: ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
: ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 26 सितंबर 2012

तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार ......कभी -कभी एक ऐसा वक़्त भी जीवन में आता है, जब जीवन की राह में हमें कई मोड़ दिखाई देते हैं, माना की हर राह, हर मोड़ मंजिल तक पहुंचा देती है, लेकिन हमें राह वही चुननी चाहिए जो सही हो सच्ची हो, क्योंकि संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी ही शानदार होती है .....
"मोड़ आते हैं के जिन्दगी को पड़ाव मिले
थकान  मिटे मन प्रसन्न हो
आगे बढ़ने के लिए नयी उर्जा मिले
नयी आशाएं जागें खुशियाँ मिले 
आगे बढने को मन करे
जिंदगी की राह पे
चलते चलते.... " इसी शुभकामनाओं के साथ आइये चलते हैं आज की वार्ता पर...... 

तुम जो नहीं हो तो... चाँद डूबा नहीं है पूरा, थोड़ा बाकी है | वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर, सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी, अभी भी चहक रहा है, बस थोड़ा सुस्त है | यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है , आँख में जगने की नमी है, दिल में नींद की कमी | सूरज के आने का सायरन, अभी एक गौरेया बजाकर गयी है | अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है , सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा  , बस तुम्हारी खुशबू नहीं. महकती ... हताशा असफलता और बेचारगी बेरोजगारी की पीड़ा से वह भरा हुआ हताशा से है असंतुष्ट सभी से दोराहे पर खडा सोचता किसे चुने सोच की दिशाएं विकलांग सी हो गयी गुमराह उसे कर गयी नफ़रत की राह चुनी कंटकाकीर्ण सकरी पगडंडी गुमनाम उसे कर गयी तनहा चल न पाया साये ने भी साथ छोड़ा उलझनो में फसता गया जब मुड़ कर पीछे देखा बापिसी की राह न मिली ..तुम कहाँ हो ?  तुम कहाँ हो ? युगों युगों की पुकार ना जाने कब तक चलेगी यूँ ही अनवरत बहती धारा प्रश्न चिन्ह बनी अपने वजूद को ढूंढती क्योंकि तुमसे ही है मेरा वजूद तुम नहीं तो मैं नहीं मैं .............

 कथरी .कैसन तबियत हौ माई? कहारिन ठीक से तोहार सेवा करत हई न? काहे गुस्सैले हऊ! पंद्रह दिना में घरे आवत हई, ई खातिर? का बताई माई तोहार पतोहिया कsतबियत खराब रहल अऊर ओ शनीचर के छोटका कs स्कूल में, ऊ का कहल जाला, पैरेंट मीटिंग रहल तू तs जानलू माई! शहर कs जिनगी केतना हलकान करsला! तोहसे से तs कई दाईं कहली, चल संगे! उहाँ रह! तोहें तs बप्पा कs माया घेरले हौ!  .......... नकाब आज हर चेहरा सच्चा नहीं हर चेहरे पर नकाब है सच्चाई को ढकता हुआ नकाब कभी इन चेहरे को ढके हुए नकाब हटा कर तो देखो देखते ही रह जाओगे फिर सोचोगे, जो देखा था , वो धोखा था हर किसी का चेहरा होगा अनजान जो देखा, जो सोचा, सब झूठ था ! अपनी बातो से दूसरो को भी झूठा बनाया ! पर कब तक छुपायेगा एक दिन तो सच सामने आयेगा और उस दिन वह नकाब हटाएगा..." दर्द का महाराजा .......दाँत का दर्द ...." **'वेदना'* शब्द की उत्पत्ति में *'वेद'* शब्द का क्या महत्त्व है, यह तो नहीं पता ,परन्तु इतना तो अवश्य तय है कि जितना ज्ञान वेदना की स्थिति में प्राप्त होता है उतना ज्ञान वेद से भी नहीं मिल सकता | शायद इसीलिए उस स्थिति को * वेद-ना* कहा गया है | वेदना में भावनाओं का भी समावेश झलकता है |  ईश्वर ने दर्द को शायद...

चार दिन फुटपाथ के साये में रहकर देखिए, डूबना आसान है आंखों के सागर में जनाब - अदम गोंडवी एक बड़े और प्रतिबद्ध जनकवि थे. उनकी सबसे विख्यात रचना "  मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको"   काफी समय पहले कबाड़खाने में लगाई गयी थी. आज उनकी ए...  हे भद्र पुरुषों.. - हे भद्र पुरुषों , किसी स्त्री को इतना भी ना चाहो की मंथरा की पहचान ही न कर सको ! और हे भारत की नारियों , किसी पुरुष को कभी भी गांधारी बन कर ना पूजो ! तुम ... मोहब्बत जो ना कराये थोडा - ये मोहब्बत जो ना कराये थोडा अभी अभी मिली खबर के अनुसार एक हसीना का का दिल एक हसीं पर आ गया है अब आप कहेंगे इसमें क्या खास है दिलों का कारोबार तो आम है ..... 

