गुरुवार, 25 अगस्त 2011

महानगर में संध्या ..बेटी की किलकारी -- ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार ..आज अन्ना हजारे के अनशन का 10 वां दिन है। जहां अन्ना की सेहत गिरती जा रही है, वहीं कल तीसरे दौर की सरकार और अन्ना टीम के बीच की बातचीत फेल हो गई है। ऐसा अन्ना टीम का कहना है जबकि सरकार ने कहा है कि हमारे बीच में सकारात्मक बातचीत हुई है, अभी भी हमारे बीच में कुछ मतभेद है लेकिन हम एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

कल दो घंटे तक चली बैठक के बाद टीम अन्ना मे कहा कि सरकार का रवैया एकदम से बदला हुआ नजर आया। सरकार ने अन्ना टीम से बोला कि एक नया ड्राफ्ट वो पेश करेगें जिसमें आप अपनी बात डाल सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार ने अन्ना जी के बारे में कहा कि वो अपने अनशन के लिए जिम्मेदार होंगे। सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। केजरीवाल ने कहा कि सरकार का रवैया बेहद ही सख्त था। पूरे देशवासियों का ध्‍यान आज एक ही जगह पर है । इस मुख्‍य खबर के बाद चलती हूं आज की वार्ता पर .....

अनिलकांत जी की 23 अगस्‍त 2011 की डायरी के साथ वार्ता की शुरूआत करती हूं ..... पंक्तिबद्ध खड़े सुस्ताते हुए ये पेड़ ऐसे प्रतीत होते हैं मानो दिन भर के थके मांदे हों और अब डूबती शाम को स्वंय को हल्का कर लेना चाहते हों. निश्चय ही क्या उन्हें थकान का अनुभव नहीं होता होगा ? जीवन तो उन में भी है. और हम जो सांस ले रहे हैं वह उनकी ही तो देन है. वे केवल देने के लिए बने हैं. 

और हम ? 
क्या केवल इस पृथ्वी को भोगने के लिए ही आये हैं. 

मैं जब इन पर बारिश की बूंदों को गिरते हुए देखता हूँ तो उन पत्तियों पर रखी मोती सी बूंदों को छू लेने के लिए आतुर हो जाता हूँ. उन्हें छूकर शरीर में एक सुखद लहर दौड़ जाती है. आत्मिक सुख की अनुभूति शायद इसे ही कहते हों. 

उदय जी ने लिखा है संसद की गरिमा पर .....

होना चाहिए, हर किसी को होना चाहिए 
ख्याल 
'संसद की गरिमा' का 
क्यों, क्योंकि 
हम एक मजबूत व विशाल लोकतंत्र के सदस्य हैं, अंग हैं ! 

किन्तु 
क्या सिर्फ आम नागरिकों का ही कर्तव्य है 
कि - 
सिर्फ वे ही 'संसद की गरिमा' का ख्याल रखें ! 

ख़ास तौर पर वे 
जो भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे हैं 
या सिर्फ वे - 
जो भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन के अगुवा हैं !

राजदीप के नाम एक और गिनीज रिकॉर्ड ... जानकारी दे रहे हैं ..राजकुमार ग्‍वालानी जी ....
छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय जंप रोप खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा ने चाइना में एक और गिनीज रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। 30 सेकेंड में 117 जंप करके यह रिकॉर्ड बनाया। उनके एक रिकॉर्ड को मैगुमी सुजकी तोड़ नहीं पाए जिसके कारण पुराना रिकॉर्ड भी कायम है। 
चाइना में एक टीवी शो में शामिल होने गए राजदीप सिंह को शो के दौरान जापान के मैगुमी सुजकी ने चुनौती दी कि वे उनके बनाए रिकॉर्ड को तोड़ देंगे। राजदीप ने मैगुमी सुजकी के 30 सेकेंड में 152 स्टेप के रिकॉर्ड को भारत में क्लर्स टीवी के गिनीज रिकॉर्ड अब तोड़ेगा इंडिया में 21 फरवरी को 159 स्टेप के साथ तोड़ा था। राजदीप के इस रिकॉर्ड को चुनौती देने वाले श्री सुजकी अपने ही पुराने रिकॉर्ड 152 तक नहीं पहुंच सके। 

