्‍पणियों पर भी दो दिनों बाद ही निगाह जाएगी ..  

आज राजकुमार ग्‍वालानी जी के बस्‍तर यात्रा की 12वीं कडी में दी गयी जानकारी के साथ इस ब्‍लॉग फॉर वार्ता की शुरूआत करते है ..... 

बस्तर यात्रा में जब हम लोग कांकेर के पास स्थित दुधवा बांध से लौट रहे थे तो रास्ते में एक गांव में एक स्थान पर भारी भीड़ देखकर हमने कार रोकी। कार रोककर जब हम लोग वहां गए जहां पर भीड़ लगी थी तो देखा कि वहां एक आदमी भगवान बनाने का काम कर रहा है। हमने उनसे पूछा कि इनको कैसे बनाते हैं तो उन्होंने बताया कि अगर आपके पास कोई भी पुराना बर्तन है तो हम उसे भगवान का रूप दे सकते हैं। हमने उनको बताया कि हम तो रायपुर के हैं हमारे पास ऐसा कोई बर्तन नहीं है, आपने ये जो भगवान सजा रखे हैं, उनमें से कुछ हमें भी पैसे लेकर दे दें, तो उन्होंने इंकार कर दिया और कहा कि आप हमें रायपुर का पता दे दें हम वहां पर जाते रहते हैं आपके घर पर ही आकर भगवान बना देंगे। हमने उन्हें पता तो दे दिया है, अब देखते हैं कि वो कलाकार सज्जन कब आते हैं हमारे घर भगवान बनाने के लिए।


एक नाटक में फांसी के बाद क्‍या होता है ..  जानने के लिए ललित शर्मा जी की इस पोस्‍ट पर नजर डालिए ....
एक अवास्तविक घटना "फ़ांसी के बाद" दरअसल अवास्तविक घटना इसलिए है कि एक तो ऐसा घटित होना वाकई संभव नही है, दूसरे इसलिए भी एक घटना का अवास्त रुप निर्दोष आदमी की जिन्दगी को मौत का जामा पहना देता है। ईश्वर प्रसाद को फ़ांसी की सजा हो जाती है। उस पर आरोप है कि उसने अपनी पत्नी का गला दबा कर हत्या की है। लेकिन निर्धारित समय तक फ़ांसी के फ़ंदे में लटकाने के बाद भी ईश्वर प्रसाद जिंदा बच जाता है। अब यहां एक अनोखी समस्या आ जाती है कि वह जिंदा तो हो जाता है पर उसकी याददास्त चली जाती है। तब दोबारा फ़ांसी पर चढाना भी एक समस्या है क्योंकि कानून के तहत जिस व्यक्ति को फ़ांसी दी जाती है, उसे उसके अपराध के बारे में उसके होशहवास में बताना आवश्यक है कि उसे किस कारण से सजा दी जा रही है, अब इसके बाद जेल में प्रारंभ होती है ईश्वर प्रसाद की याददास्त को वापस लाने की कवायद।


आज एम वर्मा जी एक सुंदर भोजपुरी गीत लेकर आए हैं .....

हिलत नाहीं पेड़वा क डाल बा
गरमी से त जियरा बेहाल बा
कईसे खेतवा से बोझा ढोवाई
कईसे बतावा अब दऊरी दवाई
सूखाय गयल देखा इ ताल बा
हिलत नाहीं पेड़वा क डाल बा
गरमी से त जियरा बेहाल बा
.
महाशक्ति जी की एक आवश्‍यक सूचना पढें ....
आप सबसे निवेदन है कि मेरे ब्‍लाग मे स्थि‍त किसी भी कमेन्‍ट के लिंक को कदापि न खोले यह वायरस हो सकता है और यह आपके कम्‍यूटर को हानि पहुँचा सकता है।


प्रेम नफरत के रूप में सुनील दीपक जी की बढिया प्रस्‍तुति ....
वियतनामः बड़े देश की छाया में रहने वाले छोटे देश, अपने पड़ोसी से डरते हैं, उससे नफ़रत करते हैं और शायद प्रेम भी, लेकिन इस प्रेम को स्वीकार करना उनके लिए आसान नहीं. इतिहास बताता है कि वियतनाम कई बार चीन का हिस्सा बना, पिछले दशकों में भी इन दोनो देशों में युद्ध हो चुके हैं. पहले वियतनाम में चीनी लिपी का प्रयोग होता था पर चीन के प्रभाव से बचने के लिए उन्होंने रोमन लिपि को चुना. फ़िर भी चीनी लिपि आज भी मंदिरो में उनकी प्रार्थनाओं की भाषा है. चूँकि आज वियतनाम में चीनी लिपि लिखना कोई नहीं जानता, इन प्रार्थनाओं को लिखवाने के लिए बुद्ध मंदिरों में विषेश लोग रखे जाते हैं.