 12,000 साल पुरानी भीमबेटका की गुफाएं - भीमबेटका में 750 गुफाएं हैं जिनमें 500 गुफाओं में शैल चित्र बने हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12,000 साल पुरानी है। मध्य प्रदेश के रायसेन ... गाँठ पड़ना ठीक है ! - गाँठ जो है तेरे मेरे बीच, बाँधती भी है अलगाती भी है। गाँठ जो खुलती है तेरे मेरे बीच, राह बढ़ती है, तन्हा छोड़ जाती है । गाँठ गर पड़ती नहीं तेरे मेरे बीच,... ये कृष्ण का कदम्ब - .......जो खग हों तो बसेरो करो मिलि कालिंदी कूल कदम्ब की डारन मानुष हो तो वही रसखान ................... बचपन में तो इसे रटा गया था , अब जब पूजा मे... 

हर कोई एक तरीका ढूँढ लेता है जीने का ....... - हर कोई एक तरीका ढूँढ लेता है जीने का ....... उठने का ,बैठने का , जागने का , सोने का ,हँसने का , रोने का, खाने का और पीने का। कभी मन से,कभी बेमन से , कभी जान...  .मैं, मौन हूं---- - क्योंकि, यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है जो, मुझसे कोई छीन नहीं सकता है— मुझसे मेरा घर छीना जा सकता है ... .दारू पियत में ... - आज सुबह सुबह मै कवि एवं गायक पंडित शिव प्रसाद जी शुक्ल "*शिब्बू दादा*" की पुस्तक "बिगड़ी मेरी बना दो" पढ़ रहा था . पुस्तक में आदरणीय शुक्ल जी द्वारा शराबबंद... 

चिता - जल रही थी चिता धू-धू करती बिना संदल की लकड़ी या घी के.... हवा में राख उड़ रही थी कुछ अधजले टुकड़े भी.... आस पास मेरे सिवा कोई न था... वो जगह श्मशान भी नहीं थी श.. तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर - "तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर उस समन्दर के अंदर सिद्धांत के कुछ बुलबुले सवाल कुछ चुलबुले नाराज सी नैतिकता निरीह नीति समय के सामने कुछ संकेत सीमित... बंजारा सूरज - बंजारा सूरज *श्यामनारायण मिश्र* किसे पता था सावन में भी लक्षण होंगे जेठ के आ बैठेगा गिद्ध सरीखे मौसम पंख समेट के बंजारा सूरज बहकेगा पीकर गांजा भंग जंगल तक ..

 चलते -चलते ....! 1234 - सकते लिए समझ http://www.chalte-chalte.com/feeds/posts/default समय ठहर उस क्षण,है जाता,,,, - समय ठहर उस क्षण,है जाता,,, ज्वार मदन का जब है आता रश्मि-विभा में रण ठन जाता, तभी उभय नि:शेष समर्पण ह्रदयों का उस पल हो जाता, समय ठहर उस क्षण,है जा...किन्तु! मृत्यु ठहरी हुई !! - वेग से चलती रेल, और ठहरा हुआ प्लेटफ़ॉर्म !!! जो प्रत्येक यात्री का, है अंतिम गंतव्य........ जीवन भी वेग से चलायमान किन्तु! मृत्यु ठहरी हुई !! वो भी प...  

कार्टून :- ऐसा शुभदि‍न सबके जीवन में आए

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-43HrvZnFJhyTdXynEjllISKipE71NhdGcPGxNz4kfTlnXiLHyBfpxdGq9H-2lOwERriC0fVLitWLqnYdy9bUPoaBOCbJXJMJNfnXWQCbeh44_FZFg1s2eoSt2zE4j9sUZdGw3PHatjg/s320/24.9.2012.jpg

 

एक गीत मेरी पसंद का ....


अगली वार्ता तक के लिए नमस्कार ..........

रविवार, 9 सितंबर 2012

पाबला जी को पुत्र शोक!!!

बहुत ही दुखद समाचार है कि बी एस पाबला जी (भिलाई छत्तीसगढ) के पुत्र गुरुप्रीत सिंग पाबला का अकस्मात् निधन हो गया है। अंतिम यात्रा 9 सितम्बर 2012 को भिलाई रुवां बांधा स्थित उनके निवास स्थान से लगभग 12 बजे प्रारंभ होगी। ईश्वर से मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। ओ3म शांति: शांति: शांति: ......

