मंगलवार, 16 मार्च 2010

पोस्टचर्चा :आर डी एक्स का कमाल सुना है

अजित भैया का सामयिक आलेख अर्थ पूर्ण है =>

नातन भारतीय संस्कृति में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष माना जाता है। इसे संवत्सर प्रतिपदा भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन से सृष्टि का आरम्भ हुआ था। सिन्धी समाज का प्रख्यात पर्व चेटिचंड भी वर्ष प्रतिपदा के अगले दिन शुरू होता है। शुक्लपक्ष में चांद अपने पूरे सौन्दर्य के साथ आकाश में विराजमान होता है इसलिए चैत्रचंद्र का देशज रूप हुआ चैतीचांद और फिर सिंधी में हुआ चेटिचंड। महाराष्ट्र में यह पर्व गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाता है। वैसे नवसंवत्सर के लिए गुड़ी पड़वा अब समूचे देश में सामान्य तौर पर जाना जाने लगा है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस को ब्रह्माजी ने सृष्टि की शुरुआत का दिन तय किया इसलिए इसे प्रतिपदा कहा गया अर्थात पहली तिथि। प्रति+पद का अर्थ हुआ पग पग पर। प्रतिपदा में इसका अर्थ किसी पक्ष की पहली तिथि के रूप में रूढ़ हुआ। प्रतिपदा से ही मराठी में पाडवा शब्द बना है। प्रतिपद > पडिवअ > पाडवा इस क्रम में इसका विकास हुआ। बांग्ला में इसे परब और गुजराती में पाडवो कहते हैं। [आगे इधर से ]
अमिताभ श्रीवास्तव की पोस्ट सृष्टि सर्जन का पहला मुहूर्त  भी सामयिक है.
_____________________________________________
ललित भाई का आलेख फ़ोकट का चन्दन घिस भाई नंदन सटीक है
[pandit cartoon-1.jpg]
ताऊ  एंड  कंपनी  जो  न  करे  कम है आज ही प्राणी जगत के एक खास प्राणी समाज ने ताऊ के प्रयास की सराहना की है . वे शीघ्र ही उनका अभिनंदन करने जा रहे हैं.

रामकृष्ण  गौतम का ब्लॉग मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ सदैव पड़ने योग्य है आज ये लिख रखा है भाई साहब ने - मुझको पहचान लो... तो बताऊँ....?

 





इधर इस चित्र में सजीव होने के सारे गुण हैं एक बेनामी-टिप्पणी करना छोड़ केये है आर डी एक्स का कमाल सुना है और विस्फोटक ब्लॉग पर आने वाले हैं.
साथ ही आज केक खाने को मिलेगा 'नारी' के जन्म दिन पर रचना जी चाहें तो . हिन्दी अखबारों पर आरोप इधर है अंकुर ठीक ही तो कह रहे हैं. तो छपास बांचना भी ज़रूरी हो गया है . अच्छा अखबार है. पीयूष पांडे  जी का  हिन्दीलोक भी देखिये . कुछ हट  के है.हाँ एक बात और पूछी है क्या बेडरूम में किसी को झांकने की अनुमति इस सवाल का उत्तर परिस्थियों पर निर्भर करता है. कुंवारे सोच रहें हैं कोई की हाँ टीप आयें इस आलेख पर . 
आज जबलपुर की पत्रिका ने जो छापा है उसे शेयर करना ज़रूरी है 

4 टिप्पणियाँ:

वाह गिरीश भाई जोरदार वार्ता की है
बधाई हो। आपको नये विक्रमी संवत की।
नये वर्ष की-आभार

बढ़िया चर्चा कर रहे हो गुरु ...

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More