ज्योतिषियों की तो अब रोजी रोटी पर बन आई है, अब तो आक्टोपस भी भविष्य बताने लगे हैं, उनका तुक्का सही लग रहा है और सही बताएं भी क्युं ना! जब आठ हाथ पैर हैं तो दिमाग भी चार होगें और चारों दिमाग से कैलकुलेशन करते होगें। फ़िर सटीक भविष्य फ़ल बताते हो्गें। हमने भी सोचा है यदि फ़ुटबाल के फ़ायनल तक आक्टोपस की भविष्यवाणी सच हो जाती है तो फ़िर एक आक्टोपस ही लेकर आएंगे और ब्लाग नगरिया में एक ज्योतिष की दुकान खोलेंगे। अब ये तो बात हो गयी नए भविष्यवक्ता प्राणी की। अब चलिए ललित शर्मा के साथ ब्लाग नगरिया की सैर पर और पढते हैं कुछ उम्दा पोस्ट..........
डॉ.दराल साब ने कहा है कि इश्क कभी किया नहीं ,हुस्न की तारीफ करनी कभी आई नहीं ये कैसे हो गया भाई साहब, क्या पूरी जिन्दगी युं ही बिताई है, शायद संसार का पहला आश्चर्य हो।:) की तो होगी तारीफ़ लेकिन मन ही मन में। किसी को कहा नहीं होगा, इधर पवन धीमान जी के ब्लाग पर विरह वेदना छाई है, वतन से दूर होने पर प्रियतम की याद आई है, कभी हमने भी लिखे थे कसीदे तेरे हुश्न की तारीफ़ में, लगता वह वेला फ़िर चली आई है।लिखते रहिए विरह के गीत तुम्हारा बलिदान निरर्थक नहीं जाएगा जमाना सदियों तक तुम्हे भुला न पाएगा।
शॉर्ट में देश का सच जानिए दे रहे हैं खुशदीप दुहाई--लम्बे रस्ते जाना मंहगा पड़ जाता है भाई। दिनेशराय द्विवेदी जी कह रहे हैं खुद को साबित करने का अंतिम अवसर है- आगे पेशी की तारीख नहीं मि्लने की खबर है, प्रधानमन्त्री जी ! और कितनों की जान लेनी बाकी है अभी. जितनी चाहे दे दो कभी भी --, एम वर्मा जी बांच रहे हैं मुर्दाखोर : धर्मेन्द्र कुशवाहा की संवेदनशील लघुकथा .. आप सुनिएगा जरुर भूल न जाईएगा बहुत मजेदार है कथा। धुन्धलाया सूरज हंसी लगता है जरुर, वाणी जी ने एक संस्मरण लिखा है पढके आइयेगा हुजुर.
राहुल प्रताप सिंग कई दिनों से गायब थे, हम ढुंढ रहे थे कहां अंतर्ध्यान हो गए, कहीं ब्लागवाणी की खोज में तो नहीं निकल लिए लेकिन अब पता चला कि गांव से वापस आया हूँ, सोचा कुछ तस्वीरें लाया हूँ. आइए देखिए तश्वीरें गांव की। सतीश पंचम जी भी गांव की कहानी पर चल रहे हैं पूरी फ़िल्म के एक एक सीन लिखे जा रहे हैं, यदि किसी प्रोड्युसर डायरेक्टर की निगाह इनके ब्लाग पर पड़ गयी तो ग्रामीण परिवेश की एक हिट फ़िल्म बन सकती है नील गोदाम.....सलामी......पत्रकार-फत्रकार.....भंभ ररती कोठी.... ललकारता देहात आप भी पढिए ।
शनिवार की सुबह.... उ आ........... ह्म्म्म देवबाबा की सुबह कुछ इस तरह से हुई है ईमान से। लगा है सर्कस आए हैं शेर देखना न भुलिए केवल दो दिन शेष .....देखना न भूलें याद रखें। गर्मी बढ गयी है पहले तो हमने मुर्गे भुनते देखा था अब भुन रहा है लन्दन .. शिखा जी बता रही हैं, देखिए कहीं मुफ़्त में ही सही केंटुकी फ़्रायड चिकन हाथ लग जाए। बुढापे में भी जवानी के मजे ले रहे हैं जी रहे है तेरी यादों के सहारे, जालिम तु न आई, आया है मुझे फिर याद वो जालिम . अवधिया को याद आ रहा है वो जमाना।