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

नदी हो तुम...किसी के लिए रुकना नहीं--ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...  ललित शर्मा जी फ़ेसबुक पर संझा लिख रहे हैं --- "यदि किसी बगुले को स्वर्णहंस समान नीरक्षीर करने वाला आदर्श मान कर आदर एवं सम्मान देते रहते हैं, वह बगुला भी स्वर्ण हंस की भांति अभिनय करता है और सोचता रहता है कि उसका भंडा कभी नहीं फ़ूटेगा। सब यथावत ही चलता रहेगा। लेकिन ऐसा होता कहाँ है? भ्रम स्थायी नहीं होता। एक दिन बगुला अपनी औकात पर आ जाता है और उसका स्वर्णमंडल उतर जाता है। उसे आदर्श मानने वाले का भ्रम भी टूटकर बिखर जाता है। हृदय विदीर्ण हो तार-तार हो जाता है। इसलिए कभी-कभी भ्रम का बना रहना अच्छा होता है क्योंकि टूटने पर दु:ख होने से विषाद जन्म लेकर क्रोध के द्वारा बैर की उत्त्पत्ति से स्थायी घृणा में परिवर्तित हो जाती है। स्थायी घृणा दोनों पक्षों के लिए दुखदायी होती है। इसलिए हे! तुच्छ मानव तू जान ले, कृतघ्नता प्रत्येक परिस्थिति में अक्षम्य होती है। ये दुनिया चिड़ियाघर नहीं है, यहाँ बुद्ध भी हुए और बुद्धि वाले मानव भी बसते हैं। " इस संझा विचार के साथ प्रस्तुत है, आज की वार्ता....

क्‍या करें क्‍या न करें 24 और 25 अगस्‍त 2012 को ?? मेष लग्नवालों के लिए 24 और 25 अगस्‍त 2012 को स्वास्थ्य या व्यक्तिगत गुणों को मजबूती देने के कार्यक्रम बनेंगे, स्मार्ट लोगों का साथ मिलेगा। रूटीन काफी सुव्यवस्थित होगा , जिससे समय पर सारे कार्यों को अंजाम ...मोह की क्षणभंगुरता में  वीरानें में लटकती सांसों को घुंघरू की तरह प्रतिध्वनित होना था जिंदगी दो चार कदम पर गहरी कुआँ थी वक्त बेवक्त नमी सूखती रही प्यास प्याउ पर बिखरी तन्हाई को टटोलती रही सन्नाटे गहराते रहे असंख्य यादों ...आखरी सांस बचाकर रखना एक उम्मीद लगाकर रखना. दिल में कंदील जलाकर रखना. कुछ अकीदत तो बचाकर रखना. फूल थाली में सजाकर रखना. जिंदगी साथ दे भी सकती है आखरी सांस बचाकर रखना. पास कोई न फटकने पाए धूल रस्ते में उड़ाकर रखना. ये इबादत न...

दंतेवाड़ा से कुटुमसर - दंतेवाड़ा की ओर सुबह आँख खुली तो घड़ी 6 बजा रही थी और हम भी बजे हुए थे, कुछ थकान सी थी। कमरे से कर्ण गायब था, सुबह की चाय मंगाई, चाय पीते वक्त टीवी गा रहा था...... "मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब" "मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब" साँसें ठहरी रही, मेरे सीने में एक लम्बे अरसे तक, जैसे, एक तेज महक की घुटन ने, मानो जिंदगी को जकड रक्खा हों, मैंने भी ठान रक्खी थी जीने की, और अपने आप को (मेरी बेटी) जिन्दा र....रिश्तों को ज़मीन पर उतरना ही होता है, चाहें शुरू कहीं से हो..! - वो एक दूसरे से नहीं, एक दूसरे के ख़्यालों से मिले थे पहली दफे। इसकी दुश्वारियां उसने महसूस की थी और उसकी तनहाईयों में ये शामिल हो गया था। वो दोनों अपनी ... 

हुनर ... - गर वो सरकार से उतरे तो त्वरत ही मर जाएंगे क्योंकि - सुनते हैं, घोटाले उन्हें ज़िंदा रखे हैं ?? ... काश ! शब्दों में होता हुनर, खुद ही हिट होने का त.. किन किन चीज़ों के लिए आखिर लड़ें महिलाएँ?? - चोखेरबाली, ब्लॉग पर आर.अनुराधा जी की इस पोस्ट ने तो बिलकुल चौंका दिया. मुझे इसकी बिलकुल ही जानकारी नहीं थी कि 1859 में केरल की अवर्ण औरतों को शरीर के उपर... बगल की डाली पर बैठी है कौन...? - कांग्रेस की फुनगी पर कौन है बैठा...?.... बगल की डाली पर बैठी है कौन... हर शाख पर बैठे हैं 2G , आदर्श और कोयले वाले.... अरे किसने लिखा था वो गीत...."हर शाख ... 

