बुधवार, 18 अप्रैल 2012

हवा में उड़ने को जी करता है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... सरकार ने इन्टरनेट पर निगरानी शुरू कर दी है. फेस बुक से लेकर ट्वीटर, यू ट्यूब, इ मेल  तक पूरी वेब दुनिया पर शिकंजा कसने में सरकार को जरा सी भी देर नहीं लगेगी. एक-एक क्लिक, सर्च, अपडेट, चेट पर भी निगरानी. आतंकी खतरों, साइबर सुरक्षा और गोपनीयता के चलते इन्टरनेट मोनिटरिंग का अभियान शुरू किया गया है...  लीजिये अब प्रस्तुत है आज की वार्ता मेरी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ....   

घर छोड़कर जाता छोटू जयपुर में हाल ही मे हुई एक घटना में माँ की डांट से व्यथित होकर दस साल के भाई समर और आठ साल की बहन विभा ने घर छोङ दिया। दोनों मासूम बिना सोचे समझे घर से निकल पङे । यह सुखद रहा कि पुलिस इन्हें वापस घर ला..

दर्द तुम्हारे होंठो की लाली में ... मेरी हसरतो का लहू झलकता है.. तुम्हारी गेसुओ की भीगी जुल्फों से .. मेरी आँखों का अश्क टपकता है .. मेरे दिल का जख्म है वह .. जो तेरे माथे पर बिंदिया बनकर चमकता है आगे मै क्या क.

वो एसी पागल लड़की थी.... ए चितेरे मेरा चित्र बनाओगे क्या ? एसा चित्र जो सच में मेरा हो मेरा दर्पण...बोलो बना सकोगे एसा चित्र ? एसा चित्र जिसमे इक रेगिस्तान हो जिसके बीचोबीच समुन्दर हो रेगिस्तान भी फेला हुआ और समुन्दर भी अथाह .इस...

वाह..क्या आम हैं !! मुझे तो आम खाना बहुत अच्छा लगता है. अंदमान में तो साल भर में दो-तीन बार आम होते थे, पर यहाँ इलाहाबाद में अब जाकर आम के दर्शन हुए हैं जब हम आपने घर में शिफ्ट हुए तो आम के पेड़ों पर सिर्फ बौर थीं, और आज जाकर ...

फरीकशराफत से अच्छा है ,कहीं बदतमीज हो जाना , दोस्त से अच्छा है, कहीं रकीब हो जाना - जिंदगी आसान नहीं , बे -अदब चौराहों पर , बे- नजीर से अच्छा है, कहीं नजीर हो जाना - क़त्ल होना बनता हो जब, हँस...

तमस की पीड़ा नींद आ रही.... अधखिले पुष्प क़लियों के स्फुरण में - उनके मुरझा के बंद होने की प्रक्रिया , पलकों में दुहराई जा रही.... । रात - तमस की पीड़ा का , विषपान करने - मुझे अपने पास बुला रही .... वह जानती है कि, उसकी...

कहाँ खो गयी संतुष्टी ?  कहाँ खो गयी संतुष्टी, कहाँ गये वे दिन जब होती थी एक रोटी बाँट लेते एक एक टुकड़ा और नहीं सोता कोई भूखा. लेकिन आज भूख रोटी की गयी है मर, लगी है अंधी दौड़ दौलत के पीछे कुचलते सब रिश्तों को अपने पैरों तले. ...

प्रश्न विवेक से उत्तर दे । ये सब कुछ आता गया मैं लिखता गया......कृपया कोई अन्यथा या निजी न ले मुझे मिलाकर :-) क्यों हमें जीवन में कभ...

महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी...नागपुर....international /national award महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी........डॉ अनीता कपूर (कालिफोरिनिया ..U.S..A.से )..और डॉ अमर सिंह वधान (चंढीगढ़ से )महात्मा फुले प्रतिभा संशोधन अकादमी महाराष्ट्र द्वारा नागपुर में १४ अप्रेल २०१२ ...

हम रंग जमा दें दुनिया में, हम बात तुम्हारी क्यों माने ? कुछ रंग नहीं, कुछ माल नहीं कुछ मस्ती वाली बात नही, कुछ खर्च करो, कुछ ऐश करो कुछ डांस करें, कुछ हो जाए ! यदि मौज नहीं कोई धूम नहीं,हम बात तुम्हारी क्यों माने ? क्या कहते हो ? क्या करते हो है ध्यान कहाँ ?कु...

