रविवार, 28 मार्च 2010

कुरुशेत्र से एक रिपोर्ट--ब्लॉग्गिंग,बीयर--होनहार के खेल---ब्लाग4वार्ता (ललित शर्मा)

पिछले तीन दिनों से नेट की बेरुखी झेल रहे हैं, बी एस एन एल के अधिकारी कहते हैं कि सर्वर डाउन हैं किसी ने सड़क निर्माण के दौरान केबल काट दिए, इनके केबल कटने से हम भी ब्लाग जगत से दुर हो गए हैं, आज सुबह कुछ स्थिति सही बनी है, लेकिन देखते हैं कब तक। कल रिलायंस का भी सर्वर दिन भर डाउन रहा है, बड़ी मुस्किल से दिन कटा। पराधीन सपनेहुं सुख नाहि, नेट व्यवस्था हमारे अधीन तो है नही, अगर नेट चालु रहता है तो बिजली रानी चली जाती है, कुल मिलाकर पेरने का कार्यक्रम चल रहा है, चलिए मैं ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ बेहतरीन चिट्ठों की चर्चा पर............

पदम सिंग जी ने एक हजल  पद्मावलि  पर लिखी है बड़ी उम्दा बनी है  एक हज़ल (खतरनाक सी) मित्रों आप लोगों को हमेशा लगता था कि इस ब्लॉग पर सीरियस और दार्शनिक रचनाएं भरी रहती हैं….तो मैंने सोचा क्यों न आज कुछ नया प्रस्तुत किया जाय आपके लिए …. आज आपके लिए एक हज़ल ले कर हाज़िर हूँ , हलके मन और मज़बूत...---------सुर्यकांत गुप्ता जी एक नया फ़ार्मुला लेकर आए हैं--इर्ष्या से विनाश नहीं विकास किसी भी वस्तु के जलने से उर्जा प्राप्त होती है, यह विज्ञान कहता है. चाहे कोई उपस्कर जले चाहे किसी का दिल जले चाहे किसी का ............... जले. लेकिन उर्जा अवश्य ही प्राप्त होती है. 

प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है----. भारतीय नागरिक  बता रहे हैं कि कितनी मेहनत करती है कितनी मेहनत करती है, फूलों-फूलों फिरती है. करती है मकरन्द इकठ्ठा, मधु जिससे बनता है.मम्मी-पापा, दादा-दादी सबको अच्छा लगता है.जुगाड़ बंद, जुगाड़ चालू, जुगाड़ ही जुगाड़ राजस्थान के कोटा संभाग के झालावाड़ जिले के मदर इंडिया एसटीसी बीएड कॉलेज के छात्र-छात्राएँ विशेष बस से शैक्षणिक यात्रा पर थे। 14 मार्च को जब बस सवाई माधोपुर जिले में सूखी मोरेल नदी के पुल से गुजर रही थी
 
शिखा जी कह रही हैं----हम तो जाते अपने गाम सबको राम राम राम .यहाँ यूरोप में होलिडेज पर जाने का बहुत रिवाज़ है....जब देखो जिसे देखो होलिडेज पर निकल जाता है ...काम का क्या है ? होता रहेगा...रोज़ ही होता है और जहाँ जरा ज्यादा काम का बोझ हुआ कह दिया ..कि हम तो होलिड.------कडुवा सच -बता रहे हैं श्याम कोरी"उदय" जी--हालात तेरी एक निगाह ने फ़िर तेरी मुस्कान ने कुछ कहा मुझसे क्या कहा-क्या नहीं मैं समझता जब तक तेरे 'हालात' ने कुछ कह दिया मुझसे इस बार शब्द सरल थे पर 'हालात' कठिन थे वक्त गुजरा, 'हालात' बदले फ़िर तेरी आंखों ने कुछ..
 