आप कौन है .. वो किसी से पूछने की क्‍या जरूरत ......
क्या आप जानना चाहते हैं कि आप कौन हैं? तो किसी से पूछिये मत। कार्य करना शुरू कर दें। आपका कार्य आपको परिभाषित एवं चित्रित कर देगा। - थॉमस जेफर्सन

Do you want to know who you are? Don't ask. Act! Action will delineate and define you. - Thomas Jefferson

मैं यह नहीं कहूँगा कि मैं 1000 बार असफल हुआ, मैं यह कहूँगा कि ऐसे  1000 रास्ते हैं जो आपको असफलता तक पहुँचाते हैं। - थॉमस एडिसन

I will not say I failed 1000 times, I will say that I discovered threre are 1000 ways that can cause failure. - Thomas Edision



डॉ अमर कुमार जी का चिंतन .. अर्श से फर्श तक ......
कुल ज़मा यह कि केतु रुष्ट हो गया, और केतन देसाई दो करोड़ रुपये गिनने से पहले ही पकड़ लिये गये ।  यह हैं, एम.सी.आई. स्वामी, यानि कि हम डाक्टरों, सकल  भारतदेश के डाक्टरों और डाक्टरी के मदरसों के भाग्यविधाता ! अभी हाल ही में तो यह भारतीय डाक्टरों की हस्तरेखा में एक नयी लकीर खींच कर मीडिया में चहक रहे थे कि कोई डाक्टर उपहार लेगा या किसी फ़ार्मा वाले से उपकृत होगा तो उसकी खबर पक्की कर दी जायेगी और उसे इस लाइन से तिड़ी भी किया जा सकेगा  । 
लो कर लो बात, डाक्टरों  को  आदमी  मारने  और  जिलाने  का  लाइसेन्स  जारी  करने  वाली  एम.सी.आई  की  हैसियत हम ऎलोपैथ डाक्टरों के लिये ब्रह्मा से कोई कम थोड़े ही न है ?



विभारानी के शब्‍दों में .. अब बेटियां बोझ नहीं हैं 
छछम्मक्छल्लो को अभी तक याद है, वह उनकी दूसरी बेटी थी, जिसके जनम के समय वह वहां थी. पहली संतान भी बेटी थी. अभी भी कई घरों में दो बेटियां स्वीकार कर ली जाती थीं. वहां भी स्वीकार ली गईं कि साल भर बाद फिर से उनके मां बनने की खबर आई. समझ में आ गया कि इस तीसरी संतान का मकसद क्या है? मगर ऊपरवाले के मकसद को भला कौन पहचान पाया है? पता नहीं क्यों, ऐसेमाता-पिता के प्रति छम्मकछल्लो एक कटुता से भर जाती है और कह बैठती है कि तीसरी संतान भी बेटी ही हो! आखिर ऐसा क्या है जो बेटियां नहीं कर सकतीं. 


कमलेश वर्मा जी ने आज सौंवी रचना पोस्‍ट की है .. उन्‍हें बहुत बधाई 
कैसे हसीं पल देखो ,मिले मेरी जिन्दगी को
उसकी वरगाह में ,हाथ जुड़े बन्दगी को । 
यह वह मुकाम है जो कुछ को नसीब है
बरसों गुजर गये ,उसकी रजा -मन्दगी को । 
बरकत वहीं पर बरसे ,जहाँ मिल के दो दिल हरसे
अब भी पाक -साफ कर लो ,दिल की गंदगी को। 
कुदरत का इक करिश्मा है ,जो मिले हैं हम सब
फुर्सत कहाँ यहाँ जो ,रोज मिले हम जिंदगी को । 
करते हैं ''कमलेश'' सब इक दूजे की वाह-वाह !


