मंगलवार, 31 जनवरी 2012

कौन कहता है बाल विवाह अपराध है...खुशदीप

कौन कहता है बाल विवाह अपराध है. सवाल ..खुशदीप जी ने किया है. इस बात का ज़वाब शायद ललित बाबू के पास हो.. हमारे पास तो जवाब नईं है वरना  अपना लेवल आजकल थोडा बढ़ जाता . और अपन अपने खर्चे पर 'पत्रकारिता का बदलता स्वरुप और न्यू मीडिया'. राष्ट्रीय संगोष्ठी के वास्ते जो 21 मार्च 2012  को हो रही है के लिये मेल भेज देते. या इन मिसफ़िट मां-बापों को कुछ तमीज़ सिखाते जो नर्मदा जयंती पर  कोलावरी डी....झुमका गिरा रे...पे थिरकते बच्चों को चीयर अप कर रहे थे.  प्रियतम मेरे परदेस बसे.........  सपना निगम जी नौकरी चाकरी में ये स्थिति स्वाभाविक है अरुण जी को बोलता हूं ट्राय करें वापसी के वास्ते..    ...

मैने साथ निभाया अब तुम्हारी बारी है.... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...प्रतिदिन लाखों विद्यार्थी आज भी बड़े भाव से गाते हैं "साथ दें तो धर्म का, चलें तो धर्म पर" कितना उदात्त और प्रेरणा से भरा है ना यह पद. इस एक पंक्ति में ही मनुष्य के कर्तव्य और ध्येय मार्ग का बोध हो जाता है. यही संस्कार उन्हें एक अच्छा इन्सान बनाते हैं, वेद कहते हैं "मनुर्भव:"। मनुष्य और पशु दोनो के जन्म लेनी की प्रक्रिया में साम्यता है। यदि मनुष्य को संस्कार न मिलें तो पशु और मनुष्य के आचरण में अंतर कर पाना कठिन है। इसलिए...

सोमवार, 30 जनवरी 2012

मुस्कुराओ, मुझे अच्छा लगेगा.... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...हम जीवन को अपार मुल्य की वस्तु मानते हैं। हमें जीवन का संवर्धन, पोषण एवं आदर करना चाहिए, यदि इन आस्थाओं को वास्तविक बनाना है तो हमें एक दूसरे के प्रति एवं आने वाली पीढी के प्रति कर्तव्य स्वीकारने होगें। हमारा कर्तव्य है कि पृथ्वी पर जीवन को उदात्त बनाएं और उसे आक्रमण, अपमान, अन्याय, भेदभाव बीमारी और दुरुपयोग से बचाएं। हमारा कर्तव्य है कि हम मानव-अस्तित्व के लिए आवश्यक परिस्थितियों को सुरक्षित रखें। तभी कल्याण हो सकता है। अब प्रस्तुत हैं  मेरी पसंद के कुछ ब्लॉग लिंक आशा  है कि पाठकों को पसंद आएगें। संकल्प !क्षमा चाहता हूँ कि कल रात को शहीदी दिवस यानि ३० जनवरी हेतु एक कविता लिखने बैठा था और गलती से सेव करते...

रविवार, 29 जनवरी 2012

छतहार का पिन कोड और पुरवा सुहानी --- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, पढिए सप्ताहान्त की फ़टफ़टिया वार्ता…… बनन बागन में बगरो बसंत वसंत के आते ही मौसम खुशनुमा हो जाता है, गुलाबी ठंड के साथ चारों ओर रंग बिरगें फ़ूलों की भरमार हो जाती है। खेतों में फ़ूली हुई पीली सरसों की आभा निराली हो जाती है लगता है कि धरती पीत वस्त्र धारण कर इठला रही ...…ए बसंत तेरे आने से ए बसंत तेरे आने से नाच रहा है उपवन गा रहा है तन मन ए बसंत तेरे आने से । खेतों में लहराती सरसों झूम रही है अब तो मानो प्रभात में जग रही है ए बसंत तेरे आने से । चिड़िया भी चहकती है भोर में गीत गाती ह.. पुरवा सुहानी आई रे..आज माघ शुक्ल की पंचम तिथि यानी बसंत-पंचमी है, बसंत पंचमी के आते ही बसंत ऋतु का शुभारंभ हो जाता है . बसंत...

शनिवार, 28 जनवरी 2012

यादों की पगडंडियाँ और झूलती मीनार -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, गणतंत्र दिवस एक बार फ़िर मन गया, लेकिन तंत्र अभी तक गण का नहीं हो पाया। कभी गण के मन के लायक काम नहीं हुआ। मंहगाई हमेशा बढते गयी। जो तंत्र में हैं उनके लिए सारी सुविधाएं एवं माल मत्ते की भरमार है। जाड़े में ठिठुरते हुए गण की अंतिम इकाई को एक गर्म कम्बल भी मिलना मुहाल है। सत्ता सदा से ही धनी लोगों के हाथों में रही है। अब सत्ता में आने पर धनी हो जाते हैं। कैसी विडम्बना है मेरे इस देश की, गरीब और भी गरीब हो रहा है, धनी के पास धन रखने की जगह  नहीं। आशा है कि कभी तो गण का तंत्र होगा। चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर और प्रस्तुत करते हैं कुछ पोस्ट लिंक………… अकेली लड़की से मुलाक़ात तारीख तो याद नहीं लेकिन वो जनवरी 1989 के आखिरी...

