ललित शर्मा का नमस्कार, कल शायर-ए-आजम मिर्जा असद उल्लाह खाँ का जन्म दिन था। मिर्जा साहब "गालिब" तखल्लुस का प्रयोग करते थे। अपने नाम से अधिक उपनाम से जाने जाते हैं। इनके विषय में बहुत सारी बातें कही जाती हैं। उर्दू शायरी को इन्होने परवान चढाया। गालिब कहते हैं रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो "ग़ालिब", कहते हैं अगले ज़माने में कोई "मीर" भी था । कल्लू खाँ से इनका नाता ताजिन्दगी रहा, जब तक खाँ रहे तब तक कल्लू खाँ रहे। मिर्ज़ा ग़ालिब के दीवाने क़ासिद कूचा-ए-बल्लीमरान से लेकर कूचा-ए-कासिम जान तक सैर कर आए। गालिब की गलियों में घूम कर अच्छा लगा। बे दर-ओ-दीवार सा एक घर बनाया चाहिए कोई हमसाया न हो और पासबां कोई न हो। ऐसी सोच रखने वाले फ़क्कड़ स्वभाव के फ़कीर के घर की सैर कीजिए। अब चलते हैं आज की वार्ता पर...........।
हम भी कौन गालिब से कम हैँ (डॉ दराल गालिब के मुजस्समे के साथ) |
विष्णु वैरागी कह रहे हैं कि बढ़ती उम्र, घटता विश्वास, घटता साहस! यह मन का है विश्वास। आत्मबल रहे कायम तो नहीं चाहिए कायम चूर्ण, नहीं तो संत नगर के अन्ना भाई से पूछ लीजिए। वर्ष 2011 गुजर जाने को है दम ले ले घड़ी भर को प्यारे, देख नजारे न्यारे न्यारे।नैहरवा हमका न भावे तो ससुराल है, यही तो कमाल है। हर शादी शुदा के दो दो घर, एक ससुराल और नैहर पर किराया एक का ही देना पड़ता है। आने जाने में भी समय लगता है। जाट देवता का सफ़र जारी है, अब की बारी अटल बिहारी है।ये तुम हो...? सवाल बड़ा है, यक्ष प्रश्न सा खड़ा है। कभी तो मुड़भेड़ होगी ताम्बुल और ताम्बुली की, सोचिए कैसे बचेगा भारत देश?
मरा-मरा कहते कहते राम राम जप जाएगा, केवल राम ही इस जग से नैया पार लगाएगा। साहित्य सेवा के गैंग में उलझ गया है मन, अब तक तो हम ही फ़ंसे थे, आपकी बारी है श्रीमन।..आदेश आया है आओ जश्न का माहौल बनाएं, माहौल ही क्यों? जश्न भी मनाएं। अलबेला खत्री को उठाए उनसे गीत गवाएं। गीत से मन न भरे तो हो जाने दे भांगड़ा, थोड़ा बहुत नहीं बहुत ही तगड़ा। हम भी नाचेगें उन्हे भी नचाएगें। सब मिल कर धमाके दार जश्न मनाएगें। पर शर्त है पीले रंग का बैगी कमीज़ होना चाहिए। क्योंकि जन-गण-मन के 100 साल हुए पूरे राष्ट्र गान को एक शताब्दी हो गयी। सुगंधित बयार बह रही है। सौ साल की कथा कह रही है।
अनकहे लफ़्जों से सजाई है महफ़िल कैलेण्डर के पन्ने कर हो रहे हैं झिलमिल। बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय, दो पल की जिनगी, दो पल की मानुष देह। मित्र कुहासा न छाने दो, जो कुछ है सामने आने दो।काफ़िए की एक रात काफ़ी है। चलती का नाम गाड़ी, यात्रा आपा-धापी है। कहती है बुढापे में बॉक्सिंग रहने दे, कोई ढंग की मिल जाए तो शादी कर ले। भली बताई आपने भले बने हैं वीर, पर यह बात तो लक्ष्मण सिंह पर लागू क्यों नही होती? इनके भैया खुद पर लागु करें तो इन पर भी हो। बीच "- - कैसे सम्बन्ध होने चाहिए " ? जानना है तो इधर हो आईए।शरद की चांदनी की बात निराली है, चैटराम भिड़े हुए हैं, ब्लॉग पोस्ट खाली है।
जुलाहों मे लठा लट्ठ |
येल्लो सांपला से एक दसहजारी रिपोर्ट आयी। कह रहे हैं चंदा मामा दूर के, इतनी दूर मामा बनाने से पहले सोचना था। अब पछताए का होत हैं? दिल्ली में बात न बने तो मित्रों भिलाई में स्वागत! है, यहाँ अतिथि से मिलिए, ज्ञान वर्धन कीजिए। बताओ न कि नये साल मे नया क्या है, यह भी सोचने की बात है, खाली समय हो तो सोचिए, माथे पर हाथ धरिए, जवाब मिल जाए तो हमें भी बताईए पर मत कल के घने कोहरे से ख़ौफ़ खाइये, खौफ़ खाने की चीज नहीं। समोसे खाईए और गुनगुनाईए कभी चाहा था उन्हें, चाहत भी कमाल की शै है। नहीं चाहो तब आ जाती है, चाह कर नहीं आती। अब वार्ता को देते हैं विराम, शुक्रिया राम राम ...............
चलते चलते कार्टून धमाका
चलते चलते कार्टून धमाका
16 टिप्पणियाँ:
आज की वार्ता बहुत अच्छी लगी खास कर उसकी प्रस्तुति का तरीका |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
आज तो आपने बहुत मेहनत की है ..
खूबसूरत अंदाज में लिखी गयी वार्ता ..
बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स है इसमें ..
रात ही सब लिंक खोलकर पढ ली थी ..
अतिथि से मिलाने का शुक्रिया !!
बहुत ही सुंदर ललित भाई । प्रस्तुतिकरण लाजवाब बन पडा है , सभी लिंक्स मन को भा गए ।
वाह क्या बात है! लाजवाब लिंक्स... बेहतरीन प्रस्तुतीकरण!
हद हो गयी गन्ने भी लठ दिखाई देने लगे, तथा ब्लॉगर जुलाहे।
सही कहा आपने संगीता जी बहुत ही लगन और मेहनत से सजी है आज की वार्ता... हर एक लिंक के लिए सुन्दर से संबोधन और उन लिंक्स का सुन्दर संयोजन... बहुत सुन्दर सा अंदाज़... आभार
आज की चर्चा पढकर आनंद आ गया
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
बहुत मेहनत की है आपने इस वार्ता को लगाने में और प्रस्तुतीकरण उतना ही गजब ..ग़ालिब की तरह .....बिना पोस्ट के हमें भी शामिल करने के लिए आपका शुक्रिया ..हा..हा..हा..!
बहुत ही रोचक वार्ता …………मेहनत करके की गयी है।
सुन्दर लिंकों से सजी वार्ता
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
वाह ..बेहतरीन वार्ता.
लखपति बनने पर पूरे वार्ता परिवार को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं..........
अंतिम चित्र-
पहली नजर में लगा कि सब बांसुरी वादन कर रहे हैं।
रोचक वार्ता।
पेश करने का एकदम अनूठा अंदाज़! कार्टून धमाका धमाकेदार था :)
लाजवाब लिंक्स.
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