डॉ सुभाष रॉय की सुंदर रचना का आनेद लें .... 
यह हाथ किसका है
बार-बार मेरी जेब में उतरता हुआ
बेख़ौफ़,  बेलौस
मुट्ठियाँ बंधते-बंधते
खुली रह जाती हैं
दाँत भिंचना चाहते हैं
पर अपनी ही  जीभ
बीच में फँस जाती है



नदीम जी की रचना...कुछ ख्‍वाब कभी सच नहीं हुआ करते 
मैं आज फिर,
रोज़ की तरह सो कर उठा,
तुम्हें ढूंढा कुछ देर,
बिस्तर पर हाथ मारते हुए,
फिर याद आया,
"कुछ ख़्वाब कभी सच नहीं हुआ करते।'



बालक मुल्‍लीनंद ने क्रिकेट पर निबंध लिखा है  ....
बालक गुल्लीनंद सबसे होशियार और अपडेटेड बालकों में से एक था , सो सबसे पहले उसीने इसकी शुरूआत की । उसने शीर्षक को भलीभांति समझते हुए लिखा । क्रिकेट और ललित का साथ पिछले कुछ समय में बहुत ही प्रगाढ हो गया है । वैसे तो ललित का संबंध शुरूआत में कला के साथ हुआ करता था , जैसे ललित कला , मगर कालांतर में जब क्रिकेट में ही कलाकारी की तमाम गुण व्याप्त हो गए और इसीलिए विभिन्न कलाकार भी इससे जुड गए तो ऐसे में ललित भी क्रिकेट के काफ़ी नजदीक हो गए । इनके आने से क्रिकेट का मतलब ही बदल गया पूरी तरह से । जिस क्रिकेट में सिर्फ़ फ़िक्सिंग नामक व्यापार वाणिज्य का स्कोप दिखाई देता था उस क्रिकेट में सट्टेबाजी का बढता हुआ शेयर बाजार टाईप का उगते हुए सूरज समान संभावनाओं से भरा हुआ क्षेत्र खोल दिया । 


कनिष्‍क कश्‍यप जी ने ब्‍लॉग प्रहरी को बंद कर दिया है .. कहते हैं , मुझे क्‍या पडी है अपना समय और ऊर्जा बर्वाद करने की ...


जैसा मैंने  सोचा था कि  सबसे  ज्यादा  अंक अर्जित  करने वाले  ब्लॉगर  को पुरस्कृत   किया जायेगा  . यह इनाम  अगर  500 रुपये  का हो तो ना  देने में अच्छा लगेगा  ना  लेने  में . रही बात पैसे के अलावा जो कुछ दिया जा सकता है , वह आसानी से " एक डोट कॉम साईट ". चूँकि यह मेरे लिए आसान काम था. यहीं सब सोचकर एक पहल कि थी.  

ऐसे में मुझे  क्या  पड़ी  है , मैं अपनी उर्जा  और समय  सामूहिक  कार्य  में लगाऊं . मेरा  लेखन  से वास्ता  टूट  गया  था  . वापस   यहीं   करेंगे   . "हर रोज कीर्तन" !



तनु शर्मा जी को पढिए ... तुमसे कोई शिकायत नहीं ....
तुमसे कोई शिकायत भी तो नहीं...क्यूंकि ....तुम जानते हो ...जन्म जन्मान्तर से सहेजे महुए की मादकता ....किसी बरसाती नदी की बासी पड़ी मछली का स्वाद ...और मेरी देह से उठने वाली हर गंध .....जब तुम्हारी गंध से मिल जाती है....तब शायद बौर आ जाता है..हाँ कुछ अजीब होता है ना ....बिलकुल वैसा जब आँगन में अमराई पर बौर आता है....तुम्हारे लिए गमकने का मन जोर मारता है...बिना किन्ही सवालों के झंझावत के.....मेरी हाथ की पकाई मछली का झोल ..."आमी माछेर झोल" का स्वाद ..हाँ , जब तुम्हारी आँखों से उसका स्वाद सामने आता है..


