मंगलवार, 27 जुलाई 2010

विजय दिवस पर विशेष :- नहीं भुलने चाहिए कारगिल युद्ध के सबक - बस इतना याद रहे एक साथी और भी था - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो 
प्रणाम !

आज २६ जुलाई है ...............आप में से शायद काफी लोग कहेंगे "तो".............तो यह कि आज "विजय दिवस" है ! जी हाँ आज ही के दिन कारगिल युद्ध में हम लोगो ने विजय पायी थी ! अब कम से कम यह तो मत कहियेगा कि कौन सा कारगिल युद्ध ??

आज मेरा अंदाज़ आपको काफी तल्ख़ लग रहा होगा ...................जी हाँ ..............है भी ..........और सच कहू तो मुझे कोई मलाल भी नहीं है इस बात के लिए ! 

क्यों हम लोगो को ऐसा कोई भी दिन याद नहीं रहता जिस का सरोकार केवल हमारी निजी ज़िन्दगी से ना हो कर पूरे देश से है ? अब आप कहेगे हम लोगो को १५ अगस्त और २६ जनवरी तो याद रहती है..................तो साहब .........छुट्टी का दिन किस को बुरा लगता है ........... ज़रा दिल्ली वाले ही बता दें कितनी बार लाल किले पर प्रधान मंत्री का भाषण सुनने गए है आप या राजपथ पर बैठ कर अपने जावानो का हौसला बढाया  है आपने ?? 

बुरा मत मनियें पर यही सच है हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बारे में सोचते है देश तो बहुत बहुत बाद में आता है ! फिर देश की सेना के जवानो का ख़याल तो ..............चलिए जाने दीजियें.............क्यों आपको और खुद को और रुसवा करू..........वैसे उनके बारे में हम कभी सोचते ही नहीं है ........जब तक कि हमारे अपने घर का कोई उन में से एक ना हो ! सच कहा ना मैंने ??

ब्लॉग 4 वार्ता  के इस मंच से पूरे वार्ता दल और सभी ब्लॉगर साथीयो की ओर से कारगिल युद्ध के अमर शहीदों को शत शत नमन करते हुए पेश है आज की ब्लॉग वार्ता ! 

आपका 
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आपके ब्लॉग का नाम क्या होना चाहिए :- आप बताओ ?
 

हीरो या जीरो....? :- जैसी जिस की समझ कहे !


आया सावन झूम के ... :- थोड़ी देर से आया ना ?? 

ख्वाहिशों की ख्वाहिश :- यह कैसी खवाहिश ?

एक पल :- पल ...पल...पल...हर पल....हर पल .....कैसे कटेगा हर पल...... हर पल ??






इस्लाम में चार शादियाँ..... :- अल्लाह बचाए ...........आज की इस महेंगाई में ४ - ४ .....!!



एक कलम..! :- एक और ले लेनी थी !




जब तुम होगे साठ साल के............. घुघूती बासूती :-  और आप होंगी पचपन की !! सही कहा ना ?
  



ई – मेल एकाउन्‍ट कैसे तैयार करें :- यह तो आपको आता होगा....नहीं......तो सीख लो ना !! 

जीवन के ये 17 मूल आधार :- काफी बढ़िया है ! 

विजय दिवस पर विशेष :- नहीं भुलने चाहिए कारगिल युद्ध के सबक :- क्या कोई सुन रहा है ??

वो जब याद आएँ,बहुत याद आएँ!! :-  जब भी कोई अपना याद आता है...... यही होता है !


आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक | 

पर ज़रा सोचियेगा कि हम लोग देश के एक सच्चे नागरिक होने का जो दम भरते है वो कहाँ तक सच है ?? 
किस को धोखा देते है हम ?? 
खुद को ही ना !!

एक विनती है आप सब से -

बस इतना याद रहे एक साथी और भी था.....!!


जय हिंद !! 

23 टिप्पणियाँ:

शिवम , बढ़िया चर्चा रही ...

बढिया वार्ता शिवम जी

लिंक के लिए आभार

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा...

अब न तो शहीदों की चिताओं पर हर बरस मेले लगते हैं और न ही वतन पर मिटने वालों के निशां को कोई याद करता है...नाशुक्रे लोग, नाशुक्रा ज़माना...

मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार...

जय हिंद...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

शहीदों की याद अब शहीद दिवस पर ही आती है...

शिवम जी, बहुत बहुत धन्यवाद पोस्ट शामिल करने के लिए ...
चर्चा बहुत सुन्दर है ...

shivam ji charch ke liye hardik aabhar..aur kuch rochak links uplabdh karane ke liye bhi shukriya..shubkmanaayen !
:)

बढ़िया लिंक्स...सुन्दर चर्चा शिवम जी ...

मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद

बहुत बढ़िया है। यह छुटकी चर्चा का तरीका सही है। यदि ऐसा करने से यह लगातार बनी रहे।
हाँ, मेरी पोस्ट का जिक्र करने के लिए आभार।
घुघूती बासूती

शहीदों के प्रति आपके विचार और चर्चा दोनों ही बहुत उम्दा रही.......
आभार्!

अच्छे लिंक्स मिले ...शहीदों की याद शीद दिवस तक ही रह गई है बस

सुन्दर चर्चा ! अच्छे लिंक्स ! आभार !

और आपने सही बात कही,एक एक बात सच है...हम याद करना ही नहीं चाहते देश से जुड़े ऐसे बातों को....छुट्टियों का दिन २६ जनवरी और १५ अगस्त तो सबको याद रहता ही है...

मैंने कल सोचा था की इस बात का जिक्र अपने पोस्ट में करूँगा...लेकिन लिखने के क्रम में ये बात कहना भूल गया मैं....रात में जब याद आई ये बात तो काफी बुरा लगा...

खैर,
शुक्रिया सर ...
मेरे ब्लॉग पोस्ट का जिक्र करने के लिए

वाकई कारगिल में दी गयी शहादत को हम भूल गए थे. आपकी पोस्ट ने चेतना को झकझोरा. खुद पर शर्म आई.
मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने और कुछ अन्य लिंक उपलब्ध कराने हेतु आभार.

आप सबका बहुत बहुत आभार !

बढि़या पोस्‍ट है आपकी , इसमें कोई संदेह नहीं। कारगिल हमारे आत्‍म- सम्‍मान की लड़ाई थी।

उस लड़ाई में जवानों ने देशभक्ति क्‍या है यह अपने कृत्‍यों से प्रतिबिंबित कर दिया । हम हमारी बारी है कि हम उनके प्रति सम्‍मान एवं अपनत्‍व दर्शाएं.......... पर क्‍या ऐसा हो पायेगा। देश के नेताओं ने वायदे बहुत किए पर उन्‍हें पूरा करने की फुर्सत नहीं है उनके पास ......... पर आइए आज से, अभी से ही हम अपने जवानों की कुर्बानियों को सम्‍मान देते हुए उनके प्रति आभार व्‍यक्‍त करें।

जय हिन्‍द, जय भारत

ब्लोग्वार्ता अच्छी लगी , साथ में छोटे छोटे कम्मेन्ट्स जो आपने अपनी तरफ से दिए वो भी मजेदार लगे ।

कारगिल के शहीदों की ओर सही ध्यान दिलाया है ।
आजकल ध्यान दिलाना पड़ता है ।
बढ़िया रही चर्चा । आभार ।

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