अवधिया जी ने शोध किया है कि कुत्ते का भी अपना एक दिन आता है--दाल रोटी की जगह काजु बादाम खाता हैं-----अंग्रेजी कहावत है कि Every dog has its day याने कि "कुत्ते का भी अपना एक दिन आता है"। इसी को हिन्दी मुहावरे के रूप में कहते हैं - "घूरे के भी दिन बदलते हैं"। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इसी बात को ध्यान में...------ नारदमुनि जी-- पर--कुत्ता उड़ाए माल-----चुटकी---- नौकर खाए सूखी रोटियां कुत्ता उड़ाए माल, एक ही घर में रहते दोनों, कौन, किस से करे सवाल।

वत्स महाराज उद्घोष कर रहे हैं कि मेरा धर्म महान!!! *चींटी का धर्म* *पंक्तिबद्ध हो चलना.........* *हाथी का धर्म* *समूह में विचरना..........* *वानर का धर्म* *डाली डाली उछलना..........* *मानव का धर्म* *सर्वधर्म सद्भाव और विश्व बन्धुत्व........* *अरे! नहीं नहीं,...----डॉ सत्यजीत साहु बता रहे हैं ----ओशो को पढ़ना और ओशो को जीना भगवान श्री रजनीश (ओशो) की किताबों में गजब का सन्मोहन है .उनकी बातों में जो दम है वो सारी दुनियां के किसी भी संत या साहित्यकार में नहीं है .लेकिन जैसे हवाई जहाज की बातों को किताब में पढना और सिर्फ पढ़ कर ब...
 
गो्दियाल जी ने एक रिपोर्ट भेजी है-------कुरुशेत्र से एक रिपोर्ट ! धर्म पर अधर्म की विजय के लिए कुरुक्षेत्र में घमासान जारी है! बढ़ती महंगाई, अराजकता और भ्रष्टाचार से देश की बदहाली को न देखने की कसम खा, गांधारी ने भी अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली है! मामा शकुनी का अपना अमर म..-----मम्मी जी की दादागिरी , ब्लॉग्गिंग और बीयर मेरे ब्लॉग की एक नियमित पाठक हैं. वो रोज ब्लॉग पढ़ती हैं और मुझे उनकी रोज टिप्पणी भी मिलती हैं. लिखित नहीं जबानी टिप्पणी. उन्हें काफी समय से शिकायत हैं कि ब्लॉग बीमारी का शिकार हो गया हूँ अब थोडा ब्लॉग से
 
ज्ञान दर्पण पर पढिए होनहार के खेल --- सन १९५० के दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में स्व. श्री तन सिंह जी एक शिक्षण शिविर के सिलसिले में अपने जीवन में पहली बार चितौड़ गए और वहां उन्होंने चितौड़ दुर्ग देखा | लेकिन चितौड़ दुर्ग देखने के दो महीने बाद तक ...-------चित्र छोटी सी ब्लोगर मुलाकात के  :* *संजू तनेजा,शशि सिंहल,अविनाष वाचस्पति,बागी चाचा,एम्.वर्मा,राजीव तनेजा,अलबेला खत्री,प्रवीण शुक्ल ‘प्रार्थी,कनिष्क कश्यप और पवन चन्दन* ...काव्य मंजूषा पर अदा जी-----जाने क्या है ये  जाने क्या है ये ! मुझे सताने का मंसूबा या तुम्हारी जीतने की जिद्द, जो सारे दरवाज़े बंद कर देते हो छोड़ देते हो मुझे अकेला...! छोटी सी नाव में बिन पतवार ; बीच समुन्दर में , और तब कोई रास्ता नहीं रह जाता.
 
खुशदीप सहगल पुछ रहे हैं-----बच्चे आप से कुछ बोल्ड पूछें, तो क्या जवाब दें?बड़े दिन से हंसी ठठे वाली पोस्ट लिख रहा था...आज कुछ सीरियस लिखने का मूड है...पहले मैं इस विषय को ब्लॉग पर लिखने को लेकर बड़ा ऊहापोह में था...लिखूं या न लिखूं...इसी दुविधा में था कि आज *अविनाश वाचस्पति* भाई... दिनेश राय द्विवेदी जी कोटा से पुछ रहे हैं कि----इस हत्या के हत्यारे को सजा कैसे हो? और क्या हो?कोटा में जिला अदालत नयापुरा क्षेत्र में स्थित है। यहाँ नीचे पीली रेखाओं के बीच जिला अदालत कोटा का परिसर दिखाई दे रहा है। किसी को भी इस क्षेत्र की हरियाली देख कर ईर्ष्या हो सकती है। लेकिन अब यह परिसर आवश्यक... 
 
