बस यूँ ही .... - देर रात तक तारों संग , खिलखिलाने को जी चाहता है. चांदनी के आँचल को खुद पर से, सरसराते गुजरते जाने को जी चाहता है. पीपल की मध्धिम परछाई से छुपते छुपाते , ...
समंदर सा इमरोज़ , सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !
अमृता - एक टीनएजर की आँखों में उतरी तो उतरती ही चली गई ... वक़्त की नाजुकता रक्त के उबाल को किशोर ने समय दिया फिर क्या था समय अमृता को ले आया .... अमृता के पास शब्द थे इमरोज़ के पास सुकून का जादू ज...
स्कूल की छुट्टी..क्रिसमस की बधाइयाँ !!
आज से मेरे स्कूल की छुट्टियाँ आरंभ हो गई हैं. अब मेरा स्कूल क्रिसमस और नए साल के बाद 2 जनवरी को खुलेगा. तब तक तो मुझे खूब मस्ती करनी है, घूमना है. स्कूल बंद होने से पहले हम सभी को क्रिसमस कार्ड बनाने का प...
मैं और मेरी तन्हाईयाँ -----!
* * * * मैं और मेरी तन्हाईयाँ * * *"अपने फ़साने को मेरी आँखों में बसने दो !* *न जाने किस पल ये शमा गुल हो जाए !" * बर्फ की मानिंद चुप -सी थी मैं ----क्या कहूँ ? कोई कोलाहल नहीं ? एक सर्द -सी सिहर...
भारत तो धरती को रब की सौगात है !
सिन्दूरी सुबह है ...उजली हर रात है अपने वतन की तो जुदा हर एक बात है जितने नज़ारे हैं जन्नत से प्यारे है भारत तो धरती को रब की सौगात है . बासन्ती मादकता मन को लुभाती है रंगीले फागुन में सृष्टि रंग जाती...
बेचारे मजबूर प्रधानमंत्री ...
*सेवा में* *प्रधानमंत्री जी* *भारत सरकार* प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी, मैं पिछले कई दिनों से नहीं बल्कि महीनों से देख रहा हूं कि गल्ती कोई और कर रहा है, लेकिन निशाने पर आप हैं। इसके कारणों पर नजर डालें...
"सिसकते लम्हे"
न अब यहाँ रुकने का मन न किसी को रोकने का, न किसी के आने का सबब न अब किसी के जाने का, बस सारी रात, तन्हा, बरस जाने का मन घुप्प अंधेरो में, अपनी ही परछाई से, सिसकते हुए लिपट जाने का मन
मेरी राय तो यही है कि जितना नुकसान फेसबुक ने हिन्दी चिट्ठाकारी (ब्लॉगिंग) को पहुंचाया है, उतना तो नहीं परंतु कुछ नुकसान तो अविनाश वाचस्पति जी की बीमार...
कभी तो निकलें मनुष्यता के मोर्चे मोर्चे जिनमें केवल महिला-पुरुष की बात ना हो ना ही नारे लगें एक धर्म की जय और दूसरे की पराजय के समानता ,असमानता का ...
एक कोशिश करता रहता हूँ मैं बस.. मैं.. नहीं कुछ और हो जाऊँ उलझन उलझन तैर रहा हूँ जाने क्या से क्या हो जाऊँ कभी सोचता धूप बनूँ...
यादें.....!!! "यू उठा तेरी यादो का धूआँ जैसे चिराग बुझा हो अभी अभी"॥ क्यों याद आता है ,वो गुज़रा ज़माना जो नामुमकिन है,लौट के वापस आना | वो ठंडी ...
*नेताओं का काम रुलाना है * * अपना तो काम हँसाना है * * होगई दो दिन की आरामगी * * अब फिर सफ़र पर जाना है* * * ______________22 -23 अहमदाबाद _______...
*सभी मित्रों को प्यारी जिद्द भरा नमस्कार !! जिद्द भी कई तरह की होती है !! बच्चे की जिद , जो अच्छी लगती है ?? पत्नी या प्रेमिका की जिद , जो प्यारी लगती है...
"अपनी यादों से कहो थोड़ी जगह खाली कर दें,
तेरे सपनों को कुछ और जगह चाहिए..."
सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर...
8 टिप्पणियाँ:
संध्या जी, बडे जतन से आपने ये लिंक जुटाए हैं, आभार एवं बधाई।
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आपका स्वागत है..
.....जूते की पुकार।
बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स ..
कमाल कर रही हैं आप आजकल ..
बहुत आभार और शुभकामनाएं !!
क्या फेसबुक और अविनाश वाचस्पति की बीमारी चिट्ठाकारी के लिए संकट का वायस है ???
मेरी राय तो यही है कि जितना नुकसान फेसबुक ने हिन्दी चिट्ठाकारी (ब्लॉगिंग) को पहुंचाया है, उतना तो नहीं परंतु कुछ नुकसान तो अविनाश वाचस्पति जी की बीमार...
aisa kuchh nahi hai .
Gandhi mar gaye tab bhi kuchh nahin bigda Journalism ka .
Sandhya ji bahut bahut aabhar itne sunder links se parichay karane ke liye
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।
सभी लिंक्स एक से बढकर एक
बहुत सुंदर
sundar links
बेहतरीन लिंक्स के लिए धन्यवाद संध्या जी
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