सोमवार, 23 अप्रैल 2012

धरती कहे पुकार के.:पृथ्वी दिवस ---- ब्लॉग4वार्ता --- संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , आज विश्‍व भर में पृथ्‍वी दिवस मनाया जा रहा है , पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता बढाने के लिए इस उपलक्ष्‍य में हर स्‍थान पर आयोजन हो रहे हैं , कहीं प्रभात फेरी , तो कहीं क्विज , कहीं गोष्‍ठी तो कहीं वृक्ष लगाए जा रहे हैं। ब्‍लॉग जगत में भी इस उपलक्ष्‍य में कुछ महत्‍वपूर्ण पोस्‍टें आयी हैं .. 
संयुक्त राज्य अमेरिका में 22 अप्रैल को मनाया जाता है, यह एक दिवस है जिसे पृथ्वी के पर्यावरण के बारे में प्रशंसा और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए डिजाइन किया गया है.इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी,और इसे कई देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है. यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है.
पर्यावरण को सबसे अधिक आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने ही चोट पहुँचाई है। मनुष्यों की सुविधा के लिए बनाई गयी पॉलीथीन सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। भूमि की उर्वरक क्षमता को यह नष्ट न होने के कारण खत्म कर रही है। इनको जलाने से निकलने वाला धुआँ ओजोन परत को भी नुकसान पहुँचाता है जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी पॉलीथीन के कचरे से मर रहे हैं। इससे लोगों में कई प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं। इससे ज़मीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है तथा भूगर्भीय जलस्रोत दूषित हो रहे हैं। पॉलीथीन कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं डाईऑक्सीन्स जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारियाँ होने की आशंका बढ़ जाती है।
२२ अप्रैल को "विश्व पृथ्वी दिवस". के रूप में मनाते हैं. इस दिवस को मनाने का मक़सद लोगों को पृथ्वी पर मंडराते हुए ख़तरे के प्रति चेताना और उस ख़तरे को कम करने के बारे में जागरूक करना है. इसके लिए १६ से २२ अप्रैल तक "पृथ्वी सप्ताह" भी मनाया जा रहा है. आज से चार दशक पहले एक अमेरिकी सीनेटर ने पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए लाखों लोगों के साथ २२ अप्रैल , १९७० को एक विशाल प्रदर्शन किया था. इसी कारण इस दिन को पृथ्वी दिवस के रूप में मान्यता मिल गई. वैसे २१ मार्च को भी संयुक्त राष्ट्र संघ के समर्थन से अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. जबकि अधिकाँश देशों में २२ अप्रैल को ये दिवस मनाया जाता है.

पिछले कुछ महीनों में दुनिया के विभित्र हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं का आना हमें बार बार चेतावनी दे रहा है कि हमारी धरती हमारे ही क्रियाकलापों से विनाश की तरफ बढ. रही है. विकास की अंधी दौर के दुष्परिणामों से धरती को बचाने के लिए 22 अप्रैल 1970 से धरती को बचाने की मुहिम अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा पृथ्वी दिवस के रूप में शुरू की गयी थी, लेकिन वर्तमान में धरती बचाने की हो रही कोशिशों को देखें, तो लगता है कि यह दिवस सिर्फ आयोजनों तक ही सीमित रह गया है. 
कि "पृथ्वी हमारी इच्छाओं की पूर्ती तो कर सकती है पर हमारी लालच को नहीं "आज के परिदृश्य में यह बात २०० फीसदी सच को बयां कर रही है ... खनन से लेकर वन संपदाओं का अंधाधुंध दोहन ने पृथ्वी को मरियल बना दिया है ...आज शस्य श्यामला धरा नहीं बल्कि बारूदों और खतरनाक विकिरिनों की धरा हमारे सामने है ..यह बंदर के हाथ में रखे बम वाली स्थिति है ..कब अंत हो जाए कोई ठीक नहीं ...हमारे देश भारत में वनों की स्थिति बहुत दयनीय है ..३३ फीसदी के मानक आंकड़े से दूर भारत में लगभग १८ फीसदी के करीब ही वन बचे हैं .ग्लोबल वार्मिंग पर गंभीरता से विचार करना होगा ..आखिर आज पृथ्वी दिवस पर दुनिया के सबसे जिवंत और ख़ूबसूरत ग्रह को बचाने के लिए आगे आने की जरूरत है .
पिछले दिनों गाँव गया तो पूरे वातावरण में एक अजीब सी उदासी महसूस हुई। गाँव के आँगन, पटांगण व दीवारें, जो पहले लोगों से भरे रहते थे, जहाँ पर देश-दुनिया की तमाम बातों पर पंचायत लगा करती थी, वह सब खाली थे। जो आँगन पहले गाय, भैंस, बैलों से भरे रहते थे, सब सूने दिखाई दिए। चहकने वाली पक्षियों की प्रजातियाँ भी नहीं दिखाई दीं। क्या मानव, क्या पशु, क्या पक्षी सभी ने गाँव से मुँह मोड़ लिया है। गाँव अब खाली व वीरान होते जा रहे हैं। आने वाले समय में स्थितियाँ और दुःश्वार हो जाएंगी।
वसुन्धरा की पुकार- हाइगा में
और हर जगह आज इसकी चर्चा भी है... किसी भी स्पेशल दिन पर हम उससे सम्बंधित बातें तो बहुत ढेर सारी करतें हैं लेकिन फिर अगले ही दिन हम सब-कुछ भूल जाते हैं... तभी तो हमारी पृथ्वी दिनों-दिन अपना सौंदर्य खोती जा रही है... लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि अब तो हम बच्चे भी जागरूक हो रहे हैं... अब हमें भी पता है कि हमारी पृथ्वी को हरा-भरा स्वस्थ और सुन्दर बनाये रखने के लिए हमें पर्यावरण-प्रदूषण को रोकना है, पानी के दुरुपयोग को रोकना है, पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों की रक्षा करनी है... हम इसके लिए पूरा प्रयास करेंगे और वो दिन दूर नहीं जब हमारी छोटी-छोटी कोशिशें रंग लायेंगी और हमारी ये ख़ूबसूरत धरती और भी निखर उठेगी... 
बुद्धिजीवियों की
कालोनी से गुजरते
उस रस्ते पर
मैंने देखा
कोलतार की
वह सड़क
चौड़ी
की जा रही थी
बूढ़े पेड़ों को
उनकी
औकात बताई जा रही थी
और उस किनारे
पार्क से
आ रही थी आवाज़--
सड़क के
सामने वाले घर मे
गुज़र करने वाले
सज्जन
माइक पर
कर रहे थे आह्वान
पृथ्वी को बचाने का
पृथ्वी दिवस मनाने का। 
अब लेते हैं एक विराम .. मिलते हैं ब्रेक के बाद ....

6 टिप्पणियाँ:

बहुत अच्छे लिंक्स...आज पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की अत्यंत आवश्यकता है... सार्थक वार्ता के लिए आपका बहुत- बहुत आभार संगीताजी...

धरती दिवस पर पर्यावरण बचाने का संकल्प लेना चाहिए और ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे पर्यावरण का नुकसान न हो। बढिया वार्ता के लिए आभार्……

nice... sangita ji bahut bahut badhai....sunder aalekh..

सार्थक वार्ता,आभार्……

अच्छी वार्ता के लिए धन्यवाद

पृथ्वी दिवस को समर्पित एक बेहतरीन वार्ता।

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More