शरद भाई आज फ़ार्म में हैं क्यों मेरी आदत बिगाड़ना चाहती हो ? अब और कौन सी आदत बच गयी बिगाड़ने को, हम यही सोच रहे हैं। गगन शर्मा जी को गुस्सा आ गया जब पचीस किलो का आदमी भी मोटे होने के गुर बताने लगा तब कुछ लोग कहीं भी सलाह दे डालते हैं गुस्सा तो आना ही है। पढिए एक नया ब्लाग विषहरी पूजा मंगलवार को छतहार बिहार में, रवि स्वर्णकार जी लिख रहे हैं रावत भाटा से हिंदुस्तान जैसे देश में – मुक्तिबोध उवाच....
चलते चलते आज का व्यंग्यचित्र
18 टिप्पणियाँ:
ये ऑक्टोपस लाने वाला आइडिया बढ़िया है फिर ऑक्टोपस भविष्यवाणी करेगा आज चिट्ठाजगत में किसकी पोस्ट हॉट रहेगी किसको ज्यादा टिप्पणियाँ मिलेगी :)
वाह रे पॉल बाबा.... :)
बढ़िया चर्चा.
चर्चा तो बहुत अच्छी लगी है बस एक ग़लती से मिश्टेक हो गया है..वाणी जी ने कविता नहीं लिखी है...शायिद कौनो संस्मरण होगा...
आभार...
@'अदा'जी
ललित शर्मा ने कहा…
बढिया चित्रण
१० जुलाई २०१० ४:५० AM
मैं वाणी जी के ब्लाग पर गया था और पढकर भी आया था।
लेकिन रात को चर्चा करते वक्त भुल गया,इसलिए कविता लिख डाला
अब सुधार दिया गया है,उस ओर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए आभार
डॉ दराल के बारे में या खुद के ? आपके मामले में भी भरोसा नहीं, अभी समय बहुत बाकी है...
ललित भाई, उम्दा ब्लॉग वार्ता के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
हा हा हा ! वार्ता का शीर्षक अच्छा दिया है ।
पोस्ट्स पर आपके कमेंट्स सटीक हैं ।
बढ़िया चर्चा ।
जय आक्टोपस बाबा....
आपकी चर्चा में काफी गंभीर विषयों को रोचकता के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। यह धार बनाएं रखे
मेरी शुभकामनाएं
रोचक वार्ता है हमेशा की तरह..आभार.
बढ़िया चर्चा ।
चकाचक चर्चा
achchha hai ji
arganikbhagyoday.blogspot.com
भाई जिसके थारे जिसे मित्र हों तो फेर उसनै दुश्मनाँ की तो कोई जरूरत ही कोणी :) खोल के भाई तों बी ज्योतिष की दुकान खोल ही ले..देखी जावेगी :)
बहुत ही बढ़िया रही यह चर्चा!
पाल का तुक्का ,
ललित का हुक्का !
परिणाम तो आने दो,
रह जाओगे हक्का बक्का
--------- -अशोक बजाज
वार्ता में शामिल करने के लिए शुक्रिया
मेरे नाम में "सिंग" नहीं "सिंह" है |
उम्मीद है आप इस पर आगे जरूर ध्यान देंगें|
धन्यवाद
Nice blog & good post. overall You have beautifully maintained it, you must try this website which really helps to increase your traffic. hope u have a wonderful day & awaiting for more new post. Keep Blogging!
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।