संध्या शर्मा का नमस्कार..."शहीद दिवस पर भारतमाता के तीनो सपूतों शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को हमारा शत-शत नमन...." चूमकर पेशानी सारा ग़म पीने वाले छीनकर सारी उदासी लबों को हंसी देने वाले तेरा शुक्रिया...... कि रहम है मौला का तमाम दुश्वारियों के बावजू़द एक अदद कांधा तो बख्शा जहां सर रखकर ग़ुबार दिल का निकाल सकें मायुसियों की गर्द झाड़ सुकूं पा सके सीने में उसके सर रखकर रूठी नींद को मना सकें कि बेरहम दुनिया में एक नाम तो ऐसा है जो जैसा भी है हर हाल में मेरा है तेरा शुक्रिया...... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........
उम्मीदें
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काश ये ऐसा हो जाता, काश वो ऐसा हो जाये। पर ये, वो क्यों नहीं? पर वो, ये
क्यों नहीं?
सबके मन में एक तूफ़ान फड़कता रहता है कि जो वो चाहे वैसा हो। *"उम्मीद" एक...
सखी री ............बस ऐसो फाग खिला दे
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*
*सखी
सुना है फाग है आया
पर मेरा मन न हर्षाया
प्रीतम मेरे पास नही हैं
कहो कैसे फाग मनाऊँ
प्रीत की होरी में सखी री
कौन सा रंग भरूँ
जो रच बस जाए
उनके अंतरपट...चलो चलें ...
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वो अब हमेशा के लिए मौन रहता हैथोड़े ही वक्त में मेरी भाषा सीख गया.. मुझसे
रुकने को कह चल पड़ा अकेले सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ...वादा किया था
...
क्षणिकायें
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(१)
ज़िन्दगी की क़िताब
पीले पड़ गए पन्ने
चाहता हूँ पढ़ना
एक बार फ़िर.
लगता है डर
पलटने में पन्ने,
कहीं बिखर न जायें
भुरभुरा कर
और बिखर जाये...
पुस्तकें और पाठक .. 3
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एक रचनाकार ने किसी पुस्तक में बेशक अपनी व्यक्तिगत भावनाओं, अनुभूतियों और
चिंतन को अभिव्यक्ति दी है , लेकिन जब वह कला के माध्यम से अभिव्यक्त हुई है .फॉसिल बनने की क्या जल्दी है--
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कुछ समय से एक भी ब्लॉग पोस्ट नहीं लिख पा रहे हैं हम। सच तो यह है कि कोई
आइडिया ही नहीं आ रहा। लगता है जैसे थॉट ब्लॉक हो गया है। पहले जहाँ नित नए
आइडिया ...
ऐसी प्रताड़ना सबको मिले
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नहीं। मुझे मिली इस अनूठी प्रताड़ना को आप तक पहुँचाने के लिए मैं शब्दों की
कोई सजावट नहीं करूँगा। सब कुछ, वैसा का वैसा ही रख दूँगा जो मेरे साथ हुआ।..बिन पानी सब सून !
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समयाभाव के कारण आज सिर्फ इतना सा ;
1993 में संयुक्त राष्ट्र ने 22 मार्च को अन्तराष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस घोषित
किया था , उसी सिलसिले में चार लाइने;...
मिस्टर लाल हर हाल में बेहाल
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. .....
जन्म दिन तुम्हारा
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याद है मुझे
वह अमूल्य पल
जब तुम सी बेटी पा
अपना भाग्य सराहा |
किलकारियां गूंजी
धर के आँगन में
महकी क्यारी क्यारी
प्यार के उपवन में |
स्नेह तुम पर...कल्पवृक्ष
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काश ! होता एक ऐसा भी
कल्पवृक्ष
जिसकी शाख पर
लटकी होती
अनगिनत इच्छाएँ
और
उन इच्छाओं को
तोडने के लिए
सींचना पड़ता उसको
प्यार और संवेदना के जल से...तुम्हें पुकारती .......!!
