गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

उमीदों की शमां जलाये रखिये: ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...हाईकोर्ट द्वारा लिए गए एक फैसले में भंडारा के पालक मंत्री को बादशाह जैसे सलूक ना करने और प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप ना करने का निर्देश देना सचमुच ऐतिहासिक ही है. अदालत ने इस मामले में मंत्री को ५ हजार रु. की सजा सुनाकर कहा कि क़ानून के सामने सभी समान हैं.यह निर्णय उन मंत्रियों पर कड़ा प्रहार है, जो "लाल बत्ती" मिलते ही हवा में उड़ने लग जाते हैं. चलिए ख़ुशी तो हुई इस बात से कि क़ानून के लिए सभी समान हैं. आइये अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर मेरी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ.....

धूलि दुर्ग: कोट गढ  कोट गढ अकलतरा से डेढ किलोमीटर पर उत्तर दिशा में स्थित है। है। बर्फ़ गोले की चुस्कियों के साथ काली घोड़ी के सवार कोट गढ की ओर बढते जा रहे हैं। मेरे पास अकलतरा के एक ब्लॉगर का हमेशा मेल आता है। वो लिखते है...

यादें जिंदगी की पोटली में बंधी वो सुनहरी यादें यूँ बेनकाब हो रही हैं जैसे किसी पिंजड़े से वो आजाद हो रही हैं । तिरछे आईने को भेद उमड़ घुमड़ रही वो बाहर आने की चेष्टा बयां कर रही हैं । अन्तरमन में छुपे हो...

“ जबलपुर सम्भाग में 79236 लाड़लियां” इस घर में रहती है लाड़लीछिंदवाड़ा जिले की कारगर रणनीतिकाम आई  जबलपुर सम्भाग को लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत एक...

अनजान बन जाऊं कभी कभी सोचता हूँ हर चीज़ से हो जाऊं अनजान खाली सा हो जाऊं किसी ब्लैंक सी डी या डी वी डी की तरह और पहुँच जाऊं कुछ हाथों मे जो कुछ भी लिख दें कुछ भी कह दें अच्छा या बुरा जो मन मे हो और मैं जान जाऊं मन के भीतर...

औरत और सब्जी रसोई में औरत बनाती है सब्जी उसके मन में होते हैं पति, बच्चे वह खुद नहीं होती पक रही होती है वह खुद ही कडाही में जबकि चला रही होती है सब्जियां स्वाद होता है उसकी जिह्वा पर पति का होती है बच्चो की...

ज़िन्दगी का हाथ बड़ा तंग है... उन दिनों सबसे अधिक चाहतें थी. सब जल्दी बड़े होने के ख्वाब देखते थे. बूढ़े लोग करते थे दुआ कि ये कुछ और सालों तक बच्चे बने रह सकें. कमसिन उम्र की कल्पनाओं के पंख ज़मीन से बड़े थे. उनको जीने के लिए नहीं चाह...

बस इक पल को ........ .पल - पल राह तकी जिस पल की वो पल भी आया बस इक पल को पलक - पलक गैल बुहारी जिस साए की वो साया भी आया कुछ ठोकर खाया सा जर्रा -जर्रा सहेज इबारत लिखी अपने की लहरें भी निशां छोड़ गईं उस सपने की रंग चुर..

हवा का झौंका  ● हवा का झौंका ● हवा का झौंका ,,, ज्यों आता , त्यों चला जाता है ... न रूप न रंग , बस तुम ही सा नजर आता है ...

ढाई आखर तुम्हारे कहने से शुरुआत करने बैठी हूँ एक नए अध्याय की . जीवन की स्लेट से पिछला सारा लिखा हटा कर,मिटा कर . बीता वक्त भूल बिसार कर . लेकर बैठी हूँ नयी किताबें... जीवन जीने की कला सिखाने वाली . पर ,क्या कर....

