पी सी निगम जी लिखते हैं ....
हंसना-हंसाना ही है जिंदगी की बड़ी नियामत
हंसना एक मानसिक क्रिया भी है जो हमारे शरीर के साथ मस्तिष्क को भी आराम देती है तथा मन को तरोताजा रखती है। आज आम जिंदगी के बीच हंसी को ढं़ूढऩा बहुत आवश्यक है। उम्मीद करें कि तनाव भरी जिंदगी के बीच हंसने और हंसाने में जितने ज्यादा से ज्यादा पल निकल जाएं, ताकि जीवन हंसी खुशी बीतता चले।
हिमांशु जी लिखते हैं .....
हाय दइया करीं का उपाय...
हाय दइया करीं का उपाय, लखन तन राखै बदे ।
घायल भइया गोद रखि बिलखत, राघव करेजवा लगाय,
लखन तन राखै बदे.......॥१॥
अबके विपिन में बिपति मोरि बाँटी, रनबन में होखी सहाय,
लखन तन राखै बदे.......॥२॥
अब के करी बड़का भइया क खोजिया, तनि उठि के देता बताय,
लखन तन राखै बदे.......॥३॥
सँग अइला तजि बाप मइया लुगइया, का कहबै जननी से जाय,
लखन तन राखै बदे.......॥४॥
डी पी मिश्रा जी लिखते हैं ......
विलुप्त होने की कगार पर हैं दुधवा के तेदुआंबाघों को बचाने के लिये हो-हल्ला मचाने वाले लोगों ने बाघ के सखा तेदुआ को भुला दिया है। इससे बाघों की सिमटती दुनिया के साथ ही तेदुंआ भी अत्याधिक दयनीय स्थिति में पहंुच गया है। इसे भी बचाने के लिये समय रहते सार्थक और दूरगामी प्रयास नहीं किए जाएं , तो वह दिन दूर नहीं, जब तेंदुआ भी चीता की तरह विलुप्त हो जाएगा।
मिथिलेश दूबे पूछते हैं ....
क्या आप हिन्दू हैं ?------------मिथिलेश दुबे
'हिन्दू' शब्द मानवता का मर्म सँजोया है। अनगिनत मानवीय भावनाएँ इसमे पिरोयी है। सदियों तक उदारता एवं सहिष्णुता का पर्याय बने रहे इस शब्द को कतिपय अविचारी लोगों नें विवादित कर रखा है। इस शब्द की अभिव्यक्ति 'आर्य' शब्द से होती है। आर्य यानि कि मानवीय श्रेष्ठता का अटल मानदण्ड। या यूँ कहें विविध संसकृतियाँ भारतीय श्रेष्ठता में समाती चली गयीं और श्रेष्ठ मनुष्यों सुसंस्कृत मानवों का निवास स्थान अपना देश अजनामवर्ष, आर्याव्रत, भारतवर्ष कहलाने लगा और यहाँ के निवासी आर्या, भारतीय और हिन्दू कहलाए।
विवेक रस्तोगी जी की पोस्ट देखिए ....
मैं सभी सेवाओं से तत्काल प्रभाव से "त्याग पत्र" दे चुका हूँ...
मैं तत्काल प्रभाव से मेरे सारे कार्यों से त्यागपत्र दे रहा हूँ -- |
नज़र :-बताईये फ़िर भी लोग कह रहे हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है गरीबों के लिए , महंगाई के लिए कुछ सोच नहीं रही है । जबकि गरीबों के लिए तो कुछ भी सोचना ही आज के समय में सबसे बडे साहस का काम है , बेशक गरीब के पेट के लिए न सही मगर किडनी यानि गुर्दे के लिए , वो भी गरीब के गुर्दे के लिए सोचना कोई कम बडी उपलब्धि तो कतई नहीं मानी जा सकती
शशि सिंघल लिखती हैं ....
हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है
हाल ही में यूनेस्को यानि यूनाएटेड नेशन एजूकेशनल एंड साइंटिफिक कल्चरल ऑर्गनाइजेशन [United Nation Educattional and Scintific cultural organisation] ने घोषणा है कि भारतीय नेशनल एंथम [ भारतीय राष्ट्र गान ] विश्व भर में सबसे अच्छा एंथम है । यूनेस्को की यह घोषणा हम भारतीयों के लिए बडे़ गर्व की बात है ।
अरूण साथी जी की रिपोर्ट है ...
