संध्या शर्मा का नमस्कार, प्रस्तुत हैं कुछ लिंक आज की ब्लॉग4वार्ता में ....है नाम जिंदगी इसका बोझ क्यूँ समझा है इसे है नाम जिंदगी इसका सोचो समझो विचार करो फिर जीने की कोशिश करो | यत्न व्यर्थ नहीं जाएगा जिंदगी फूल सी होगी जब समय साथ देगा जीना कठिन नहीं होगा | माना कांटे भी होंगे साथ कई पुष्पों के दे ... उपेक्षित प्रेम *मेरे मन की चौखट पे* *वो दस्तक देती रही* *मेरी त्रुटियों पे* *नतमस्तक होती रही * *अविचल बैठी रही * *बनकर एक धीर* *वो चुपचाप बहाती रही* *अपने नेत्रों से नीर !* * * ** * * *धैर्य को समेटे * *आँखों में अविरत * ...
तुम्हारे जन्मदिन पर...आज मेरे छोटे भाई का जन्मदिन है... सोचा था उसकी ही लिखी कोई कविता पोस्ट करेंगे इस विशेष दिन पर... लेकिन संपर्क ही नहीं हो पाया... फ़ोन लगा भी तो बात नहीं हो पायी... स्काइप पर बात करने का अवसर ही न मिल पाया.... खुद ही प्रेम , खुद ही प्रेमी और खुद ही प्रेमास्पद जब सर्वस्व समर्पण कर दिया फिर कोई चाह नही होती सिर्फ़ उसकी रज़ा मे ही अपनी रज़ा होतीहै और वो ही तो सच्ची मोहब्बत होती है ……… देखें कौन किससे कितनी मोहब्बत करता है? चलो आज ये भी आजमा लें ए खुदा तू है ख...
श्रद्धा *जाकी रही भावना जैसी , * *प्रभु मूरत देखी तिन तैसी....* *तुलसी दास की यह लाइनें, हम सबको इस विषय की गूढता समझाने के लिए काफी हैं ! सामजिक परिवेश में , इस का नमूना, लगभग हर रोज दिखाई देता है ! पूरी श्रद्धा... माटी की याद ..... विदेश में प्रवास कर रहीं अपनी एक फेसबुक और ब्लॉगर मित्र से चैट पर बात करने के बाद लिखी गयी यह पंक्तियाँ उनको और सभी प्रवासी भारतियों को समर्पित कर रहा हूँ---
अँधेरी रात का साया वो गुनगुनाती गज़ल , वो मदहोश रातें | तेरे - मेरे मिलन की , वो दिलकश बातें | न तुमने कहा और , न कुछ हम कह सके | ख़ामोशी में गुजरी , तमाम रगिन सदाएं | सोचा था रात का , हर एक लम्हा चुरालूं | उसको पिरो... हिन्दी चिट्ठाकार डॉ. संध्या गुप्ता का जीवन की दोपहरी में यूं चले जाना समाचार जो दुखी कर जाते हैं जीवन को असमय जंगल कर जाते हैं नहीं चलता है किसी का भी बस जब अच्छे लोग बीच से उठकर चले जाते हैं। डॉ. संध्या गुप्ता का जाना
बन गयी दवाओं की गुलाम जिन्दगी टैबलेट के हुक्म पर चलती है जिन्दगी बन गयी दवाओं की गुलाम जिन्दगी . सिर में दर्द है तो बाम लगा लो नयनों में हो पीड़ा ये ड्रॉप टपका लो गोली के इशारो पर अब नाचे जिन्दगी बन गयी ............ पानी ...एक उत्सव ये भी .. जन्म का ज्यों होता है उत्सव मृत्यु का भी तो होना चाहिए मृत्यु को भी एक उत्सव की तरह ही मनाना चाहिए आगत का करते हैं स्वागत उल्लास से तो विगत की भी करो विदाई हास से जा रहा पथिक एक नयी राह...
तू तू ..मैं मैं ...(३) मेरा उठना मेरा बैठना मेरा बोलना मेरी मौन मेरा हंसना मेरा रोना सब तेरी ही तो अभिव्यक्ति है मेरा सारा जीवन तेरा ही एक गीत है माधव ! इसे मैं जितना शांत और शांत होकर सुनता हूँ तू... सारा जग अपना लगता है सारा जग अपना लगता है लगन लगा दे सबको अपनीप्रियतम निज रंग में बोड़ दे, भीतर जो भी टूट गया था निज प्रेम से उसे जोड़ दे ! जो कलुष कटुता भर ली थीतेरे नाम की धारा धो दे, जो अभाव भी भीतर काटेअनुपम धन भर उसको खो दे...