और प्रकाश बादल जी की सुंदर गजल कहती है ....
इसी तरह से ये काँटा निकाल देते हैं
हम अपने दर्द को ग़ज़लों में ढाल देते हैं 


हमारी नींदों में अक्सर जो डालती हैं ख़लल
वो ऐसी बातों को दिल से निकाल देते हैं 


हमारे कल की ख़ुदा जाने शक़्ल क्या होगी
हर एक बात को हम कल पे टाल देते हैं 



युगल जी सिखला रहे हैं पोस्टिंग के एक दो नहीं 76 तरीके .....
तो साहब पेशे खिदमत हैं




ब्लॉग पोस्टिंग के 76 तरीके (तरीके तो १०१ थे पर मुझे बस ये ही पसंद आये)
1 किसी मुद्दे के पक्ष – विपक्ष का परीक्षण करने वाली एक पोस्ट लिखें.
2 कुछ सिखाने की पोस्ट लिखें 
3 महत्वपूर्ण लोगों के साथ साक्षात्कार पोस्ट करो
4 पहेली या प्रतियोगिता की पोस्ट आरंभ करें
5 एक मामले का अध्ययन करने वाली पोस्ट लिखें
6 एक लंबी टिप्पणी लिखें.
7 किताबों के शीर्षक से विषय चुने
8 amazon.com पर किसी मुद्दे का अनुसन्धान करें
9 अपने पाठकों की टिप्पणियों के उत्तर देती एक अलग पोस्ट लिखे
10 किसी विषय पर कोई व्यापक सूचि बनाये


अंतर सोहिल जी के चिट्ठे पर कुछ चुटकुले पढिए ....


फत्तू एक दिन देर से घर पहुंचा तो उसके पिता रलदू ने पूछा - कहां था?
फत्तू - दोस्त के घर पर
रलदू ने उसके दस दोस्तों को फोन कर-करके पूछा। पांच ने कहा "हां, मेरे साथ था"। यही होते हैं सच्चे दोस्त।
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फत्तू चौधरी फोन पे बात कर रहा था।
सत्तू  - किससे बात कर रहे हो।
फत्तू - बीवी से
सत्तू - इतने प्यार से
फत्तू - तुम्हारी है
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आप सब जानते हैं कि -
आज
 सी.एम.क्विज़ के पहले राउंड की यह आखिरी क्विज है!
सी.एम.क्विज़ का दूसरा राउंड 
15 अगस्त 2010 से आरम्भ होगा !

इस बार सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से 
'सी एम क्विज़- 35' में हमने नीचे बॉक्स में जाने-पहचाने 14 चेहरे दिए हैं, जो दो ग्रुप में हैं - A और B ! आप या तो एक ही ग्रुप के सारे चेहरों को पहचानिए या फिर दोनों ग्रुप को मिलाकर 12 चेहरों को पहचानिए ! बहुत ही आसान है ... बस ध्यान से देखिये और जवाब देते चले जाईये !
danger world

laughter world


फिर मिलेंगे अगले सप्‍ताह आप सबों को मेरा राम राम !!

11 टिप्पणियाँ:

बहुत बढिया वार्ता संगीता जी,
शुभकामनाएं

अच्छा तारतम्य है इस ब्लाग चर्चा में...शुभकामनायें !

अच्छी जानकारी से भरी विवेचना को ब्लॉग पर सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद / ऐसे ही प्रस्तुती और सोच से ब्लॉग की सार्थकता बढ़ेगी / आशा है आप भविष्य में भी ब्लॉग की सार्थकता को बढाकर,उसे एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में,अपना बहुमूल्य व सक्रिय योगदान देते रहेंगे / आप देश हित में हमारे ब्लॉग के इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर पधारकर १०० शब्दों में अपना बहुमूल्य विचार भी जरूर व्यक्त करें / विचार और टिप्पणियां ही ब्लॉग की ताकत है / हमने उम्दा विचारों को सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / इस हफ्ते उम्दा विचार के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /

Sangetaji, bahut achchha laga. Aap ne vada pura kiya. Isse utsah badhta hai.

बहुत बढिया वार्ता

.
आप तो बड़ी छुपी रुस्तम निकलीं,
चर्चा उत्कृष्ट तो है, कोई सँदेह नहीं,
पर सहज हास्य का पुट न होना अखरता है !
शुभकामनायें !

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