रविवार, 18 दिसंबर 2011

जीवन डोर तुम्ही संग बाँधी.... ब्लाग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ ब्लॉग लिंक ---
नहीं कहेंगे, "चाचू पसीने क्यों आ रहे हैं" - हुए ब्लॉग लेखन से दूर, पखवाड़ा क्या, बीत गया महीना जारी है शीत लहर, लिखने में क्यों आ रहा है पसीना नहीं कहेंगे, "चाचू पसीने क्यों आ रहे हैं" न ही सुनें... कडुवा सच
 
देखकर अफसोस है कि - तुम्हारे - चेले-चपाटे भाई-भतीजे गुरु-शिष्य तुम्हें, आगे बढाने में रूचि नहीं रखते ! क्यों, किसलिए ? वे सभी के सभी तुम्हारे कच्चे, अ... 
तेरे बिना जिया लागे ना - सुनो देखो ना इक युग बीता मगर देखो तो मेरी आस का टोकरा कभी रीता ही नही सबने मुझे बावरी बना दिया तेरे विरह में ये नाम दे दिया मगर तुम बिन मेरा ना कोई पल रह...
बात सकारात्मकता की हो नकारात्मकता की हो तो ग्लास आधा खाली है आधा भरा है का तर्क समझ में आता है पर पानी हो , प्यास हो और आधा ग्लास पानी मिले यह बात गले..
नई ग़ज़ल / दर्द किसी को भी बतलाना ठीक नहीं.... - *हमने माना यार ज़माना ठीक नहीं* *फिर भी ये सब झूठ-बहाना ठीक नहीं* * * *जहाँ हमारे जाने से बेचैनी हो* *वहाँ कभी भी आना-जाना ठीक नहीं* *दिल देने से पहले सोच लि... 

प्रीत .... - तुम छलना नही छोड़ सकते तो क्यों मैं छोड़ दूँ अपनी प्रीत .... तुम चाहे जग को जीत लो.. पर मैं जाउंगी तुमको जीत...

बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने - लिखूं क्या तुम्हारे बारे में ,कोई इतना बे-वफ़ा कैसे हो सकता है ..कितना कोसती हूँ तुम्हे जानकर शायद किसी पल नाराज़ होकर कह उठोगे "कुछ तो मजबूरिया रही होंगी ,क...
लिखने की जूस्तजू - - खुद के बाहर जाकर लिखना - खुद को छोड़कर लिखना - खुद को तोड़कर लिखना। - खुद को किनारे पर खड़ा करके लिखना - खुद से लड़ते हुये लिखना - अपने को भावनात्मकता से ब... 

 चाहोगे न ? - मैं वाकिफ हूँ इस बात से कि,मेरे साथ बड़ा कठिन है निबाह पाना साथ चल पाना,प्यार कर पाना . तुम जानते हो कई बार मैं बिना किसी कारण तुम्हें कटघरे में खडा क... 

 कुबूलनामा ! - *प्रत्यक्षदर्शियों के * बयान के मुताविक साहिल के उस पार कुछ लहरों को उन्होंने उठते हुए देखा था, फिर एक भंवर बना और देखते ही देखते वो उसमे डूब... 

तवायफ़................... - नारी मन की पीढ़ा को कभी चलते हुए कहीं पढ़ा था ...उस वक़्त ये कविता बहुत अच्छी लगी थी ...इस लिए इसे संजो के रख लिया था ...आज फिर यूँ ही चलते चलते इस पर नज़र ... 
भार्या तुम्हारी .... - *मै सीता * *कुलवधु मै रघुकुल की * *भार्या हूँ राजा राम की ......* *आज चाहती हूँ * *देखना खुद को * *फिर एक बार तटस्थ भाव से -* *सर्व समर्पित * *सर्व अ... 
"निरंतर" की कलम से.....: ना जाने ऐसा ये क्यों हो रहा है? - "निरंतर" की कलम से.....: ना जाने ऐसा ये क्यों हो रहा है?
कैसा अलाव कैसा जाड़ा - सर्दी का मौसम ,जलता अलाव बैठे लोग घेरा बना कर कोइ आता कोइ जाता बैठा कोइ अलाव तापता | आना जाना लगा रहता फिर भी मोह छूट न पाता क्यूँ कि कड़ी सर्दी ... 
जीवन डोर तुम्ही संग बाँधी .... - * शादी की सालगिरह * * * *16 दिसंबर 1979* *शुभ विवाह * *आज मेरी शादी की 32वी सालगिरह हैं .......एक खूबसूरत दिन !* * फ़ैरो के समय हमारे यहाँ घुंघट... 


मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. 
स्वागत, धन्यवाद और माफी - श्री राज भाटिया जी आजकल दिल्ली में हैं और आप उनसे 09999611802 बात कर सकते हैं। शनिवार 24 दिसम्बर 2011 को सांपला में ब्लॉगर मिलन के लिये आने वाले मित्रों ... 

चुपके से यु उस का मुझ से दूर चले जाना पीछे उस के सवाल हज़ार छोड़ गया न आया पसंद उसे वफ़ा का चलन एक जरा सी बात पर इतना बवाल छोड़ गया कौन रोक सका है कि... 
प्रीत .... - तुम छलना नही छोड़ सकते तो क्यों मैं छोड़ दूँ अपनी प्रीत .... तुम चाहे जग को जीत लो.. पर मैं जाउंगी तुमको जीत... 
आजीवन अविवाहित रहने के निर्णय का सम्मान कीजिये - अक्सर कुछ लोग आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लेते हैं ! लेकिन प्रायः ऐसा देखा गया है की उनके मित्र एवं परिजन उन्हें लगातार ये बताते रहते हैं की उनका ये निर्... 

मिलते हैं अगली वार्ता में.... 
  
  
 
 
  
  

6 टिप्पणियाँ:

अच्छी लिंक्स अच्छी वार्ता |बधाई
आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए|
आशा

वाह ...
बहुत खूब ..
अच्‍छी वार्ता के लिए आभार !!

्बहुत ही रोचक वार्ता।

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