गीत  - मेरे पार्श्व में रहो, ओ मेरे मन के मीत तुमसे ही मुझमें स्पंदन है, तुम्ही हो मेरे गीत. पुष्प नहीं औ’ पत्र नहीं तुम, जिन्हें काल से है प्यार उपम... रहिमन जिह्वा बावरी कहिगै सरग पाताल - आज जब देश का एक बहुत बडा तबका रोज-रोज की मंहगाई से त्रस्त हो किसी तरह दो जून की रोटी की जुगाड में लगा हुआ है, सारा देश इस बला से जूझ रहा है, ऐसे में एक जि... नदी हो तुम... किसी के लिए रुकना नहीं - नदी हो तुम, किसी के लिए रुकना नहीं, बहुत लोग रोकेंगे, बहुत दिक्कतें आएँगी, चलती रहना तुम, किसी के लिए रुकना नहीं, बच्चो का मुंडन होगा, खुशी में थमना नहीं,... 

लकीरें हाथों की - *कभी लिखा तफ़सील से,कभी मिटा गयी ,* *हाथों की लकीरें, इतना पता बता गयीं -* * **लिखना तुम्हें पड़ेगा , मुकद्दर अपना,* *कागज,कलम, दवात हाथों में थमा गय... आँच- 117 : केतकी का सुवास पूरे वातावरण में खुशबू भर देता है! - *आँच- 117* केतकी का सुवास पूरे वातावरण में खुशबू भर देता है! [image: Salil Varma की प्रोफाइल फोटो]*सलिल वर्मा* [image: My Photo] *“केतकी”* कहानी की लेखिका...अनमने-अनकहे भाव - ** * * *सुनो, सुनो, सिर्फ सुनो* *रात की तन्हाईयों का गीत।* *इस गीत में शोर नहीं,* *इस गीत में शब्द भी नहीं।* *स्वर नहीं, सुर नहीं* *लय और ताल भी नहीं।* *रंग....

अब थोडा हंसिये मुस्कुराइए ... 

http://2.bp.blogspot.com/-yvcikwrOFhU/TfSFVc72KWI/AAAAAAAAAkU/ziDiY94ejgk/s1600/cartoon%2Bface%2Bbook.jpg...

इसके साथ देते हैं वार्ता को विराम नमस्कार....

गुरुवार, 14 जून 2012

उसके क़दमों में सर मेरा, मेरा गुरुर है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... इस संसार में जन्म लेने वाला - जीवन धारण करने वाला प्रत्येक प्राणी मात्र एक ही लक्ष्य को प्राप्त करता है, और वह है - मृत्यु...! मनुष्य चिरकाल से इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ रहा है, लेकिन उत्तर नहीं मिला. हम कल्पनाएँ चाहे कितनी भी कैसी भी कर लें, किन्तु मृत्यु तो कल्पना नहीं है. वह एक शाश्वत सत्य है, और जब तक जीवन है, तब तक यह देहयात्रा है , और जब तक हमारा व्यक्तिगत स्वार्थ "परमार्थ" नहीं बन जाता, इस लक्ष्य को आसानी से प्राप्त करना नामुमकिन है... ये हुई जीवन और उससे जुडी सच्चाई की बातें...      आइये चलते हैं, आज की ब्लॉग 4 वार्ता पर कुछ बेहतरीन चुनिंदा लिंक्स के साथ...
ममता-मुलायम ने कसा सरकार का पेंज .... ममता और मुलायम ने सोनिया गांधी और सरकार का पेंच थोड़ा ज्यादा कस दिया है। पहले तो सोनिया के साथ बैठक में हुई बातचीत का उन्होने मीडिया के सामने खुलासा कर दिया, बाद में उनकी बात मानने से इनकार कर दिया। सरकार... ऋदम-ए-व्योम  रोष में खो बैठे क्यों, क्यों होश अपने ? कहाँ से पयोगे अब वो पुर जोश अपने मैं न 'मैं' की शमशीर उठाता दरमियान क्यों छूटते, और रहते खामोश अपने ? बेज़ार बेजात रख्खा अहल-ए-गरज को अब क्यों न करे हमें निकोहिश अ... कई बार यूँ भी होता है....रौशन और खुली, निरापद राहों से इतर कई बार अँधेरे मोड़ पर मुड़ जाने को दिल करता है. जहाँ ना हो मंजिल की तलाश , ना हो राह खो जाने का भय ना चौंधियाएं रौशनी से आँखें. ना हो जरुरत उन्हें मूंदने की टटोलने के ..

तब भी तू अपना था तब भी तू अपना था तब भी तू अपना था लगता जब सपना था, दूर तुझे मान यूँ ही नाम हमें जपना था ! चाहत कहो इसको या घन विवशताएँ, दोनों ही हाल में दिल को ही फंसना था ! स्मृतियों की अमराई शीतल... सूर्यास्त कहते हैं हुआ..... रंग की दहलीज पर उड़ती गुलालों की फुहारें, लाल,पीली,जामनी पनघट, कनक के हैं किनारे. दूर नभ के छोर पर,घट स्वर्ण का पानी,सिन्दूरी, सात घोड़ों के सजे रथ से,किरण उतरी सुनहरी. स्वर्ण घट में भरी लाली, धूप थाल... बेटियाँ दो दो घरों की इज्ज़त औ' प्यार बेटियाँ, कुदरत का सबसे अनुपम उपहार बेटियाँ. लगती है आग ज़ब, घर के चिराग से, शीतल बयार बनकर, आती हैं बेटियाँ. जब भी हैं घेर लेतीं, तनहाइयां मुझे, मीठी सी याद बनकर आती हैं बे... 

