गुरुवार, 22 जुलाई 2010

श्श्श्श्श्श ! आस्तीनों में छुपे हैं नाग--ब्लॉग4वार्ता-----ललित शर्मा

नमस्कार, आज श्रीमति अजित गुप्ता जी ने एक विचारणीय पोस्ट लगाई। भारत को राजकुमार और ब्रिटेन को राजकुमारी का रुप देते हुए गंभीर बाते सामने ले कर आईं। भारत में भ्रष्टाचार अब बन गया है शिष्टाचार। भ्रष्टाचार देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। यह ऐसा उल्टा पेड़ है जिसकी जड़ें आसमान में और शिखर भूमि पर है। हम जमीन पर खड़े होकर जितना काटते हैं उतना ही बढता जाता है। इसकी जड़ों में मठा डालने के लिए सर के बल खड़ा होना ही पड़ेगा। आज रायपुर में लगभग 4500 वेतनमान के उपनिरीक्षक के यहां से छापे में 3करोड़ की संपत्ति एवं नगद का खुलासा हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी बड़ी मछलियाँ कितना देश को निगल रही हैं। अब हम चलते हैं आज की ब्लाग4वार्ता पर.....

श्श्श्श्श्श ! सूरज ढल रहा है शाम होने वाली है, निशा अपना दामन शनै शनै फ़ैला रही है  ऐसे में शामें सुस्त है मगर बोझिल नहीं  । क्योंकि शाम हमको भी इसी शाम का सहारा है, दुनिया में कोई तो हमारा है, इस शाम का इंतजार हमें सुबह से ही रहता है। बस दिन ढलने का इंतजार रहता है, अगर यह शाम न होती तो कहता लानत भेजूंगा मैं उसको चाहे वह भगवान् भी हो.लेकिन हसीन शाम भी भगवान ने हमारे जैसे दिलज़लों के लिए बनाई है क्या आप भी सोचते हैं?  ऐसा ही कुछ आपके साथ भी होता हो।

दिन ढल गया, चाँद निकल आया, बादलों की , आगोश में जाकर, चाँद और निखर गया बस एकटक देखता हूँ, उसकी ओर, चाँद है, तो देखने का साहस कर लेता हूँ। कौन सूरज को देख पाता है? कोशिश करता हूँ जब देखने कि तो दोस्तों की आस्तीनों में छुपे हैं नाग, अब ये भी चुगली करते हैं कि जमी भी सर उठाने लगी है।पापी मरता नहीं, खँडहर ढहता नहीं यह कैसी विडम्बना है? कल तक जिसका पसीना गुलाब का इत्र था उनके लिए, वे आज छोटी सी उमर में ही लानत मलानत भेज रहे हैं। फ़िर उनकी नादानी माफ़ी के काबिल है और मैं कहता हूँ कि तुम यों ही मुस्कुराते रहो 

श्यामल मुख पर कुण्डली मारे बैठी उदासी मीना-ओ-जाम के सहारे कम होती नजर नहीं आती। सोचने लगता हूँ इसका कारण क्या है? फ़िर कहीं पार्श्व से आवाज आती है लगता है तुम्हारे टूथपेस्ट में सचमुच नमक है । हो सकता है, नमक होना और लगना जरुरी है।इक कतरा जिन्दगी का जिंदगी का साथी है। अगर नमक में आयोडिन है तो कारगर है, नहीं तो उदासी और भी गहरी हो जाएगी कौन जाने - उस पार का सच क्या होगा? यह तो जाने पर पता चलेगा।GPS सिस्टम साथ ले जाना होगा। अक्षांश देशांश के ज्ञान से ही गंतव्य तक पहुंच पाएगें नहीं तो पूछना पड़ेगा ये कौन सी जगह है दोस्तों?

रात गहराते ही जेहन में एक मछली की तड़फ़ सी हल चल मचती है  कि हम बेनाम से नाम की ओर बढते हैं और नाम से पुन: बेनामी की ओर, जब हम तखलिया चाहते हों, इसी की उपज है "बिना शीर्षक" , बिना शीर्षक और "बिना शीर्षक " , यह जीवन का सत्य है। शीर्ष पर शीर्षक जी जरुरत नहीं रहती।एक दोस्त की आत्मकथा रचेगी कीर्तिमान।तुम्हारा होने का अर्थ भी यही है कि अंधेरी राहों पर तुम्हारे लिए कंडील जलाता रहूँ मैं। चाहूंगा कि तुम्हे कोइ यह उलाहना न दे के चलो अच्छा हुआ कि तुम बहुत ही बेरहम निकले । 

कहते हैं बुढ़ापे में जवानी के रोमांस की याद भी जीवन में रस घोलती है, और तनहाई में बोलती भी हैं, कि बैरी काले मेघा आये रे आसमान में बादल उमड़ घुमड़ रहे है लेकिन बारिश नहीं हो रही है, सिंहावलोकन करने पर दूर कहीं गांव में सुनाई देता है चोला माटी के रे, दुनिया का बहुत बड़ा सच है। लेकिन छुद्रमति कहां याद रखने देती है। सब कुछ भुला देती है।ज्ञान का दीपक एवं मशाल जलने से अंतस में उजास हो जाए, बस आज की महफ़िल यहीं पर समपन्न होती है। कल फ़िर मिलते हैं अब मंगाते हैं चूरा मुर-मुर... दही खट्टा.... !

20 टिप्पणियाँ:

एकाध बार इंदु ताई का ब्लाग भी देखिये ग़ज़ब का लिखतीं हैं
"मैंने फिर एक सबक सीखा भय उस जंगली जानवर की तरह होता है जिससे भागने पर वो पीछा पकड़ लेता है,"

मेरी आस्तीन में तो भरे पड़े हैं मुझे भी असर आ ने लगा है हा हा हा

उद्धव जी ब्लाग है उनका लिंक http://moon-uddhv.blogspot.com/

जी आस्तीन तो ग़ज़ब जगह है कई रह सकते है यहां आपके पास कितने है

@ गिरीश दादा जी,
हमने तो आस्तीन ही रखना बंद कर दी है।
न रहेगा बांस न बजेगी बंसरी। बस एक ही पक्का राग चलेगा
मेघ मल्हार हो या दीपक राग।
जय हो

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

ललित जी आभार जो आपने मेरे ब्‍लाग का आमुख लगाया। मैं तो इतना ही चाहती हूँ कि हमारा स्‍वाभिमान जागे और पहले जैसे बन जाएं। अंग्रेजों ने जो हमारी व्‍यवस्‍थाओं पर चोट की है उन्‍हें वापस बदलें और ग्राम विकास को प्राथमिकता दें। आपने बहुत ही सुंदर ढंग से वार्ता की है आपको बधाई। आपके बताए लिंक पर जाने का पूरा प्रयास रहेगा।

सच में बेहतरीन चर्चा है जी

बहुत बढ़िया ब्लॉग वार्ता, ललित भाई !!

बढ़िया वार्ता रही

चर्चा में हमारी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका आभार्!

bhaynkar mehanat kar rahe ho. suparinaam milega ek din.

बहुत अच्छी वार्ता रही...मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार....बहुत अच्छे लिंक्स मिले

lalit ji bahut achha laga stori ke jaisa sabke blog se post le kar lagaya aapne aabhar is parichay ka blogvarta par jo diya

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