जनता सबक सिखायेगी..जनता सबक सिखायेगी... राजनीति की मंडी में, प्रजातंत्र नीलाम हो गया गुंडागर्दी चोरी चकारी,शहर ग्राम में आम हो गया, गया भाड में देश, इन नेताओं की मक्कारी से इनसे नफरत हो गई देश को, इनके भ्रष्टाचारी से, जहर इ... ऐसी अपनी इच्छा हैं......... अपने उर के स्पंदन को, बस जीवन मैंने मान लिया| अपने उर के क्रंदन को गीतों का मैंने नाम दिया| रुके साँस के साथ कलम भी ऐसी अपनी इच्छा हैं | पटाक्षेप ही जीवन नाटय का, देगा हमको इसका उत्तर| चली है उसकी अपनी ...
कल्याण में जुटे साहित्य और ब्लॉगिंग के स्तंभ : अनिता कुमार की विस्तृत रपट आँखों देखी : मुम्बई से अनिता कुमारके एम अग्रवाल कला, वाणिज्य एवम विज्ञान महाविधालय, कल्याण(प) के हिंदी विभाग ने विश्वविधालय अनुदान के सहयोग से 9-10 दिसबर 2011 को द्वि दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया,जिसकी म... Launching Lounge bar Sura Vie Back from a business trip to US and UK in connection with my TV channel. Will settle down today, and tomorrow am shooting with the Master Chef team. Later in the week, will be travelling to Delhi for two...
आज धीरू सिंह की वैवाहिक वर्षगांठ है आज, 12 दिसम्बर को दरबार व मेरी बरेली, मेरी शान वाले धीरू सिंह की वैवाहिक वर्षगांठ है। बधाई एवं शुभकामनाएँ स्वप्न और जागरण स्वप्न और जागरण तुमने अपने स्वप्न से मुझे आवाज दी है तुम बेचैन हो... शायद भयानक स्वप्न देख रहे हो कोई पर मैं जाग रही हूँ और नहीं जानती कि स्वप्न में कैसे प्रवेश किया जाता हैतुम्हारी नींद गहरी है और तुम जागन... बदला - बदला सा इंसान
आँगन की खोज थी मकान मिल गया | नया शहर तो बिन आँगन के बन गया | देखो घर कितनी जल्दी है सिमट गया | रिश्तों की गर्माहट को भी न सह सका | झरोखों से अब कोई यहाँ झांकता नहीं | झत जैसी चीज़ का तो नामोनिशां नहीं ...
यूँ तो हालात ने *यूँ तो हालात ने हमसे दिल्लगी की है जीने का शउर सिखाना था , कुछ इस अन्दाज़ में गुफ्तगू की है कोई एक तो होता हमारा गम -गुसार हाय नायाब सी शै की जुस्तज़ू की है अपने जख्मों की परवाह किसे उसकी आँख में आँस... खुदा मिलता है ....!!! चाह लो तो खुदा मिलता है , आकाश मुट्ठी में होता है, फिर चाह में कंजूसी कैसी ! - रश्मि प्रभा पिशाच मोचन इमरती लिट्टी-चोखा और गुगल सर्च ईंजन प्रारंभ से पढें हमें जो ऑटो वाला मिला था वह बहुत अच्छा आदमी था, उसने हमें भरत कुंड पहुंचाया, मैने उसे सबके लिए चाय बनवाने कहा और हम मंदिर दर्शन के लिए चल पड़े। मंदिर में पहुचने पर एक जगह लिखा था "भरत गुफ़ा...
मिलते हैं अगली वार्ता में, सुप्रभात
7 टिप्पणियाँ:
उम्दा लिंक, वार्ता पर स्वागत है आपका, शुभकामनाएं
सुंदर लिंकों के लिए आभार ..
अच्छी रही ये रंग बिरंगी वार्ता ...
स्वागत है आपका !!
बहुत बढ़िया लिनक्स प्रस्तुत किये ....धन्यवाद
अच्छी रही वार्ता ... आभार
सुंदर लिंक्स
बहुत बढिया
अच्छे और सुव्यवस्थित लिंक्स .सुन्दर वार्ता.
सुन्दर लिंकों से सजी वार्ता अच्छी लगी !
आभार !
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