बुधवार, 21 जुलाई 2010

विधानसभा में चलीं कुर्सिंयां, तेरा रंग कैसा,-- ब्लाग4वार्ता------ललित शर्मा

दिल है कि मानता नहीं है, पाबला जी के साथ घटी दुर्घटना के विषय में समाचार मिला तो सुनकर बहुत ही तकलीफ़ हुयी। बस आज उनसे मिलने का इरादा कर लिया। आज अवधिया जी का भी जन्मदिन था। सोचा कि बर्थडे बॉय का जन्म दिन उनके साथ ही मनाया जाए। शरद भाई को फ़ोन किया तो उन्होने बताया कि वे बेटी को कालेज छोड़कर सीधे पाबला जी के घर ही पहुंच रहे हैं। हम भी अवधिया जी को लेकर पाबला जी के घर पहुंच गए। उनसे मिलकर कुछ तसल्ली हुई कि वे ठीक ठाक हैं। बाकी कि जानकारी शरद भाई ने अपनी पोस्ट में दे दी है। अब चलते हैं ब्लाग वार्ता  पर....

इसमें पाबला जी का क्या हाथ ?आज मैं ,ललित शर्मा और अवधिया जी दिन भर उनके साथ थे । वे फ़ोन पर तमाम ब्लॉगर्स से बात भी करते जा रहे थे और हम लोगों के खाने पीने की चिन्ता भी कर रहे थे । अवधिया जी का जन्म दिन था सो उसे भी उन्होने हम सब को पेढ़े खिलाकर मनाया । उनसे इस दुर्घटना का पूरा हाल जानने के बाद ही समझ में आया कि कितना बड़ा हादसा होते होते बच गया ।आज जी.के. अवधिया, राजीव तनेजा का जनमदिन हैआज, 20 जुलाई को - धान के देश में वाले जी.के. अवधिया - हँसते रहो वाले राजीव तनेजा का जनमदिन है बधाई व शुभकामनाएं आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...

प्यार-प्यार का फ़र्क...खुशदीप एक आदमी की प्रार्थना से ईश्वर प्रसन्न हो गए... बोले...*वत्स अपनी कोई इच्छा हो तो बता*... आदमी बोला...*भगवन् मेरी इच्छा तो कोई नहीं लेकिन आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं *... ईश्वर...*पूछ बालक*... आदमी...*हे परम...थोड़ी खुशियाँ थोड़े गम हैं यही है यही है छाँव-धूप ... बीत गये जीवन के साठ साल...पल क्षणों में क्षण घंटों में और घंटे दिन-रात में परिणित होते जाते हैं और समय अबाध गति से बीतते जाता है। काल का पहिया ज्यों-ज्यों घूमता है उम्र तिल-तिल करके घटते जाता है। शैशवकाल लड़कपन में लड़कपन किशोरावस्था...

सखी री, आया न मानसून..सुनिये-समीर लाल!!परसों ज्ञात हुआ कि पत्रिका सोपानStep के जुलाई २०१० के अंक में नारदवाणी कॉलम में, जिसे भाई अविनाश वाचस्पति जी नियमित लिख रहे हैं, में एक आलेख छपा, जिसका शीर्षक था ’ जुलाई भी बन गयी जून,सखी री आया न मानसून’...सभी मनुष्‍यों का समय बहुत ही तेज गति से बदलता है !!एक सज्‍जन कई वर्षों से हमारे संपर्क में थे , बहुत बुरा दिन चल रहा था उनका। कभी करोडों में खेलने का मौका जरूर मिला था उन्‍हें , पर बाद में एक एक पैसे के लिए मुहंताज चल रहे थे। महीनेभर का खर्च ,

एग्रीगेटर हमारी वाणी-तुम सुनो हमारी जुबानी-कल दिन में बिजली चली गयी थी, इसलिए कुछ काम नहीं हो पाया। इसलिए आज रात में एक नींद के बाद जाग गया, सो कम्प्युटर पर चला आया। ब्लाग पर देखा हमारी वाणी की एक टिप्पणी पड़ी हुई थी। पूर्व में हमारी से इस तरह की ट...वर्ष की श्रेष्ठ सह लेखिकाएक ऐसी लेखिका जो अपने को लेखिका से ज्यादा कलाकार कहलाना पसंद करती है । खुद कुछ नहीं बोलती , बोलती है केवल इनकी कलम -कभी माँ, कभी बेटी, तो कभी पत्नी बनकर .....! स्मृतियों के आईने में झांककर जब इनकी कलम बोल...

