शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नूतन वर्ष की अशेष शुभकामनाएं....ब्लॉग़4वार्ता .... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...जाने वाले को विदा और आने वाले का स्वागत  करना यही हमारी भारतीय संस्कृति है. हर साल की तरह दिसम्बर का महीना अपने साथ कडकडाती हुई ठण्ड और नए साल की आहट लेकर आता है. हम ठहरे उत्सवधर्मी.  प्रत्येक क्षण, प्रत्येक दिन आनंद और उत्साह से बिताया जाये यही सिखाया है हमारी संस्कृति ने हमें... 2011  के विदा और 2012  की स्वागत बेला करीब है.  नया वर्ष, नयी दिशा, नयी सोच, नयी कामना, नयी आस, नयी भावना के  साथ स्वागत कीजिये नए साल काआप सभी को नूतन वर्ष की अशेष शुभकामनाएं.... स्पर्श की ख्वाहिश को मुकम्मल हो जाने देशब्द-शब्द उलझ जाने दे कविता-कहानी से बहल जाने दे रौशन रहेगा अक्षरों में लौ एक गीत को...

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

कब तक तुझसे सवाल करेंगे ... ब्लॉग़4वार्ता --- संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, वार्ता पर आप सभी का स्वागत है...  प्रस्तुत है, मेरी पसंद के कुछ लिंक्स   शुक्रिया तेरा शुक्रिया तेरा, तेरे होने के अहसास का, शुक्रिया उन सब बातों का, जो कभी हुई ही नहीं, शुक्रिया खुशनुमा उस अहसास का, जो दिल को कभी मिला ही नहीं, जिंदगी तेरा भी शुक्रिया, तुझसे भी अब ... उनके चेहरे पर सपने आज भीड है हर जगह और उनके चेहरे पर सपने जेबे तलाशती हुई पर उसमे सिर्फ बचे ईंट पत्थर हाशिये से बाहर लोग अब बस भीड का हिस्सा है बदहवास सांसो की जमीन पर सपने में सिर्फ भूख है और उनके जलते पेट को एक... आने को है नया साल आने को है नया साल कुछ नया लिए कल सुबह आए खुशियों की सौगात लिए | तैयारी की स्वागत...

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

कुहासे की चादर हटा मैं अंगार लिखूँगा --- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, नया आने को है और पुराना वर्ष जाने को है। बस कुछ घंटे और बाकी हैं। उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। हमने भी शुन्य से गिनती शुरु की थी 10 मार्च 2010 से ब्लॉग4वार्ता पर। आज 4 बजकर 29 मिनट पर 1,00,000 हिट्स के जादूई आँकड़े को वार्ता ने पार कर लिया। मध्य में वार्ता दल के सदस्यों के पास समय नहीं होने के कारण वार्ता पर पोस्ट नहीं आई, पर पाठकों  का आगमन निरंतर जारी रहा। पाठकों की मांग पर वार्ता को हमें पुन: आरम्भ करना पड़ा। लगभग डेढ...

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

हँस मत पगली, प्यार हो जाएगा --- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, कल शायर-ए-आजम मिर्जा असद उल्लाह खाँ का जन्म दिन था। मिर्जा साहब "गालिब" तखल्लुस का प्रयोग करते थे। अपने नाम से अधिक उपनाम से जाने जाते हैं। इनके विषय में बहुत सारी बातें कही जाती  हैं। उर्दू शायरी को इन्होने परवान चढाया। गालिब कहते हैं रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो "ग़ालिब", कहते हैं अगले ज़माने में कोई "मीर" भी था । कल्लू खाँ से इनका नाता ताजिन्दगी रहा, जब तक खाँ रहे तब तक कल्लू खाँ रहे। मिर्ज़ा ग़ालिब के दीवाने क़ासिद...

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

ज़रा एक नज़र इधर भी………हम भी खडे हैं राह में………ये है मेरा सफ़र.... ब्लॉग़4वार्ता --- संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, वार्ता पर आप सभी का स्वागत है. प्रस्तुत है, आज कुछ मेरी पसंद के  लिंक्स... ब्लॉगर मीट की रिपोर्ट यहां पढें। एक नया रूप धर कर.........2012  * * * हर साल की तरह ये साल भी गुज़र गया, **कुछ दिल में सिमट गया तो कुछ टूट कर बिखर गया...* *कभी तो लगा की एक प... प्रेम : कुछ क्षणिकाएं * *१. प्रेम से होता है पराजित विज्ञान अर्थशास्त्र भी २. प्रेम गढ़ता है नया भूगोल ३. प्रेम देता है जन्म नए विषयों को जो समुच्चय होता है दर्शन शास्त्र और मनोविज्ञान का ४. प्रेम से उत्त्प्...  मुहूर्त्‍त को लकर लोगों...