कलकत्ता यात्रा एल्बम से कुछ यादें .......... पुराना हाथ रिक्शा फॅमिली टूर .तारामंडल विक्टोरिया मेमोरिअल में यादगार पल कोलकाता का सुंदर स्थान बग्घी में सैर .न्यू इयर में सजा रेलवे स्टेशन वापसी यात्रा कलकत्ता यात्रा एल्बम से कुछ यादें .......

कविता हूँ... यूँ ही कलम की नोक पर नहीं आती! मन की गांठे खोल कर थोड़ा सा झुकना होगा, अक्षरों को सहेज कर उठाने के लिए... समय की आंच में थोड़ा सा पकना होगा, बहना होगा निर्विकार नदिया कहलाने के लिए... फिर मिलूंगी मैं तुम्हें अक्षर अक्षर में मुस्काती कविता....

उम्मीद बनाये रखें कौन जाने , कब , कहाँ वो राह भूल जाएँ | अपनी उमीदों की शमां को जलाये रखिये | बारिशे तो आती है तूफ़ान गुजर जातें हैं | अपने पाँव को जमीं में जमा कर रखिये | घर की ये बात है निकले न घर से बाहर | आप बस खिड़की... 

उस पार नदी के तट पर बसा एक गांव पिता-पुत्र का एकांतिक वास पुत्र ने चलना सीखा जल पर दस वर्षों के तपोबल से उफनती निम्नगा की पार बिना बेड़ा सीखा तरंगिणी के पार जाना जाना कुलंकषा के उस पार जीवन को पिता ने चवन्नी...

पता है पता है पता है  वही श्वास ले रहा है हमारे, तुम्हारे, सबके शरीरों द्वारा वही धड़क रहा है... अस्तित्त्व भर लेता है खुद को  जब हम छोड़ते हैं श्वास और रिक्त होता है हमारे भरने पर... पता है ? यह सारा ब्रह...

फेसबुक हाय हाय…हाय हाय…बन्द करो ये फेसबुक- राजीव तनेजा इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं कि आजकल चल रही सोशल नेटवर्किंग साईट्स जैसे याहू..ट्विटर और फेसबुक वगैरा में से फेसबुक सबसे ऊपर है... यहाँ पर हर व्यक्ति अपने किसी ना किसी तयशुदा मकसद से आय...

घर छोड़कर जाता छोटू जयपुर में हाल ही मे हुई एक घटना में माँ की डांट से व्यथित होकर दस साल के भाई और आठ साल की बहन ने घर छोड़ दिया। दोनों मासूम बिना सोचे समझे घर से निकल पड़े । यह सुखद रहा कि पुलिस इन्हें वापस घर ला पाई .

फिर कैसे पीड़ा को मूर्त रूप दे पाऊँ ? - जाने कौन सी वो पीड़ा है जो दर्द बनकर लफ़्ज़ों में उतर आती है मगर मुझसे ना मिल पाती है जब जब अंतस में कुलबुलाती है दर्द का दरिया बन बह जाती है मगर मुझसे न........

"अंजोरिया".... संध्या शर्मा - अंधियारे में ज्योत जगाता आया दीप जलाने वाला मुरझाये जीवन में हमने पाया फूल खिलाने वाला विरहा के पल-पल से उपजा मधुर मिलन का बीज निराला क्षितिज ओर से न... 

कैसा रहेगा आपके लिए 18 , 19 और 20 अप्रैल 2012 का दिन ?? .मेष लग्नवालों के लिए 18 , 19 और 20 अप्रैल 2012 को भाई , बहन , बंधु बांधवों का महत्व बढेगा , उनके कार्यक्रमों के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता पड सकती है। प्रभावशाली लोगों से संबंध की मजबूती बनेगी, कुछ झंझ...

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार...........

7 टिप्पणियाँ:

बढ़िया लिनक्स लिए वार्ता ...... शामिल करने का आभार

बेहतरीन वार्ता.................
सुंदर लिंक्स संजोये हुए.....

शुक्रिया संध्या जी.

अनु

अकलतरा के जिक्र के साथ शुरू हुई वार्ता तो उम्‍दा होगी ही, बढि़या.

बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।

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