संध्या शर्मा का नमस्कार...मानव धर्म वह व्यवहार है जो मानव जगत में परस्पर प्रेम, सहानुभूति, एक दूसरे का सम्मान करना आदि सिखाकर हमें श्रेष्ठ आदर्शो की ओर ले जाता है। मानव धर्म उस सर्वप्रिय, सर्वश्रेष्ठ और सर्वहितैषी स्वच्छ व्यवहार को माना गया है जिसका अनुसरण करने से सबको प्रसन्नता एवं शांति प्राप्त हो सके। धर्म वह मानवीय आचरण है जो अलौकिक कल्पना पर आधारित है और जिनका आचरण श्रेयस्कर माना जाता है। संसार के सभी धर्मो की मान्यता है कि विश्व एक नैतिक राज्य है और धर्म उस नैतिक राज्य का कानून है। दूसरों की भावनाओं को न समझना, उनके साथ अन्याय करना और अपनी जिद पर अड़े रहना धर्म नहीं है। एकता, सौमनस्य और सबका आदर ही धर्म का मार्ग है, साथ ही सच्ची मानवता का परिचय भी। [लाजपतराय सभरवाल]. इस सुविचार के साथ आइये चलते हैं आज की वार्ता पर कुछ चुनिन्दा लिंक्स के साथ... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........
घूरने वालों ने दी कुर्बानी ( एक व्यंग्य टिप्पणी)
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*हिंदुस्तान के सम्पादकीय पृष्ठ पर नश्तर कॉलम में प्रकाशित ( देखते देखते चले
गये देखने वाले)*
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**सुना है घूरे के दिन भी फिरते हैं तो भला घूरने वालों के दिन..मन लागा मेरा यार फकीरी में..जुदा -जुदा फकीरी
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श्रीगंगानगर-फकीरी! जिस के पास सब है उसका फक्कड़ अंदाज फकीरी है। जिसके पास
कुछ लेकिन वह ऐसे जीता है जैसे दुनियाँ की सभी सुख सुविधा उसके कदमों में है
तो ...३ जी रोमिंग
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लगता है कि देश में किसी कानून में कमी निकाल कर
अपना काम निकाल लेने की नेताओं की मंशा का असर अब उद्योग समूहों पर भी पड़ने
लगा है ...
सिंघा धुरवा
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बार-नवापारा के जंगल में कांसा पठार एवं रमिहा पठार के बीच में हटवारा पठार
स्थित है। इस पठार को सिंघा धुरवा कहा जाता है। मान्यता है कि जंगल में
स्थित पठार पर आनी बानी : 14 भाषा के कविता के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
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संगें संग इहू ल देखव —छत्तीसगढ़ी कविता मा लोक जागरन के सुर चना के दार राजा,
चना के दार रानी..
नक्सली व सलवा - जुडूम के अत्याचारों से त्रस्त होकर भाग कर आन्ध्र आये हजारों आदिवासी परिवार जीने के लिए तरस रहे
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साथियों , इस समय मै आन्ध्र प्रदेश के जिला खम्मम के भद्राचलम क्षेत्र के उस
इलाके में हूँ , जहाँ दक्षिण छत्तीसगढ़ से सैकड़ों आदिवासी गाँव के गाँव
छोड़कर आ बस..
मिस काल
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गीत बजता- 'प्यार किया तो डरना क्या, प्यार किया कोई चोरी नहीं की', एक समय था
जब रेडियो पर यह गीत सुनते कोई लड़की पकड़ी जाए तो उसकी खैर नहीं, और लड़के
सुनते ..मुकम्मल ख़त नहीं लिखते .....!!!
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*उसे ....
मैंने ही लिखा था कि
लहजे
बर्फ हो जाएँ तो
पिघला नहीं करते ....!!!**परिंदे
डर के उड़ जाएँ तो
फिर लौटा नहीं करते ..
उसे मैंने ही लिखा था **कि ...सहर न हुयी...
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*रात मेरी अँधेरी, सहर न हुयी*
**
*पीर बढ़ती गयी मुक्तसर न हुयी -*
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हम चिरागों के दर से बहुत दूर थे*
*चाँद भी सो गया ,चांद...
वो आवाज भी बदलेंगे और अंदाज भी !