संजीव तिवारी जी बस्तर की आदिवासी संस्कृति के विषय मे जानकारी लेकर आए हैं----बस्तर मे आदि वासियों का माटी तिहार और उल्लास  बस्तर के आदिवासियों का जीवन तथा सारा अस्तित्व जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत माटी से ही जुड़ा होता है। माटी के बिना वह स्वयं की कल्पना नहीं कर सकता। बस्तर के आदिम जनों का मानना है कि माटी जन्म देने वाली मां से ...[नाम पुराण-4] एक घटिया सी शब्द-चर्चा
*पिछली कड़ियां-A.**[नामपुराण-1]**B.**[नामपुराण-2]**c.**[image: Ghatam]** [नामपुराण-3]* न दी-तटीय बस्तियों के साथ *घाट *शब्द का प्रयोग भी बहुधा मिलता है। ये घाट सिर्फ स्नान घाट नहीं थे बल्कि इनका अर्थ भी सम...
 
क्या ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कद्र नहीं होती ब्लाग जगत के बारे में एक बार नहीं कई बार कई ब्लागर मित्रों की एक राय अक्सर सुनने को मिलती है कि ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कद्र नहीं होती है। कभी-कभी हमें भी ऐसा लगता है। हमें इसलिए ऐसा लगता है क्योंकि हमें भी जब कोई पोस्ट लगती है कि यह अच्छी है तो उस--------- शेफ़ाली पांडे जी की पोस्ट पढिए----फेसबुक और ऑरकुट के दीवानों, ज़रा इधर भी नज़र डालो पुराने पन्नों से] साथियों .....मास्टरों और उधार का चोली दमन का साथ है अतः आशा है कि आप लोग मुझे साहिर साहब की इस रचना को उधार लेकर, इसका दुरुपयोग करने के लिए माफी प्रदान करेंगे .... फेसबुक तेरे लिए एक टाइम पास ही सही तुझको ऑरकुट के रंगबिरंगे चेहरों से
 
गिरीश बिल्लौरे जी डुबे हुए हैं  इश्क प्रीत love में, शायद इसीलिए अभी पॉडकास्ट विश्राम दे दिया हैं---- जानती हो स्वप्न प्रिया इस गुलाब के कानों में बदमाश हवा ने कहा के कोई भ्रमर तुमसे अभिसार को आ रहा है और झट उसने सर ठीक वैसे ही झुका लिया जैसे कि तुम जब मुझसे पहली बार मिली थीं .... और मैंने बिन कहे अपने इश्क का इज़हार किया था............ तारकेश्वर गिरी जी कह रहे हैं दुध की सफेदी काली पड़ने लगी है। दुध की सफेदी काली पड़ने लगी है। क्योंकि दिन प्रतिदिन दुध के दामो उछाल आ रहा है। दुध है की पानी -पानी होता जा रहा है और लोग कमा -कमा के काले हुए जा रहे हैं। अब लोग करे भी तो क्या करे । बिना दुध के काम भी तो नहीं चलने वाला है। 
 
अब चर्चा को देते हैं विराम-------आप सभी को ललित शर्मा की ओर से महावीर जयंती की शुभकामनाए -------

12 टिप्पणियाँ:

@ तारकेश्वर गिरी जी कह रहे हैं दुध की सफेदी काली पड़ने लगी है। दुध की सफेदी काली पड़ने लगी है। क्योंकि दिन प्रतिदिन दुध के दामो उछाल आ रहा है। दुध है की पानी -पानी होता जा रहा है और लोग कमा -कमा के काले हुए जा रहे हैं। अब लोग करे भी तो क्या करे । बिना दुध के काम भी तो नहीं चलने वाला है।

क्या बात कही है ! मैं सोच रहा हूँ कि एक भैंस पाल ही लूँ।

सभी अच्छे ब्लॉगों का लिंक देने का यह दैनिक प्रोग्राम ठीक है।
http://benamee.blogspot.com/2010/03/blog-post_27.html

बढ़िया...मस्त चिट्ठाचर्चा

बहुत ही बेहतरीन चर्चा रही शर्मा जी ..सुबह सुबह ..मजा आ गया ...बहुत सारी पोस्टें नहीं देख पाया था ..अब पहुंचता हूं सबकी पूंछ पकड के
अजय कुमार झा

बहुत विस्‍तार से की गयी चर्चा .. बहुत सारे अच्‍छे अच्‍छे लिंक्स मिले !!

बहुत उम्दा चर्चा की है ललित भाई, बधाई.

...बेहद प्रभावशाली ढंग से चर्चा की गई है,बधाई!!!

बहुत ही आनन्ददायक चर्चा!!
आभार्!

बेहद प्रभावशाली ,आनन्ददायक चर्चा!बधाई!!

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