यही चार तो होते हैं जी इस खिचड़ी के यार।खिचड़ी के यार* चिड़िया ले कर आई चावल और कबूतर दाल। बंदर मामा बैठे-बैठे बजा रहे थे गाल। चिड़िया और कबूतर बोले- मामा, लाओ घी। खिचड़ी में हिस्सा चाहो तो ढूँढ़ो कहीं दही। पहले से हमने ला रक्खे पा...1 रु. प्रतिदिन से भी कम में कंप्यूटर की सुरक्षाये कोई विज्ञापन नहीं बस एक सलाह है । हम सभी को वायरस और अन्य कंप्यूटर को नुक्सान पहुचाने वाले प्रोग्राम्स का सामना तो करना पड़ता ही है वैसे मुफ्त एंटी वायरस तो है पर सच्चाई है की वो पूरी सुरक्षा नहीं देते...


प्रभाष परम्परा की आड़ मेंमित्रों पिछले कुछ दिनों से दो तीन डाट कामों पर प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी के नाम पर गठित किए एक ट्रस्ट ( प्रभाष परम्परा न्यास) को लेकर जमकर जूतम-पैजार चल रही है. प्रभाष परम्परा न्यास को गठित करने वाला ए...वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकारएक ऐसा चिट्ठाकार जो व्यंग्य की चाशनी में डूबोकर जब साहित्य परोसता है तो फिर चखने वाले के होठों से आह निकालने के बजाये स्वत:वाह निकल जाता है .....! एक ऐसा व्यंग्यकार जिसके व्यंग्य वाण से आहत व्यक्ति भी मुस्...

बिहार विधानसभा में चलीं कुर्सिंयां, कई घायलविधायिका की गरिमा गिराने वालों में आज बिहार विधानसभा के विधायकों ने भी अपना नाम लिखा लिया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने जम कर एक-दूसरे पर कुर्सियां और मेजें फेंकीं। आधा दर्जन से भी ज्‍यादा विध...बादलों की , आगोश में जाकर, चाँद और निखर गया,"बादलों की , आगोश में जाकर, चाँद और निखर गया, मिली जब , चांदनी उससे , बहुत उलझन में, पड़ गयी ."तुम याद बहुत आते हो …याद बहुत आते हैं आप स्वर्गीय प्रमोद महाजन जी , आपने ही इस देश के लिए "इंडिया शाईन" और "फ़ील गुड़" का स्वप्न जो देखा था । 

चित्रकारी और शिल्प कला,का बेजोड़ नमूना बगड़ का मोती महलबगड़ कस्बा जिसका जिक्र मैं अपनी एक पोस्ट में पहले भी कर चुका हूं यह कस्बा हमारे जिला मुख्यालय झुन्झुनूं से 15 कि.मी दूर स्थित है।इसके बारे में विस्तृत पढ़ने के लिए मेरी पोस्ट बगड़ एक नजर में पढ़े। अब तो मैं...रविकांत पांडेय जी और हिमांशु मोहन जी के साथ साथ सुज्ञ जी का विश्‍लेषण बढिया रहा .. करण समस्‍तीपुरी ने भी लगायी मुहर!!कल मैने एक लोकोक्ति पोस्‍ट की थी और पाठकों से उसका अर्थ पूछा था .. आत न आर्द्रा जो करे , जात न जोडे हस्‍त। एतै में दोनो गए , पाहुन और गृहस्‍थ !! बहुत सारे रोचक जबाब आए ... पाठकों का बहुत आभार ... आप भी देख...

चलते चलते व्यंग्यचित्र




वार्ता को देते हैं विराम--आपको ललित शर्मा का राम राम

7 टिप्पणियाँ:

बढ़िया रही वार्ता

पाबला जी के जल्‍द स्‍वस्‍थ होने की कामना करती हूं .. इस वार्ता से कई अच्‍छे लिंक मिले .. आभार !!

पाबला जी को जल्द से जल्द स्‍वस्‍थ होने की शुभकामनायो सहित आपको बहुत बहुत धन्यवाद इतने बढ़िया लिंक्स के लिए ! बढ़िया ब्लॉग वार्ता, ललित भाई !

पाबला जी के जल्‍द स्‍वस्‍थ होने की कामना करती हूं .. बहुत बढिया चर्चा .. आभार !!

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