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राग के भाव ...मन के भाव कितने विचित्र हैं ...इतनी सुंदर राग बसंत में सुख और
दुःख एक साथ कैसे गाया जा सकता है ....?आप खुद भी सोचिये.. .......
लहू के रंग झाडू हाथ में थमा
उसे दश्त के हवाले कर दी
चिराग हांथो से छिनकर
सूरज को
रात के हवाले कर दी
उसकी बस्ती में
कोई आता जाता नहीं
उसकी कश्ती को मौजों के
हवाले कर दी
आसमान
सिकुड़ गया कबका
चाँद को
अंधेरो के हवाले कर दी
मौसमों को
क्या पता था कि
बादल सूख जायेंगें.. मैं बाहर थी जब तुम बुझा रहे थे अपनी आग,
मै जल रही थी.
मैं जल रही थी पेट की भूख से
मैं जल रही थी माँ की बीमारी के भय से
मैं जल रही थी बच्चों की स्कूल फीस की चिंता से .
जब तुम बुझा रहे थे अपनी आग,
मै जल रही थी.
*******तलाश फिर भी जारी है.......कितने चेहरे
हैं आस -पास
इन चेहरों की भीड़ में
तलाश ,
एक अपने से
जाने पहचाने चेहरे की
तलाश
एक पहचानी सी
मुस्कान की
जो मिले ,लिये
आँखों में वही जान -पहचान
तलाश
पूरी कब होती है
समय बदलता है
चेहरे बदल जाते हैं .....
वह एकमुश्त कबीर थे और हम सभी किश्तों में कबीर हैं
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*"*कबीर विद्रोही थे ...सत्यवादी थे ...बिना लाग लपेट के सच बोलते थे ...उनका
व्यक्तित्व संत तुल्य था यह सभी बातें ठीक हैं ...पर कबीर ने 120 वर्षों की
आयु में...
लाइनेक्स के प्रति आग्रह
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पिछले दिनों भिलाई के स्वामी श्री स्वरूपानंन्द सरस्वती महाविद्यालय में
लाईनेक्स इंडिपेन्डेंट वर्क स्टेशन विषय पर एक कार्यशाला आयोजित किया गया था
जिसमे...
बिरवा शब्द का....
संभव है वह भूल जाए
लेकिन मैंने संभाल रखा है
तुम न पहचानो मगर
बेखटके आता-जाता है
मेरी कविताओं में
उसका वह एक शब्द ...
देखना एक न एक दिन
मैं तुम्हारे मन में
...
.
14 टिप्पणियाँ:
jai ho deedi
abhibhoot hoon aabhaar
संध्या जी, इस गम्भीर वार्ता के लिए बधाई स्वीकारें। साथ ही होली की शुभकामनाएं भी।
...........
शुरू हो गया सम्मानों का सिलसिला...
ढेर सारे लिंक ....शीर्षक सहज ही आकर्षक बन पडा है .....!!! शुक्रिया आपका
बढ़िया लिंक्स है आज की |संध्या जी मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
Girish Billore
कभी वार्ता भी लिखे करो, खाली अभिभूत होने से काम नहीं चलेगा। बहुत बिगड़ गए हो आज कल। समझा की नहीं।
बहुत ही सार्थक और पठनीय लिंकों की वार्ता,सादर आभार.
बहुत सुंदर वार्ता ..
आभार !!
बहुत सुन्दर लिंक्स सजाया आपने संध्या जी !
सुन्दर वार्ता !!
बहुत सुंदर वार्ता .
बहुत सुंदर ब्लॉग वार्ता,,,,,
होली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
बहुत सुन्दर सूत्र..
अच्छे सूत्र ... धन्यवाद ...
मेरा यह ब्लाग शायद आपकी फ़ीड में शामिल नहीं, कृपया इसे भी जोड़ लें, धन्यवाद.
http://kathakahaani.blogspot.in/
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