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

कैक्‍टस के मोह में बिंधा एक मन और कुनकुनी धूप में ब्लॉगर मीट --- ब्लॉग़4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  काफ़ी ठंड के बावजूद सांपला में ब्लॉगर नेह मिलन हुआ। राज भाटिया जी की उपस्थिति में ब्लॉगोत्सव में मित्रों  का मिलन अच्छा लगा। रात अन्ना भाई की रिपोर्ट आ गयी थी और सुबह खुशदीप भाई ने पोस्ट लगाई। राजीव तनेजा जी ने फ़ेसबुक पर पिलर नम्बर 420 से कुछ फ़ोटो टांग दी थी। जिससे जानकारी  मिल गयी कि सांपला की यात्रा चालु आहे। फ़ोन लगाने पर महफ़ूज मियां और भाटिया जी से बात हुई। कहने का मतलब यह है कि सांपला से लाईव अपडेट मिलता...

रविवार, 25 दिसंबर 2011

अंदाज अलग जीने का ... ब्लाग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार,सबसे पहले क्रिसमस की ढेर सारी शुभकामनाये... आज फिर से आई हूँ वार्ता पर अपनी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ. आशा करती हूँ आपको भी अच्छे लगेंगे. तो लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता....     KAVITAYEN मोहब्बत भरी ज़िन्दगी कभी करती है आँख मिचौली, कभी सजाये सपनों की डोली, शरारत उम्र भर करती ही रहती, है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी ! कभी खुशियों का मेला लगता है, कभी जीवन झमेला लगता है, कभी चुराए हमसे ये नज़र, ह... कालाधन?...

शनिवार, 24 दिसंबर 2011

कुछ मुस्काने की बात करो आहिस्ता आहिस्ता -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  मित्रों एक सप्ताह की गैर हाजरी के पश्चात आज वार्ता पर पुन: उपस्थित हुआ हूँ, इस दौरान संध्या जी ने मोर्चा संभाल रखा था। इस अवधि में कई अच्छी पोस्टें आई, अब समय निकाल कर सिलसिले वार पढा जाएगा। स्वराज्य करुण जी ने एक गंभीर विषय को लेकर आलेख लिखा है। हिन्दी के सरलीकरण के नाम पर भाषा को बिगाड़ने का षड़यंत्र हो रहा है। हिन्दी वाक्य में अंग्रेजी के शब्द भी घुसेड़े जाएगें, जिन्हे अनचाहे ही लोगों को झेलना पड़ेगा। हिन्दी के सरलीकरण...

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

पहचान तो खुद बोलती है... ब्लाग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, वार्ता पर आप सभी का स्वागत है. प्रस्तुत है, आज कुछ निराले और ख़ूबसूरत लिंक्स...  गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है आखिरी पल का अकेला, गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है। रुक न जाये श्वास वेला, मीत तुमको ढ़ूँढ़ता है। स्नेह का आकाश अब भी, नेह का दो बूँद माँगे, अश्रु का प्रवाह बह-बह, नैनों का फिर बाँध लाँघे। सिसकियाँ देती है मेरे, सर्... काश ! चौराहे पर खड़ा एक मोटर साईकिल सवार| कर रहा था हरी बत्ती का इंतज़ार| पड़ोस में खड़ी थी एक कीमती कार, आधी खुली खिड़की से कुत्ते का बच्चा झाँक रहा था बाहर| वह सवार, उस कुत्ते के बच्चे को , निहार रहा था बार ... अलविदा ए वर्ष..... अलविदा ए वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन, सीने पर ले चले भ्रष्टता का क्रंदन,...

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

आज जी जाने को जी चाहता है.... ब्लाग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, आप सभी का स्वागत है. लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता कुछ नए और बेहतरीन लिंक्स के साथ... बस यूँ ही .... - देर रात तक तारों संग , खिलखिलाने को जी चाहता है. चांदनी के आँचल को खुद पर से, सरसराते गुजरते जाने को जी चाहता है. पीपल की मध्धिम परछाई से छुपते छुपाते , ...   समंदर सा इमरोज़ , सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था ! अमृता - एक टीनएजर की आँखों में उतरी तो उतरती...

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

एक मीठा सा अपना ख्याल.... ब्लाग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, आप सभी का स्वागत है आज की वार्ता मे प्रस्तुत है मेरी पसंद के कुछ खास लिंक्स अपने अन्दर का ही ख्याल  एक मीठा सा अपना ख्याल जनकवि नहीं रहे ....  जिनको सुनना था  उन्होंने न तब सुना ना आज  खुद से मुलाकात.. कितनी मुश्किल है खुद से मुलाकात  ये दिल्ली है........यहाँ  जाऊं-न-जाऊ..  जिंदगी सबकुछ सिखा देती है .....  क्या कभी आपके मन में भी यह खयाल आता है !! इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में  अच्छी कविता अच्छा आदमी लिखता है  जिसको खुद सहलाते हैं  संग तुम्हारे जो पल बीते, याद वही पल आते हैं  आशा नयी इक ज्योति जगा जाता स्मृतियों में रूस...

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