शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

गोल्लर मन फ़ांदव दीवार -- ब्लॉग़4वार्ता -- ललित शर्मा

नमस्कार, आज गुरु पूर्णिमा है, आज के दिन ही गुरुकूलों में विद्यारंभ संस्कार हुआ करते हैं। जिससे विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकारी बनता है। दादू महाराज गुरु  की महिमा का बखान करते हैं  - " ईक लख चंदा आण कर, सूरज कोटि मिलाई। दादू गुरू गोविंद बिन, तो भी तिमिर न जाई॥" फ़िर कहते हैं - "जीव जंजालों पड़ गया, नौ मण उलझा सूत। कोई एक सुलझे सावधान, गुरु, बाईक, अवधूत॥" 
गुरू की महिमा निराली है। बिना गुरु के ज्ञान नहीं। वेद कहते हैं मनुर्भव: अर्थात मनुष्य बनो। विद्यालय ही वह स्थान है जहां गुरु के मार्गदर्शन में पशुवत प्राणी मनुष्य बनता है। नहीं  तो पशु और मानव में कोई अंतर नहीं। जिनसे भी हमने कुछ ज्ञान प्राप्त किया है, वे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष हमारे गुरू हैं, गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर उन्हे सादर नमन। उनके प्रति हम अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं, अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर ......।

सबसे पहले चर्चा करते हैं रायपुर में रजनीश की, आज रजनीश पूर्णिमा भी है। इस अवसर राहुल सिंह जी सिंहावलोकन पर गुरुओं को याद कर रहे हैं।सन्‌ 1979 में दुर्गा महाविद्यालय से स्नातक हो कर, स्नातकोत्तर के लिए मैंने प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विषय का चयन किया। पुरातत्व में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए गुरूजी श्री डॉ. विष्णु सिंह ठाकुर की प्रेरणा रही और फलस्वरूप न सिर्फ रायपुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के अनूठे शिक्षण संस्थान शासकीय दूधाधारी श्रीवैष्णव स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय, रायपुर में प्रवेश लिया।

इधर दुनिया बदलने की खबर है, और चर्चा हो रही है हम और वो की। छत्‍तीसगढ़ी में गजल विधा का प्रयोग हो रहा है। संजीव तिवारी जी  ने ब्लॉग पर ताला लगा रखा है फ़िर कुछ शेर  उनके ब्लॉग से  ताला तोड़ कर लाए हैं आपके लिए.....

नरवा खलखल हांसत है,
नवा नवा फ़ूटत है धार्।(जोहार ले - - - -

बरदी के सुत गे गोसैया,
सन्सो में हवय खेत खार। जोहार ले - - - -

दिल हा चना के जवान है,
औ राहेर लगत हे कचनार। जोहार ले- - - -

धान के कोनो पुछैया नाही,
औ खड़े है चना के खरीदार। जोहार ले - - -

अमली के सा्ड़ी हा सरकत है,
औ लहकत हे आमा के डार। जोहार ले

कोड़ही मन हा फ़ाग सुनावत।
गोल्लर मन फ़ांदव दीवार । जोहार ले- - -
 

आतंकवाद की लड़ाई जारी है, पर धमाके नहीं सुन सकते सत्ता में बैठे गूंगे बहरे लोग, शबनम खान ले आई हैं खाली पन्नो वाली डायरी, लेकिन अब इसमें कुछ तो लिखना ही पड़ेगा। इधर भूत प्रेत आया है कहते हैं पत्रकारों का पागलपन छाया है, यहां भी दावा है अब मारा तो मारा, अब मार के देख तब बताऊंगा तुझे, बरसों से यही  होता आ रहा है, और देश की आत्मा लहूलुहान है। चांदनी भी श्वेत चादर ओढ़कर हँसती है जब ये कहते हैं - कर देता हूं सारे ब्‍लॉग डिलीट और आजाद हो जाऊं 15 अगस्‍त को, अगर आप तो नहीं कर पाएंगे किन्तु योद्धाओं को मत रोकिएगा ये अवश्य कुछ कर दिखाएगें।

बम विस्फोट हवा में उठता शोर, गंध, शोले और चीथड़े लाशों के दो पल में जिंदगी ने दम तोड़ा कटे सर, कहीं धड़बर्बरता ने सारी सीमाओं को छोड़ा चीखें, कराहटें, आर्तनाद विलाप, विनाश, विध्वंस कहीं दूर नफरत ने जाल बिछा.चल यार....ये तो रोज का है.कल शाम यहाँ मुम्बई में बम फटे, आज सुबह सब कुछ वैसे का वैसा। बच्चे स्कूल जा रहे हैं, लोग ऑफिसों में, कारखानों में अपने काम पर जा रहे हैं, बसें,कारें,मोटरसाइकिलें सब कुछ जैसे कल चल रहे थे वैसे ही आज भी ...

चलते रहिये चलते रहिये रुक  जाना नहीं कहीं तू हार के, काटों पे  चलके मिलेगें साए  बहार के, रुक जाना नहीं।ट्रिनSSS ट्रिनSSS ट्रिनSSS  घंटी बज गयी है, आज कुछ मित्रों का जनमदिन है , वर्डप्रेस इंस्टालेशन - ब्लोगर से हिंदी लिखने का टूल जबसे गायब हुआ है कई लोगों को आशंका है कि कहीं गूगल ब्लागस्पाट को बंद ही ना करदे| यदि एसा होता है तो ब्लोगर्स की सालों की मे... रोज़-रोज़ जीती मुंबई - मैं 1999 में पहली बार मुंबई गई थी। TISS का एन्ट्रेन्स था, और मैं चाचाजी के साथ कोलकाता से गई थी। दादर प्लेटफॉर्म पर गीतांजली एक्सप्रेस रात के ग्यारह बजे ... 

आज बस इतना ही, मिलते हैं कल एक ब्रेक के बाद, राम राम

12 टिप्पणियाँ:

रायपुर में रजनीश की चर्चा के लिए धन्‍यवाद.

सब कुछ सयंमित ||

गुरु-पूर्णिमा के शुभ
अवसर पर गुरु-कृपा ||
चरण-वंदना ||

बहुत अच्‍छी वार्ता ....
गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर सभी गुरूओं को सादर नमन !!

कहते हैं गुरु बिन ज्ञान नहीं ? यह सच हैं ..?? पर आजकल के गुरुओ को देखकर बिन ज्ञान ही हम बेहतर हैं ......??????????? बढ़िया चर्चा .

मेरी रचना यहाँ ! धन्यवाद अच्छे लिंक

रोचक जानकारी पूर्ण प्रस्तुति....

वाह क्या चर्चा की है आपने गुरूपुर्णिमा पर। रजनीश जी के चिट्ठे ने हमे भी गुरूजनों की याद दिला दी। धन्यवाद।

बहुत बढिया.. ऐसी जानकारी भरे लेख कम ही पढने को मिलते है।

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