सोमवार, 12 दिसंबर 2011

दुखवा कासे कहूँ -------- ब्लॉग4वार्ता ---- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, चलते हैं आज की फ़टाफ़ट वार्ता  पर, लाएं हैं आपके लिए कुछ उम्दा  लिंक, खुशदीप सहगल  इंडीब्लॉगर्स मीट, में हो आए हैं, जानिए उनका अनुभव, अनूठा सौंदर्य बांह फैलाए दूर तलक बर्फ से ढकीं हिमगिर चोटियाँ लगती दमकने कंचन सी पा आदित्य की रश्मियाँ | दुर्गम मार्ग कच्चा पक्का चल पाना तक सुगम नहीं लगा ऊपर हाथ बढाते ही होगा अर्श मुठ्ठी में | जगह जगह जल रिसाव ऊपर से नी...  पिशाच मोचन इमरती लिट्टी-चोखा

आंसू चुनते किसी मोड़ पर मिलो कभी हमको! भूलना हो अगर अपना दर्द तो अपनाओ औरों के गम को! राह में तुम भी हो राह में हम भी हैं आंसू चुनते किसी मोड़ पर मिलो कभी हमको!! रौशनी को ढूंढना चाहते हो तो समझो घेरे हुए तम को! आत्मा के प्रकाश से उज्जवल होगा परि... इंतज़ार मुझे इंतज़ार है उसका जिससे भर जायेंगे मेरी बेटी के जीवन में इन्द्रधनुषी रंग अपनी नन्ही-नन्ही गोल गोल आँखों से दिखायेगा धरती-आसमान संपूर्ण ब्राम्हाण्ड परियों का देश नन्हे हाथों से जकड लेगी बालों की... 

सिब्‍बल बनाम रमन....!!!!! कपिल सिब्‍बल। पेशे से वकील। कांग्रेस के बडे नेता और मौजूदा मनमोहन सरकार में मानव संसाधन मंत्री। डा रमन सिंह। पेशे से चिकित्‍सक। भाजपा के बडे नेता और वर्तमान में छत्‍तीसगढ में मुख्‍यमंत्री। एक ओर जहां कपि... बांग्लादेश : शतरंज का खेल शतरंज की बिसात पर कैसे देश व जनता का भाग्य तय होता है, इसे सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में सुन्दर ढंग से चित्रित किया है। कुछ ऐसी ही बिसात हकीकत में कूचबिहार के राजा और रंगपुर के नवाब के ब... 

अरे! मारिए दू चार गदा इनको सुबह का नाश्ता प्रारंभ से पढें रात खूब सोना बनाया, मन-तन की थकान दूर हो गयी थी। चिड़ियों की चहचहाट सुनाई दे रही थी, बाहर बरामदे में गौरैया फ़ुदक रही थी। बरामदे में ही कुर्सी डालकर बैठा, चाय वाला भी आ गया। म... मैं भी हिंदुस्तान हूँ अगर हर हिन्दुस्तानी को कम-से-कम एक साल के लिए हिंदुस्तान से दूर रहने का मौका मिले, ख़ासकर वो जो अक्सर अपने देश  की  आलोचना किया करते हैं, तो शायद उन्हें अपने देश और इस देश में जन्म लेने की सही कीमत पत... 

नज़र के सामने जो कुछ है अब सिमट जाये ग़मों की धुंध जो छाई हुई है छंट जाये. कुछ ऐसे ख्वाब दिखाओ कि रात कट जाये. नज़र के सामने जो कुछ भी है सिमट जाये. गर आसमान न टूटे, ज़मीं ही फट जाये. मेरे वजूद का बखिया जरा संभल के उधेड़ हवा का क्या है... ये फूल........ सुबह सुबह देखो तो इन फूलों की पंखुड़ियों पर पानी की चंद नन्ही नहीं बुँदे पड़ी होती हैं । तो क्या ये फूल भी किसी की याद में सारी रात रोती है। 
क्षणिकायें और मुक्तक 1) चुरा के रख ली है आवाज़ तेरी अंतस में, सताने लगती है जब भी तनहाई, मूँद आँखों को सुन लेता हूँ। (2) सीढ़ी तो बनाई थी तुम तक पहुँचने को, पर बदनसीबी, नींद टूट गयी तुम तक पहुँचने से पहल...उपेक्षित प्रेम *मेरे मन की चौखट पे* *वो दस्तक देती रही* *मेरी त्रुटियों पे* *नतमस्तक होती रही * *अविचल बैठी रही * *बनकर एक धीर* *वो चुपचाप बहाती रही* *अपने नेत्रों से नीर !* * * ** * * *धैर्य को समेटे * *आँखों में अविरत * ...

मंजुला दी – ‘ एक संघर्ष गाथाकभी कभी यादों के झरोखों से बचपन के गलियारों में झांकती हूँ तो छुटपन की नजरों में एक धुंधला सा चेहरा नजर आता है .... एक लड़की का ... सांवली रंगत , तीखे नाक नक्श , सादगी से लबरेज , जिसकी दुनिया किताब...गाविलगढ़ का किलाधूप की नदी में / गोता लगाता / गुम जाता / किसी पुराने समय में / फिर निकल आता / सर झटकते हुए / जल तल से / पुराना किला / हाथ में लिये हुए / कहानी की किताब / अपने दिनों की / अभी परकोटे पर बैठ कर / बदन सुखाता / ...


कहाँ से लायें मर्यादा का थप्पड़बढ़ती महंगाई के खिलाफ अब जनता को ही कुछ करना होगा। लेकिन केंद्रीय मंत्री शरद पवार को एक थप्पड़ मारना लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ है। सरकार महंगाई कम करने के लिए कई आश्वासन दे चुकी है मगर वह बढ़ती ही जा रह....दुखवा कासे कहूँ ???वह उचकती जा रही थी अपने पंजों पर . लहंगा चोली पर फटी चुनरी बमुश्किल सर ढँक पा रही थी हाथ भी तो जल रहे होंगे . माँ की छाया में छोटे छोटे डग भरती , सूख गए होंठों पर जीभ फेरत...

योग-सम्मोहन एकत्वसम्मोहन- शक्तिशाली, मोहक और भेदक संकेत है। सम्मोहन- दृढ़ता, अधिकार और विश्वास से की गई प्रार्थना है। सम्मोहन- आश्चर्यजनक, जादुई क्षमता वाला मंत्र है और सम्मोहन- दृढ़ संकल्प और आज्ञा के साथ दिया हुआ आशीर्व... सेक्‍स को दबाए नहीं, उसे समझें भीमताल के ओशो कैम्प में जाने के बाद हम तीनों में अन्तर सोहिल ने अपनी पहचान दिखा कर वहाँ के अभिलेख में अपना नाम-पता प्रविष्ट कराया। उनके द्धारा वहाँ की तय फ़ीस जमा की जो कि 4500 रु तीन दिनों के लिये थी। दो...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं एक ब्रेक के बाद, राम राम

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