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**चोरी का माल खाके, हुए बदमिजाज भी, *
*वो जो बेईमान भी है और दगाबाज भी।*
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*मिला माल लुच्चे-लफंगों को मुफ्त का, *
*घर-लॉकर भी भर दिए, और दराज भी। ...कहना मुश्किल था कि बोतल में शराब थी या ---
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होली के कुछ दिन बाद शाम का समय था। अस्पताल से घर जाते हुए सड़क पर ट्रैफिक
बहुत मिला। ऊपर से सड़क पर पुलिस के बैरिकेड, मानो स्पीड कम करने के लिए बस
इन्ही ..घर-जमाई
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किसी विद्वान ने लिखा है कि ‘इतिहास खुद को दुहराया करता है और अगली बार उसी
पर प्रहसन यानि नाटक भी करवाता है'.
मैं, टीकाराम फुलारा अपने देश से बहुत दूर ...
सुहाने सपने
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सुहाने सपने
सपने सभी देखते हैं। चाहे बच्चे हो ,जवान हो या बूढ़े। ये सपने कभी मन को
गुदगुदा जाता है तो कभी डराता और कभी रात भर तंग करता है। देखिये कैसे ?..."युगे-युगे"...मिथ्या दंभ में चूर
स्वयं को श्रेष्ठ घोषित कर
कोई श्रेष्ठ नहीं हो जाता
निर्लज्जता का प्रदर्शन
निशानी है बुद्धुत्व की
सूर्य को क्या जरुरत
दीपक के प्रकाश की
वह ...अनुभुति की सुकृति ....!!
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अनुभूति ...से अनुभूत ...
अनुभूति से अनुरंजित ...
अनुभूति के अनुकूल ...
अनुभुति से अनुरक्त ...
बोझिल तन्हाइयां
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आँखों की आँखों से बातें
ली जज्बातों की सौगातें
कुछ हुई आत्मसात
शेष बहीं आसुओं के साथ
अश्रु थे खारे जल से
साथ पा कर उनका
हुई नमकीन वे भी
यह अनुभव कुछ ....ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर ...:) इन्टरनेट खंगालते हुए कुछ प्रेम पत्र प्राप्त हुए सोचा आप लोग भी पढ़ लें ....
एक सम्पादक पति का प्रेम पत्र .. क्षणिका जिद्दी मन
कभी कभी
खुद की भी नहीं सुनता
और वही करता है
जो उसे
खुद को
अच्छा लगता है। *
सुअरमार गढ़
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छत्तीसगढ़ अंचल में मृदा भित्ति दुर्ग बहुतायत में मिलते हैं। प्राचीन काल में
जमीदार, सामंत या राजा सुरक्षा के लिए मैदानी क्षेत्र में मृदा भित्ति दुर्गों
का... दुनिया को कामसूत्र का ज्ञान देने वाला देश खुद अपने सेक्स से जुड़े मसलों को लेकर इतना असहाय हो गया!!! .*महापुरुषों की मूर्तियाँ लगवाकर उनको भूल जाना और महान विचारों को किताबों तक
सीमित कर देना हमारा पुराना शगल है!!!*
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**महिला सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी छवि धूमिल ही हुई है।*
*..सपने और रोटियां.सपने अक्सर झूठे होते हैं.
मैने झूठ बेचकर सच ख़रीदा है.
सच अपने बूढ़े माँ बाप के लिए,
सच अपने बीवी बच्चों के लिए,
मैने सपने बेचकर खरीदी हैं रोटियां.
सपने सहेजे नहीं जा सकते,
मैं सहेज कर रखता हूँ रोटियाँ,
...
13 टिप्पणियाँ:
आज की वार्ता का यह अंदाज भी बढ़िया है |आपकी महनत को आशीष और बधाई |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत सुंदर वार्ता संध्या जी ..
इतने सारे लिंकों के लिए आपका आभार !!
शुभप्रभात ....
आभार संध्या जी ...बहुत प्रसन्नता हो रही है आपनी रचना यहाँ देख कर ....
सभी अन्य लिंक्स भी बहुत अच्छे ....
आभार ...ह्रदय से ....
सुन्दर वार्ता !!
बहुत ही सुन्दर और पठनीय लिंकों की प्रस्तुति,आभार.
संध्या जी "सुहाने सपने " आपके ब्लॉग पर देख कर बड़ी ख़ुशी हुई .आभार .बहुत बढ़िया संकलन
्पठनीय वार्ता
बहुत सुन्दर वार्ता....
बेहतरीन चर्चा ...
रोचक सूत्रों से सज्ज वार्ता..
sandahya ji ! blogogaya ke liye link kahan jodna hai,batane ki kasht karen.
संध्या जी,
धन्यवाद है आपका !
HUMMMM !!! nice one !!!!!
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