Untitled अब्र के हटते हंसी चाँद निकल आएगा देखना है हमें अब कितना वो शर्मायेगा उनकी आँखों में समंदर है सुना है हमने चलो दरिया मुकाम तक ये पहुँच जाएगा जुल्फों का साया अहवाब हमारा निकला कब ये सोचा था हंसी चाँद पे...

कवि,.. कवि क्या अपनी, परिभाषा लिख दूँ क्या अपनी,अभिलाषा लिख दूँ शस्त्र कलम को, जब भी कर दूँ तख्तो त्ताज ,बदल के रख दूँ केंद्र बिंदु, मष्तिक है मेरा नये विषय का , लगता फेरा लिखता जो , मन मेरा करता मेरी कलम से ... 

उस पार नदी के तट पर बसा एक गांव पिता-पुत्र का एकांतिक वास पुत्र ने चलना सीखा जल पर दस वर्षों के तपोबल से उफनती निम्नगा की पार बिना बेड़ा सीखा तरंगिणी के पार जाना जाना कुलंकषा के उस पार जीवन को पिता ने चवन्नी ...

.... हम आसमां टटोलते हैं... *हवा में उड़ने को जी करता है* *कभी पाँव रोकते हैं कभी ख्वाब रोकते हैं* *तस्सलिबक्ष जीवन में क्यों हम **आसमां **टटोलते हैं* * * *दरख़्त कांटो के कितने हमने सींचे* *सख्त बबूल पे पलाश देख हम क्यों रीझे* *फिर...

मैं देखता रहा :(सरे आम पिटते देखा उसे मालिक के हाथों चाय की दुकान पर क़ुसूर सिर्फ इतना था उन मासूम हाथों से गरम चाय छलक गयी थी साहब के जूतों पर और मैं चाह कर भी बना रहा कायर क्योंकि उसकी नौकरी बचानी थी उसे घर जाकर माँ के ह...

" एक स्पर्श हो दिल पे" ...कुछ 'टच-स्क्रीन' की तरह ....." 'त्वचा' ही एकमात्र ऐसी इन्द्रिय है जो मनुष्य का साथ मृत्यु तक देती है । 'आँख' ,'कान','जिह्वा' और 'नाक' तो अपने दायित्वों में असफल हो सकते हैं परन्तु 'त्वचा' जो एक प्रकार से मनुष्य का प्राकृतिक आवरण भी है... 

मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने ये कोई कविता नहीं सिर्फ मन के भाव है जो कल रात मेरी किताब में रखी इक पुरानी फोटो देख कर आये....प्रस्तुत है **** मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने" जो अनछुए ही रह गए मेरे अब तक के जीवन में जिन्हें,..

पलकभर आसमान वक्त के दरिया में सभी मगरूर हो गए दौलत और शोहरत के नशे में चूर हो गए एक-एक कर सभी दोस्त दूर हो गए ?????? नादाँ दिल मेरे ...... ग़मगीन नहीं होना संग हमेशा रहकर तेरे गम सारे हर लूंगी उदासी भरे दो नैनो....
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार..........

6 टिप्पणियाँ:

कृपया ब्लॉगोदय एग्रीगेटर में मेरे निम्नांकित चार ब्लॉग जोड़ने का कष्ट करें
1.सियानी गोठ http://gharhare.blogspot.com
2.मितानी गोठ http://mitanigoth.blogspot.com
3.अरुण कुमार निगम(हिंदी कवितायें) http://mithnigoth2.blogspot.com
4.श्रीमती सपना निगम(हिंदी)http://mitanigoth2.blogspot.com
आभार

BAHUT ACHHI BLOG WARTA KE LIYE BADHAI............
WO AISI PAGAL LADKI THI, DILKO CHHU GAI, APNI WARTA ME HME SHAMIL KARNE KE LIYE SHUKRIYA.....JI...:)

बढ़िया ब्लॉग वार्ता संध्या जी...............
सभी लिंक्स शानदार.
शुक्रिया
अनु

बहुत अच्छे लिंक्स ..आभार.

रोचक वार्त……… सुन्दर लिंक्स्।

महत्‍वपूर्ण प्रविष्टियों के साथ ''उस पार'' विशेष उल्‍लेखनीय.

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