अन्ना हजारे के आंदोलन के उद्देश्य और लक्ष्य के अलावा दो-तीन बातों ने ध्यान खींचा है। ये बातें सार्वजनिक विमर्श से जुड़ी हैं, जो अंततः लोकमत को व्यक्त करता है और उसे बनाता भी है। इस आंदोलन का जितना भी शोर सुनाई पड़ा हो, देश के बौद्धिक-वर्ग की प्रतिक्रिया भ्रामक रही। एक बड़े वर्ग ने इसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रवर्तित माना। संघ के साथ इसे सवर्ण जातियों का आंदोलन भी माना गया। सिविल सोसायटी और मध्यवर्ग इनकी आलोचना के केन्द्र में रहे।

जाने हुए अनजाने कमीशंड .. रश्मि प्रभा जी की कलम से ...
वह .... किसी का बेटा
कमीशंड हुआ ... पोस्टिंग ...
और अब
सबकुछ ठहर गया !
यूँ ठहरा हुआ वक़्त भागता ही नज़र आता है
पर मैं खुद से मजबूर
उसे अपनी मुट्ठियों में भींच लेती हूँ
.... आंसू कभी मुक्त
आँखें कभी बंजर -
देखते ही देखते सारे इंतज़ार ख़त्म
और - यादें उदासी थकान ...

डॉ जे पी तिवारी जी लिखते हैं ... कुछ तो शर्म करो मेरे भाई ......
कुछ तो शर्म करो मेरे भाई !

लड़ाई और जंग कौन लड़ता?
वह तो लड़े - 'सिपाही'.
अन्ना तो है, असल सिपाही
उसने अपनी फ़र्ज़ निभाई
तुम सो रहे घर में, क्यों भाई?



महानगर में संध्या ... लिखते हैं राजेन्‍द्र गौतम जी .....

महानगर के बाज़ारों मेंगिरह काटती धूसर संध्या।स्वेद-सिक्त धकियाते चेहरेरुद्ध राह है, पग पथराएरक्त-जात संबंधों को भीरहे बाँट गूँगे चौराहेयहाँ रोज़ ईमान ख़रीदेबेच झील पेशेवर संध्या।

दीपक बाबा की बकबक .. नशा बुरी बात .....

लीना तरकारी काट के खाना बनाने का उपक्रम कर रही है... बच्चे डब्लू डब्लू ई, और मैं... बोतल खोल एक किनारे बैठ जाता हूँ..


सामने दिवार पर... चाचा नेहरु कोट पर फूल लगाए मुस्कुरा रहे है... और गाँधी जी.. १००० नोट के उपर..... जो सब्जी वाला लेने आया है.
टीवी पर अन्ना हजारे हैं... अर्धलेटे हुए ..... किरण बेदी तिरंगा लहरा रही है... सोनिया गाँधी... लेक्चर दे रही है ... और मनमोहन सिंह आज्ञाकारी बच्चे की तरह सुन रहे हैं........ प्रणव दादा सहमति से सर हिलाते हैं ....... कपिल सिब्बल और दिग्विजय तिवारी मौन है..... क्लास लग चुकी है..


कल श्रुतिप्रिया का जन्म दिन था और बचपन के दोस्त कंवर लाल गाँधी की बहुत याद आ रही थी. उसकी एक फूल सी बेटी थी, जिसके ह्रदय में सुराख़ था... उसे पता ना चला और वह दुनिया से चल बसी. बहुत रोया अन्दर ही अन्दर वह... आँखों से आंसू नहीं दिखते, पर सुबकियाँ रूकती नहीं थी उसकी. तीन साल पहले मैं उसके गाँव गया. जोधपुर से डेचू और डेचू से चलकर बाप तहसील में कुशलावा उसका गाँव है. मेरे अचानक पहुचने पर वह बहुत खुश हुआ. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं उसके गाँव तक पहुच सकता हूँ. बस उसे तो यही लगी रही कि कहाँ बैठों और क्या खिलाऊं. 

श्रुतिप्रिया को जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !!!!!

 

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