सवाल : दो माइक क्यों
जवाब : जब सियासी मामला हो तो मुंह दो जाते हैं
|
समीरलाल समीर ने एक लम्बी ज़द्दो-ज़हद के बाद ब्लागर्स की एक सियासी पार्ती की घोषणा अंतत:
आज़ जबलपुर आकर कर ही दी . उनका अचानक जबलपुर आगमन हुआ.आज़ अल्ल सुबह 5:30 बजे उड़न-रक़ाबी ने जबलपुर के रामपुर
एम.पी.ई.बी. की पहाड़ियों जैसे ही लैण्ड किया वैसे ही उधर मौज़ूद जबलपुरिया
ब्लागर्स सह फ़ेसबुकिये क्रमश: विजय तिवारी, बवाल,
राजेश दुबे , अनूप शुक्ल जी ने सुबह
सवेरे टाइप का स्वागत किया. किसी के हाथ में लोटा और पानी से लबालब बाल्टी लिये था,
तो कोई नीमिया दातून लिये था. बवाल चाय खौलाते पाए गए.
पोण्ड में नहाने के इरादा था पर मुईं
गाजरघासों से डरे डरे शुक्ला जी
|
बवाल ने जब प्रात: कालीन
औपचारिकाओं के निपटान के बाद चाय पेश की तो समीर लाल यह कहते पाए गये- "कौन
टाइप की चाय बनाने लगे ?"- समीर का यह स्टेटमेंट सुन
बवाल ने कहा-"जौन टाइप की चाय चाह रहे हो बो शाम को मिलेगी !" इस वाक्य
को सुन कर अनूप शुकल जी दूर तलछटी
में पानी परे पौंड में खड़े खड़े मंद-मंद मुस्कान बिखेरेते हुए मौज लेने
लगे. यूं तो वे विद्योत्तमा की तलाश में
बावरे कालिदासों. को लेकर भी चिंतित थे पर
समीरलाल को लेकर कुछ अधिक भावुक भी लगे जैसा समीरलाल के लिये उनका आदि काल से
रवैया रहा है... इस बीच उनके सेल पर एक फ़ोन आया जो सम्भवत: दिल्ली से
था कालर थे सोचने वाले गधों के मित्र अविनाश वाचस्पति अविनाश जी को पता नहीं किधर से समीरलाल के
अत्यंत गोपनीय दौरे की भनक लगी कि बस वे लगे कि कोई जबलपुर से कन्फ़र्म कर दे कि
समीर आ गये तो वे हर गोपनीय को ओपनीय करने का कारोबार आरम्भ करें. किंतु जबलपुरिया
हैं कि माई नरबदा की कसम खाए बैठे है कोऊ कछु बतातई नईं आंय .. उनके दिल की हालत ... बहुत अजीब सी थी तभी हमाए फ़ोन पे
फ़ोन आया रायपुर से कि हम चंगोरा भाटा से लौटकर ………… सीधे
जबलईपुर आवेंगे. व्यवस्था ठीक ठाक रखना .
|
सुबह सकारे काफ़िला समीर जी को घर छोड़ आया आज शाम
एक प्रेस कांफ़्रेंस हुई जिसकी विस्तृत रिपोर्ट यानी आगे का भया ये जानने
मिसफ़िट पे आना पड़ेगा
तब तक आप लोग खुदके लिंक खोजिये...
bhanuprakashsharma
कुछ ब्लाग जो हमको पसंद आये उनको भी
पढ़ा
9 टिप्पणियाँ:
खूब! भाई ये बवाल जब चाय खौला लें तो एक गिलास हमारे लिये भी भेजें जरा!
सुन्दर सूत्रों से सजी वार्ता..
सुबह सुबह चाय के साथ अच्छे लिंक्स !
सचमुच में एतिहासिक वार्ता है………… सुप्रभात
अभी लाया साब
हा हा हा बहुत ही मज़ेदार होली की फ़ुहारें रहीं। परमानन्द आ गया। क्या कहना ! वाह वाह!
ये गिलास का क्या चक्कर है ? कहीं शाम वाली चाय तो नहीं मँगा रहे। उस पर तो भैया कल से ५% वैट लगने लगा है। कृपया कैंटीन से बिना टैक्स वाली की व्यवस्था करवा दें। अनूपजी के होते हुए हम लोग टैक्स पटा पटा के शाम वाली चाय पिएंगे तो “वाचस्पति अविनाश जी” क्या सोचेंगे भला ?
हम अभी आम ही हैं खास कब होंगे????????
सुन्दर सूत्रों से सजी वार्ता..
http://voice-brijesh.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।