तेरे जाने और आने के बीच.... .हर दिल की तरह मेरा दिल भी ये चाहता था कि गर उसे मुझसे मोहब्बत नहीं तो किसी और से भी न हो ........वो चला जाए बेशक मुझे छोड़ कर...मगर किसी और के पहल... चलते चलो रे -३ (यलोस्टेन नेशनल पार्क- मैमथ हॉट स्प्रिंग्ज़, मड वॉल्केनो इत्यादि). आज १५ तारीख है । कल की थकान थी तो उठने की कोई जल्दी नही की पर फिर भी तैयार होकर सुबह ९ बजे निकल पडे । आज विजय भी हमारे साथ थे । उसके पहले कॉम्लिमेन्ट्री कॉन्टिनेन्टल ब्रेकफास्ट किया । लंच के लिये एक डे.. परदेशी जब से है लौटा परदेशी घर ..अपने ढूंढ रहा है .. अपनेपन का अहसास घर की दीवारों में, नए - पुराने चेहरों में, घूरती निगाहों में वही पुराना भरोसा वही विश्वास.. बदली- बदली सी है हवा भी, फ़िजा भी हवा में खुशब...

ऐसा न हुआ * * *ढूंढा,* *चार्वाकों , सांख्य,बौद्ध, जैन ,* *द्वैत ,अद्वैत दार्शनिकों ने ,* *अंधकार के गह्वर में * *तिरोहित ,* *पैरों में छाले,* *फटे वसन,अश्रु-भरे नेत्र * *कृशकाय तन ,* *अस्थियाँ अवशेष * *अस्पृश्य हो चुक.. उसके क़दमों में सर मेरा, मेरा गुरुर है चाहे ज़रा मैली भी हो, मुझे मेरी सच्चाई ही मंज़ूर है कहाँ तक साथ देगा धुंआ? एक दिन तस्वीर साफ़ होती ज़रूर है यूँ तो खुद्दार हूँ, सर उठा के चलने की आदत है, उसके क़दमों में सर मेरा, मेरा गुरुर है मज़हब तो स...दुआओं का अपनी असर ढूंढते हैं...! - स्टडी रूम जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ते हुए कुछ ऐसा लगा कि सांसे तेज हो रही है ! उधर घर के बाहर वाले प्लाट पे उभर आये नये मकान की छत की ढ़लाई शिद्दत से ज़ारी ... 

 अब के हम बिछड़े तो ... - मेहदी हसन साहेब ... नमन ... *अब* *के* *हम* बिछड़े *तो* *शायद* *कभी* *ख़्वाबों* में *मिलें* ये धुँआ सा कहाँ से उठता है बात करनी मुझे मुश्किल कभी ...ये धुआँ सा कहाँ से उठता है-अलविदा मेंहदी हसन साब - अभी अभी फेसबुक में शिवम मिश्रा के स्टेटस को पढ़कर अचानक दिल धक् से रह गया.हमारे अज़ीज गज़ल गायक और हिंदुस्तान-पाकिस्तान में समान रूप से सम्मान पाने वाले... मेहदी हसन साहब की कक्षा में जानिये "आवारा गाना" क्या होता है - मेरे पास मेहदी हसन साहब का एक तीन सीडी वाला सैट है. विशुद्ध शास्त्रीय शैली में गाई उस्ताद की ग़ज़लों की इस पूरी श्रृंखला के नगीने मैं, जब-तब एक-एक कर आपकी खि... 

आभासी रिश्ते...आभासी नहीं हैं...१ - *(ये मैं पहले 30 दिसंबर 2010 को पोस्ट कर चुकी हूं आज नये सिरे से करना पड़ रहा है वहाँ प्लेअर नही चलने की वजह से ) * ब्लॉग जगत में आभासी रिश्तों के बारे में... संयुक्त परिवार की तरह बिखरता ब्लॉगजगत। - आज ब्लॉगिंग करते हुए दो वर्ष पूरे होगये। इन दो वर्षों में बहुत कुछ देखा । सब कुछ बहुत नया लगा। महसूस भी हुआ की ज़िन्दगी के बहुत से रंग जो देखना बाकी था वो ...दंतैल हाथी से मुड़भेड़ ----------- ललित शर्मा - *महेशपुर* के मंदिरों के पुरावशेष देख कर जंगल के रास्ते से लौट रहे थे। तभी रास्ते में सड़क के किनारे हाथी दिखाई दिया। एक बारगी तो दिमाग की बत्ती जल गयी। सरग.....