आतंकवाद और नक्सलबाद मुल्यहीन राजनीति से ज्यादा खतरनाक है और देश का जितना नुकसान आतंकवाद ने नहीं किया उससे ज्यादा नुकसान मुल्यहीन राजनीति ने किया है। आज वर्तमान राजनीति सेवा के आसन से उतर कर बाजर बन गई है जिससे देश को काफी नुकसान हो रहा है। उक्त बातें भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नवादा लोकसभा से सांसद भोला सिंह ने कही। भोला सिंह आर्य समाज के स्थापना दिवस के अवसर पर बरबीघा आर्य समाज मन्दिर में आयोजित समारोह का उद्धाटन कर रहे थे। इस अवसर सांसद भोला सिंह सम्पूर्णरूप से आध्याित्मक संबोधन करते हुए कहा कि वर्तमान में लोगों की संवेदना मर गई है और इसको जगृत करके ही मानवता को बचाया जा सकता है।
जगदीश्वर चतुर्वेदी जी लिखते हैं ....
हन हन के ब्लॉग पर इस समय घमासान मचा है। इस नौजवान ने अपने विचारों की गरमी से चीन के शासकों की नींद उड़ा दी है। हन हन को चीन में सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है। सारी कम्युनिस्ट पार्टी और उसका साइबरतंत्र त्रस्त है और किसी भी तरह हन के ब्लॉग पर जाने वालों को रोक नहीं पा रहा है, हनहन ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समूचे प्रचारतंत्र को छकाया हुआ है।
कुसुम ठाकुर जी की रचना पर एक नजर ....
" पुष्प गुच्छ भी दे न सकी मैं "
पुष्प गुच्छ भी दे न सकी मैं ,
अब कैसे मैं अश्रु छुपाऊं ।
तुम हो गए नक्षत्र गगन के ,
सखी धरणी की न बन पाऊँ ।
रस्म सदा से जो चली आई ,
ग्रहण सहज कैसे कर पाऊँ ।
अंतरमन में प्रश्न उलझ गए ,
अब उनको कैसे सुलझाऊँ ?
पुष्प गुच्छ भी दे न सकी मैं ,
अब कैसे मैं अश्रु छुपाऊं ।
तुम हो गए नक्षत्र गगन के ,
सखी धरणी की न बन पाऊँ ।
रस्म सदा से जो चली आई ,
ग्रहण सहज कैसे कर पाऊँ ।
अंतरमन में प्रश्न उलझ गए ,
अब उनको कैसे सुलझाऊँ ?
और अंत में कमलेश कुमार दीवान जी की रचना के साथ आप सबों को नए वर्ष की बहुत शुभकामनाएं ......
नव संवत् शुभ..फलदायक हों
नव संवत् शुभ..फलदायक हों।
ग्रह नछत्र
काल गणनाएँ
मानवता को सफल बनाएँ
नव मत..सम्मति बरदायक हो।
नव संवत् शुभ...फलदायक हो।
जीवन के संघर्ष
सरल हों
आपस के संबंध
सहज हों
नया भोर यह,नया दौर है
विपत्ति निबारक सुखदायक हो।
नव संवत् शुभ...फलदायक हो ।
नव संवत् शुभ...फलदायक हो ।
नव संवत् शुभ..फलदायक हों।
ग्रह नछत्र
काल गणनाएँ
मानवता को सफल बनाएँ
नव मत..सम्मति बरदायक हो।
नव संवत् शुभ...फलदायक हो।
जीवन के संघर्ष
सरल हों
आपस के संबंध
सहज हों
नया भोर यह,नया दौर है
विपत्ति निबारक सुखदायक हो।
नव संवत् शुभ...फलदायक हो ।
नव संवत् शुभ...फलदायक हो ।
7 टिप्पणियाँ:
संगीता जी
बहुत बढिया वार्ता रही,
अच्छे लिंक मिले-आभार
बढ़िया चिट्ठाचर्चा....
संगीता पुरी जी आपका ब्लॉग 4 वार्ता पर स्वागत है
अरे वाह संगीता जी ....
आपकी लेखनी और तेज निगाह से बहुत लोगों का भला और हिम्मत अफजाई होगी !
शुभकामनायें !!
अरे संगीता जी ये चर्चा कब से शुरू कर दी? बहुत बहुत शुभकामनायें
बहुत सुंदर वार्ता. शुभकामनाएं.
रामराम.
वाह संगीता जी का स्वागत है इस वार्ता मंच पर अब आएगा मजा बहुत खूब ..शुक्रिया ...बहुत सुंदर वार्ता रही है
अजय कुमार झा
अरे वाह ! आप भी इस महनीय कर्म में प्रवृत्त हुईं, अच्छा लगा ।
बेहतरीन वार्ता !
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