गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

जिंदगी से रौशनी उस दिन निकल गई ...ब्लॉग 4 वार्ता ......केवल राम

ब्लॉग जगत के सभी साथियों को केवल राम का नमस्कार . जीवन का यह सफ़र यूं ही अनवरत चलता रहे और हम ब्लॉगिंग के सकारात्मक पहलुओं को समझते हुए इस दिशा में पूरी तन्मयता से आगे बढ़ते रहें . कल अक्षया तृतीया पर भी ढेर सारी पोस्ट्स पढने को मिली . इस तरह से अगर हम विचार करें तो हम अपनी सभ्यता और संस्कृति की महता से पूरे विश्व को परिचित करवा सकते हैं . आइये अब आज की वार्ता का सफ़र शुरू करते हैं . पेश हैं आप सबके लिए कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट्स के लिंक्स :-
क्‍यों पसंद हैं हरदम तुमको फूलों के ही साये? -   क्‍यों पसंद हैं हरदम तुमको फूलों के ही साये ?  अश्‍वनी कुमार पाठक  क्‍यों पसंद हैं हरदम तुमको फूलों के ही साये ?  किस अलबेले चित्रकार से, तुमने पंख वातावरण - हमारे चारों ओर की हवा, वस्तुएं और हमारा समाज जिसमें हम रहते हैं वातावरण का अभिन्न अंग हैं । ये हमारे जीवन के ढंग को पारिभाषित करने में अपनी अहम भूमिका निभा पुलों में पुल, हावडा पुल - *आज जब कहीं ना कहीं कुछ साल पुराने पुलों के टूटने, नवनिर्मित या बनने के दौरान ही गिर जाने वाले पुलों की खबर आती है तो इस पुल को इस उम्र में भी सीना  नकटा मंदिर ---- ललित शर्मा - चाय आप अभी पीयेगें या स्नानाबाद? सुनकर आँख खुली तो बाबु साहब पूछ रहे थे। घड़ी साढे पांच बजा रही थी। कहिनी के भाई सहिनी - कहिनी के भाई सहिनी तउन बसाइन तीन गाँव दू उजाड़ एक बसबेच् नइ करिस तिहाँ बसिन तीन कुम्हार दू अंधरा एक के आँखीच् नइ रहिस तउन बनाइन टीम अन्ना की बैठक में ऐसी क्या साजिश रची जा रही थी? - मुफ्ती शमून काजमीअन्ना से उसके कथित फाउंडर मेंबर मुफ्ती शमून काजमी की छुट्टी के साथ एक यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि आखिर टीम की बैठक में ऐसा क्या अति गोपन  मैं तबसे सोच रही हूँ..... - बदलते रहते हैं ज़रा-ज़रा से शब्द, बदलती रहती है बोल-चाल की भाषा, समय,स्थान, परिवेश के साथ ऐसे......कि हमें पता ही नहीं चलता. अभी-अभी ऐसा ही हुआ मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी - मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी आँखो से आँसू बहाऊँगी कभी तुम सुन सको तो सुन लेना स्याह रात की बिसरी बातें मैं तुम्हें बताऊँगी कभी मैं फासलों को मिटाऊँगी. 



चिंतन सुख एकयोजना बद्ध कार्यक्रम के तहत अरसेबाद स्कूलकी हम तीन पुरानी सहेलियां मिलीं हौसलाभर मुस्कुराती , आँखोंमें निखालिस खुशी और उत्सुकता से लबरेज लघुकथा - हवा -हवाएँ /सुधा भार्गव - बेटा , मैंने एक गलती कर दी है । . तुम्हारे स्वर्गीय पापा की फोटो पर तो माला चढ़ा रखी है पर तुम्हारे बाबा संस्कार कैसे देते हें? - *जीवन मूल्यों में हो रहे परिवर्तन ने हमारी संस्कृति को विकृत रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है. एक मिसाल बनकर विश्व में अपना परचम फैलाने वाली  अमिताभ में अ है, नकल में न है - (अमिताभ बच्चन की हिट फ़िल्मों 'डॉन' और 'अग्निपथ' के रीमेक ख़ास सफ़ल नहीं कहे जाएंगे। अब उनकी सुपरहिट फ़िल्म 'ज़ंजीर' का रीमेक बनाए जाने की ख़बर है। कृपा है तो बिना पतवार के भी नाव चलने लगती है .... - टी.व्ही.चैनल वाले भी अब बरस रही कृपा का विरोध नहीं कर रहे हैं और बाबाजी को फिर से खूब दिखाने लगे हैं अभी ये टी.व्ही. चैनल वाले बाबाजी और उनकी कृपा का खूब सलीब ढोते हैं - सुलगती रोज चिताओं पर लोग रोते हैं जमीर बेचते जिन्दा में, लाश होते हैं कुदाल बन के भी जीना क्या, जिन्दगी होती चमक में भूलते, नीयत की, झूठ की महिमा - * * * सत्य तो सदैव लाडला है सभी का, ऊँचे आसन पर बिठाया जाता है, पाता है सभी से अनुराग और सम्मान, गाँधी के प्रयोगों में, हरिश्चंद्र की जिव्हा और धर्मराज के सब बाबा की किरपा है - जय हो दीपक बाबा की जब से बाबा जी ने ब्लॉग से नाता हमारा जोड़ा है तब से हमारा ब्लॉग जगत से जुडाव है इस जगत से बहुत कुछ सीखा है बाबा जी ने ब्लॉग पढ़ने झूलती मीनार और अलबेला खत्री की डुबकी अगली सुबह अलबेला खत्री जी से बात हुई तो उन्होने बताया कि वे एक दिन पहले अहमदाबाद में ही थे। छोड़ दो कलेक्टर को... ऐसी तैसी हो जनता का... - सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई को लेकर एक तरफ जहां सरकार के प्रति लोगों का आक्रोश चरम पर है 

9 टिप्पणियाँ:

आज की बरता बढ़िया है |
आशा

बहुत सारे लिंको से सुसज्जित अच्‍छी वार्ता ..

सारगर्भित कलेक्शन, उम्दा टिपण्णी के साथ, ताज़ा तरीन घटनाओ को समेटे हुए ! अच्छे कार्य के लिए शुभकामनाये !!!!

बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।

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