.https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgICNIbNB19KAERTt44EmiXIWcJqqP0XXay51WlYxI7HHlvrWxaVQRx4_Y1ok7kv_KFKCBEYa143cwwfTAzNJFJ6nefkI5uzTEktiEeGC9TUzMCmtDQuHAPwjGAj4JwOgVGVkPqSwwuyi0/s1600/13.6.2012.jpg

आज के लिए बस इतना ही, मिलते हैं अगली वार्ता में नमस्कार.... 

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

हवा में उड़ने को जी करता है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... सरकार ने इन्टरनेट पर निगरानी शुरू कर दी है. फेस बुक से लेकर ट्वीटर, यू ट्यूब, इ मेल  तक पूरी वेब दुनिया पर शिकंजा कसने में सरकार को जरा सी भी देर नहीं लगेगी. एक-एक क्लिक, सर्च, अपडेट, चेट पर भी निगरानी. आतंकी खतरों, साइबर सुरक्षा और गोपनीयता के चलते इन्टरनेट मोनिटरिंग का अभियान शुरू किया गया है...  लीजिये अब प्रस्तुत है आज की वार्ता मेरी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ....   

घर छोड़कर जाता छोटू जयपुर में हाल ही मे हुई एक घटना में माँ की डांट से व्यथित होकर दस साल के भाई समर और आठ साल की बहन विभा ने घर छोङ दिया। दोनों मासूम बिना सोचे समझे घर से निकल पङे । यह सुखद रहा कि पुलिस इन्हें वापस घर ला..

दर्द तुम्हारे होंठो की लाली में ... मेरी हसरतो का लहू झलकता है.. तुम्हारी गेसुओ की भीगी जुल्फों से .. मेरी आँखों का अश्क टपकता है .. मेरे दिल का जख्म है वह .. जो तेरे माथे पर बिंदिया बनकर चमकता है आगे मै क्या क.

वो एसी पागल लड़की थी.... ए चितेरे मेरा चित्र बनाओगे क्या ? एसा चित्र जो सच में मेरा हो मेरा दर्पण...बोलो बना सकोगे एसा चित्र ? एसा चित्र जिसमे इक रेगिस्तान हो जिसके बीचोबीच समुन्दर हो रेगिस्तान भी फेला हुआ और समुन्दर भी अथाह .इस...

वाह..क्या आम हैं !! मुझे तो आम खाना बहुत अच्छा लगता है. अंदमान में तो साल भर में दो-तीन बार आम होते थे, पर यहाँ इलाहाबाद में अब जाकर आम के दर्शन हुए हैं जब हम आपने घर में शिफ्ट हुए तो आम के पेड़ों पर सिर्फ बौर थीं, और आज जाकर ...

फरीकशराफत से अच्छा है ,कहीं बदतमीज हो जाना , दोस्त से अच्छा है, कहीं रकीब हो जाना - जिंदगी आसान नहीं , बे -अदब चौराहों पर , बे- नजीर से अच्छा है, कहीं नजीर हो जाना - क़त्ल होना बनता हो जब, हँस...

तमस की पीड़ा नींद आ रही.... अधखिले पुष्प क़लियों के स्फुरण में - उनके मुरझा के बंद होने की प्रक्रिया , पलकों में दुहराई जा रही.... । रात - तमस की पीड़ा का , विषपान करने - मुझे अपने पास बुला रही .... वह जानती है कि, उसकी...

कहाँ खो गयी संतुष्टी ?  कहाँ खो गयी संतुष्टी, कहाँ गये वे दिन जब होती थी एक रोटी बाँट लेते एक एक टुकड़ा और नहीं सोता कोई भूखा. लेकिन आज भूख रोटी की गयी है मर, लगी है अंधी दौड़ दौलत के पीछे कुचलते सब रिश्तों को अपने पैरों तले. ...

प्रश्न विवेक से उत्तर दे । ये सब कुछ आता गया मैं लिखता गया......कृपया कोई अन्यथा या निजी न ले मुझे मिलाकर :-) क्यों हमें जीवन में कभ...

महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी...नागपुर....international /national award महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी........डॉ अनीता कपूर (कालिफोरिनिया ..U.S..A.से )..और डॉ अमर सिंह वधान (चंढीगढ़ से )महात्मा फुले प्रतिभा संशोधन अकादमी महाराष्ट्र द्वारा नागपुर में १४ अप्रेल २०१२ ...

हम रंग जमा दें दुनिया में, हम बात तुम्हारी क्यों माने ? कुछ रंग नहीं, कुछ माल नहीं कुछ मस्ती वाली बात नही, कुछ खर्च करो, कुछ ऐश करो कुछ डांस करें, कुछ हो जाए ! यदि मौज नहीं कोई धूम नहीं,हम बात तुम्हारी क्यों माने ? क्या कहते हो ? क्या करते हो है ध्यान कहाँ ?कु...