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

अमर रहे गणतंत्र हमारा : गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

पच्चीस की रात बहुत थकान तीन से चार घंटे की नींद अल्ल सुबह पांच बजे  श्रीमति जी ने एक चाय के साथ जगा दिया नींद आंखों को सो जाने के लिये उकसा रही थी उफ़्फ़ दूसरी बार श्रीमति जी के डपटे जाने पे जागना ही तय कर लिया अब क्या बताएं पिटने या डपटे जाने के बाद जागने के अभ्यस्त हम भारतीय जाने कब जागेंगें.. दूसरों के छिद्रांणवेषण करते करते  हम खुद के आंकलन की आदत ही भूल चुके हैं. बहरहाल महाकौशल मेले की थकान और दीगर सरकारी कामकाज के साथ नैगेटिव-सोच...

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

चुनौतियों के चक्रव्युह में गणतंत्र .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , जाने माने साहित्यकार श्री गिरीश पंकज एवं प्रतिष्टित ब्लॉगर श्री ललित शर्मा आज शाम प्रथम चेतना साहित्य सम्मान ११ तथा प्रथम चेतना ब्लॉगर सम्मान 11 से सम्मानित किये गए. कैलाशपुरी स्थित छत्तीसगढ़ सदन में चेतना साहित्य एवं कला परिषद् तथा अभियान भारतीय के संयुक्त गरिमामय कार्यक्रम 'बसंतोत्सव १२' में प्रखर स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी पद्मश्री डा महादेव प्रसाद पाण्डेय ने उन्हें सम्मान पत्र/ शाल एवं श्रीफल देकर सम्मानित...

बुधवार, 25 जनवरी 2012

आखिर कब बदलोगे ??????.... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... एक तरफ देश में शीत लहर का कहर जारी है, वहीं दूसरी तरफ चुनावी मोर्चाबंदी शुरू हो गयी है. टिकिट की मारामारी है. लेकिन सही परीक्षा तो जनता की होनी है. किसे जिताए किसे नहीं.चुनावी वादे शुरू होंगे, जनता को बरगलाने की कोशिश की जाएगी. इस हालत में जनता को, मतदाताओं को सजग रहना होगा, कौन इसके काबिल है इसके अवलोकन के बाद ही मताधिकार का प्रयोग करना होगा.महंगाई ने देश की कमर तोड़ रखी है, समस्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, ऐसे वक़्त...

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

लिख रहे हैं भोर की पहली किरण... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...सर्वप्रथम आजादी के महानायक सुभाषचन्द्र बोस को हमारा शत-शत नमन... प्रस्तुत है मेरी पसंद के कुछ लिंक्स जिसमे से कोई ह्रदयस्पर्शी हैं, तो कुछ आंदोलित करती है, तो कोई आल्हादित कर जाती हैं, कुछ ऐसी प्रतीत होती हैं जैसे कोई आमने-सामने बैठकर बात कर रहा हो.  लीजिये यह है, आज की वार्ता... श्रद्धांजली नेता जी को !  जैसा कि हम सभी जानते है कि आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोष का जन्म दिवस है। २८ अप्रैल १९३९ जिस दिन वे कौंग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर उससे अलग हुए थे, उस...  साबरमती, चरखा और ट्रैफ़िक ----- ललित शर्मा सुबह उठा, तो देखा कबूतर अकेला था। प्रेम चोपड़ा के डर से कबूतरी नहीं आई। आज नामदेव जी की वापसी...

सोमवार, 23 जनवरी 2012

इस अंजुमन में हम मेहमां ही अच्छे -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, चिकित्सा के नाम पर ठगी करना कोई नया काम नहीं  है। जिस बीमारी का कोई ईलाज नहीं उसकी हजारों दवाएं और नुश्खे  मिल जाएगें। अगर बीमारी का कारगर ईलाज मिल गया तो एक ही दवाई से ठीक हो जाती है। छत्तीसगढ के दुर्ग शहर में रहने वाले ईस्माईल मोहम्मद द्वारा शुगर के ईलाज की दवाई दी जाती थी और इसका इतना अधिक प्रचार प्रसार हो गया था कि लोग दूर-दूर से दवाईयाँ लेने आते थे। यह दवाई की कीमत भी वसूल करता था। कुल मिलाकर धंधा अच्छा चल रहा था,लेकिन दवाई लेने वालों की शुगर कम होने की बजाए बढ जाती थी। जिसके कारण कईयों को अकाल मौत का सामना करना पड़ा। मैं स्वयं इसकी दवाई का परीक्षण कर चुका हूं। प्रशासन की निगाह अब इसकी कारगुजारियों पर पड़ी...

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