Untitled अब्र के हटते हंसी चाँद निकल आएगा देखना है हमें अब कितना वो शर्मायेगा उनकी आँखों में समंदर है सुना है हमने चलो दरिया मुकाम तक ये पहुँच जाएगा जुल्फों का साया अहवाब हमारा निकला कब ये सोचा था हंसी चाँद पे...

कवि,.. कवि क्या अपनी, परिभाषा लिख दूँ क्या अपनी,अभिलाषा लिख दूँ शस्त्र कलम को, जब भी कर दूँ तख्तो त्ताज ,बदल के रख दूँ केंद्र बिंदु, मष्तिक है मेरा नये विषय का , लगता फेरा लिखता जो , मन मेरा करता मेरी कलम से ... 

उस पार नदी के तट पर बसा एक गांव पिता-पुत्र का एकांतिक वास पुत्र ने चलना सीखा जल पर दस वर्षों के तपोबल से उफनती निम्नगा की पार बिना बेड़ा सीखा तरंगिणी के पार जाना जाना कुलंकषा के उस पार जीवन को पिता ने चवन्नी ...

.... हम आसमां टटोलते हैं... *हवा में उड़ने को जी करता है* *कभी पाँव रोकते हैं कभी ख्वाब रोकते हैं* *तस्सलिबक्ष जीवन में क्यों हम **आसमां **टटोलते हैं* * * *दरख़्त कांटो के कितने हमने सींचे* *सख्त बबूल पे पलाश देख हम क्यों रीझे* *फिर...

मैं देखता रहा :(सरे आम पिटते देखा उसे मालिक के हाथों चाय की दुकान पर क़ुसूर सिर्फ इतना था उन मासूम हाथों से गरम चाय छलक गयी थी साहब के जूतों पर और मैं चाह कर भी बना रहा कायर क्योंकि उसकी नौकरी बचानी थी उसे घर जाकर माँ के ह...

" एक स्पर्श हो दिल पे" ...कुछ 'टच-स्क्रीन' की तरह ....." 'त्वचा' ही एकमात्र ऐसी इन्द्रिय है जो मनुष्य का साथ मृत्यु तक देती है । 'आँख' ,'कान','जिह्वा' और 'नाक' तो अपने दायित्वों में असफल हो सकते हैं परन्तु 'त्वचा' जो एक प्रकार से मनुष्य का प्राकृतिक आवरण भी है... 

मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने ये कोई कविता नहीं सिर्फ मन के भाव है जो कल रात मेरी किताब में रखी इक पुरानी फोटो देख कर आये....प्रस्तुत है **** मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने" जो अनछुए ही रह गए मेरे अब तक के जीवन में जिन्हें,..

पलकभर आसमान वक्त के दरिया में सभी मगरूर हो गए दौलत और शोहरत के नशे में चूर हो गए एक-एक कर सभी दोस्त दूर हो गए ?????? नादाँ दिल मेरे ...... ग़मगीन नहीं होना संग हमेशा रहकर तेरे गम सारे हर लूंगी उदासी भरे दो नैनो....
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार..........

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

बड़ा सुकूं है जबके चारो ओर शोर है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... कल से आईपीएल का धमाल शुरु होने वाला है, इसका आगाज आज सेट मैक्स चैनल पर एक रंगारंग कार्यक्रम से हो गया…मैच की शुरुआत चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस के मुकाबले से होगी…७६ मैचों का आयोजन किया गया है जिसका फ़ाइनल मैच २७ मई को खेला जायेगा. इधर बस्तर में सैनिक बल के अत्याचार पर हंगामा मचाने वालों को यह चित्र भी देखना चाहिए… कि सैनिक बल वहां किस तरह कार्य कर रहे हैं……… अब प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक्स……… 

रात करती इशारे कि महफिल उठी......
सर्द आहें तो कितनी निकलती मगर, दिल की जलती अगन कब है इससे बुझे। शक्ल अपनी दिखे ख्वाइशें थी बहुत, आईने की इजाजत मिली ना मुझे।1। खुद की आवाज तक तो वो सुनता नहीं, खाक उसकी मुनादी से बस्ती जगे। टेढ़ी गलियों...

भोली गाय
बहुत समय पहले की बात है| किसी जंगल में एक गाय रहती थी| जो जंगल में घास चर कर अपना पेट भरती थी| इसी जंगल में एक शेर भी रहता था जो जंगली जानवरों का शिकार किया करता था| समय आने पर ...

अनागत कुसुम
हवा के झझकोरे से बिखरे पत्तों को देखकर बच्चों की भाँति ठिठक जाता है - भीरु मन और चलने से मना करता है एक भी कदम... फिर उसी हवा के झोंके में देखता है भर अचरज - मन कोरा कोंपल -कलियन कि प्रस्तुत होता है अप्रस्त..
समापन करते हुए श्री हरेश कुमार सक्सेना मैं और मेरी छोटी बहिन साधना मैं काव्य पाठ करते हुए साधना वैद संचालन करते हुए 
मुझे पता है .. बिलकुल कायदे से पता है.. देखते रहते हो तुम मुझे कहीं छुप के ..हर वक्त जब कोई नहीं होता है आस-पास, तब आ के खड़े हो जाते हो मेरे समक्ष . पता है ...तुम ही हो कोई और कैसे होगा भला ? तुम्हारे अल...
फरवरी १४, तब मैने लिखा था कि शायद १७०० पन्नों की ई बुक शान्ताराम की शुरुवात ही है- वाकई ९८८ पन्नों की पुस्तक- परन्तु ईबुक में पन्ने बढ़ जाते हैं. आज १ अप्रेल- खत्म हुई पुस्तक. मानो एक युग का अन्त हुआ. यह ...
मेष लग्नवालों के लिए 3 , 4 और 5 अप्रैल 2012 को स्वास्थ्य या व्यक्तिगत गुणों को मजबूती देने के कार्यक्रम बनेंगे, स्मार्ट लोगों का साथ मिलेगा। रूटीन काफी सुव्यवस्थित होगा। अपनी या संतान पक्ष की पढाई लिखाई क...
ये तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ बयां करती है. इसे मैंने फेसबुक से लिया है. 
** * हम भारत में रहते है और हमे अपनी भारतीय संस्कृति पर बहुत गर्व है , हम श्रवन कुमार के आदर्शो को मानते है . हमे ये कतई गवारा नही कि हमारे संस्कार पर कोई ऊँगली उठाये ...हम विश्वगुर...
तो हमारी एक दोस्त से बहस छिड़ गयी कि हिन्दी लिखने वालों को सरल लिखना चाहिए या हिन्दी की गुणवत्ता बरकरार रखते हुए क्लिष्ट? उसे मेरी बहुत ही सरल और सुस्पष्ट हि....
* *फिल्म देखने का नजरिया बदलेगा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया फिल्म फैस्टीवल: कुलपति* *भ्रष्टाचार के खात्में के लिए फिल्मों में सामाजिक संवेदनशीलता जरूरी: शाह....
शायद 1990 की बहार का मौसम था जबकि वे एक दूसरे के प्रति अनुरक्त हुए होंगे और फिर शादी के पवित्र बंधन में बंधना उनकी मजबूरी बन गया ! फिलहाल उनके दो बच्चे हैं..
* * * * *मेरा जनम -दिवस * *२८ march* *मेरे जन्म दिन पर आप सभी दोस्तों का मैं आभार प्रकट करती हूँ ----इस दिवस को आप सबने अपने प्यार से यादगार बना दिया .....  
मशाल इन्कलावी बुझाई क्यों गयी है - इबारत लिखी अमन की,मिटाई क्यों गयी है , टुटा है हौसला , बिकता इमान है , इंसानियत से दुरी , बनायीं क... 
आज दिल कुछ अजीब से लम्हात में जी रहा है ,बड़ा सुकूं है जबके चारो ओर शोर है ...शरीर ऐसा शांत है मानो कितनी मुद्दत के बाद गहरी नींद सोये हो, आस पास की हलचल ध...  
छोटी छोटी चीजें जीवन की दिशा बदल सकती हैं, लेकिन उन छोटी छोटी चीजों पर अमल होना चाहिए, इस रविवार मैं अपने ससुराल में था, यहां घर के मुख्‍य द्वार पर कुछ इंग...  

क्या यही हैं वो विधान? जिससे बना मेरा भारत महान! - सरकारी नौकर बनने के लिए कुछ न कुछ न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता होती है। किन्तु शैक्षणिक योग्यताओं वाले सरकारी नौकरों को अपने नियन्त्रण में रखकर सरक...
मेरा मन जैसे खेत में खड़ा एक बिजुका महसूसता है हर पल तुम्हारी आवन-जावन को बिना कोई सवाल किये........... और भावनाएं जैसे पीहर में बैठी विवाहिता गिन रही ह... 
*संचार माध्यमों ने* कुछ ऐसी फ़िजा बनाई कि मैं भी पृथ्वी प्रहर (अर्थ आवर) मनाने को संकल्पित हो गया। अर्थ आवर आने पर उसका जोरदार स्वागत करने के लिए मोमबत्...  
*एक समय था जब देश देश की तरह चला करता था. अब तो लगता है देश किसी बड़े सेठ की दूकान है, जो अपने लाभ की ही चिंता में लगा रहता है. दुःख होता है कि हमारी सरकार...   
पहाड़ों की एक महकती शाम...लड़की न भी चाहे तो भी चाँद की किनारी आँचल से छू ही जाती. वो मुंह फिराकर नाराज होने का नाटक करे तो भी चाँद शदीद मोहब्बत सीने में..

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार..... 

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More